essay on farmers problems in hindi

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi

In this article, we are providing information about Farmer in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi, Indian Farmers Life.

जरूर पढ़े- Bhartiya Kisan Par Nibandh & Essay on Farmer in Hindi for all classes

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi

Indian Farmer Essay in Hindi ( 250 words )

भारत गांवों और किसानों का देश है। भारत कृषि प्रधान देश है। हम बहुत कुछ कृषि पर निर्भर करते हैं। हमारे अधिकांश उद्योग-धंधे भी कृषि पर आधारित हैं। हमारा किसान हमारी रीढ़ की हड्डी है। उसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय किसान बहुत परिश्रमी है। वह अपने खेत-खलिहानों में जी-तोड़ मेहनत करता है, बीज बोता है, पानी देता है, फसल काटता है और फिर उसे बेचने मंडियों तक ले जाता है।

सुबह बहुत जल्दी वह उठ जाता है और रात को देर से सोता भाहल चलाने, खेतों को पानी देने, जानवरों की देखभाल करने, अनाज, फल, सब्जी आदि बाजार तक ले जाने में उसका सारा समय व्यतीत हो जाता है। विश्राम और सोने के लिये उसे बहुत कम समय मिलता है। लेकिन यह खेद की बात है कि आज भी वह निर्धन है। उसका हर स्तर पर शोषण हो रहा है। उसके बच्चों की शिक्षा, उपचार, स्वास्थ्य आदि की उचित व्यवस्था नहीं है। वह कर्ज के बोझ के नीचे दबा हुआ है।

धन और सस्ते ऋण के अभाव में वह अच्छे बीज, खाद, कृषि-यंत्र, सिंचाईं के उचित साधन आदि से वंचित रह जाता है। प्राकृतिक आपदाएं जैसे सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि से तो उसकी कमर ही टूट जाती है। अधिकांश किसान आज भी निरक्षर और अनपढ़ हैं। वे अंधविश्वास और कुरीतियों के शिकार हैं। उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक उन्नति और अधिक तथा ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। आशा करनी चाहिये कि निकट भविष्य में भारतीय किसान की स्थिति संतोषप्रद हो जायेगी।

जरूर पढ़े-

10 Lines on Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi ( 500 words )

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कि 65 प्रतिशत जनसंख्या खेती से जुड़ी हुई है। किसान मौसम की परवाह किए बिना सभी के लिए अनाज उगाते है जो कि मनुष्य की सबसे बड़ी जरूरत है। इसलिए किसानों को अन्नदाता भी कहा जाता है। बहुत से उद्योग भी कच्चे माल के लिए किसानों द्वारा उगाई गई फसलों पर निर्भर करते है। किसान का जीवन बहुत ही परिश्रम भरा होता है। वह सुबह से लेकर रात तक खेत के काम में ही लगा रहता है कभी बीज बोना,कभी सिंचाई ,कभी खाद डालना तो कभी कटाई।

हमारी अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर करती है लेकिन उसके बावजुद भी किसान की हालत बहुत ही दयनीय है। बहुत से किसान आज भी गरीब, अशिक्षित है और साथ ही अपने बच्चों को भी पढ़ाने में असमर्थ है। दिन रात मेहनत करने के बाद भी वो सिर्फ अपनी आजीविका ही चला पाते है और अगर कभी बारिश न होने से सूखा पड़ जाए तो उनकी मुश्किलें और भी बढ़ जाती है। बहुत से तकनीकी उपकरणों ने किसानों का परिश्रम थोड़ा कम कर दिया है लेकिन छोटा और निर्धन किसान उन्हें खरीदने में असमर्थ है जिसके कारण विवश होकर अपने बच्चों को खेतों में काम करने लाना पड़ता है। गरीब किसान अपनी फसलों के लिए उत्तम बीज और अच्छी खाद नहीं खरीद पाता है। किसान साल के अधिकतर महीनों में खाली ही रहते है। किसानों को सिंचाई के लिए प्रयाप्त पानी भी नहीं मिल पाता है।

किसानों को खाद,बीज आदि खरीदने के लिए उधार लेना पड़ता है जिसका फायदा साहुकार उच्च दर का ब्याज लगाकर उठाते है। किसानों की फसलों का सही मूल्य नहीं लगता है। अशिक्षित होने के कारण किसानों को अपने अधिकारों का पता नही होता और उनके अधिकारों का जमकर शोषण किया जाता है। आर्थिक स्थिति खराब होने से बहुत से किसान आत्महत्या कर रहे है। सरकार को किसानों के लिए कम ब्याज पर पैसे दिलवाने चाहिए ताकि वो आसानी से बीज खाद आदि खरीद सके। साल के उस समय जब खेती नही होती कृषि स्कूल खोले जाने चाहिए जिसमें किसानों को पैदावार बढाने के तरीके बताए जाए और खेती से जुड़ी सभी जानकारी दी जाए। सरकार द्वारा गाँवों में भी स्कुल खोले जाने जिनमें प्राथमिक शिक्षा मूफ्त दी जाए ताकि किसानों के बच्चे भी पढ़ सके।

अगर किसान नही होंगे तो खेती भी नहीं होगी और उद्योग भी नहीं होंगे यानि कि देश गरीब होता जाएगा। किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण करते है और अगर वही गरीब होगे तो देश प्रगति कर ही नहीं सकता। लाल बहादुर शास्त्री जी ने ” जय जवाम,जय किसान” नारे से किसानों का महत्व बताया है। किसानों की प्रगति के लिए सरकार को उचित प्रबंध करने चाहिए।

#Indian Farmer Essay in Hindi

Essay on Indian Rural Life in Hindi- भारतीय ग्रामीण जीवन पर निबंध

Indian Culture Essay in Hindi- भारतीय संस्कृति निबंध

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Essay on Indian Farmer in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

2 thoughts on “भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi”

' src=

Excellent Bhai ! bhai apane kisan ki puri samasya aur usase sambandhit jankari di hai > thanks

' src=

This essay helped me a lot in my exam. Jai Jawan, Jai Kisan. ??☺

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Drishti IAS

  • मासिक मैगज़ीन
  • इंटरव्यू गाइडेंस
  • ऑनलाइन कोर्स
  • कक्षा कार्यक्रम
  • दृष्टि वेब स्टोर
  • नोट्स की सूची
  • नोट्स बनाएँ
  • माय प्रोफाइल
  • माय बुकमार्क्स
  • माय प्रोग्रेस
  • पासवर्ड बदलें
  • संपादक की कलम से
  • नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
  • डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
  • बिगनर्स के लिये सुझाव

एचीवर्स कॉर्नर

  • टॉपर्स कॉपी
  • टॉपर्स इंटरव्यू

हमारे बारे में

  • सामान्य परिचय
  • 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
  • दृष्टि पब्लिकेशन
  • दृष्टि मीडिया
  • प्रबंध निदेशक
  • इंफ्रास्ट्रक्चर
  • प्रारंभिक परीक्षा
  • प्रिलिम्स विश्लेषण
  • 60 Steps To Prelims
  • प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
  • डेली एडिटोरियल टेस्ट
  • डेली करेंट टेस्ट
  • साप्ताहिक रिवीज़न
  • एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
  • आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
  • सीसैट टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन टेस्ट
  • योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
  • डाउन टू अर्थ टेस्ट
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
  • सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
  • मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
  • मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
  • 2018 प्रारंभिक परीक्षा
  • टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
  • फ्री मॉक टेस्ट
  • मुख्य परीक्षा
  • मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
  • निबंध उपयोगी उद्धरण
  • टॉपर्स के निबंध
  • साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
  • सामान्य अध्ययन
  • हिंदी साहित्य
  • दर्शनशास्त्र
  • हिंदी अनिवार्य
  • Be Mains Ready
  • 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
  • ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
  • मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश

टेस्ट सीरीज़

  • UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़

करेंट अफेयर्स

  • डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
  • डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
  • संसद टीवी संवाद
  • आर्थिक सर्वेक्षण

दृष्टि स्पेशल्स

  • चर्चित मुद्दे
  • महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
  • मैप के माध्यम से अध्ययन
  • महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
  • पीआरएस कैप्सूल्स
  • एनसीईआरटी बुक्स
  • एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
  • इग्नू स्टडी मैटिरियल
  • योजना और कुरुक्षेत्र
  • इन्फोग्राफिक्स
  • मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह

वीडियो सेक्शन

  • मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
  • मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
  • करेंट न्यूज़ बुलेटिन
  • मॉक इंटरव्यू
  • टॉपर्स व्यू
  • सरकारी योजनाएँ
  • ऑडियो आर्टिकल्स
  • उत्तर लेखन की रणनीति
  • कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
  • दृष्टि आईएएस के बारे में जानें

सिविल सेवा परीक्षा

  • परीक्षा का प्रारूप
  • सिविल सेवा ही क्यों?
  • सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
  • वैकल्पिक विषय
  • परीक्षा विज्ञप्ति

दृष्टि आईएएस ब्लॉग

भारतीय कृषि: समस्याएँ और समाधान.

  • 28 Jan, 2023 | अमित सिंह

essay on farmers problems in hindi

भारत की स्वतंत्रता को कई दशक बीत चुके हैं, हाल ही में हमने 74वाँ गणतंत्र दिवस मनाया है। 1947 से अब तक देश के हर क्षेत्र ने पर्याप्त विकास किया है। आज भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम विश्व के सफलतम अंतरिक्ष कार्यक्रमों में शामिल है, भारतीय सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेनाओं में सम्मिलित है तथा भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पाँच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अन्य क्षेत्रों में भी भारत नियमित रूप से विकास की नई कहानियाँ लिख रहा है।

इन उपलब्धियों के बावजूद एक ऐसा क्षेत्र भी है जो आज भी विकास की दौड़ में कहीं पीछे रह गया है। खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कृषि क्षेत्र आज भी उस स्थिति में नहीं पहुँच पाया है जिसे संतोषजनक माना जा सके। इसका परिणाम यह हुआ है कि कृषि पर निर्भर देश के करोड़ों लोग आज भी बेहद अभावों में जीवन जीने को विवश हैं और कई बार ये कृषि के माध्यम से अपनी बुनियादी जरूरतें भी नहीं पूरी कर पाते हैं।

भारतीय कृषि के अपर्याप्त विकास के मूल में कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जिन्हें दूर किये बिना कृषि का विकास संभव नहीं है, ये समस्याएँ निम्नलिखित हैं..

1- भारत के ज्यादातर किसानों के पास कृषि में निवेश के लिये पूँजी का अभाव/ कमी है। आज भी देश के ज्यादातर किसानों को व्यावहारिक रूप में संस्थागत ऋण सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। कई बार किसानों के पास इतनी भी पूँजी नहीं होती कि वे बीज, खाद, सिंचाई जैसी बुनियादी चीजों का भी प्रबंध कर सकें। इसका परिणाम यह होता है कि किसान समय से फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते अथवा अपर्याप्त पोषक तत्वों के कारण फसलें पर्याप्त गुणवत्ता की नहीं हो पाती हैं। इसके साथ ही पूंजी के अभाव में किसान को निजी व्यक्तियों से ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है जिससे उसकी समस्याएँ कम होने की जगह बढ़ जाती हैं। इस संबंध में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई किसान सम्मान निधि योजना किसानों के लिये काफी मददगार साबित हो रही है। इससे किसानों की कृषि संबंधी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करने में काफी हद तक सहायता मिल जाती है।

2- भारत के अधिकांश हिस्सों में आज भी सिंचाई सुविधाओं की कमी है। निजी तौर पर सिंचाई सुविधाओं का प्रबंध वही किसान कर पाते हैं जिनके पास पर्याप्त पूँजी उपलब्ध है क्योंकि सिंचाई उपकरणों जैसे ट्यूबवेल स्थापित करने की लागत इतनी होती है कि गरीब किसानों के लिये उसे वहन कर पाना संभव नहीं है। इस प्रकार अधिकांश किसान मानसून पर निर्भर हो जाते हैं और समय पर वर्षा न होने पर उनकी फसलें खराब हो जाती हैं और कई बार निर्वाह लायक भी उत्पादन नहीं हो पाता। इसी तरह अधिक वर्षा होने पर या विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी फसलें खराब हो जाती हैं और किसान गरीबी के दलदल में फंसता जाता है।

3- भारतीय किसानों की एक बड़ी आबादी के पास बहुत कम मात्रा में कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है। इसका एक बड़ा कारण बढ़ती हुई जनसंख्या भी है। इसके परिणामस्वरूप कृषि किसानों के लिये लाभ कमाने का माध्यम न होकर महज निर्वाह करने का माध्यम बन गई है जिसमें वे किसी तरह अपना और अपने परिवार का निर्वाह कर पाते हैं। भारतीय कृषि क्षेत्र प्रछन्न बेरोजगारी की भी समस्या से जूझने वाला क्षेत्र है।

4- किसानों को अक्सर उनकी उपज की पर्याप्त कीमत नहीं मिलती है, इसका एक बड़ा कारण यह है कि वे अपनी फसलों को विभिन्न कारणों से जैसे ऋण चुकाने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमतों पर ही बेंच देते हैं। जिसके कारण उन्हें काफी हानि का सामना करना पड़ता है।

5- कुछ अन्य कारणों में कृषि में आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग न कर पाना, परिवहन सुविधाओं की कमी, भंडारण सुविधाओं में कमी, परिवहन की सुविधाओं में कमी, अन्य आधारभूत सुविधाओं का अभाव तथा मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के कारण उपज में आती कमी इत्यादि समस्याएँ शामिल हैं।

भारत सरकार इस क्षेत्र में सुधारों और किसानों की आय दोगुनी करने के लिये 7 सूत्रीय रणनीति पर काम कर रही है।

1- प्रति बूंद-अधिक फसल रणनीति (Per Drop More Crop)- इस रणनीति के तहत सूक्ष्म सिंचाई पर बल दिया जा रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले पानी की मात्रा में कमी आएगी, इससे जल संरक्षण के साथ ही सिंचाई की लागत में भी कमी आएगी। ये रणनीति पानी की कमी वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से लाभदायक है।

2- कृषि क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करने पर बल दिया जा रहा है साथ ही खेतों में उर्वरकों की उतनी ही मात्रा का प्रयोग करने करने के लिये जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है जितनी मात्रा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार प्रयोग करना उचित है। इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार होगा साथ ही उर्वरकों पर होने वाले खर्च में भी प्रभावी कमी आएगी। इससे मृदा और जल प्रदूषण में भी कमी आएगी।

3- कृषि उपज को नष्ट होने से बचाने के लिये गोदामों और कोल्ड स्टोरेज पर निवेश को बढ़ाया जा रहा है। इससे उपज की बर्बादी रुकेगी, खाद्य सुरक्षा की स्थिति और मजबूत होगी तथा शेष उपज का अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में निर्यात भी किया जा सकता है।

4- खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से कृषि क्षेत्र में मूल्यवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपार संभावनाएँ निहित है।

5- उपज का सही मूल्य दिलाने के लिये राष्ट्रीय कृषि बाजार के निर्माण पर बल दिया गया है। इससे देशभर में कीमतों में समानता आएगी और किसानों को पर्याप्त लाभ मिल सकेगा।

6- भारत में हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में सूखे, अग्नि, चक्रवात, अतिवृष्टि, ओले जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इन जोखिमों को कम करने के लिये वहनीय कीमतों पर फसल बीमा उपलब्ध कराया गया है। हालाँकि इसका वास्तविक लाभ अब तक पर्याप्त किसानों को नहीं मिल पाया है, इसका लाभ अधिकांश लोगों तक पहुँचे इसके लिये उपाय किये जाने चाहिये।

7- विभिन्न योजनाओं के माध्यम से डेयरी, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, पोल्ट्री, मत्स्य पालन इत्यादि कृषि सहायक क्षेत्रों के विकास पर बल दिया जा रहा है। चूंकि देश के अधिकांश कृषक इन चीजों से पहले से ही जुड़े हुए हैं अत: इसका सीधा लाभ उन्हें मिल सकता है। आवश्यकता है जागरूकता, पशुओं की नस्ल सुधार जैसे कारकों पर प्रभावी तरीके से काम किया जाए।

चूंकि देश की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है अत: देश में गरीबी उन्मूलन, रोजगार में वृद्धि, भुखमरी उन्मूलन इत्यादि तभी संभव है जब कृषि और किसानों की हालत में सुधार किया जाए। उपरोक्त उपायों को यदि प्रभावी तरीके से लागू किया जाए तो निश्चित तौर पर कृषि की दशा में सुधार आ सकता है। इससे इस क्षेत्र में व्याप्त निराशा में कमी आएगी, किसानों की आत्महत्या रुकेगी, और खेती छोड़ चुके लोग फिर से इस क्षेत्र में रुचि लेने लगेंगे।

अमित सिंह उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की है। वर्तमान में वे दिल्ली में रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं।

कमेंट्स (0)

essay on farmers problems in hindi

दा इंडियन वायर

भारतीय किसान पर निबंध

essay on farmers problems in hindi

By विकास सिंह

essay on indian farmer in hindi

भारत किसानों की भूमि है। इसे इसलिए कहा जाता है क्योंकि अधिकांश भारतीय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि गतिविधियों में शामिल होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

निम्नलिखित निबंधों में मैंने भारतीय किसानों द्वारा पेश की जा रही समस्याओं पर चर्चा करने की कोशिश की है और इस पर अपनी राय भी दी है। आशा है कि आपको मेरे निबंध मददगार मिलेंगे।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (200 शब्द)

किसी ने सही कहा है, “भारत गांवों की भूमि है और किसान देश की आत्मा हैं।” मैं भी यही महसूस करता हूं। किसान बहुत सम्मानित हैं और हमारे देश में खेती को एक महान पेशा माना जाता है। उन्हें “अन्नदाता” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “अन्न देने वाला”। इस तर्क के अनुसार, भारत में किसानों को एक खुशहाल और समृद्ध होना चाहिए, लेकिन विडंबना यह है कि वास्तविकता इसके विपरीत है।

यही कारण है कि किसानों के बच्चे अपने माता-पिता के पेशे को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, लगभग ढाई हजार किसान रोजी-रोटी की तलाश में खेती छोड़ कर शहरों की ओर पलायन करते हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो एक समय आ सकता है जब कोई किसान नहीं बचेगा और हमारा देश “खाद्य अधिशेष” से बदल जाएगा, जो अब हम “भोजन की कमी” के लिए कर रहे हैं।

मैं सोचता था कि जब वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, तो किसान को लाभ होता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश पैसा मध्यम पुरुषों द्वारा हड़प लिया जाता है। अतः किसान हमेशा पराजित होता है। जब कोई बंपर फसल होती है, तो उत्पादों की कीमत गिर जाती है और कई बार उसे अपनी उपज सरकार को औने-पौने दामों पर या बिचौलियों को बेचनी पड़ती है और जब सूखा या बाढ़ आती है, तो हम सभी जानते हैं कि क्या होता है गरीब किसान।

किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। अगर कुछ तत्काल नहीं किया जाता है, तो बचाने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

मुझे लगता है कि किसान हमारे देश के लिए वैसी ही भूमिका निभाता है जैसा कि मानव शरीर के लिए रीढ़ की हड्डी निभाता है। समस्या यह है कि यह रीढ़ (हमारे किसान) कई समस्याओं से पीड़ित है। कभी-कभी, उनमें से कई एक दिन में दो वर्ग भोजन भी नहीं कर सकते हैं। सभी कठिनाइयों के बावजूद जो वे सामना करते हैं, इसके अनुसार वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनमें से कुछ नीचे चर्चा की गई है।

भारतीय किसान का महत्व:

वे देश के खाद्य निर्माता हैं: 

1970 के दशक के उत्तरार्ध से पहले भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था। दूसरे शब्दों में, भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हम विदेशों से (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से) बड़ी मात्रा में खाद्यान्न आयात करते थे। यह कुछ समय के लिए अच्छा रहा लेकिन बाद में यूएसए ने हमें व्यापार पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

उन्होंने खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी भी दी। तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार की और “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया और कुछ कठोर उपाय किए, जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति आई और उसकी वजह से हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गए और यहां तक ​​कि शुरू भी हो गया। अधिशेष का उत्पादन करता है।

भारत ने तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारे किसानों ने हमें कभी निराश नहीं किया, भले ही वे कई समस्याओं का सामना कर रहे हों। वे बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता में से एक:   भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान लगभग 17% है। उसके बाद भी वे गरीबी का जीवन जीते रहे। इसके कई कारण हैं। यदि हम विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं, तो एक अच्छा मौका है कि यह प्रतिशत में सुधार होगा।

सभी किसान स्वंय सेवक हैं: किसान रोजगार के लिए किसी अन्य स्रोत पर निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं कार्यरत हैं और दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:

हम आजादी के बाद एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना है। मुझे यकीन है, अगर हम ईमानदारी से काम करते हैं, तो हम उन समस्याओं को दूर करने में सक्षम होंगे जो हम आज का सामना कर रहे हैं और भगवान हमारे गांवों को तैयार करने के लिए उतने ही सुंदर और समृद्ध बन जाएंगे जितने कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

भारतीय किसान का जीवन पर निबंध, essay on life of indian farmer in hindi (400 शब्द)

मेरे जैसे व्यक्ति, जो अपने पूरे जीवन के लिए शहरों में रहे हैं, गाँव के जीवन के बारे में बहुत गलत विचार रखते हैं। उनका मानना ​​है कि बॉलीवुड फिल्मों में जो दिखाया जाता है। मैं अलग नहीं था। मैंने यह भी सोचा कि गांवों में महिलाएं अपने डिजाइनर लहंगे में घूमती हैं। वे पानी लाने के लिए कुएँ पर जाते हैं और खुशी-खुशी यहाँ-वहाँ जाते हैं। मेरा यह भी मानना ​​था कि शाम को वे “सूर्य मितवा” या “मेरे देश की धरती” जैसे फिल्मी गीतों पर एक साथ नृत्य करते हैं।

एक भारतीय किसान का जीवन:

एक दिन मैंने अपने पिताजी से कहा, “इन गाँव के लोगों का जीवन कितना अच्छा है …”। इस पर मेरे पिताजी जोर से हंसे और मुझे सुझाव दिया कि हमारे पैतृक गाँव की यात्रा करें जो लखनऊ में है। पिछली बार जब मैं अपने गाँव गया था, तब मैं 4 साल का था। मुझे अपनी पिछली यात्रा से बहुत कम विवरण याद थे या यह कहना बेहतर था कि मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि एक गाँव कैसा दिखता था।

मैंने ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ली और अपने पिता के साथ ट्रेन में सवार हो गया। मैं वास्तव में बहुत उत्साहित था। रेलवे स्टेशन पर हमें हमारे रिश्तेदार (मेरे चचेरे भाई) ने बधाई दी थी जो हमें रिसीव करने आए थे। मैंने उनसे पूछा, “हम घर कैसे जाएंगे”? इस पर उन्होंने अपनी बैलगाड़ी दिखाई। इस पर मेरी प्रतिक्रिया थी, “क्या!”। मेरे पिताजी ने मुझसे कहा, “बेटा, यह तो शुरुआत है …”।

सबसे पहले घर पहुंचने पर, मैंने अपने पेट का जवाब देने का फैसला किया। तो, मैंने पूछा, “शौचालय कहाँ है”? इस पर मुझे एक खुले मैदान में ले जाया गया। मुझे बताया गया कि गांव में शौचालय नहीं है और महिलाओं सहित सभी ग्रामीणों को खुले मैदान में जाना पड़ता है। उसके बाद मैंने चारों ओर नज़र रखने का फैसला किया। मुझे पुराने और फटे कपड़ों (निश्चित रूप से डिजाइनर नहीं) में पुरुषों और महिलाओं के साथ मिट्टी और बांस से बने टूटे हुए घर मिले, जो खेतों में बहुत मेहनत करते हैं ताकि उनके सिरों को पूरा किया जा सके।

एक प्रयुक्त हल और एक बैल की एक जोड़ी बैल हर घर में रहने वालों की कड़ी ज़िंदगी का प्रमाण है। अधिकतम घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं था और यहां तक ​​कि जिन घरों में बिजली का कनेक्शन था उनमें तेल के लैंप का उपयोग किया गया था क्योंकि बिजली दुर्लभ थी। किसी के पास गैस कनेक्शन नहीं था, इसलिए भोजन लकड़ी या कोयले की आग पर पकाया जाता था जो धुआं उत्पन्न करता था और जिससे फेफड़ों के विभिन्न रोग होते थे।

मुझे एक बूढ़ी औरत खांसती हुई मिली। मैंने उससे पूछा, “क्या आप अपनी दवाइयाँ ले रहे हैं”? इस पर उसने एक रिक्त रूप दिया और कहा, “बेटा, मेरे पास दवा खरीदने या निजी अस्पताल में जाने के लिए पैसे नहीं हैं।” अन्य व्यक्तियों ने मुझे बताया कि पास में कोई सरकारी क्लिनिक नहीं है। यह सुनकर मैं सचमुच भावुक हो गया। भारतीय किसानों की दुर्दशा अकल्पनीय है क्योंकि वे मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में पूरे वर्ष अथक परिश्रम करते हैं।

मैंने अपने चचेरे भाई के साथ जुड़ने का फैसला किया जो खेतों में काम कर रहा था। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो मैंने उसे और कुछ किसानों को कुछ आदमियों के साथ बहस करते हुए पाया। मुझे बताया गया कि वे बैंक अधिकारी थे और किसानों को एक औपचारिक नोटिस (ईएमआई का भुगतान न करने) देने आए थे। मेरे चचेरे भाई ने मुझे बताया कि गांव में कोई भी निकाय इस बार ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं था क्योंकि उनके पास इस बार खराब फसल थी।

मैंने अपना खाना खाया और सोने चला गया। कुछ समय बाद, मैं पानी पीने के लिए उठा। मुझे बंटू (मेरा चचेरा भाई का बेटा) मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ता हुआ मिला। मैंने पूछा, “इसकी देर है, सो जाओ।” इस पर उन्होंने जवाब दिया, “अंकल, मेरा कल एक टेस्ट है”। यह सुनकर मुझे लगा कि सब कुछ नहीं खोया है और अभी भी उम्मीद की एक किरण बाकी है।

हमारे गाँव और किसान वैसे नहीं हैं जैसा मैंने सोचा था लेकिन मुझे इस बात का एहसास है कि एक दिन यह गाँव बन जाएगा जैसा कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाता है।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (500 शब्द)

प्रस्तावना:.

भारत में विविध संस्कृति है। भारत में, लगभग 22 प्रमुख भाषाएँ और 720 बोलियाँ बोली जाती हैं। हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिख जैसे सभी प्रमुख धर्मों के लोग यहां रहते हैं। यहां के लोग हर तरह के व्यवसायों में लगे हुए हैं लेकिन कृषि यहां का मुख्य व्यवसाय है। यही कारण है कि भारत को “कृषि प्रधान देश” के रूप में भी जाना जाता है।

एक भारतीय किसान की भूमिका:

यही कारण है कि हमारी आबादी का एक बड़ा प्रतिशत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसान हमारे राष्ट्र की रीढ़ हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था के पीछे भी वे ताकत हैं। फिर भी भारतीय किसानों के साथ सब ठीक नहीं है। वे गरीबी और बदहाली का जीवन जीते रहे। फिर भी वे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाओं के बारे में नीचे चर्चा की गई है।

खाद्य सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है:  जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भोजन जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। यही कारण है कि पुराने समय में, खाद्यान्न को बड़ी मात्रा में किलों में संग्रहीत किया जाता था, ताकि युद्ध के समय में, जब दुश्मन द्वारा बाहरी आपूर्ति बंद कर दी जाएगी, तब भी खाने के लिए भोजन होगा। वही तर्क आज भी मान्य है। जैसा कि हम खाद्यान्न के मामले में “आत्मनिर्भर” हैं, कोई भी देश हमें ब्लैकमेल या धमकी नहीं दे सकता है। हमारे किसानों की मेहनत के कारण ही यह संभव हो पाया।

भारतीय अर्थव्यवस्था के चालक:  भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान लगभग 17% है। 2016-17 में भारतीय कृषि निर्यात लगभग 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

भारतीय किसानों की हालत सही नहीं है:

निर्यात के मूल्य के कारण भारतीय किसानों को समृद्ध होने की उम्मीद होती है, लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। वे आत्महत्या कर रहे हैं, पेशे को छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, और एक दिन में 2 वर्ग भोजन का प्रबंधन भी नहीं कर पा रहे हैं।

बहुत सी चीजें हैं जिन्हें दोष दिया जाना है लेकिन एक बात सुनिश्चित है कि यदि समस्या जल्द ही ख़त्म नहीं हुई तो हम “खाद्य निर्यातक देश” से एक “खाद्य आयातक देश” बन सकते हैं जो अब हम हैं।

बड़े पैमाने पर आंदोलन और किसान आत्महत्याओं के कारण किसान समस्याओं के मुद्दे को उजागर किया गया है, लेकिन “क्या हम पर्याप्त कर रहे हैं”? यह दस लाख डॉलर का सवाल है जिसका हमें जवाब देना है। जब हमारे “अन्नदाता” को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो वास्तव में यह चिंता की बात है।

आखिरी में मैं केवल यह कहना चाहूंगा कि, समय आ गया है कि हमें तत्काल कुछ करना होगा अन्यथा चीजें निश्चित रूप से सबसे खराब हो जाएंगी।

भारतीय किसान समस्या पर निबंध, essay on problems of indian farmers in hindi (600 शब्द)

यह एक बहुत ही संवेदनशील विषय है जिसे बहुत सावधानी से संभाला जाना चाहिए लेकिन क्या हम इसे ठीक से संभाल रहे हैं? यह एक मिलियन डॉलर का सवाल है। चूंकि समस्या जटिल है, इसलिए समाधान भी सीधा नहीं है, लेकिन अगर हम वास्तव में अपने देश को उथल-पुथल में जाने से बचाना चाहते हैं तो हमें इस समस्या को हल करना होगा।

हम चेतावनी के संकेत के लिए सावधान नहीं थे जो काफी समय से आ रहे हैं। अब, जब समस्या ने राक्षसी अनुपात लिया है, हम एक त्वरित समाधान की तलाश कर रहे हैं। मुझे दृढ़ता से लगता है कि इसका कोई त्वरित समाधान नहीं है।

जैसे-जैसे समस्या को बढ़ने में समय लगा है, उसी तरह से निपटाने में भी समय लगेगा। तो, यह उच्च समय है, हमें छाती पीटने में लिप्त होने के बजाय कुछ ठोस करना शुरू करना चाहिए।

समस्या की गंभीरता:

समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 3 लाख (सरकारी अनुमान, अन्य स्रोतों का कहना है कि यह 10 गुना अधिक है) किसानों ने 1995 से आत्महत्या की है। इन आत्महत्याओं का मुख्य कारण किसानों द्वारा लिए गए ऋणों को चुकाने में असमर्थता है। उसके द्वारा विभिन्न कारणों से। इस सूची में अव्वल रहने का संदिग्ध भेद महाराष्ट्र को जाता है।

एक अन्य अनुमान (सरकारी डेटा) के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत किसान कर्ज में हैं। अधिकतम गरीब हैं और कई गरीबी रेखा से नीचे जीने को मजबूर हैं। लगभग 95% किसान आधिकारिक MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे की उपज बेचने के लिए मजबूर हैं और उनकी औसत वार्षिक आय इक्कीस हजार रुपये से कम है।

यही कारण है कि कई किसान खेती छोड़ रहे हैं और अन्य व्यवसायों में जाने की कोशिश कर रहे हैं और यही कारण है कि कोई भी किसान बनना नहीं चाहता है।

कृषि के खराब होने का कारण:

ग्लोबल वार्मिंग (बाढ़ और सूखे) के कारण जलवायु में परिवर्तन :  ग्लोबल वार्मिंग और कुछ अन्य कारणों के कारण, पृथ्वी की जलवायु बदल रही है। यही कारण है कि बाढ़ और सूखे की आवृत्ति और गंभीरता बढ़ी है, जिससे बड़े पैमाने पर फसल क्षति हुई है।

सिंचाई सुविधाओं का अभाव:  अधिकतम किसान बारिश पर निर्भर होते हैं क्योंकि उनके पास सिंचाई के उचित साधन नहीं होते हैं, जैसे, डीजल पंप सेट, नहर या बांध का पानी आदि। इसका मतलब है कि अगर यह खराब मानसून है तो उनकी फसल खराब होगी।

छोटी भूमि जोतना:  भारत में अधिकतम किसानों के पास भूमि के छोटे से बहुत छोटे भूखंड हैं, जिस पर वे खेती करते हैं। यह खेती को लाभहीन बनाता है।

महंगे बीज और उर्वरक:  कई किसानों के पास अच्छी गुणवत्ता के बीज और उर्वरक खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए, वे हीन गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करते हैं और इसी कारण प्रति एकड़ उत्पादन में कमी आती है।

ऋण आसानी से उपलब्ध नहीं है : खेती, किसी भी अन्य व्यवसाय की तरह निवेश की आवश्यकता होती है, जो गरीब किसानों के पास नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति और कागजी कार्रवाई बहुत अधिक है। इसलिए, उन्हें निजी धन उधारदाताओं के पास जाना पड़ता है, जो उच्च ब्याज दर लेते हैं और अगर किसी कारण से फसल विफल हो जाती है, तो उनके लिए ऋण चुकाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

नए वैज्ञानिक तरीकों की जागरूकता का अभाव: अधिकांश किसानों की शिक्षा बहुत कम है या वे निरक्षर हैं। इसलिए, वे नई खेती और खेती के वैज्ञानिक तरीकों से अवगत नहीं हैं। यही कारण है कि सरकार ने टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं, जिस पर किसान अपनी समस्याएं पूछ सकते हैं।

विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार : विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार के कारण विभिन्न योजनाओं और योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित होता है और इसलिए इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है।

किसानों की दशा सुधारने के उपाय:

उचित बीमा:  चूंकि कई कारणों से फसल खराब हो सकती है, इसलिए किसानों को उचित बीमा सुविधाएं काफी फायदेमंद होंगी। यह बेहतर होगा कि सरकार द्वारा आंशिक या पूरे प्रीमियम का भुगतान किया जा सके क्योंकि कई किसान गरीब हैं और वे प्रीमियम का भुगतान नहीं कर सकते हैं।

नुकसान भरपाई:  समय-समय पर सरकार फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को मुआवजा प्रदान करती है। मुझे लगता है कि यह एक अस्थायी उपाय है और स्थायी समाधान नहीं है।

आसान ऋण की उपलब्धता:  यह महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। यदि किसानों को आसान ऋण प्रदान किया जाता है, तो उनकी स्थिति में निश्चित रूप से सुधार होगा क्योंकि वे बाजार से अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीदने में सक्षम होंगे।

भ्रष्टाचार में कमी:  यदि हम भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में सक्षम हैं तो विभिन्न योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचेगा और उनकी स्थिति में सुधार होगा।

मैं इस बात से सहमत हूं कि इस समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है, लेकिन अगर हम अच्छी समझ के साथ काम करना शुरू करते हैं, तो एक मौका है कि एक दिन हमारे भारतीय किसान भी उतने ही समृद्ध हो जाएंगे जितना कि अमेरिकी किसान अब हैं।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

Paper leak: लाचार व्यवस्था, हताश युवा… पर्चा लीक का ‘अमृत काल’, केंद्र ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल फ़ेलोशिप के लिए वन-स्टॉप पोर्टल किया लॉन्च, एडसिल विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ, 70 छात्रों को मिलेगी 5 करोड़ की छात्रवृत्ति, 2 thoughts on “भारतीय किसान पर निबंध”.

Nice😍🤩🤩🙂😇😇

Oh bhai bhai na 2000 words ka lekha joh ke bohot badi baat h

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Landslide in Kerala: वायनाड भूस्खलन- प्राकृतिक हादसा या मानव जनित?

Paris olympic 2024: “जलवायु आपातकाल” के बीच ऐतिहासिक आयोजन, 25 जुलाई को मनाया जायेगा संविधान हत्या दिवस – अमित शाह, आईएएस पूजा खेड़कर – जानिए पूरी कहानी.

ग्रामीण भारत – खुशहाल भारत, खेती बाड़ी, किसान योजनायें, पशुपालन, किसान समाचार, कृषि यंत्र मशीनरी

[ भारतीय किसानों की समस्याएं 2024 ] भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध | Problems of Indian Farmers

Last Updated on March 11, 2024 by krishisahara

भारतीय किसानों की समस्याएं, उपाय और समाधान पर निबंध | भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या क्या है | गांव में किसानों की समस्या

भारत प्रदेश की पहचान एक कृषि प्रधान देश के तौर पर होती आ रही है, पर फिर भी वर्तमान सरकारी आकड़ों एव कृषि की दशा बया करती, किसान के हाल बेहाल है | कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत की आत्मा है, लेकिन आज खराब हालत पर किसान की समस्या पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है सिर्फ और सिर्फ राजनीति में फसती हुई जूझ रही है | तो आइये नजर डालते है, भारतीय किसानों की समस्याएं और उनके आकड़े –

किसानों की समस्या और सरकारी आकड़े ?

  • वर्तमान में कृषि स्थति के अनुसार आकड़ों के अनुसार देश के लाखों किसान हर साल खेती करना छोड़ रहे है |
  • भारत की अर्थव्यवस्था कृषि का योगदान सन 1950 में 50% था जो 2021-22 में घटकर 18.8 % रह गया है |
  • महाराष्ट्र लगातार देश में किसान आत्महत्या के मामले में नंबर पहले पर बना हुआ है, जो 2016 मे 3661 किसानों में आत्महत्या की है |
  • “राष्ट्रीय अपराध लेखा कार्यालय” द्वारा जारी आँकड़ों में 1995 से 2016 के बीच कुल 3,33,407 (3 लाख, 33 हजार, 407) किसानों ने आत्महत्या की है |
  • कर्नाटक देश में दूसरे नंबर पर साल 2016 में 2079 किसान आत्महत्याए हुई है |

कर्ज में किसान परिवार की हालत (Condition of Farmer Family)?

  • लघु एवं सीमंत किसान की गरीबी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है | किसान परिवार का पूरा जीवन खेती-बाड़ी उत्पादित फसल की आय पर निर्भर रहती है और यह आय भी मानसून एव सरकार पर निर्भर रहती है |
  • लघु एव सीमान्त किसानों की हालत इतनी गरीबी से गुजर रही है की वो अपने खुद का बीज ,जुटाई, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, परिवार की हारी-बीमारी आदि कामों के लिए आर्थिक तंगी से जूझता रहता है |
  • बैंकों, साहूकारों, सेठ, रिस्तेदारों आदि से कर्ज लेकर अपने कामों को करने में लगा रहता है, और कर्ज जाल में फसकर अपने परिवार एव खुध के सपनों को राम भरोसे छोड़ देता है नतीजा गरीबी की गरीबी |
  • कर्ज जाल मे फसकर किसान परिवार को गांव के दलालों द्वारा परेशान किया जाता है | वह बेंक, साहूकारो का पैसा लोटने से परेशान रहते इसलिए वह नहीं तो अपनी फसल का आनंद ले पता है, भूमि बेचना ,खेती छोड़कर अन्य मजदूरी, आत्महत्या आदि उपाय अपनाता है | और साथ ही साथ किसान परिवार भी अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट जाती है, शादी-विवाह, कपड़े रिश्ते नाते आदि कामों में अपना साधारण सा जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते है |
  • एक कृषि प्रधान देश का किसान सबकी भूख मिटाने वाला किसान आज खुद समस्याओं से जूझ रहा है ,इसलिए सरकारों, विपक्ष पार्टियों, गाँव से लेकर सरकार तक कृषि प्रसासन, किसान समस्या पर गंभीरता से ध्यान में लेवे | किसान समस्याओ पर औछी राजनीति बंद करें ताकि कृषि प्रधान देश की साख पर कोई आंच ना आए |

किसानों की खराब हालात का जिम्मेदार कौन है?

आजादी के बाद से लेकर अब तक भी किसानों की हालत वेसी की वेसे बनी हुई है लगभग 19-20 का फर्क दिखाई देता है | भारत में किसान की खराब हालत का जिम्मेदार फैला भ्रस्टाचार ही है जिसका पता आपको है, शीर्ष सरकारो के द्वारा निकले गए प्लान, योजनाए, कार्यकमो को किसान धरातल पर पहुचने से पहले ही लगभग पूरा कर दिया जाता है |

किसानों की समस्याओ पर काम कम और राजनीति ज्यादा होती है | वोट बेंक ज्यादा होने के चक्र चुनावी मौसम में किसानों को वो ही समस्याए सुनाई जाती है, जो पिछले दशकों से चली आ रही है |

किसान अपनी फसल बेचना, पंजीयन कराना, आदि संबधित कामों को करने के लिए पहले 10 जगह विभागों के हस्ताक्षर करने होते है जो एक आशिक्षत किसान कर पाना कठिन होता है, और वहा पर भी फेले भ्रस्टाचार के कारण किसान को बहुत चक्कर लेने पड़ते है |

यह भी पढ़े –

  • देश में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्या है –
  • किसान पेंशन योजना की सम्पूर्ण जानकारी –
  • फोरेट कीटनाशक दवा का छिड़काव कैसे करें

भारतीय किसानों की समस्याएं जो हर रोज मीडिया में छपती रहती है –

  • सोसायटी में हुई यूरिया की कमी, किसान हुए परेशान अब दूसरे आस पास के शहरों से ला रहे है यूरिया –
  • सरकार ने विदेशों से मगाए दुग्ध पाउडर एव कृषि उत्पाद, किसानों की बड़ी चिंता भूख हड़ताल शुरू –
  • ट्रांसफार्मर खराब होने से किसान परेशान आ रहे है low वोल्टेज –
  • राजस्थान सरकार किसानों की जमीन कराएगी बेंकों से मुक्त |
  • किसानों पहुचे विभिन्न किसान समस्या को लेकर एसडीएम कार्यालय, सौंपा ज्ञापन-
  • किसानों के साथ हो रहा है धोखा भूमि विकास बैंक अधिक वसूल रहा ब्याज-
  • सहकारी दुकानों में नहीं मिल रही खाद, भटक रहे किसान-
  • किसान समस्या का कब होगा निराकरण, विभागों में बरती जा रही लापरवाही-
  • साहूकारी कर्ज से परेशान किसान ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में है कर्ज का जिक्र-
  • अधिकारियों को किसानों ने गिनाई किसान समस्या –
  • एसडीएम ने खेतों का दौरा कर जलभराव की समस्या के समाधान के दिए निर्देश-
  • किसान सभा ने कार्यालय के बाहर किया विरोध-प्रदर्शन-
  • किसान बोले,खेतों से दूर लगाओ उद्धोग, प्रदूषण से चौपट हो रही खेती-
  • पिछले जोड़कर भेजे खेतों के बिल, ठीक कराने के लिए किसान खा रहे धक्के­-
  • नहीं ली सूखे खेतों की सुध सरकार , तो अपनी किस्मत अब खुद लिखेंगे यहां के किसान-
  • बिजली और नहर का पानी दिलाएं, समस्याओं से जूझ रहे किसान-
  • कोरोना ने बढ़ाई किसानों की मुसीबत, अब तक एक हजार ने की आत्महत्या महाराष्ट्र-
  • किसानों और मजदूरों की समस्या को लेकर किया धरना प्रदर्शन-
  • यूरिया लेने के लिए केंद्र पर उमड़े किसान एक दिन में साफ –
  • कोरोना एव टिडियो के दुष्चक्र में पिसे किसान बड़ी किसान समस्या, कैसे डबल होगी अन्नदाता की आमदनी-

किसानों की समस्या के कारण?

भारतीय किसानों की मूलभूत समस्याए – – किसान भूमि पर अधिकार – फसलों का सही मूल्य नहीं होना – सिचाई व्यवस्था का अभाव – अच्छे बीजों का अभाव – खेतों की मिट्टी का क्षरण – मशीनरी यंत्र का अभाव – परिवहन की समस्या – समुचित भंडार का ना होना – पूंजी की कमी होना – किसान पर राजनीति – सरकारी योजना का लाभ न मिलना |

किसानों का आंदोलन क्यों हो रहा है?

हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा लाये गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देश के कई हिस्सों में आन्दोलन हुए थे, सरकार ने आन्दोलन का ध्यान में रखते हए इन कानूनों को वापस ले लिए थे | वर्तमान में किसान अपनी फसलों और कृषि व्यवसाय में आ रही समस्या को लेकर आए दिन उपज मंडियों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे है |

यह भी जरूर पढ़े…

  • मध्यप्रदेश टॉप 10 किसान योजना –
  • हर्बल खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi

इस लेख में किसान पर निबंध (Essay on the farmer in Hindi) दिया गया है। यह निबंध कक्षा 3 से 10 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है। यहां पर किसान के ऊपर निबंध सरल रूप में दिया गया है जिसे किसी भी परीक्षा में बेझिझक लिखा जा सकता है।

Table of Content

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi (1000 words)

किसान अधिक शिक्षित नहीं होते तथा आर्थिक रूप से मजबूत भी नहीं होते किसान कृषि के अलावा पशुपालन पर निर्भर होते हैं। किसान हल और बैल के सहायता से भूमि को चीर कर उस में बीज बोते हैं तथा बड़े धैर्य के बाद वहां से अन्न निकालते हैं।

आजादी के बाद दशकों तक किसान हेय स्तर का जीवन जीते रहे और कभी रोग से, तो कभी कर्ज से अपनी जान गंवाते रहे। किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बहुत ही चिंतनीय हैं।

किसान का शुरुवाती जीवन

भारत के किसानों की शिक्षा दीक्षा न के बराबर होती है, बचपन से ही किसानों के बच्चे खेतों में अपना समय देते हैं जिसके कारण वे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं दूसरा सबसे बड़ा कारण पैसों की कमी है जिसके कारण किसान तथा उनका परिवार पोषण युक्त आहार नहीं ले पाता और तमाम बीमारियों से घिर जाता हैं।

अधिकतर किसानों का विवाह बहुत ही कम उम्र में कर दिया जाता है जिससे निर्वहन तथा सामाजिक दबाव उन पर बढ़ जाता है जिसके कारण उन्हें अपने अनाज को कम दाम पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है। एक किसान सबसे अधिक मेहनत करता है लेकिन परिणाम के रूप में उसे बहुत मामूली रकम पर संतुष्ट होना पड़ता है।

किसान के जीवन की मुलभुत दिक्कतें

किसान के जीवन की दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। कभी-कभी समय पर सिंचाई ना मिलने के कारण फसल नष्ट हो जाती हैं तो कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान को बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है।

चौथी सबसे बड़ी मूलभूत दिक्कत कृषि के साधनों के महंगे होने से उनके उपयोग से वंचित रहना है। किसान खेती के लिए आमतौर पर बैल तथा हल का उपयोग करते हैं जिसमें अधिक समय व श्रम लगता है।

वर्तमान में किसान के जीवन में परिवर्तन

वर्तमान सरकार ने किसानों की दिक्कतों को समझा और उन्हें दूर करने के लिए पर्याप्त कदम उठाया जिसमें किसानों के फसल का ध्यान रखना तथा फसल नष्ट होने पर उपयुक्त मुआवजा देना या उन्हें कम ब्याज दरों पर कर्ज मुहैया करवाना मुख्य है।

वर्तमान सरकार द्वारा किसानों के लिए तमाम योजनाएं निकाली गई हैं जिसमें किसानों को कम ब्याज दरों पर खेती की मशीनों को मुहैया कराना, मुआवजा की राशिओं को सीधे उनके बैंक खातों में भेजना तथा उनके फसल को सीधे-सीधे खरीदारों तक पहुंचाना शामिल है जिससे उन्हें सीधे लाभ दिया जा सके और भ्रष्टाचार तथा मुनाफाखोरी से किसानों की रक्षा की जा सके।

भारत के सभी नागरिकों के लिए 0 बैलेंस खाता (जन धन अकाउंट) उपलब्ध कराया गया जिसमें बिना किसी शुल्क के खातों को खोलना शामिल था। इन खातों का लाभ उन गरीब किसानों के लिए वरदान साबित हुआ जिनके पास कोई भी बैंक का खाता नहीं था।

 हाल में ही हुए सर्वे के अनुसार किसानों को इन योजनाओं का लाभ सीधे सीधे तौर पर प्राप्त होने का दावा किया गया लेकिन आज भी किसानों द्वारा की आत्महत्या की खबरें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं।

जिस प्रकार सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैन्य बल अपना सर्वस्व समर्पण कर देते हैं, उसी प्रकार सीमाओं के अंदर रह रहे लोगों के लिए अन्न की व्यवस्था में किसान अपना सब कुछ दाव पर लगा देता है और बदले में उसे धन तो दूर एक अच्छी जिंदगी भी नसीब नहीं होती।

इसलिए किसानों के जीवन को और भी सुधारने की जरूरत है क्योंकि किसी भी देश की नींव वहां के किसानों को माना जाता है अगर नींव मजबूत नहीं हो तो महल भी मजबूत नहीं हो सकता।

निष्कर्ष Conclusion

essay on farmers problems in hindi

Similar Posts

पुनर्चक्रण पर निबंध व महत्व essay on recycling in hindi, शब-ए-मेराज त्यौहार पर निबंध essay on shab e-meraj festival in hindi, फुटबॉल पर निबंध essay on football in hindi (mera priya khel), अंग्रेजी के महत्व पर निबंध importance of english language essay in hindi, कर्म ही धर्म है निबंध work is worship essay in hindi – कार्य ही पूजा है, क्रिसमस डे पर निबंध 2021 essay on christmas in hindi, leave a reply cancel reply.

  • Now Trending:
  • Nepal Earthquake in Hind...
  • Essay on Cancer in Hindi...
  • War and Peace Essay in H...
  • Essay on Yoga Day in Hin...

HindiinHindi

Essay on indian farmer in hindi भारतीय किसान पर निबंध.

Essay on Indian Farmer in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. भारतीय किसान पर निबंध। In this article, we are going to post information about Indian farmer in Hindi, Indian farmer life and problems faced by farmer in Hindi.

hindiinhindi Indian Farmer Essay in Hindi

Essay on Indian Farmer in Hindi 200 Words

विचार – बिंदु – • भारतीय किसान का महत्त्व • सादगी-पसंद • परिश्रमी जीवन • हृष्ट-पुष्ट • गरीबी • दुर्दशा के कारण • सुधार के उपाय।

भारत की संस्कृति कृषक-संस्कृति है। भारतीय किसान सीधा-सादा जीवन-यापन करता है। सादगी का यह गुण उसके तन से ही नहीं, मन से भी झलकता है। सच्ची बात को सीधे-सादे शब्दों में कहना उसका स्वभाव है। भारतीय किसान बड़ा कठोर जीवन जीता है। वह शरीर से हृष्ट-पुष्ट रहता है। माँ धरती और प्रकृति की गोद में खेलने के कारण न उसे बीमारियाँ घेरती हैं, न मानसिक परेशानियाँ। भारत के अधिकतर किसान ग़रीबी में जीते हैं। उनके पास थोड़ी जमीन है। छोटे किसान दिन-भर मेहनत करके भी भरपेट खाना नहीं जुटा पाते। अधिकतर किसान निरक्षर है। अज्ञान के कारण वे अंधविश्वासों में आस्था रखते हैं। इस कारण वे परिवार को सीमित रखने का महत्त्व नहीं समझते।

परिणामसवरुप उनका परिवार बढ़ता जाता है और ज़मीन कम होती जाती है। फिर उनके जीवन में खुशहाली कैसे आए? अज्ञानता के कारण ही व्यापारी लोग उन्हें आसानी से लूट लेते हैं। आवश्यकता है कि किसानों को उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाएँ। उनके बच्चों को सस्ती शिक्षा दी जाए। उनके उत्पादन को ऊँचे दामों पर बेचने का प्रबंध किया जाए।

Indian Farmer in Hindi Essay 600 Words

भारतीय किसान की त्रासद स्थिति

मानव ने अपने पशुतुल्य जीवन को छोड़कर जिस समय एक स्थायी जीवन को ग्रहण किया था उसी समय उसने कृषि को अपने जीवन का अपरिहार्य अंग स्वीकार कर लिया था। कृषि ने ही मानव को पशु-जगत से भिन्न एक मानव-जगत् में स्थापित किया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संसार में मानव का आविर्भाव कृषि-व्यवस्था के परिणामस्वरूप ही अविर्भाव हुआ।

भारतीय संस्कृति, सभ्यता और साहित्य का एक बड़ा हिस्सा किसान-जीवन की नाना स्थिति-परिस्थितियों के विविध आयामी चित्रणों से भरा पड़ा है। आदिकाव्य रामायण में भी मानव के इस आदिम-पेशे का यथोचित वर्णन मिलता है। कालिदास ने तो ‘मेघदूत’ नामक अपने श्रृंगार और प्रेमपरक काव्य में, किसान जीवन की विराट मार्मिकता को पूरी तरह से उभार कर ही रख दिया। किन्तु किसान का जीवन मात्र प्राकृतिक-जीवन की मधुरता, स्वच्छंदता, सहजता और सौन्दर्य से भरा हुआ ही नहीं होता अपितु गरीबी, शोषण और विकराल अभावग्रस्तता का भी जीवन होता है। भक्ति-काल के सर्वश्रेष्ठ कवि महात्मा तुलसीदास ने कृषक जीवन की इस विडम्बनापूर्ण स्थिति को पूरी वास्तविकता और सच्चाई के साथ अनुभूत किया था। एक स्थान पर कृषक जीवन की त्रासद-स्थिति का वर्णन करते हुए महात्मा तुलसीदास ने लिखा है:

‘खेती न किसान को, भिखारी को न भीख बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका विहीन लोग सीधामान सोच बस,

कहैं एक एकन सों कहा जाई का करी?

जो किसान अपने अथक परिश्रम के द्वारा अन्न उत्पन्न करते हैं और उससे सकल संसार का पेट भरते हैं वही किसान स्वयं अपने पेट के लिए दो जून की रोटी को तरसते हैं। उन्हें भरपेट भोजन भी प्राप्त नहीं होता। उनके बीबी: बच्चे भूख से बिलखते रहते हैं। वस्तुत: इस स्थिति को देखकर तो हृदय यह पुकार उठता है कि कृषक जीवन वस्तुत: गरीबी, भुखमरी और दरिद्रता का जीवन रहा है। कितने आश्चर्य की बात है कि जो दूसरों की भूख शान्त करता है, वह स्वयं सदैव भुखमरी के भवंरजाल में फंसा रहता है। लाख प्रयत्न करने पर भी वह इस भंवरजाल से कभी निकल नहीं पाता। उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने भी अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘गोदान’ में कृषक-जनों की दारूण एवं मार्मिक स्थिति का चित्रण करते हुए लिखा है:

“तीन लडके बचपन में ही मर गए। उसका मन भी कहता था, अगर उनकी दवा-दारू होती तो वे बच जाते, पर वह एक धेले की दवा भी न मंगवा सकी थी। उसकी उम्र भी अभी क्या थी। छत्तीसवां साल तो था, पर सारे बाल पक गये थे, चेहरे पर झुर्रियां पड़ी थीं। सारी देह ढल गयी थी, वह सन्दर गेहँआ रंग साँवला गया था और आँखों से भी कम सूझने लगा था। पेट की चिन्ता ही के कारण कभी तो जीवन का सुख न मिला।’

यह एक महान कथाकार का बेहद सजगता से किया गया समाज-अध्ययन है। यह उस समय के किसान की दारूण स्थिति का लेखा-जोखा है, जब भारत में ब्रिटिश अपने उपनिवेश अपने चरम पर था। ब्रिटिश नीतियां तो निश्चित रूप से भारत की अर्थ-व्यवस्था को पूर्णतः बर्बाद करने वाली और आर्थिक शोषण के द्वारा अपने देश को समृद्ध करने वाली थीं। किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आज भारतीय कृषक की स्थिति बहुत अच्छी है। महात्मा गांधी ने धनिक वर्ग को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि भारतीय समाज को शान्तिपूर्ण मार्ग पर सच्ची प्रगति करनी है, तो धनिक वर्ग को निश्चित रूप से स्वीकार कर लेना होगा कि किसान के साथ भी वैसी ही आत्मा है जैसी उनके पास है और अपनी दौलत के कारण वे गरीब से श्रेष्ठ नहीं हैं।”

आज भी कृषक समाज बेतहाशा गरीबी और दरिद्रता का त्रासद जीवन जी रहा है। वह निरन्तर आत्म-हत्या और आत्महंता प्रवृत्तियों से ग्रस्त होता जा रहा है। आज आवश्यकता यह है कि सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय दे और कृषक जीवन को बेहतर बनाने के लिए सच्चे अर्थों में प्रयास करें।

More essay in Hindi

Essay on Apna Haath Jagannath in Hindi

Difference Between City Life Vs Village Life essay in Hindi

My Hobby Essay in Hindi

Essay on Internet in Hindi

Thank you for reading our essay on farmer in Hindi. Don’t forget to write your review.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
  • Click to share on Pinterest (Opens in new window)
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)

About The Author

essay on farmers problems in hindi

Hindi In Hindi

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

HindiinHindi

  • Cookie Policy
  • Google Adsense

logo

Do not assume anything, just seek

Essay On Farmers :किसान पर हिन्दी निबन्ध

Meena Bisht

  • April 1, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Farmers : किसान पर हिन्दी निबन्ध

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर किसान पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

Essay On Farmers 

किसान पर हिन्दी निबन्ध.

किसी ने ठीक ही कहा है “भूखे पेट भजन , न होय गोपाला” यानी अगर इंसान का पेट ही खाली हो तो उसका मन भगवान के भजन करने में या मोक्ष प्राप्त करने में भी नहीं लगता हैं ।पेट भरा होने पर ही दुनिया की हर वस्तु का आनंद लिया जा सकता हैं। और यही एकमात्र सत्य भी हैं। 

हमारे देश में किसानों को अन्नदाता का सम्मान दिया जाता है। क्योंकि किसान वाकई में अन्नदाता होता है। बिना अनाज के क्या हम जीवन जीने की कल्पना कर सकते हैं। हम कई दिनों तक बिना वाहन , मोबाइल , टेलिविजन या किसी भी आधुनिक उपकरण के बिना रह सकते हैं।

लेकिन बिना अन्न के कितने दिन रह सकते हैं।इसीलिए पाषाण युग के बाद मानव ने सबसे पहले खेती करने की ही शुरूवात की और वह उसके जीने का मुख्य साधन बन गया। 

किसान कौन है

इस धरती पर रहने वाले सभी मानवों की पहली और मूलभूत आवश्यकता भोजन ही है। और  जमीन पर बीज रूप कर अपने खून पसीने से सींच कर अनाज (अनाज , फल , फूल सब्जी आदि ) को उगाने वाले को किसान कहा जाता है। सच्चाई यह है कि किसान ही लोगों का पेट भरते हैं। 

कुछ किसान अनाज , फल , सब्जियों उगाते हैं तो , कुछ फूलों की खेती करते हैं। तो कुछ किसान तिलहनी फसलों , सूखे मेवों आदि की खेती से जुड़े रहते हैं।और इसी तरह कुछ कृषि के अन्य क्षेत्रों से। इसी के साथ किसान पशुओं से भी जुड़े रहते हैं। और पशु आधारित उत्पादों का उत्पादन भी करते हैं। 

यह भी पढ़ें … Essay on Independence Day in hindi

भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति (Essay On Farmers)

किसान की आजीविका का मुख्य साधन भी कृषि ही रहता है। किसान की आर्थिक स्थिति बहुत हद तक उसके खेत में उगने वाली फसल पर ही निर्भर करती हैं।अगर किसान की खेती अच्छी हो गई तो उसकी आय भी अच्छी होगी।जो उसके सामाजिक और आर्थिक सम्मान में वृद्धि कर देती है।अगर फसल अच्छी ना हुई तो , यही अन्नदाता अन्न के एक एक दाने के लिए मोहताज हो जाता है। 

भारत की लगभग 66% जनसंख्या कृषि और कृषि से संबन्धित अन्य कार्यों पर ही निर्भर रहती हैं। अधिकतर भारतीय किसानों का रहन-सहन बहुत सीधा सादा होता हैं।।लेकिन कुछ किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी भी हैं। वैसे भी भारतीय किसान जीवट व कर्मठ होते हैं

किसान का जीवन सुबह से शाम तक खाद , मिट्टी , पानी , बीज आदि के बारे में ही सोचते निकल जाता है।चाहे पूस-माघ के महीने की कड़कड़ाती ठंड हो या जेठ-वैशाख की चिलचिलाती धूप या रिमझिम बारिश , कोई भी उन्हें अपने कर्तव्य से नहीं डगमगाती सकता है। किसान हर परिस्थिति में हर दिन अपने खेतों में लहलहाती फसल को देखते हुए ही आनंद महसूस करता है। 

ग्रामीण क्षेत्र में हालांकि शिक्षित किसानों की संख्या बहुत कम है। और वो आज भी खेती के पुराने तरीके ही अपनाकर खेती करते हैं।उन जगहों पर कुछ किसानों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। कठिन मेहनत करने के बाद भी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण में मुश्किल से हो पाता है। 

किसान और शिक्षा (Essay On Farmers)

भारत की आजादी से पहले हमारे देश के किसानों की दशा बहुत खराब थी।तब किसान किसान न होकर मजदूरों की तरह रहते थे। लेकिन आजादी मिलने के बाद धीरे-धीरे किसानों की दशा में सुधार आया। आजादी के बाद हमारे देश में शिक्षा का भी काफी प्रचार-प्रसार हुआ। किसानों ने भी शिक्षा ग्रहण की।आज के अधिकतर किसान शिक्षित हैं। और उन्हें अपनी शिक्षा का भरपूर फायदा खेती करने में मिला है।

कई किसानों ने विषैले रसायनों तथा कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर उसकी जगह जैविक खेती करना शुरू कर दिया है। और यह वाकई में कृषि जगत में एक नई पहल है। जिससे हमारा पर्यावरण भी स्वस्थ रहता है।और हवा , पानी , मिट्टी , पर्यावरण दूषित भी नहीं होते हैं । दूसरी ओर किसान की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी खत्म नहीं होती , बल्कि वह दिनों दिन बढ़ती जाती है , जिसका फायदा किसानों को ही मिलता है। 

कृषि के क्षेत्र में भी नए-नए औजारों , उपकरण का आविष्कार हुआ। जिनसे किसानों को फायदा पहुंचा। आज का किसान आधुनिक जानकारियों व वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर खेती करने लगा है। 

यह भी पढ़ें। … Essay on Republic Day in hindi

 मौसम पर निर्भर भारतीय किसान 

भारत में अधिकतर खेती वर्षा के ऊपर ही निर्भर करती हैं। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में। अच्छी वर्षा होने पर फसल अच्छी होती है। अन्यथा किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है। हालांकि मैदानी क्षेत्रों में नहरों तथा ट्यूबलों के द्वारा सिंचाई की जाती है। लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह की कोई सुविधाएं नहीं होती हैं। वहां पर किसान सिंचाई के लिए मौसम व वर्षा पर ही निर्भर हैं। 

पर्यावरणीय असंतुलन से मौसम चक्र में अनेक बदलाव आ गए हैं।कभी बीज बुवाई के वक्त बारिश नहीं होती , तो कभी इतनी अधिक हो जाती है कि खेतों में खड़ी , कटने को तैयार फसल ही खराब हो जाती हैं।

इसी तरह ओलावृष्टि और असमय बर्फबारी पहाड़ों की फसलों को और नुकसान पहुंचाती है। ऊपर से जंगली जानवरों भी आए दिन किसानों की फसलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इस सबका असर किसान की आय पर भी पड़ता है। 

कभी कभी आर्थिक नुकसान की वजह से उनके पास अगली फसल के लिए अच्छे बीज , खाद , औजार खरीदने के लिए पैसे भी नहीं होते हैं।अगली फसल को बोने के लिए उन्हें मजबूरन किसी साहूकार या बैंक से कर्ज लेना पड़ता है। जिसको चुका पाना कई बार उनके लिए आसान नहीं होता। ऐसे में कर्ज के बोझ से दबे होने के कारण कई बार छोटे किसान आत्महत्या जैसा घातक कदम भी उठा लेते हैं। 

किसान व सरकारी योजनाएं (Essay On Farmers)

हालाँकि सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2022 तक भारतीय किसान की आय को दुगना करने का है। इसीलिए खाद , बीज तथा कृषि संबंधी उपकरणों के लिए सरकार की तरफ से ऋण दिया जाता है। इसके साथ ही कृषि संबंधी कुछ सामानों पर सरकार की तरफ से अच्छी खासी सब्सिडी भी दी जा रही है। 

आज सरकार ने किसान की जमीन की मिट्टी की जांच , उस में उगने वाली फसल तथा उत्तम नस्ल के बीजों के बारे में जानकारी देने के लिए कई कार्यक्रम चलाये हैं। आज किसान इन सब के बारे में जानकारी हासिल कर वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर खेती करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। ताकि अच्छी फसल उग सके। 

किसान वाकई में हमारे देश की रीड की हड्डी है। उन्हीं की मेहनत से देश आज अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बना है। सचमुच किसान ही देश का भाग्य विधाता होता है। देश की प्रगति किसान की प्रगति पर ही निर्भर करती है। जिस देश में किसान सुखी होता है , वह देश अपने आप ही सुखी व संपन्न होकर होकर विकास के रास्ते में चल पड़ता है।

You are most welcome to share your comments.If you like this post.Then please share it.Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें……

Essay on Organic Farming in Hindi

Essay on Diwali in Hindi

  Essay On Dussehra in hindi

Essay On Raksha Bandhan in hindi

Essay On Pollution  in hindi

Essay on Gandhi Jayanti in hindi

Essay on Women Education in hindi

Related Posts

मजदूरों का पलायन एक गंभीर सामाजिक समस्या   .

  • August 19, 2021

भारत में ऊर्जा सुरक्षा : चुनौतियों और अवसर 

  • June 2, 2021

हरित ऊर्जा : जलवायु परिवर्तन का समाधान पर हिन्दी निबंध

  • May 30, 2021

भारतीय किसान पर निबंध 10 lines (Indian Farmer Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay on farmers problems in hindi

 भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay in Hindi) – एक किसान हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक भोजन प्रदान करने के लिए अथक परिश्रम करता है। कड़ी मेहनत के बावजूद, कई किसानों को खराब मिट्टी की गुणवत्ता, आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी और अपर्याप्त सरकारी सहायता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों ने किसानों के बीच व्यापक गरीबी और संकट को जन्म दिया है। हालांकि, सरकार की पहल और तकनीक की मदद से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। किसान अब बेहतर बीज, सिंचाई और वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सक्षम हैं। इससे फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है और कई लोगों की आजीविका में सुधार हुआ है।

भारतीय किसान पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Indian Farmer in Hindi)

  • 1) भारत को गाँवों की भूमि कहा जाता है और गाँवों में रहने वाले लोग ज्यादातर खेती में शामिल हैं।
  • 2) भारत के किसानों को “अन्नदाता” या राष्ट्र का अन्नदाता कहा जाता है।
  • 3) किसान पूरे देश का पेट भरते हैं क्योंकि वे जो उगाते हैं उसे पूरी आबादी खाती है।
  • 4) किसान अपने खेतों में खाने के साथ-साथ अपनी आजीविका के लिए खाद्यान्न उगाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं।
  • 5) किसान खेतों में अनाज उगाते हैं और पकने के बाद उन अनाजों को पास की “मंडियों” में बेचते हैं।
  • 6) 1970 के दशक के दौरान, भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था और अमेरिका से खाद्यान्न आयात करता था।
  • 7) पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने सैनिकों और किसानों को महत्व देते हुए “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।
  • 8) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ कृषि में भारी बदलाव आया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में ‘हरित क्रांति’ हुई।
  • 9) गाँवों में ऐसे कई परिवार हैं जहाँ हर सदस्य खेती से जुड़ा हुआ है और अपने परिवार के लिए आजीविका कमाता है।
  • 10) गाँवों में खेती ही मुख्य व्यवसाय है जो कई पीढ़ियों से चला आ रहा है।

भारतीय किसान पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और कृषि भारतीय आबादी के बहुमत के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। भारतीय किसान मेहनती और लचीले व्यक्ति हैं जो हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालाँकि, भारत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें ऋण तक पहुँच की कमी, आधुनिक तकनीक तक पहुँच की कमी और सिंचाई और जल प्रबंधन से संबंधित चुनौतियाँ शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण भी भारत में किसानों को प्रभावित कर रहे हैं। भारत सरकार और समाज को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए और देश के लिए एक स्थायी और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भारतीय किसान का समर्थन करना चाहिए।

इनके बारे मे भी जाने

  • Education System In India Essay
  • Essay On Swami Vivekananda
  • Gandhi Jayanti Essay
  • Good Manners Essay

भारतीय किसान पर 150 शब्दों का निबंध (150 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारत में खेती एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था को ठीक से काम करता रहता है। यह न केवल देश के नागरिक को भोजन प्रदान करता है बल्कि रोजगार भी प्रदान करता है। देश के लगभग 40% नियोजित लोग कृषि क्षेत्र और उसके सहायक क्षेत्र के नियोक्ता हैं। खेती में बहुत श्रम की आवश्यकता होती है।

काम श्रमसाध्य है और इसके लिए अनुशासन और धैर्य की आवश्यकता होती है। किसानों के पास यह समझने का काम है कि मानसून भारतीय उपमहाद्वीप में कब और कैसे दस्तक देगा। मानसून के अनियमित होने से फसल की उपज और फसल की वृद्धि में भारी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इस क्षति को अधिक होने से रोकने के लिए, कृषि में शामिल ग्रामीण लोगों को वैज्ञानिक रूप से खेती सिखाई जा रही है।

कई गैर-सरकारी संगठन देश की कृषि भूमि का दौरा करते हैं और उन्हें सिखाते हैं कि सही तरीके से बीज कैसे बोएं और खेती के लाभों को कैसे प्राप्त करें। वे किसानों को यह भी सिखाते हैं कि वितरकों को बेचने से पहले फसल की सही कीमत कैसे लगाई जाए।

भारतीय किसान पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, जैसे कि खराब बुनियादी ढांचा, ऋण और बाजारों तक पहुंच की कमी, और अप्रत्याशित मौसम, वे देश को खिलाने के लिए अथक रूप से काम कर रहे हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण भारत की कृषि की रीढ़ है, जो अधिकांश आबादी के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है। भारतीय किसान लचीलापन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, और देश में उनके योगदान को पहचाना और मनाया जाना चाहिए।

अर्थव्यवस्था में भारतीय किसानों की भूमिका

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और भारतीय किसान देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कृषि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 17% है और देश के कर्मचारियों की संख्या का लगभग 50% कार्यरत है। भारतीय किसान न केवल फसलें उगाते हैं बल्कि पशुधन भी पालते हैं, जो कई परिवारों के लिए भोजन और आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

देश के निर्यात में कृषि का प्रमुख योगदान है, चावल, गेहूं और कपास जैसी फसलें कुछ प्रमुख निर्यात वस्तुएँ हैं। इसके अलावा, भारतीय किसान देश की खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक है, और देश में किसान चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना और फलों और सब्जियों सहित कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हैं।

भारतीय किसान पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

वर्तमान समय और युग में, सरकार किसानों का बहुत ध्यान रख रही है। ऐसी कई लाभकारी योजनाएँ हैं जो न केवल किसानों को आसान ऋण प्रदान करती हैं बल्कि उन्हें कच्चा माल भी देती हैं जिससे वे खेती की प्रक्रिया को नया रूप दे सकते हैं। भारत के बाहर कई देशों में, कृषि तकनीक उन्नत और अत्यधिक वैज्ञानिक हो गई है।

देश में कई हिस्से ऐसे थे जहां कृषि योग्य भूमि को बढ़ाने के लिए वनों को काटकर जलाना अब भी जारी है। इसी विवेकपूर्ण सोच के तहत हमें कृषि गतिविधियों को विनियमित करना होगा। भारत में रहने वाले अधिकांश किसान गरीब हैं। उन्हें नियमित राशन का लाभ नहीं मिल पाता है। किसान निराशाजनक परिस्थितियों में रहते हैं और अक्सर भूख से मर जाते हैं। हाल के युग में किसानों के बीच आत्महत्या अधिक आम हो गई है।

सरकार ने कृषि गतिविधियों में शामिल लोगों के जीवन पर लगातार नजर रखी है। जीवन शैली में सुधार के लिए सरकार नई योजनाएं लेकर आई है। किसानों को सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इन ऋणों पर वापसी की अवधि भी लंबी होती है।

कई कृषि गतिविधियाँ अभी भी आदिम तरीकों से की जाती हैं। हाल के वर्षों में सिंचाई को लोकप्रिय बनाया गया है। कई कॉलेजों में दशकों से कृषि विज्ञान पढ़ाया जा रहा है। यह केवल अब है कि ऐसे पाठ्यक्रमों में नामांकन बढ़ रहा है। अंग्रेजों के शासन में किसानों को भी कष्ट उठाना पड़ा।

अंग्रेजों ने कई उद्योगों को भी नष्ट कर दिया जिनका कच्चा माल कृषि गतिविधियों द्वारा प्रदान किया जाता था। हालांकि किसानों को जबरदस्त नुकसान हुआ, लेकिन हम यह नहीं भूल सकते कि देश को बनाए रखने में उनकी नौकरियां कितनी महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय किसान पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

मुझे लगता है कि किसान हमारे देश के लिए वही भूमिका निभाता है जो मानव शरीर के लिए रीढ़ निभाता है। समस्या यह है कि यह रीढ़ (हमारा किसान) कई समस्याओं से जूझ रहा है। कभी-कभी, उनमें से कई एक दिन में दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाते हैं। तमाम कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनमें से कुछ की चर्चा नीचे की गई है।

भारतीय किसान का महत्व

  • वे देश के खाद्य उत्पादक हैं

1970 के दशक के अंत से पहले भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था। दूसरे शब्दों में, भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हम विदेशों से (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से) बड़ी मात्रा में खाद्यान्न आयात करते थे। कुछ समय तक तो ठीक चला लेकिन बाद में अमेरिका ने हमें व्यापार पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

उन्होंने खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी भी दी। तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार की और “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया और कुछ कठोर उपाय किए, जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति हुई और उसके कारण हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बने और यहां तक ​​कि शुरुआत भी की। अधिशेष उत्पादन का निर्यात करना।

उसके बाद से भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारे किसानों ने कई समस्याओं का सामना करने के बावजूद हमें कभी निराश नहीं होने दिया। वे बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं।

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक

किसान भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 17% योगदान करते हैं। इसके बाद भी वे गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके कई कारण हैं। यदि हम विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं, तो इस प्रतिशत में सुधार होने की अच्छी संभावना है।

  • सभी किसान स्वरोजगार हैं

किसान रोजगार के लिए किसी अन्य स्रोत पर निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं नियोजित हैं और दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा करते हैं।

आजादी के बाद से हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मुझे यकीन है कि अगर हम ईमानदारी से काम करेंगे तो हम आज जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन पर काबू पा सकेंगे और ईश्वर की कृपा से हमारे गांव उतने ही सुंदर और समृद्ध बनेंगे, जितने कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

भारतीय किसान पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अधिकांश भारतीय आबादी के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है, और किसान देश के कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस तथ्य के बावजूद कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारत में किसान हाल के वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारतीय किसानों के सामने चुनौतियां

देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय किसान द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, भारत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय किसानों के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक ऋण तक पहुंच की कमी है। भारत में कई किसान छोटे और सीमांत किसान हैं जिनके पास आधुनिक कृषि तकनीकों में निवेश करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं। नतीजतन, वे अक्सर उन साहूकारों पर भरोसा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं जो अत्यधिक ब्याज दर वसूलते हैं, जिससे उनके लिए अपने ऋण चुकाना मुश्किल हो जाता है।

भारतीय किसानों के सामने एक और बड़ी चुनौती आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी है। भारत में कई किसान अभी भी पारंपरिक खेती के तरीकों पर भरोसा करते हैं, जो श्रम-गहन हैं और अक्सर कम पैदावार का कारण बनते हैं। इसके अलावा, भारत में किसानों को सिंचाई और जल प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। देश के कई हिस्सों में, किसान अपनी फसलों के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर हैं, जो अप्रत्याशित हो सकती है और फसल की विफलता का कारण बन सकती है।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) की कहानी

सुभाष पालेकर भारत के महाराष्ट्र राज्य के एक किसान हैं। उन्होंने कम उम्र में ही खेती करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत के कई किसानों की तरह उन्हें भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें कम उपज और वित्तीय कठिनाइयाँ शामिल थीं। हालाँकि, सुभाष ने हार मानने के बजाय मामलों को अपने हाथों में लेने का फैसला किया और खेती की विभिन्न तकनीकों के साथ प्रयोग करना शुरू किया।

उनके द्वारा विकसित तकनीकों में से एक शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) थी। खेती की यह विधि मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों, जैसे गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करने और कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक शिकारियों पर निर्भर रहने के सिद्धांतों पर आधारित है। सुभाष की पद्धति न केवल अधिक टिकाऊ थी, बल्कि इससे फसल की पैदावार भी बढ़ी और किसानों की लागत भी कम हुई।

सुभाष की ZBNF पद्धति ने क्षेत्र के अन्य किसानों का ध्यान आकर्षित किया, और जल्द ही, वे देश भर में यात्रा कर रहे थे, अन्य किसानों को अपनी तकनीकों के बारे में सिखा रहे थे। उनके काम ने हजारों किसानों को उनकी उपज में सुधार करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद की है।

सुभाष की कहानी भारत में कई किसानों के लिए एक प्रेरणा है, और उनके काम को भारत सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा मान्यता दी गई है। 2018 में, उन्हें कृषि में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

उनकी कहानी से पता चलता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी एक व्यक्ति बदलाव ला सकता है और कई लोगों के जीवन को बदल सकता है। शून्य बजट खेती का उनका तरीका अब भारत के कई राज्यों में लोकप्रिय है और किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। सुभाष पालेकर की कहानी भारतीय किसान के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का एक वसीयतनामा है, और कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारतीय किसान पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

किसान क्या करते हैं, और उनका प्राथमिक काम क्या है.

फ्रैमर भारतीय आर्थिक संरचना का एक अभिन्न अंग हैं। वे हमें फसलें प्रदान करते हैं जिससे हम अपना भोजन बनाते हैं। वे फसल की उपज को अधिकतम करने के तरीके खोजते हैं। फसल की पैदावार को किसानों द्वारा अनुकूलित करने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या बहुत अधिक है। वर्षों तक बिना असफल हुए इतने लोगों का मुंह खिलाना एक कठिन काम है।

क्या किसान आत्महत्या भारत में एक महत्वपूर्ण समस्या है?

हां, भारत में किसान आत्महत्या एक महत्वपूर्ण समस्या है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है। रिपोर्ट किए गए किसान आत्महत्याओं की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है।

सरकार ने किसानों की मदद के लिए कौन सी योजनाएँ बनाई हैं?

भारत सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं में किसान विकास पत्र और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शामिल हैं।

किस मौसम का भारतीय खेती पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है?

भारतीय किसान | Essay on Indian Farmer in Hindi

essay on farmers problems in hindi

भारतीय किसान | Essay on Indian Farmer in Hindi!

भारतीय किसान का जीवन प्रकृति की गोद में बीतता है । वह पौ फटते ही उठ जाता है और अपनी दैनिक चर्या से निवृत्त होकर अपने पशुओं की देख-रेख में जुट जाता है ।

वह उन्हें शांत और स्वस्थ देखकर संतोष का श्वास लेता है । वह उनके लिए चारे का प्रबंध करता है । पशु उसके लिए बाल-बच्चों के समान प्रिय होते हैं । उनकी सेवा से ही उसकी खेती पनपती और सोना उगलती है ।भारतीय किसान की भाँति उसकी पत्नी भी परिश्रम की साक्षात् मूर्ति होती है । वह अपने पति के प्रत्येक कार्य में सहयोग देती है ।

मुँहअँधेरे उठकर वह झाड़ू-बुहारू, चूल्हा-चौका करती है, पशुओं के रहने का स्थान साफ करती है, गोबर उठाकर उसके उपले बनाती है और अपने पति के लिए कलेवा तैयार करती है । किसान हल-बैल लेकर बहुत सबेरे ही खेतों पर निकल जाता है । प्रातःकाल उसकी पत्नी कलेवा लेकर पहुँच जाती है । दोपहर होने पर पत्नी उसका भोजन खेतों पर ही पहुँचाती है । गोधूलि तक वह घर लौटने का नाम नहीं लेता ।

ADVERTISEMENTS:

भारतीय किसान श्रम का उपासक है । श्रम ही उसका जीवन और श्रम ही उसका मनोरंजन होता है । सुबह से शाम तक वह श्रम करता रहता है, फिर भी उसके चेहरे पर थकान दिखाई नहीं देती । आलस्य को वह अपने पास फटकने तक नहीं देता । आँधी-तूफान, वर्षा की झड़ी, मेघों के गर्जन, बिजली की कड़क, प्रचंड लू और शीत के प्रकंपन के बावजूद वह अपने काम में लगा रहता है ।

काम के आगे उसे प्यास नहीं सताती । उसके हाथ कभी नहीं रुकके अपने बाहुबल पर उसका अटूट विश्वास है । संतोष उसका परम धन है । रात-दिन परिश्रम करके भी वह अपने फटे-हाल में मस्त रहता है । झोपड़ियों में रहकर वह महलों के स्वप्न नहीं देखता । आत्मनिर्भरता की वह जीवंत मूर्ति होता है ।

भारतीय किसान का रहन-सहन अत्यंत सरल है । अपने ही हाथों से वह अपने मकान बना लेता है । बाँस-बल्लियों के ठाठ से, जंगल की घास व फूस से और अपने गाँव के ताल की मिट्‌टी की कच्ची ईंटों से वह अपने रहने के लिए जो घर बना लेता है, वह किसी महल से कम आनंददायक नहीं होता । उसके घर के चारों ओर लहलहाते खेत ही उसके उद्यान और पार्क होते हैं ।

गरमी के दिनों में वह खुली हवा में सोता है, जाड़े के दिनों में उसे गुदगुदे गद्‌दों की आवश्यकता नहीं होती । पुआल का बिछौना ही उसका गददा और पुआल का ओढ़ना ही उसकी रजाई होती है । उसका भोजन अत्यंत सरल होता है । वह खाने के लिए नहीं जीता, जीने के लिए ही खाता है ।

भारतीय किसान धरती का सच्चा सपूत है । धरती की क्षमाशीलता, धरती की दानशीलता, धरती की उदारता, धरती की सहनशीलता, धरती का तप, त्याग और संतोष उसके व्यक्तित्व में समाहित रहता है । धरती माता से प्राप्त उसके यही गुण उसे संसार का अन्नदाता बनाते हैं ।

वह अन्न उत्पन्न कर दूसरों का पेट भरता है और कपास उत्पन्न कर दूसरों का शरीर ढकता है । उसका तप और त्याग किसी साधु-संन्यासी से कम नहीं होता । अपने खेतों में हल चलाते समय वह शुभ-साधना करता है । वह पर्वत की खोहों में बैठे किसी योगी की काया-साधना से बढ़कर है । किसान के तप का फल सब भोगते हैं, पर योगी के तप का फल योगी ही भोगता है ।

भारतीय किसान व्यवहार-कुशल होता है । मेल-जोल का भाव परस्पर जीवन को बाँधनेवाली रस्सी होता है । उसमें मिल-जुलकर जीवन चलाने की अद्‌भुत शक्ति होती है । खेती के गाढ़े समय में जब काम का तोड़ा रहता है तब वह खुले दिल से एक-दूसरे का हाथ बँटाता है ।

विवाह, तीज-त्योहार आदि के समय किस तरह सारा गाँव एकसूत्र में बँध जाता है, यह देखने योग्य होता है । आज महकारिता के महत्त्व की चर्चा है, किंतु सहकारिता की भित्ति पर बनी हुई जीवन-पद्धति गाँवों में प्राचीन काल से ही चली आ रही है ।

भारतीय किसान के लिए उसकी लहलहाती खेती ही उसका धन और उसकी पूँजी है । अपनी हरी-भरी खेती देखकर वह जिस प्रसन्नता और हर्ष का अनुभव करता है वह वर्णनातीत है । उसके खेतों में उसका श्रम मुसकराता है । उस समय वह अपने कष्टों को भूल जाता है, किंतु यदि वर्षा न हुई और उसके खेतों में समय पर पानी न पहुँचा तो उसकी दयनीय दशा का आकलन कोई नहीं कर सकता ।

अकाल के दिनों में दुनिया तो किसी-न-किसी प्रकार पेट भरकर सो जाती है, लेकिन किसान भूखा रहकर छटपटाता रहता है और उसके बाल-बच्चे दाने-दाने के लिए तरसते हैं । ऐसी ही संकटापन्न घड़ियों में उसका संतोष उसकी जीवन-यात्रा का संबल बनता है । भविष्य की सुखद आशा से वह सब कष्ट सहन कर लेता है ।

भारतीय किसान मनोरंजनप्रिय होता है । कथा-वार्त्ता में उसे विशेष आनंद मिलता है । गाँव में जब कोई कथावाचक आ जाता है तब सारा गाँव उत्साह से भर जाता है । विवाह आदि शुभ अवसरों पर नृत्य और संगीत के कार्यक्रम उनके परिश्रमशील जीवन के लिए खाद का काम करते हैं ।

रेडियो के संगीतज्ञों और कलाकारों के प्रति उन्हें विशेष दिलचस्पी नहीं होती । रेडियो के ग्राम संबंधी कार्यक्रमों में वे अधिक रुचि लेते हैं । कृषि-प्रधान देश होने के कारण भारत का किसान भारत की रीढ़ है । उसके सुखी और प्रफुल्लित रहने से ही भारत से संपन्न और खुशहाल हो सकता है ।

उसका संकटग्रस्त होना भारत के लिए अभिशाप है । शासन की बागडोर सदा एक हाथ में नहीं रहती । सरकारें बदलती रहती हैं, इससे विशेष अंतर नहीं पड़ता, लेकिन यदि शासन के परिवर्तन की चक्की में पड़कर किसान का जीवन पिसता है तो देश का कल्याण होना असंभव है ।

Related Articles:

  • भारतीय किसान पर निबन्ध | Essay on Indian Farmer in Hindi
  • भारतीय किसान पर निबंध | Essay on Indian Farmer in Hindi
  • भारतीय किसान पर निबंध / Essay on Indian Farmer in Hindi
  • भारतीय किसान पर निबंध । Essay on Indian Farmer in Hindi

HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

नमस्कार दोस्तों आज हम भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English पढ़ेगे. भारत के किसान के जीवन, उनकी समस्याएं महत्व आदि पर आधारित सरल भाषा में हिंदी और अंग्रेजी में इंडियन फार्मर पर शोर्ट निबंध यहाँ दिया गया हैं.

Essay On Indian Farmer In Hindi & English-भारतीय किसान पर निबंध

भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

Indian farmer essay In English & Hindi Language:-  our country’s economy is agriculture-based. so for the development, India must be a focus on Indian farmers and help them by the government.

Essay On Indian Farmer In Hindi describe short information about our farmer condition in modern India.

whats Indian farmer’s problems? why they suicide in large number every year, in some states.  

Essay On Indian Farmer In Hindi And English helps to students they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9. children and kids improve their knowledge about Indian farmers in Hindi by reading this various length essay 100, 150, 200, 250, 300, 400 and 500 words essay.

Essay On Indian Farmer In English

a farmer is a very useful person in our life. he meets our basic needs of life. he grows corn to eat and cotton for clothes to wear.

he groves many things on his farms and send them to us. he does a valuable service silently. he is the backbone of society.

he is a very simple man. he is simple in the dress. he is good at heart. he wears hand-woven clothes and handmade shoes. he lives in kachchahuts. he is true to the picture of Indian culture.

his life is very hard. he works from morning till evening. he knows no rest. whether it is scorching heat or biting cold, he works in the field.

he plows the fields, sows the seeds and waters in the fields. he removes the weeds. he looks after the crops. he is happy to see his ripe crops.

he reaps the crops and thrashes them. then he sells the corn in the market and thus earns his livelihood. but his labor is dependent upon nature. nature is sometimes cruel to him.

he is illiterate. he is easily duped by money lenders. his condition is miserable. the government is doing a lot to improve the condition of the farmers. the future of India depends upon farmers. so the government must do a lot of them.

Essay On Indian Farmer In Hindi

किसान हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारतीय किसान देश के सवा सौ करोड़ लोगों की मुलभुत आवश्यकताओं को पूरा करता है.

यह हमारे लिए पहनने का कपड़ा बनाने के लिए कपास, खाने के लिए चावल, बाजरा, मक्का, गेहू जैसे फसलें उगाता है. तथा इसे हम तक पहुचाता है.

राष्ट्र के विकास के लिहाज से किसान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. किसान ही हमारे देश व समाज की रीढ़ की हड्डी है, जिनकें बल पर हमारी अर्थव्यवस्था खड़ी है.

भारतीय किसान बेहद साधारण व सरल इंसान के रूप में जीवन जीता है, उनका दिल सभी के लिए अच्छा होता है. यह हस्त निर्मित जूते एवं कपड़े उपयोग में लेता है. किसान का घर कच्चा होता है. भारतीय संस्कृति का असली स्वरूप गाँवों के किसान के जीवन में आज भी जिन्दा है.

इसका जीवन बेहद मुश्किलों से भरा होता है, किसान सुबह से शाम तक अपने खेत में निरंतर काम करता है. सर्दी, गर्मी हो या खराब मौसम सभी हालातों में किसान अपनी लग्न व मेहनत से खेत में लगा रहता है.

बारिश के होते ही, वह अपने खेत को बोता है तथा फसल की देखरेख करने के लिए खरपतवार हटाता है. इनकों सबसें अधिक खुशी लहलहाती फसलों को देखकर ही होती है.

फसल के पकने के साथ ही किसान इसकी कटाई करता है. तत्पश्चात इसकी थ्रेसिंग कर बाजार में बेच देता है. तब जाकर उसे अपनी आजीविका चलाने का कुछ सहारा मिलता है.

भारतीय किसान एवं कृषि मानसून पर आधारित है. कई बार अकाल या प्राकृतिक प्रकोप के कारण उनके मेहनत बेकार भी चली जाती है, तथा सारी फसल सूख जाती है.

भले ही किसान अधिक पढ़ा लिखा न हो, मगर वह अपना हिसाब किताब अच्छी तरह से रखता है. आज के समय में किसानों की स्थति बेहद खराब है. सरकारे इनके हालत में सुधार के लिए प्रयत्न भी कर रही है.

भारत का भविष्य हमारे किसान पर निर्भर करता है, इसलिए हमारी सरकार को किसानों के लिए और कुछ करने की आवश्यकता है. ताकि किसान की स्थति में कुछ सुधार आ सके.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारतीय किसान पर निबंध – Essay on Indian farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi): भारत में 58 प्रतिशत लोग किसान हैं. किसान देश की रीढ़ हैं. किसान दिन-रात मेहनत करते हैं. उनके बिना, हमारा देश पूरी तरह से अधूरा है ; इसलिए तो किसान को देश की रीढ़ कहा जाता है.

यह बात सब जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की 75 से 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. इसलिए कृषि को पैदा करने वाला किसान भारतीय प्रगति की रीढ़ की हड्ड़ी है. किसान सबके लिए अनाज पैदा करता है. अन्न के बिना मानव जीवन की अस्तित्व ही खतरे में है. अतः किसान सबका अन्न दाता, जीवन दाता है. भारत की समग्र अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है. इसलिए भारत के समग्र विकास के लिए कृषक का पूर्ण विकास आवश्यक है. लेकिन दुःख की बात है कि आज भी भारतीय किसान की दशा अत्यंत दयनीय है.

भारतीय किसान का जीवन

भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठोर है. उसके लिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, सर्दी-गर्मी, वर्षा सब एक समान हैं. खेत ही उसके जीवन का अभिन्न अंग है. वह सच्चा कर्मयोगी है, जिसको फल प्राप्ति के लिए ईश्वर पर पूर्ण निर्भर रहना पड़ता है. क्योंकि खेतों में कठोर परिश्रम कर देना ही उसका परम कर्त्तव्य है लेकिन फल पूर्ण रूप से ऊपर वाले के हाथ में है. लेकिन वह अपने कर्तव्य का पालन सदैव करता रहता है. अर्थात भारतीय कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है. यदि वर्षा सही समय पर सही रूप में हो जाये तो कृषि सही होगी अन्यथा अतिवृष्टि व अनावृष्टि से किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. इसलिए किसान के भाग्य का फैसला ऊपर वाले के हाथ में है. वह भीषण गर्मी में, ठिठुरती सर्दी में, मूसलाधार वर्षा में अपने ही खेतों में लगा रहता है. खेत ही उसका जीवन हैं. हल, बैल, हंसिया, कुदाल उसके संगी साथी हैं. भारतीय किसान कच्चे मिट्टी के मकानों में निवास करते हैं. पशु ही उनका परम धन है जो उनके टूटे-फूटे घरों में उनके साथ रहते हैं.     

bhartiya kisan par nibandh

अभावग्रस्त जीवन

भारत में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है. भारतीय किसान छल, प्रपंच से दुर बिल्कुल सीधा-साधा जीवन यापन करता है. वह शिक्षित नहीं होता है. उसके गांव में जो शिक्षित हो जाता है वह गांव छोड़कर शहर में चला जाता है, फिर गांव में रह जाता है वही पुराना, अभाव ग्रस्त, रूढ़ि ग्रस्त किसान जो अपनी प्राचीन परम्परागत पद्धति से ही कृषि करता है. उसके कठिन परिश्रम का फल अन्न, धनियों, पूंजीपतियों व सरकारी दलालों को मालो-माल बना देता है लेकिन भारतीय किसान वहीं दरिद्र नारायण बना रहता है. उसके पपास वही फटी धोती, फूटी कठोती, फटी पगड़ी ही रह जाती है. भूखा प्यासा किसान अपने कठोर परिश्रम में संलग्न हो जाता है. वह जन्म, मृत्यु, शादी और उत्सवों में इतना खर्च कर देता है कि जीवन भर धनियों का बंधक बन जाता है. कुरीतियां, रूढ़ियां, अंधविश्वास उसके दिल में घर कर जाते हैं जो उसे पीछे धकेलते रहते हैं.     

जय जवान जय किसान

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों का जीवन सुधारने के लिए और उनको प्रोस्ताहित करने के लिए देश का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था. अब जब तक भारतीय किसानों की दशा नहीं सुधारी जाती तब तक भारतीय प्रगति भी अपूर्ण है. किसानों की स्थिति न सुधरने के कारण ही आजादी के इतने वर्षों के वाद भी देश प्रगति नहीं कर पाया है.

हमारे देश की सरकार किसानों की बेहतरी पर बहुत पैसा खर्च कर रही है. उन्हें अच्छे बीज, अच्छे उर्वरक और कम ब्याज वाले कृषि ऋण उपलब्ध कराया गया है. उनके शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और नैतिक विकास के लिए प्रयास जारी है. आशा है कि भारतीय किसान इसका लाभ उठाएंगे.

आपके लिए :-

  • किसान की आत्मकथा
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

ये था भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi). उम्मीद है भारतीय किसानों के बारे में ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अंत में बस इतना कहूंगा की, आज भारत सरकार को भारत के विकास के लिए भारत के किसान की ओर ध्यान देना होगा. किसान को विशुद्ध आधुनिक किसान बनाकर उसको दरिद्रता से मुक्ति दिलानी होगी. अगर आपके मन में हमारे किसान भाइयों बहनों को लेकर कुछ सवाल है, तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं. मिलते है अगले निबंध में. धन्यवाद.

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

भारतीय किसान पर निबंध

आज के इस लेख में हम भारतीय किसान निबंध इन हिंदी (Essay on Indian Farmer in Hindi) आप तक पहुंचाने वाले हैं। इस निबंध में भारतीय किसान के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

भारत में किसान को भगवान का दर्जा दिया जाता है। वर्तमान समय में भारत में लगभग 60% लोग खेती पर निर्भर है और इन लोगों द्वारा की गई खेती से भारत के हर व्यक्ति को खाना मिलता है।

Essay-on-Indian-Farmer-in-Hindi-

भारत में किसान का महत्व काफी अधिक है। किसान के बिना देश भूख से मर जाएगा और भविष्य में भी भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि आज के समय में आज की युवा जनरेसन खेती करने से दूर जा रही है।

आज के समय में जो व्यक्ति किसान की भूमिका निभा रहे हैं, वे देश के लिए सबसे सम्मानजनक व्यक्ति है। हमारा देश भारत जिसे कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। यहां की अधिकतर जनसंख्या खेती-बाड़ी पर निर्भर है और खेती-बाड़ी करके ही यहां के लोग अपना गुजारा चलाते हैं।

वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध संग्रह तथा हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi)

आज भले ही विज्ञान कितनी तेजी से विकास क्यों ना कर रहा हो लेकिन भारत के किसान आज भी सादगी पूर्ण जीवन जीते हैं। भारत के किसान के कड़े मेहनत और संघर्ष से हर एक भारतीय युवाओं एवं बच्चों को परिचित होने की जरूरत है।

इसलिए आज के इस लेख में हम 100, 150, 200, 250, 300, 500 और 1000 शब्दों में भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में (Bhartiya Kisan Par Nibandh) लेकर आए हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 100 शब्दों में

भारत और भारत के किसानों का संबंध काफी गहरा है। क्योंकि भारत की ज्यादातर जनसंख्या किसान ही है, खेतों से उनका संबंध वर्षों से हैं। भारतीय किसान किसान का जीवन सादगी से भरा हुआ है।

वह सादा खाना खाता है, सादे कपड़े पहनता है और सादा जीवन व्यतीत करता है। समय की कमी के कारण उसकी आवश्यकता भी काफी सीमित है। एक किसान को वर्षा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं चाहिए होता है।

वह हर साल अच्छे वर्षा की उम्मीद रखता है ताकि उसकी अच्छी फसल हो सके। लेकिन प्रकृति भी कभी कबार उसके साथ खेल खेलती हैं। कभी वर्षा ही नहीं होती तो कभी अत्यधिक वर्षा होती है।

कम वर्षा के कारण कभी उसकी फसल ही नहीं उग पाती वहीं अत्यधिक वर्षा के कारण फसल ही बर्बाद हो जाती है। यूं कहे कि किसान का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है।

लेकिन, भारतीय किसान इतने कमजोर नहीं कि वे प्रकृति के सामने घुटने टेक देंगे, हार मान जाएंगे। किसान के संघर्ष के सामने प्रकृति भी झुक जाती हैं। क्योंकि किसान हर एक परिस्थितियों का सामना करना जानता है।

हर दिन खेतों में काम करके उसका शरीर जितना मजबूत हो चुका है, उतना ही मजबूत उसका दिल भी हो चुका है। इसलिए भारत के किसान सभी तरह के संघर्ष को झेलने के लिए तैयार रहते हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 150 शब्दों में

धरती के समूचे प्राणियों के जीवन के लिए अन्न उपजाने वाला भारतीय किसान बहुत परोपकारी एवं मेहनती होता है। किसान साल भर अपने खेतों में मेहनत करता है।

लेकिन जब उसके खेत में हरे हरे फसल लहलहा ने लगते हैं तब उसकी सारी मेहनत और थकान गायब हो जाती है। एक किसान के लिए हरे भरे लहराते फसल को देखना ही सबसे बड़ा सुख है।

वह गर्मी के कड़कती धूप में भी काम करता है और सावन के बरसते बारिश में भी काम करता है। यू कंहे किसान जीवन भर मेहनत करता है। किसानों का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है, जो किसान पूरे देश को अन्न देता है। किसी दिन उसी किसान के घर भोजन नहीं बन पाता।

एक किसान देशभर को फल, साग, सब्जी आदि चीजें देता है लेकिन उसकी मेहनत के सामने उसका पारिश्रमिक कुछ भी नहीं है। जिस कारण किसानों को कई बार कर्ज में डूब जाना पड़ता है और यही कारण है कि हर साल कितने ही किसान फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेते हैं, जो देश के लिए बहुत ही शर्म की बात है।

जिस किसान के कारण पूरे देश के लोग पेट भर कर खाना खा पाते हैं, जिन्हें भोजन प्राप्त हो पाता है वही किसान जब दुख में हो, वे अपना जीवन गरीबी में व्यतीत करें, संघर्षपूर्ण जीवन जिए तो उससे बड़ी दुख की बात एक देश के लिए क्या हो सकता है।

हालांकि अब भारत सरकार भी किसानों के उन्नति एवं खेती के अतिरिक्त अन्य आय के स्त्रोत के लिए कई प्रकार की योजना चला रही है, जिसमें से एक पीएम किसान योजना किसानों के लिए आशीर्वाद के समान ही हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 200 शब्दों में

देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तम्भ भारत के किसान है। देश के विकास में भारत के किसान के योगदान के सामने पूरा देश नमन करता है। भारत के किसान तो करुणा के सागर हैं। जो किसान देश के लोगों के लिए अन्न उपजाता है, उसी किसान को कितने बार भोजन नहीं नसीब हो पाता।

भारत के किसानों की खेती पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहती है। प्रकृति ने साथ दिया तो अच्छी फसल होगी यदि प्रकृति ने धोखा दिया तो उनका फसल बर्बाद हो सकता है। एक किसान का जब फसल बर्बाद हो जाता है या जिस वर्ष वह खेती नहीं कर पाता, उस पूरे साल का हर एक दिन उस किसान के लिए संघर्ष से भरा रहता है।

क्योंकि बहुत से किसान खेती करने के लिए कर्ज लिए रहते हैं और उन्हें यही उम्मीद रहती है कि फसल अच्छी होगी तो वह समय पर कर्ज चुका देंगे। लेकिन प्रकृति जब उनके साथ खेल खेलती हैं तो वे अपने ईमानदारी से चुक जाते हैं। कर्ज न चुका पाने के कारण वे मौत को गले लगा लेते हैं।

भारत में प्राचीन काल से ही भारत के किसानों के साथ काफी शोषण होता रहा है। लेकिन अब किसानों का जीवन भी धीरे-धीरे सुधर रहा है। भारतीय किसानों के जीवन को सुधारने में भारत सरकार भी मदद कर रही हैं।

उनके लिए कई योजनाओं को लागू करके भारतीय किसानों के जीवन को सरल बना रही है। यहां तक कि आधुनिक कृषि तकनीकों के कारण भारतीय किसानों के लिए कृषि सरल हो रहा है।

हालांकि विज्ञान कितना भी विकास कर ले लेकिन भारत के किसानों का जीवन हमेशा सादगी से ही भरा रहेगा, उन्हें सादगी पूर्ण जीवन जीना ही पसंद है।

शहरों में लोग ऐसी में सोते हैं, फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं लेकिन भारत के किसानों के लिए पेड़ की छांव ही उनके लिए ऐसी है और कुएं का ठंडा पानी ही फ्रीज के पानी के समान है।

Essay on Indian Farmer in Hindi

-->

भारतीय किसान पर निबंध 250 शब्दों में (Bhartiya Kisan Nibandh)

भारत में रहने वाले सभी किसान अपने खेतों में काम करते हैं और खेती-बाड़ी करके अपना घर खर्चा चलाते हैं। किसान अनाज और फल सब्जियां उगाते हैं। किसान द्वारा उगाए जाने वाले अनाज और सब्जियों के माध्यम से ही सभी लोगों का पेट भरता है।

किसान जो खेत में रात-दिन मेहनत करता है, फसल कि रखवाली करता है, जिसकी वजह से ही किसान की फसल अच्छी होती है। भारतीय किसानों की स्थिति काफी दयनीय है। कई प्रकार की सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को नए-नए फायदे मिल रहे हैं।

भारत के किसानों को सरकार द्वारा थोड़ी राहत जरूर मिली है। लेकिन दूसरी तरफ फसल पकने पर किसानों को कम दाम में फसल बेचना पड़ता है क्योंकि फसल के भाव गिर जाते हैं।

भारत का किसान जो रोजाना सुबह सूरज उगने से पहले उठकर खेत जाता है। किसान द्वारा जो खेती की जाती है, उसकी मेहनत लगती है। क्योंकि बारिश की वजह से या फिर प्राकृतिक आपदा की वजह से नुकसान होने के चांस ज्यादा होते हैं। ऐसे में किसानों की मेहनत दांव पर लगी रहती है।

हर किसान धरती की पूजा करता है। क्योंकि भारतीय किसान के लिए धरती एक माता समाज है, जो उसे अन्य प्रदान करवाती है और इसी अन्य से देश का पेट भरता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसान अनाज नहीं उगाए तो भारत में भुखमरी का संकट आ जाएगा।

भारत में वर्तमान समय में जो किसान खेती करता है। कई लोग उन्हें गवार समझते हैं और उन्हें नीचा भी समझा जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल गलत है क्योंकि देश का सबसे सम्मान को व्यक्ति ही किसान है।

जब किसान को आप गलत समझना शुरू करोगे तो हो सकता है कि भविष्य में आप को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। किसान खेती करना छोड़ देगा तो देश में भुखमरी छा जाएगी।

Essay on Indian Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध 300 शब्दों में

भारत के किसान तो भारत की आत्मा है। भारत के किसानों के कारण ही तो देश का विकास है। भारतीय किसान ना होते तो देश भूखे मर जाएगा‌। भारत के किसानों के लिए पूरा जीवन कृषि को समर्पित होता है, उनकी आय का प्रमुख स्त्रोत कृषि ही है।

किसानों के हाथों में इतनी ताकत होती है कि वे एक बंजर सी दिखने वाली जमीन में भी हरियाली ला देते हैं। भारतीय किसानों के लिए कृषि के अतिरिक्त पशुपालन उनकी आय का अतिरिक्त स्त्रोत है।

वे साल भर अपने खेतों में मेहनत करते हैं और देश के लोगों के लिए अन्न उपलब्ध कराते हैं। भारत के किसानों को हर एक परिस्थितियों में रहने की आदत हो चुकी है। उनके लिए गर्मी, वर्षा, ठंड एक समान है।

हर एक मौसम के विषमताओं में अपने आपको मजबूत रखने की क्षमता एक भारतीय किसान में है। यह किसान तो तपस्या, त्याग, इमानदारी, परिश्रम एवं लगन के अद्भुत मिसाल हैं।

भारतीय किसानों का महत्व

निसंदेह भारतीय किसानों के महत्व से नजर नहीं हटा सकते। क्योंकि भारत के किसानों का महत्व सर्वोपरि है। जीवन जीने के लिए भोजन की जरूरत पड़ती है और भोजन के लिए अनाज की आवश्यकता होती है।

यह अनाज भारतीय किसान ही उपजाते हैं। भारतीय किसान कडे धूप में, घनघोर वर्षा में, कड़कड़ाती ठंड में हर एक परिस्थितियों में खेत में काम करते हुए फसल उगाते हैं। तब जाकर हमें भोजन प्राप्त हो पाता है।

भारतीय किसान की स्थिति

भारत के किसानों का जीवन निरंतर गतिशील रहता है। जीवन में उनके लिए आराम शब्द का कोई महत्व नहीं। क्योंकि जीवन पर्यंत उनका संबंध केवल संघर्ष और कडे मेहनत से ही रहता है। वे केवल मेहनत करते हैं। उनका जीवन भी सादगी से ही भरा हुआ है।

सुबह सबसे पहले उठ जाते हैं और पशुओं को चारा देने में व्यस्त हो जाते हैं। उसके बाद अपने हल और कुदाल को लेकर चल जाते हैं, अपने मंजिल की ओर। उनका मंजिल सिर्फ एक ही है “खेत”।

कड़कड़ाती धूप में बिना चप्पल के ही वे काम करते हैं। मेले-फटे कपड़े, कंधे पर गमछा, चेहरे पर थकान और पसीना ही भारतीय किसानों की छवि है। भारतीय किसानों की स्थिति काफी दयनीय है।

कभी वे कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं तो कभी अकाल, सूखे तो कभी बाढ़ के चपेट में आ जाते हैं। लेकिन अब खुशी होती है कि भारतीय किसान भी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करना सीख रही है।

भारतीय किसानों के लिए लागू नई-नई योजनाओं के कारण उनके जीवन का भी विकास हो रहा है। भारत की युवा जितना काम करती है, उससे कहीं गुना ज्यादा भारतीय किसान काम करते हैं। इसलिए तो कहा जाता है “जय जवान जय किसान”।

निसंदेह सच है कि देश की अर्थव्यवस्था में किसान की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक किसान से ही देश की प्रगति है। भारतीय किसान हर एक परिस्थिति और प्रकृति की विषमताओ से जूक्ष कर फसल उपजाते हैं, जिसके कारण देश में सबके घर पर चूल्हा जल पाता है।

हालांकि प्राकृति आपदाओं के कारण इन्हें कई बार परेशान होना पड़ता है, संघर्ष करने पड़ते हैं लेकिन, अब भारतीय किसान आधुनिक वैज्ञानिक साधनों को अपना रहे हैं, जिसकी मदद से फसल उपजाने की क्षमता बढ़ रही है।

भारतीय किसान पर निबंध 500 शब्दों में (Bhartiya Kisan Essay in Hindi)

भारत का किसान एक सम्मानजनक व्यक्ति है, जो कड़ी धूप में मेहनत करके हर भारतीय के लिए अनाज उगाता है और हर भर्तियों को खाने के लिए भोजन उपलब्ध करवाता है।

भारतीय किसान अपने खेतों में काम करके अनाज फल सब्जियां उगाते हैं और उन सभी से देश के सभी लोगों का पेट भरता है। खेती बाड़ी का काम करने वाला व्यक्ति कड़ाके की ठंड और कड़कती धूप में अनाज उगाकर अन्य लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करवाते हैं।

आज के समय में जो गांव में लोग निवास करते हैं। उनका मुख्य व्यवसाय कृषि ही है और गांव में रहने वाले लोग मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है।

किसान की परिभाषा और प्रकार

उन लोगों को किसान कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। अनाज उत्पादन का काम करते हैं और उसी अनाज से बाकी सभी लोगों को भोजन मिलता है।

किसान तीन प्रकार के होते हैं:

  • सीमांत किसान

भारतीय किसान का महत्व

भारत में रहने वाले सभी किसानों का महत्व अत्यधिक है और अमूल्य भी है। किसानों के द्वारा तेज कड़क धूप और कड़ाके की ठंड में हर परिस्थिति को सहन करते हुए उगाए गए धन से देश के हर बच्चे का पेट भरता है और इसी वजह से भारत के किसान का महत्व और मूल्य है।

देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में भी भारतीय किसानों की मुख्य भूमिका रही है। देश में रहने वाले किसान अन्य का उत्पादन करते हैं और उनके द्वारा उगाए जाने वाले अनाज से हर देशवासी का जीवन पालन होता है।

भारतीय किसान की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास

सरकार हर संभव प्रयास करके किसानों की वर्तमान स्थिति को सुधारना चाहते हैं। किसान हर किसी को अनाज दिलाता है। लेकिन किसानों की खुद की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ी होती है। क्योंकि किसानों द्वारा उगाए गए अनाज को बिल्कुल कम दाम के साथ किसानों को बेचना पड़ता है।

ऐसे में उनकी गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन पिछले कई सालों से सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को जोड़ा जा रहा है और किसानों को लाभ प्रदान करवाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के हर किसान को ₹6000 वार्षिक सहायता दी जा रही है। पहले को ऑपरेटिव बैंक से लोन मिलता था। लेकिन यह लोन राशि कम होती थी, इसलिए आज के समय में किसान क्रेडिट कार्ड हर किसान को दिया जा रहा है, जिसके माध्यम से व्यक्ति लोन ले सकता है।

फसल बीमा योजना सुविधा प्रदान करवा कर फसल खराब होने पर किसानों की बीमा से भरपाई हो सके। इसका प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है।

आज के समय में दिन-प्रतिदिन लोग खेती बाड़ी करने की बजाय अन्य काम धंधे पर जाना उचित समझते हैं। आज के समय में जो 60 फ़ीसदी लोग खेती कर रहे हैं। उन लोगों की भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही साथ देश के हर बच्चे तक अनाज पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारतीय किसान पर निबंध 1000 शब्दों में (Indian Farmer Essay in Hindi)

भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है। भारत में किसान हर समय खेतीवाड़ी में व्यस्त रहते है और वह साधारण कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करते है। किसान अपना जीवन बहुत ही साधरण तरीके से जीता है और कड़ी धूप, तेज तूफान, वर्षा आदि होते हुये भी कड़ी मेहनत करके खेतों से अनाज उगाते है।

देश भर में चाहे लोग गरीब हो या अमीर हो लेकिन सब लोग किसान पर ही निर्भर होते है। क्योंकि अगर किसान खेती करना छोड़ देगा तो लोगों को अनाज नहीं मिलेगा और वह भूख से मरने लगेंगे।

देश भर के हर शहरो में किसानों द्वारा एक शहर दूसरे शहर तक अनाज भेजा जाता है। क्योंकि किसान कड़ी धूप, तेज ठंड मे भी खेतों पर काम करके देश भर के लोगों के बारे मे सोच कर फसल उगाने मे लगे रहते है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे सबको भोजन मिले। इसलिए हम सभी को किसानो का आदर, सम्मान करना चाहिए क्योंकि हमारे लिये किसान कितना कुछ करते है।

भारतीय किसान का जीवन

अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं का सामना भारतीय किसान को करना पड़ता है। भारतीय किसान को अगर खेती करनी है तो वह धूप, छाव में कठोर मेहनत करने के लिये हमेशा तैयार रहता है।

किसान सुख-दुःख, नुकसान सब कुछ सहन करके खेती करता है। वह जितनी भी मेहनत करता है, उसके फल की प्राप्ति पाने के लिये वह भगवान के ऊपर सब छोड़ देता है, जो भी फल मिलेगा, किसान उसको ख़ुशी-ख़ुशी अपनाने के लिये तैयार रहता है।

भारतीय किसान के साथी हांसिया, खुरपी, बैल, हल आदि का सहारा लेकर किसान खेती करने में पूर्ण रूप से सफल होता है। किसान अपने खेत की जुताई बैलों के द्वारा करता है, किसानों के खेती करने में बैल भी बहुत सहायता करते है और बदलते समय के साथ आज कल लोग खेती करने के लिये ट्रैक्टर का प्रयोग करने लगे है।

आज के समय इतना विकास हो गया है कि किसान फसल को काटने के लिये हार्वेस्टर मशीन का उपयोग करने लगे है, जिससे फसल जल्दी काट जाती है और फसल साफ-सुथरी रहती है।

किसान का जनता के प्रति सेवा

जनता के प्रति निस्वार्थ भावना से किसान सेवा करता है। किसान अपने बारे मे कभी नहीं सोचता है, वह बिना किसी स्वार्थ के जनता को बहुत कुछ देता है।

किसान गांव में गाय, भैस पालते है और गाय, भैस का दूध निकाल कर स्वयं नहीं पीते है। वह दूध शहर में ले जाकर बेच देते है। किसान को किसी भी प्रकार की सुख सुविधा नहीं मिल पाती है, क्योंकि किसान जनता को सुख सुविधा देने मे इतना व्यस्त हो जाते है की अपने जीवन के लिये सोच नहीं पाते है।

भारतीय किसान दिवस

पूरे देश में किसान दिवस हर वर्ष 23 दिसबर को मनाया जाता है। किसान दिवस हर वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण को सम्मानित करने के लिये किसान दिवस के रूप मे मनाया जाता है। 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण को देश की सेवा करने के लिये छोटे पद पर प्रधानमंत्री बनाया गया।

क्योंकि वह किसान परिवार से थे और किसानो के लिये पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण ने बहुत सारी योजनाएं शुरू की थी। उन्होंने किसानों के जीवन को लेकर लगन के साथ कड़ी मेहनत की और किसानो के जीवन मे नई उमंगे लाने के लिए बहुत से नियम बनाये।

पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण ने किसानों के लिये बहुत कुछ किया, इसलिए उनके जन्मदिन के पर उनके द्वारा बनायीं गई नीतियों को यादगार बनाने के लिये किसान दिवस मनाया जाता है।

भारतीय किसानों का हम सभी के जीवन बहुत महत्व है। भारतीय किसान हम सभी के लिये खेत में अनाज उगाता है और वह साधारण तरीके के कपड़े पहनकर अपना जीवन व्यतीत करता है। इसलिए किसान को बहुत से लोग गवार समझते है, किसान को बहुत नीचा दिखाते है और उनकी गरीबी का मज़ाक उड़ाते है।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश का हर एक व्यक्ति किसान पर ही निर्भर रहता है। किसानों की वजह से ही जनता को अन्न का दाना नसीब होता है। हम सब का कर्तव्य कि देश के हर एक व्यक्ति को बराबर सम्मान देना चाहिए।

किसान देश की उन्नति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। किसान देश की जनता के लिये अनाज उगाता है, अगर किसान अनाज उगाना बंद कर दें तो लोगों का जीवित रह पाना मुश्किल हो जायेगा।

सरकार द्वारा किसान के लिये कुछ नई योजनाएं बनाई जाती है, जिन पर बिल्कुल रुकवाट ना डाले, जिससे किसानों को भी कुछ लाभ कमाने का अवसर मिले। किसान जनता के लिये कितना कुछ करता है, जनता का भी फ़र्ज़ हैं कि किसानों के लिये कुछ करें।

भारत देश को किसान प्रधान देश माना जाता है। क्योंकि भारत देश की जनसंख्या का ज्यादातर हिस्सा खेती पर निर्भर है। भारत देश में निवास करने वाले ज्यादातर लोग किसान है।

आज का यह आर्टिकल जिसमें हमने भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सुझाव है तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

किसान की आत्मकथा पर निबंध

समय के महत्व पर निबंध

क्लीन इंडिया ग्रीन इंडिया पर निबंध

ईको-फ्रेंडली दिवाली पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

Related Posts

Comments (4).

Very helpfull

Superb aarticle

Very inspiring

Leave a Comment जवाब रद्द करें

Question and Answer forum for K12 Students

Indian Farmer Essay In Hindi

भारतीय कृषि पर निबंध – Indian Farmer Essay In Hindi

भारतीय कृषि पर निबंध – (essay on indian farmer in hindi), किसान भारत की पहचान – identity of farmer india.

  • प्रस्तावना,
  • सरल तथा प्राकृतिक जीवन,
  • संसार का अन्नदाता,
  • भारतीय किसान की दशा,
  • समाज तथा शासन की उपेक्षा,
  • पिछड़ेपन का कारण,
  • किसान की दशा में सुधार,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

भारतीय कृषि पर निबंध – Bhaarateey Krshi Par Nibandh

प्रस्तावना– कृषि कर्म करने वाला ही कृषक कहलाता है। खेती संसार का सबसे पुराना व्यवसाय है। यह मनुष्य के सभ्यता की ओर उन्मुख होने का प्रथम चरण है। भारत गाँवों में बसता है, कहने का यही अर्थ है कि भारत की बहुसंख्यक जनता किसान है और किसान गाँवों में ही रहते हैं। भारतमाता ग्रामवासिनी’ कहकर कवि पंत ने इसी तथ्य ओर संकेत किया है। किसान भारत की पहचान है।

Indian Farmer Essay In Hindi

सरल तथा प्राकृतिक जीवन– भारतीय किसान का जीवन दिखावट से दूर है। वह सरल और प्राकृतिक जीवन जीता है। वह मोटा खाता और मोटा पहनता है। उसकी आवश्यकताएँ सीमित हैं। वह वर्षा, धूप और सर्दी सहन करता है। प्रात: जल्दी उठना, अपने खेतों तथा पशुओं की देखभाल करना और कठोर श्रमपूर्ण जीवन बिताना ही उसकी दिनचर्या है।

Essay On Indian Farmer In Hindi

संसार का अन्नदाता– किसान समस्त संसार का अन्नदाता है। वह अपने खेतों में जो अन्न उगाता है, उससे ही संसार का पेट भरता है। खाद्यान्न ही नहीं वह अन्य वस्तुएँ भी अपने खेतों में पैदा करता है। वह कपास उगाता है, जो लोगों के तन ढकने के लिए वस्त्र बनाने के काम आती है।

वह गन्ना पैदा करता है जो गुड़ और शक्कर के रूप में लोगों को मधुरता देता है। वह तिल, सरसों, अलसी आदि तिलहन पैदा करता है जो मनुष्य की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन है। किसान साग–सब्जी, फल इत्यादि का उत्पादन करके लोगों की आवश्यकताएँ पूरी करता है। उसी के प्रयत्न से पशुओं को चारा भी मिलता है।

भारतीय किसान की दशा– समाज के लिए इतना सब करने वाले किसान की दशा अच्छी नहीं है। उसकी आर्थिक स्थिति दयनीय है। कृषि में जो पैदावार होती है, उसका पूरा मूल्य उसको नहीं मिल पाता।

कृषि से इतनी आय नहीं होती कि वह अपने पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति कर सके। उसको तथा उसके परिवार को न भरपेट भोजन मिल पाता है न अच्छे वस्त्र। शादी–विवाह इत्यादि पारिवारिक उत्तरदायित्वों की पूर्ति के लिए किसान को ऋण लेना पड़ता है।

समाज तथा शासन की उपेक्षा–किसान समाज तथा शासन की उपेक्षा का शिकार है। खेतों के लिए बीज, खाद, कृषि उपकरण तथा पानी चाहिए जो अत्यन्त महँगे हैं। इसके लिए वह महाजनों तथा बैंकों से ऋण लेता है। ऋण की शर्ते ऐसी होती हैं कि वह संकट में पड़ जाता है। जब ऋण नहीं चुका पाता तो महाजन तथा बैंकें उसकी सम्पत्ति नीलाम कर देते हैं। किसानों द्वारा निरन्तर आत्महत्याएँ किया जाना इसी उपेक्षा का करुण परिणाम हैं।।

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को विदेशी पूँजी निवेश के लिए खोल दिया है। सरकार का कहना है कि वह किसान को उसकी उपज का अच्छा मूल्य दिलाना चाहती है। बड़े–बड़े देशी–विदेशी पूँजीपति खेती को एक उद्योग का रूप देकर किसान का शोषण करेंगे।

वह अपने आर्थिक लाभ के लिए फसल उगायेंगे, इससे जनता के समक्ष खाद्यान्न का संकट भी पैदा होगा। उनको न किसान के हित की चिन्ता है और न जनता के हित की।

पिछड़ेपन के कारण–भारत का किसान पिछड़ा हुआ है। वह अशिक्षित है तथा असंगठित भी है। उसको उत्तम और नई कृषि प्रणाली का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। संगठित न होने के कारण उसे सरकार तथा पूँजीपति वर्ग का शोषण सहन करना पड़ता है।

वह सरकार को कृषक हितैषी नीति अपनाने को बाध्य नहीं कर पाता। भारतीय किसान अन्धविश्वासी भी है अतः अपनी दुर्दशा को वह अपना दुर्भाग्य मानकर चुपचाप सहन कर लेता है। अपने शोषण के प्रतिकार की भावना ही उसके मन में नहीं उठती।

किसान की दशा में सुधार– भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है परन्तु स्वतंत्र भारत की सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं। दिया वह उद्योगों के विकास द्वारा भारत को सम्पन्न बनाने की नीति पर चलती रही है, यह नीति उचित नहीं है। सरकार को अपनी नीति कृषि के विकास को आधार बनाकर बनानी चाहिए।

किसानों को खेती की प्रगति तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उनको इसके लिए बजट में पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। किसानों के बच्चों की शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। उनको कृषि की नवीनतम तकनीक का

प्रशिक्षण तथा ज्ञान दिया जाना चाहिए। कृषि को समुन्नत बनाकर तथा कृषकों का स्तर उठाकर ही भारत को समृद्ध तथा शक्तिशाली बनाया जा सकता है। लगता है उत्तरदायी सरकारों ने इस कठोर सत्य को स्वीकार किया है।

किसानों को उनकी लागत का दुगुना बाजार–मूल्य दिलाने, प्राकृतिक आपदाओं के समय के लिए सही बीमा नीति बनाने, ऋण माफी आदि की घोषणाएँ भी हुई हैं। आशा है भारतीय किसान के दिन बहुरेंगे।

उपसंहार– आज भारत स्वाधीन है तथा जनतंत्र सत्ता से शासित है। भारत की अधिकांश जनता गाँवों में रहती है तथा कृषि और उससे सम्बन्धित व्यवसायों से अपना जीवनयापन करती है। उसके आर्थिक उत्थान पर ध्यान देना आवश्यक है।

अभी तक वह उपेक्षित और असंतुष्ट है। असंतोष का यह ज्वालामुखी फूटे और भीषण विनाश का दृश्य उपस्थित हो, उससे पूर्व ही हमें सजग हो जाना चाहिए।

HindiVyakran

  • नर्सरी निबंध
  • सूक्तिपरक निबंध
  • सामान्य निबंध
  • दीर्घ निबंध
  • संस्कृत निबंध
  • संस्कृत पत्र
  • संस्कृत व्याकरण
  • संस्कृत कविता
  • संस्कृत कहानियाँ
  • संस्कृत शब्दावली
  • पत्र लेखन
  • संवाद लेखन
  • जीवन परिचय
  • डायरी लेखन
  • वृत्तांत लेखन
  • सूचना लेखन
  • रिपोर्ट लेखन
  • विज्ञापन

Header$type=social_icons

  • commentsSystem

किसान पर निबंध। Farmer Essay in Hindi

किसान पर निबंध : किसान का जीवन बहुत कठिन है। किसान बहुत गरीब व निर्धन होते हैं तथा अपनी मेहनत के बल पर वे केवल अपना जीवन ही व्यतीत कर पाते हैं। वह कठोर मौसम की परवाह किये बिना कार्य करता है। चाहे सर्दी हो या गर्मी या फिर चाहे बारिश ही हो रही हो, उसका ध्यान अपनी फसल में ही लगा रहता है।

किसान पर निबंध। Farmer Essay in Hindi

This is nice essay but it can be more better.

We will improve.

This comment has been removed by the author.

100+ Social Counters$type=social_counter

  • fixedSidebar
  • showMoreText

/gi-clock-o/ WEEK TRENDING$type=list

  • गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit यहां पढ़ें गम् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। गम् धातु का अर्थ होता है जा...
  • दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद - Do Mitro ke Beech Pariksha Ko Lekar Samvad Lekhan दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद लेखन : In This article, We are providing दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद , परीक्षा की तैयार...

' border=

RECENT WITH THUMBS$type=blogging$m=0$cate=0$sn=0$rm=0$c=4$va=0

  • 10 line essay
  • 10 Lines in Gujarati
  • Aapka Bunty
  • Aarti Sangrah
  • Akbar Birbal
  • anuched lekhan
  • asprishyata
  • Bahu ki Vida
  • Bengali Essays
  • Bengali Letters
  • bengali stories
  • best hindi poem
  • Bhagat ki Gat
  • Bhagwati Charan Varma
  • Bhishma Shahni
  • Bhor ka Tara
  • Boodhi Kaki
  • Chandradhar Sharma Guleri
  • charitra chitran
  • Chief ki Daawat
  • Chini Feriwala
  • chitralekha
  • Chota jadugar
  • Claim Kahani
  • Dairy Lekhan
  • Daroga Amichand
  • deshbhkati poem
  • Dharmaveer Bharti
  • Dharmveer Bharti
  • Diary Lekhan
  • Do Bailon ki Katha
  • Dushyant Kumar
  • Eidgah Kahani
  • Essay on Animals
  • festival poems
  • French Essays
  • funny hindi poem
  • funny hindi story
  • German essays
  • Gujarati Nibandh
  • gujarati patra
  • Guliki Banno
  • Gulli Danda Kahani
  • Haar ki Jeet
  • Harishankar Parsai
  • hindi grammar
  • hindi motivational story
  • hindi poem for kids
  • hindi poems
  • hindi rhyms
  • hindi short poems
  • hindi stories with moral
  • Information
  • Jagdish Chandra Mathur
  • Jahirat Lekhan
  • jainendra Kumar
  • jatak story
  • Jayshankar Prasad
  • Jeep par Sawar Illian
  • jivan parichay
  • Kashinath Singh
  • kavita in hindi
  • Kedarnath Agrawal
  • Khoyi Hui Dishayen
  • Kya Pooja Kya Archan Re Kavita
  • Madhur madhur mere deepak jal
  • Mahadevi Varma
  • Mahanagar Ki Maithili
  • Main Haar Gayi
  • Maithilisharan Gupt
  • Majboori Kahani
  • malayalam essay
  • malayalam letter
  • malayalam speech
  • malayalam words
  • Mannu Bhandari
  • Marathi Kathapurti Lekhan
  • Marathi Nibandh
  • Marathi Patra
  • Marathi Samvad
  • marathi vritant lekhan
  • Mohan Rakesh
  • Mohandas Naimishrai
  • MOTHERS DAY POEM
  • Narendra Sharma
  • Nasha Kahani
  • Neeli Jheel
  • nursery rhymes
  • odia letters
  • Panch Parmeshwar
  • panchtantra
  • Parinde Kahani
  • Paryayvachi Shabd
  • Poos ki Raat
  • Portuguese Essays
  • Punjabi Essays
  • Punjabi Letters
  • Punjabi Poems
  • Raja Nirbansiya
  • Rajendra yadav
  • Rakh Kahani
  • Ramesh Bakshi
  • Ramvriksh Benipuri
  • Rani Ma ka Chabutra
  • Russian Essays
  • Sadgati Kahani
  • samvad lekhan
  • Samvad yojna
  • Samvidhanvad
  • Sandesh Lekhan
  • sanskrit biography
  • Sanskrit Dialogue Writing
  • sanskrit essay
  • sanskrit grammar
  • sanskrit patra
  • Sanskrit Poem
  • sanskrit story
  • Sanskrit words
  • Sara Akash Upanyas
  • Savitri Number 2
  • Shankar Puntambekar
  • Sharad Joshi
  • Shatranj Ke Khiladi
  • short essay
  • spanish essays
  • Striling-Pulling
  • Subhadra Kumari Chauhan
  • Subhan Khan
  • Suchana Lekhan
  • Sudha Arora
  • Sukh Kahani
  • suktiparak nibandh
  • Suryakant Tripathi Nirala
  • Swarg aur Prithvi
  • Tasveer Kahani
  • Telugu Stories
  • UPSC Essays
  • Usne Kaha Tha
  • Vinod Rastogi
  • Vrutant lekhan
  • Wahi ki Wahi Baat
  • Yahi Sach Hai kahani
  • Yoddha Kahani
  • Zaheer Qureshi
  • कहानी लेखन
  • कहानी सारांश
  • तेनालीराम
  • मेरी माँ
  • लोककथा
  • शिकायती पत्र
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी जी
  • हिंदी कहानी

RECENT$type=list-tab$date=0$au=0$c=5

Replies$type=list-tab$com=0$c=4$src=recent-comments, random$type=list-tab$date=0$au=0$c=5$src=random-posts, /gi-fire/ year popular$type=one.

  • अध्यापक और छात्र के बीच संवाद लेखन - Adhyapak aur Chatra ke Bich Samvad Lekhan अध्यापक और छात्र के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing अध्यापक और विद्यार्थी के बीच संवाद लेखन and Adhyapak aur Chatra ke ...

' border=

Join with us

Footer Logo

Footer Social$type=social_icons

  • loadMorePosts

भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi)

भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi Language)

भारत के अधिकांश लोग खेती का कार्य करते है। खेती उनका मुख्य व्यवसाय है। इसी से वे अपना भरण पोषण करते है। कम शब्दो मे कहे तो देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि ही है। इन सब पहलुओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि कृषको के सहयोग से ही हम अनाज पाते है। यही वजह है कि इनको अन्नदाता के नाम से भी पुकारा जाता है।

भारत के किसान बिल्कुल साधारण जीवन जीते है। इतनी मेहनत के बावजूद ये अभावग्रस्त जीवन जीते है। लेकिन दुर्भाग्यवश यदि प्राकृतिक आपदा के कारण इनकी फसल नष्ट हो जाती है, तो इनको दूसरी फसल लगाने के लिए कर्ज लेने तक की नौबत आ जाती है।

लोग बड़े चाव से अपनी पूरी प्लेट भर लेते है और आधा खाकर छोड़ देते है, जोकि पूरी तरह से अन्न की बरबादी है। इसी को उगाने के लिए कृषक दिन रात परिश्रम करते है। उनको फसल का उच्च मुनाफा भी नही प्राप्त होता। ऐसे में अन्न की बरबादी करना कहा तक सही है।

Related Posts

इंद्रधनुष पर निबंध (rainbow essay in hindi), ओणम त्यौहार पर निबंध (onam festival essay in hindi), ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (noise pollution essay in hindi).

  • Essay On Problems Faced By Indian Farmers In Hindi
  • Indian Farmer

Featured Example Essay

This featured Essay On Problems Faced By Indian Farmers In Hindi is one of many example essays available on this topic.

Sample Essay Examples

Reaching IT to Rural India

Related Essay Topics

  • Essay On Life Of An Indian Farmer
  • Life Of An Indian Farmer Essay
  • Short Essay On Indian Farmer In Hindi
  • Indian Farmer Essay In English
  • Essay On Indian Farmer For Class 6
  • Indian Farmer Essay In English For Kid
  • An Indian Farmer Essay 100 Words
  • An Indian Farmer Essay 250 Words
  • Essay On Indian Farmer For Class 7
  • Essay On Indian Farmer For Class 8
  • Essay On Indian Farmer In Telugu
  • Essay On Problems Faced By Indian Farmers
  • Indian Farmer Essay
  • Indian Farmer Essay English
  • Indian Farmer Essay In Hindi
  • Problems Of Indian Farmers Essay
  • Very Short Essay On Indian Farmer
  • An Indian Farmer Essay For Class 8
  • An Indian Farmer Essay Short
  • Autobiography Of Indian Farmer Essay
  • Essay About Indian Farmers
  • Essay On Autobiography Of A Indian Farmer
  • Essay On Condition Of Indian Farmer
  • Essay On Indian Farmer For Class 3
  • Essay On Indian Farmer For Class 4
  • Essay On Indian Farmer For Class 5
  • Essay On Indian Farmer For Class 8 In English
  • Essay On Indian Farmer For Class 9
  • Essay On Indian Farmer In Hindi For Class 6
  • Essay On Indian Farmer In Hindi For Class 7
  • Essay On Indian Farmer In Hindi Language
  • Essay On Indian Farmer In Hindi Pdf
  • Essay On Indian Farmer In Hindi Wikipedia
  • Essay On Indian Farmer In Kannada
  • Essay On Indian Farmer Wikipedia
  • Essay On Indian Farmer Wikipedia In Hindi Language
  • Essay On Indian Farmer With Headings
  • Essay On Life Of Indian Farmers In Hindi
  • Essay On My Indian Farmer
  • Essay On Plight Of Indian Farmers
  • Essay On Problems Faced By Indian Farmers In English
  • Essay On Problems Faced By Indian Farmers Pdf
  • Indian Farmer Essay English Mein
  • Indian Farmer Essay In English 100 Words
  • Indian Farmer Essay In English Class 9
  • Indian Farmer Essay In English For Kids
  • Indian Farmer Essay In English Pdf
  • Indian Farmer Essay In English Short
  • Indian Farmer Essay In Hindi English
  • Indian Farmer Essay In Marathi
  • Indian Farmer Essay In Tamil
  • Indian Farmer Par Essay English Mein
  • Indian Farmer Par Essay In Hindi
  • Kannada Essay On Problems Faced By Indian Farmers
  • Life Of An Indian Farmer Essay In English
  • My Indian Farmer Essay
  • My Indian Farmer Essay In English
  • Problems Faced By Indian Farmers Essay
  • Problems Faced By Indian Farmers Essay In Hindi
  • Short Essay On Indian Farmer In Hindi Language
  • Short Essay On Problems Faced By Indian Farmers
  • Small Essay On Indian Farmer
  • Studymode Essays On Indian Farmers In Marathi Written
  • The Life Of An Indian Farmer Essay
  • Write An Essay On Indian Farmer In Hindi

1

Hindihaat

Encyclopedia of Hindi Articles

  • Business ideas
  • general knowledge
  • entertainment
  • Hindi Grammar
  • Download Books

Recent Posts

  • देवनारायण जयंती Bhagwan Devnarayan Story in Hindi
  • हिंदी भाषा पर निबंध एवं संवैधानिक उपबंध – Essay on Hindi Bhasa
  • सत्य का महत्व और सुविचार-Quotes on Truth
  • वरुथिनी एकादशी पूजा विधि – Varuthani ekadashi Pooja Vidhi
  • शीतलाष्टमी पूजा विधि – Sheetlasthami Pooja Vidhi
  • अनंत चतुर्दशी कथा और पूजा विधि – Anant Chaturdashi Katha pooja vidhi
  • गणेश जी के 101 नाम- 101 names of Lord Ganesha
  • गणेश चतुर्थी पूजा विधि – All about Ganesh Chaturthi in Hindi
  • खेजड़ली बलिदान दिवस-Amrita Devi Bishnoi story in hindi
  • How to go on Ramdevra Yatra in Hindi – रामदेवरा की पद यात्रा 
  • business ideas
  • Calendar 2019 January
  • Calendar 2919
  • Cattle fair
  • download ebook
  • film review
  • historical places
  • Important Days
  • interesting facts
  • korona virus
  • learn online
  • life style and fashion
  • Lunar Eclipse
  • Motivational Stories
  • religious places
  • sarkari yojna
  • tourist places
  • Uncategorized
  • Toggle the search field

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on farmers problems in hindi

भारतीय किसान पर निबंध- Essay on farmers problems in Hindi

Table of Contents

Essay on bhartiya kisan in hindi किसान पर निबंध

The farmer topic in hindi, autobiography of a farmer in hindi, about farmer in hindi pdf, 5 sentences about farmer in hindi, about farmer in hindi wikipedia, essay on bharatiya kisan in hindi language.

Follow

Nice. Yah ek acche tarike se likha gaya tha mujhe bahut pasand Aaya.

Leave a Reply Cancel reply

Related posts.

Remove term: ganga goddess ganga goddessRemove term: ganga river history ganga river historyRemove term: ganga river map ganga river mapRemove term: ganga river origin ganga river originRemove term: ganga river route ganga river routeRemove term: ganga serial ganga serialRemove term: ganga video ganga videoRemove term: general knowledge general knowledgeRemove term: tributaries of ganga tributaries of ganga

Autobiography of river Ganga in hindi-गंगा नदी की आत्मकथा

gir national park information hindi- गिर नेशनल पार्क

gir national park information hindi- गिर नेशनल पार्क

Essay on water pollution, causes and effects in Hindi -जल प्रदूषण पर निबन्ध एवं रोकने के उपाय

Essay on water pollution in Hindi- जल प्रदूषण पर निबंध

all about Indian Monsoon in hindi- मानसून के बारे में जानकारी

all about Indian Monsoon in hindi- मानसून के बारे में जानकारी

Bangladesh’s Leader Resigns and Flees Country After Protests

The country’s army chief said an interim government would be formed, as demonstrators successfully challenged Prime Minister Sheikh Hasina’s harsh rule.

  • Share full article
  • Protesters storm and loot the official residence of former Prime Minister Sheikh Hasina. By Reuters
  • Protesters display Bangladesh's national flag atop the prime minister's palace in Dhaka. K M Asad/Agence France-Presse — Getty Images
  • Protesters damage a statue of former Prime Minister Sheikh Hasina's father outside Parliament. Reuters
  • Protesters inside the prime minister's palace in Dhaka. K M Asad/Agence France-Presse — Getty Images
  • People greet soldiers in Dhaka. The army will oversee the formation of an interim government. Saif Hasnat for The New York Times
  • People shake hands with soldiers in Dhaka after the prime minister's resignation. Mohammad Ponir Hossain/Reuters
  • Protesters march through the streets of Dhaka toward the prime minister's official residence. Reuters
  • Protesters outside Parliament. Munir Uz Zaman/Agence France-Presse — Getty Images
  • Protesters cheer as they climb atop a monument in Dhaka. Mohammad Ponir Hossain/Reuters
  • A burned truck in Dhaka. Monirul Alam/EPA, via Shutterstock
  • Celebrating the resignation of Prime Minister Sheikh Hasina. Rajib Dhar/Associated Press
  • Security forces at an intersection in Dhaka before the prime minister's resignation. Munir Uz Zaman/Agence France-Presse — Getty Images
  • Security forces blocking traffic and standing guard. By Reuters

essay on farmers problems in hindi

Saif Hasnat Mujib Mashal and Matthew Mpoke Bigg

The resignation came after a violent day of protests that left almost 100 dead.

Jubilant crowds thronged the streets of Bangladesh’s capital on Monday after Prime Minister Sheikh Hasina resigned and fled the country. The army chief said in a statement to the nation that the army would oversee the formation of an interim government.

Ms. Hasina, 76, had ruled Bangladesh since 2009. She was forced out by weeks of protests that began peacefully and then transformed into deadly clashes with security forces. She was spotted at the airport in the capital, Dhaka, but hours after her resignation, her exact location was not clear.

The student-led protests grew into a broader movement seeking the removal of Ms. Hasina, who was seen as an increasingly authoritarian leader. On Sunday, the deadliest day of the protests, almost 100 people were reported killed in clashes between security forces and demonstrators across Bangladesh.

Ms. Hasina, one of the world’s longest-ruling female leaders, had blamed the violence on her political opponents and called for “resisting anarchists with iron hands.”

Here’s what to know:

Ms. Hasina played a pivotal role in the politics of Bangladesh, a nation of around 170 million people that proclaimed its independence in 1971. She won re-election to a fourth consecutive term in January. She is the daughter of Sheikh Mujibur Rahman, the country’s charismatic founding leader, who was killed in a military coup in 1975, when Ms. Hasina was 28. She served as prime minister from 1996 to 2001 and regained power in 2009.

Under her leadership, the economy, helped by investment in the garment export industry, grew quickly, and average income levels at one point surpassed those in neighboring India. Bangladesh also experienced rapid development in education, health, female participation in the labor force and preparedness against climate disasters, including flooding — a national priority in a delta nation .

But her critics said that she tried to turn the country into a one-party state, and the protests that began last month reflected broader discontent against her rule.

Eve Sampson

Eve Sampson

Crowds swarm the prime minister’s residence after Bangladesh's leader flees.

Video player loading

Exuberant looters made off with furniture, bedding and potted plants as they swarmed the Bangladesh residence of the prime minister, Sheikh Hasina, after she resigned her office and fled the country, according to local broadcast footage.

People scaled the residence’s black gates, the videos showed, throwing items against walls inside, bashing portraits and helping themselves to a spread of food in catering dishes.

The footage showed many people with hands and fists raised in celebration and some jumping for joy on the street. Many in the crowd appeared to be filming the event on their own cellphones.

Social media posts and live television footage also showed people taking animals from the residence, including chickens, ducks and rabbits, and some people posing with the animals.

Video player loading

Monsur Ali, a garment worker, said he was among the thousands of people who entered the prime minister’s residence, many of them taking away objects. He grabbed a plate.

“We went there out of anger,” he said. “Nothing is left there.”

Ms. Hasina, 76, was driven out of office by weeks of protests — initially about coveted government jobs and who is entitled to them — that began without conflict but turned deadly when government security forces cracked down. Nearly 300 people are reported to have died in those clashes.

Many in the country also oppose Ms. Hasina’s increasing authoritarianism after 15 years in power.

The country’s army chief confirmed Ms. Hasina’s resignation in a statement to the nation and said an interim government would be formed.

Matthew Mpoke Bigg

Matthew Mpoke Bigg

Protesters defied the risk of fresh violence to drive Hasina from power.

Hours after almost 100 people were reported killed on Sunday in clashes between security forces and demonstrators across Bangladesh, the protest leaders made a decision that may have been pivotal in the downfall of Prime Minister Sheikh Hasina.

They had planned to hold a mass march to Ms. Hasina’s official residence, known as the Ganabhaban, on Tuesday. But responding to Sunday’s violence, they moved up their march by a day to increase the pressure on Ms. Hasina, whose resignation they were now demanding.

Ms. Hasina had ruled for years through fear. But the protests had swelled to such large numbers, persisting even after days of deadly crackdown, that the demonstrators’ fear of Ms. Hasina did not keep them off the streets. Instead of backing down in the face of a new curfew and other restrictions, the protesters planned a march that would take them straight back into the maw of the security forces.

Their determination carried the risk of another blood bath. What followed instead, from the perspective of the protesters, was victory. Ms. Hasina fled in a helicopter, a crowd stormed her residence and the army announced that, after more than 15 years in power, she had resigned.

In the aftermath, tens of thousands of people, many shaking their fists in celebration, marched through the center of the capital, Dhaka, and what had been shaping up to be another day of street battles turned into a street party.

That atmosphere of jubilation may be short-lived, however. Bangladesh’s politics have long been violent, and the animosities between Ms. Hasina’s party and the opposition are unlikely to fade soon. Before Bangladesh settles into its next chapter, revenge for years of harsh suppression under Ms. Hasina will be on the minds of many.

Mujib Mashal

Mujib Mashal

How the prime minister’s crackdown weakened her grip on power.

For those watching from outside, Prime Minister Sheikh Hasina of Bangladesh presented a compelling story. She was among the world’s longest-serving female heads of government, a secular Muslim in colorful saris who fought Islamist militancy, lifted millions out of poverty and deftly kept both India and China at her side.

But this seeming success came at a heavy cost. Over the past 15 years, Ms. Hasina deeply entrenched her authority and divided the nation. Those who kissed the ring were rewarded with patronage, power and impunity. Dissenters were met with crackdowns, endless legal entanglement and imprisonment.

The sustained protests that convulsed Bangladesh in recent weeks were a backlash against Ms. Hasina’s formula for power: absolute, disconnected and entitled. She cracked down hard, and the resulting challenge to her rule was a crisis largely of her own making, analysts said. The student-led protests started as a peaceful expression of opposition to quotas that reserve sought-after government jobs for specific groups. The violent response by government security forces and vigilantes from Ms. Hasina’s party sent the country to the verge of anarchy.

Ms. Hasina, 76, deployed every force at her service onto the streets, including a feared paramilitary unit whose leaders have in the past faced international sanctions over accusations of torture, extrajudicial killings and forced disappearances.

Saif Hasnat

Saif Hasnat

Monsur Ali, a garment worker, said he was among the thousands of people who entered the prime minister’s residence, many of them taking objects away with them. He grabbed a plate.

People were pouring into the streets across Dhaka late into the afternoon, and the mood was jubilant. Some came with their families, others beat drums and booed Hasina. “It is the victory of the students, the victory of the people. After a long time, we are happy to be out of a dictatorial regime,” said Towfiqur Rahman, who said he was preparing for an entrance exam for a government job. “You can suppress anger for a while, but it erupts — today is proof of that.”

Hours after her resignation, Hasina’s exact whereabouts was not clear. Diplomatic officials said she was possibly on her way to London, transiting through India. The former prime minister has family both in Britain, where her sister and her family live, and the United States, where her son lives.

Hasina’s resignation and departure from Bangladesh after 15 years at the helm does not necessarily mean easy days ahead for a deeply troubled nation. She has long crushed her political opposition and put many of its leaders in prison, so they will be relieved to see her go. But the process of agreeing on an interim government could be bumpy. Interparty animosity and anger is widespread and deep-rooted, even at the local level.

Shayeza Walid

Shayeza Walid

Wild with glee over news of Hasina’s departure, protesters who had stormed her official residence caused pandemonium within. Social media posts and live TV footage showed people removing furniture, bedding, potted plants — and even pets. Demonstrators posed for pictures with the prime minister’s menagerie, including chickens, ducks and rabbits.

Gen. Waker-uz-Zaman said the army would request the formation of an interim government. The army chief said he had consulted with representatives of the country’s political parties and civil society before his statement.

Prime Minister Sheikh Hasina of Bangladesh has resigned, the country’s army chief confirmed in a statement to the nation. He said an interim government would be formed.

Andrés R. Martínez

Andrés R. Martínez

After nearly a day without access to the internet in Bangladesh, connectivity appears to have been mostly restored, according to NetBlocks , an internet watchdog.

ℹ️ Update: Internet connectivity remains available in #Bangladesh amid reports Prime Minister Sheikh Hasina has fled the country, bringing an end to her combined total of 20 years in power; hundreds of killings at student protests were masked by telecoms blackouts in recent weeks https://t.co/0SkwO2q6uR — NetBlocks (@netblocks) August 5, 2024

Prime Minister Sheikh Hasina has been spotted at an airport in Dhaka awaiting departure, diplomatic officials said. The army chief has said a statement was coming soon, fueling speculation that her time in office might be over.

Large numbers of protesters have entered the official residence of Prime Minister Sheikh Hasina in Dhaka, footage on local television channels shows. She appears to be on her way out of the country, with diplomatic sources saying she has been spotted at an airport in Dhaka.

Mujib Mashal and Shayeza Walid

As the unrest intensifies, all eyes are on Bangladesh’s army.

With Bangladesh’s security forces seemingly on a deadly collision course with angry protesters after a crackdown on Sunday, eyes were turning to the country’s powerful military establishment to see how it might respond.

Protesters are demanding that Prime Minister Sheikh Hasina leave office, after 15 years of rule that have turned increasingly authoritarian. If the violence on the street leads to instability and chaos, the military — which has sought to distance itself from the violent police reaction through weeks of unrest — would certainly be a central player.

It has been before. Bangladesh’s army has a history of staging coups and counter coups. But over the past couple decades, the military has taken a less overt role in public affairs, choosing more often to exercise influence from behind the scenes.

Part of that shift has been attributed to Ms. Hasina. Her father, Bangladesh’s first leader, Sheikh Mujibur Rahman, as well as much of her family, was killed in a deadly military coup in 1975. In her time in office, she has stacked its leadership ranks with loyalists, and allowed them access to lucrative government contracts and other businesses.

There are international incentives for the military, as well, which has been a major contributor to United Nations peacekeeping missions that have given it another important side business. Any involvement in a coup would subject the army to criticism — or ostracism — from the United Nations, whose human rights chief responded to the recent killings by calling for restraint and accountability from those with “command responsibility.”

While the army was deployed on the streets during the crackdown to clear the protesters late last month, there have been reports of discomfort in the ranks over it. Dozens of former senior officers also issued a statement calling on the military not “to rescue those who have created this current situation” — a statement seen by some as referring to the police and paramilitaries, and possibly even to Sheikh Hasina herself.

On Sunday, the army’s chief, Gen. Waker-uz-Zaman, gathered senior officers for a meeting that was seen as an attempt to allay concerns. In a statement after the meeting, the army said its chief had reiterated that “the Bangladesh Army will always stand by the people in the interest of the public and in any need of the state.”

If Ms. Hasina’s power becomes untenable, analysts said the army would be unlikely to opt for a takeover. It might, though, try to aid some transition period from the sidelines with a caretaker government — something that happened in 2007.

“There are major international ramifications to a military coup. And more than leaders it is the younger officers who are hesitant to go ahead with anything of the sort,” said M. N. Khan, a retired general of the Bangladeshi Army.

Television channels in Bangladesh are showing live footage of crowds of thousands of people streaming toward the city center. The earlier police blockades stopping them appear to have been lifted.

Restrictions on the internet appear to be easing. The address by the army chief has been pushed back by an hour, with the army asking for “patience” until 3 p.m. local time.

Clashes have been reported in different parts of Dhaka, as thousands of people try to push through security barricades to make it to Shaheed Minar — the gathering point for the protests. At least six people have been killed in the clashes today, according to police officials.

Local television channels in Bangladesh are reporting that the country’s army chief, Gen. Waker-uz-Zaman, will address the nation in the next hour. The contents of his address remain unclear, and information flow remains heavily restricted by the communication blackout.

By noon, protesters who had set off for Dhaka were being blocked from entering the city center. There is a heavy deployment of security forces at all the intersections leading to Shaheed Minar, the gathering point for the protesters. Witnesses said the police had used force to try to disperse the hundreds of protesters who had managed to make it to the spot.

Video player loading

The streets of Dhaka were quiet this morning, with garment factories, the largest driver of Bangladesh’s economy, closed in Mirpur, one of the busiest neighborhoods. The intersections leading to the Shaheed Minar, where protesters are supposed to gather before their declared march on the prime minister’s residence, were blocked by the police, army and paramilitary forces.

The government appeared to heavily limit internet connectivity on Monday, a move that it used last month as protests grew. The latest blackout started on Sunday, according to NetBlocks, an internet watchdog.

Sunday's violence prompted the U.N. human rights chief to make a pointed statement. Volker Türk warned that Monday's march, and the ruling party's call for counter-action from its youth wing, could lead to further loss of life. He singled out those "with superior and command responsibility" in his call for accountability for the “shocking violence.”

The crackdown has brought the country into a particularly dangerous phase, as the protest and anger is no longer concentrated in one area. The clashes have spread across the country, making them difficult to contain. The growing clashes have fueled concerns of a return to past periods of political violence, that have included assassinations, coups and counter-coups.

It is setting up to be a tense day in Bangladesh. This march on the residence of the prime minister was initially planned for Tuesday. But protest leaders have moved it forward a day in anger over the deaths of nearly 100 people on Sunday, the deadliest day since the protests began last month.

Saif Hasnat and Mujib Mashal

Saif Hasnat reported from Dhaka, Bangladesh, and Mujib Mashal from New Delhi

The government’s lethal response brings new risks.

Video player loading

Almost 100 people were reported killed in clashes between security forces and protesters on Sunday across Bangladesh, as the country’s leaders imposed a new curfew and internet restrictions to try to quell a growing antigovernment movement.

The revival of student protests after a deadly government crackdown late last month, as well as a call by the governing party for its own supporters to take to the streets, has plunged the country of over 170 million into a particularly dangerous phase.

The exact number of deaths on Sunday was unclear, but it appeared to be the deadliest day since the protests began in July. At least 13 of the dead were police officers, the country’s Police Headquarters said in a statement.

Over the weekend, the tensions flared into the kind of localized clashes across the country that appeared difficult to contain. With the public already angry at the police forces, seeing them as an overzealous extension of Prime Minister Sheikh Hasina’s entrenched authority, attention focused on Bangladesh’s powerful military.

Ms. Hasina has worked to bring the military to heel. But it has a history of staging coups and was being watched for how it positions itself in the escalating crisis.

Here’s what we know about the deadly crackdown on Sunday .

Shayeza Walid contributed reporting from Dhaka.

Saif Hasnat and Andrés R. Martínez

Saif Hasnat reported from Dhaka, Bangladesh.

What we know about the ouster of the prime minister.

Video player loading

Prime Minister Sheikh Hasina of Bangladesh resigned on Monday as protests that began as peaceful demonstrations by students grew into a broader movement calling for an end to her increasingly authoritarian leadership of the nation.

Ms. Hasina deployed the police and paramilitary forces against the students late last month, a crackdown that set off broader public anger against her. The protests became increasingly violent as more students as well as other citizens joined, clashing with pro-government supporters and the authorities.

More than 300 people have been killed. After a curfew and communication blackout eased, the revival of the protests over the weekend, in addition to a call by Ms. Hasina’s party for its own supporters to take to the streets, plunged Bangladesh into a particularly dangerous phase.

On Monday, the army chief announced the resignation and said an interim government would be formed.

Here’s what to know about the protests.

What were the protests about?

Students at the University of Dhaka, the country’s top institution, started the demonstrations on July 1, and they later spread to other elite universities, and then to the general public. The protests turned violent when some members of student wing of the governing party, the Awami League, began attacking the protesters.

Besides sending the police and paramilitaries into the streets, the government locked down schools and colleges. Officials said they slowed down internet connectivity to stop the spread of rumors and protect citizens, making it harder for protesters to organize and make plans via social media platforms.

The protests were initially about coveted government jobs and who is entitled to them. An old quota system, reinstated recently by the courts, reserves more than half of those jobs for various groups, including the families of those who fought for independence from Pakistan. The students said that the system is unfair and that most of the positions should be filled based on merit.

In the past couple of weeks, however, the movement grew massively and become centered on calling for accountability for Ms. Hasina’s increasingly harsh governance.

How did the protests evolve?

The crackdown in late July, which saw over 200 people killed and 10,000 arrested, temporarily dispersed the protesters. However, the large number of deaths also fueled protesters’ anger.

Over the weekend, the tensions spread away from protests and into clashes across the country that appeared difficult to contain. On Saturday at a rally of tens of thousands, protesters called for the resignation of Ms. Hasina, who has been in power for the past 15 years.

In response, Ms. Hasina’s Awami League party called on its supporters to join counter protests, and she asked the country’s people “to curb anarchists with iron hands.”

The threat emboldened protesters, who called for a march on her residence in central Dhaka on Monday. The government once again imposed a curfew, effectively shutting the country down.

By midafternoon Monday in Dhaka, what appeared to be conditions for another deadly day of protests had eased. Police officers let protesters cross barricades into the center of the city, and the army said they would make a statement.

Shortly after, the army chief announced that Ms. Hasina had left the country.

What will happen to Bangladesh after her ouster?

Ms. Hasina was among the world’s longest-serving female heads of government, a secular Muslim who fought Islamic militancy, helped lift millions out of poverty and deftly kept both India and China at her side.

Over the past 15 years, Ms. Hasina entrenched her authority and divided Bangladesh, a nation of 170 million people. Those who were loyal were rewarded with patronage, power and impunity. Dissenters were met with crackdowns, endless legal entanglement and imprisonment.

The army has asked the president, who holds a ceremonial role, to form a new government. Bangladesh’s army has a history of staging coups and counter coups. But over the past couple decades, the military has taken a less overt role in public affairs, choosing more often to exercise influence from behind the scenes.

Advertisement

COMMENTS

  1. भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi

    Information about Farmer in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi, Indian Farmers Life. भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कि 65 प्रतिशत जनसंख्या खेती से जुड़ी हुई है। किसान मौसम की परवाह ...

  2. भारतीय कृषि: समस्याएँ और समाधान

    भारतीय कृषि: समस्याएँ और समाधान. भारत की स्वतंत्रता को कई दशक बीत चुके हैं, हाल ही में हमने 74वाँ गणतंत्र दिवस मनाया है। 1947 से अब तक देश ...

  3. Essay on indian farmer in hindi, problems, article, paragraph: भारतीय

    Essay on indian farmer in hindi, problems, article, paragraph, class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12: भारतीय किसान पर निबंध ...

  4. [ भारतीय किसानों की समस्याएं 2024 ] भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध

    किसानों की समस्या और उपाय | भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध | भारतीय किसानों की समस्याएं 2024 | Problems of Indian Farmers in hindi- भारतीय कृषि की समस्या

  5. भारतीय किसान पर निबंध । Essay on Indian Farmer in Hindi

    भारत में किसानों की स्थिति । Essay on the Status of Farmer in India for College Students in Hindi Language. 1. भारतीय किसान । Essay on Indian Farmer in Hindi Language. त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान । वह ...

  6. किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi (1000 Words)

    इस लेख में किसान पर निबंध (Essay on the farmer in Hindi) दिया गया है। यह निबंध कक्षा 3 से 10 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है। यहां पर किसान के ऊपर निबंध सरल ...

  7. किसान पर निबंध 10 lines (Farmer Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500

    किसान पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Farmer in Hindi) किसान वह है जो फसल उगाता और बेचता है। किसान आमतौर पर एक खेत पर काम करते हैं, जो जमीन का एक ...

  8. Essay on Indian Farmer in Hindi भारतीय किसान पर निबंध

    Indian Farmer in Hindi Essay 600 Words. भारतीय किसान की त्रासद स्थिति. मानव ने अपने पशुतुल्य जीवन को छोड़कर जिस समय एक स्थायी जीवन को ग्रहण किया था उसी समय ...

  9. भारतीय किसान पर निबंध

    Article shared by: भारतीय किसान पर निबंध | Essay on Indian Farmers in Hindi! भारत गांवों का देश है । भारत की आत्मा गांवों और किसानों में बसती है । इसलिए भारत एक कृषि ...

  10. Essay On Farmers :किसान पर हिन्दी निबन्ध

    Essay on Independence Day in hindi. भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति (Essay On Farmers) किसान की आजीविका का मुख्य साधन भी कृषि ही रहता है। किसान की आर्थिक स्थिति बहुत हद ...

  11. किसान पर निबंध

    किसान पर निबंध (Essay On Farmer in Hindi) एक सबसे महत्वपूर्ण लेखन कौशल में से एक माना जाता है जो सभी को मालूम होना चाहिए और जिसे प्रत्येक छात्र में विकसित करने की भी ...

  12. भारतीय किसान पर निबंध 10 lines (Indian Farmer Essay in Hindi) 100, 150

    भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay in Hindi) - एक किसान हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक भोजन प्रदान करने के लिए अथक परिश्रम करता है। कड़ी मेहनत के बावजूद, कई किसानों ...

  13. Essay on Farmer in Hindi

    Essay on farmer in Hindi, Long and short essay and paragraph of farmer in Hindi language for all students, किसान पर निबंध हिंदी में.

  14. भारतीय किसान

    भारतीय किसान | Essay on Indian Farmer in Hindi! भारतीय किसान का जीवन प्रकृति की गोद में बीतता है । वह पौ फटते ही उठ जाता है और अपनी दैनिक चर्या से निवृत्त होकर अपने पशुओं की ...

  15. भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

    Indian farmer essay In English & Hindi Language:- our country's economy is agriculture-based. so for the development, India must be a focus on Indian farmers and help them by the government. Essay On Indian Farmer In Hindi describe short information about our farmer condition in modern India.. whats Indian farmer's problems? why they suicide in large number every year, in some states.

  16. Essay on Indian Farmers in Hindi

    Essay on Indian Farmers in Hindi - भारतीय किसान पर निबंध (250 Words) किसान सबसे उपयोगी लोगों में से एक है किसान हमारे लिए फसल उगता है। वह एक गांव में रहते हैं। वह एक क्षेत्र है उसके ...

  17. भारतीय किसान पर निबंध

    भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi). भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठोर है. उसके लिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, सर्दी-गर्मी, वर्षा सब एक समान हैं.

  18. भारतीय किसान पर निबंध

    भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi) आज भले ही विज्ञान कितनी तेजी से विकास क्यों ना कर रहा हो लेकिन भारत के किसान आज भी सादगी पूर्ण जीवन जीते हैं। भारत के ...

  19. भारतीय कृषि पर निबंध

    भारतीय कृषि पर निबंध - (Essay On Indian Farmer In Hindi) किसान भारत की पहचान - Identity of farmer India रूपरेखा- प्रस्तावना, सरल तथा प्राकृतिक जीवन, संसार का अन्नदाता, भारतीय किसान की दशा ...

  20. किसान पर निबंध। Farmer Essay in Hindi

    किसान पर निबंध। Farmer Essay in Hindi. किसान पर निबंध : किसान का जीवन बहुत कठिन है। किसान बहुत गरीब व निर्धन होते हैं तथा अपनी मेहनत के बल पर वे केवल ...

  21. भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi)

    भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi) प्रस्तावना. भारत के अधिकांश लोग खेती का कार्य करते है। खेती उनका मुख्य व्यवसाय है। इसी से वे अपना भरण पोषण करते है। कम ...

  22. Essay On Problems Faced By Indian Farmers In Hindi

    Agricultural density- the total number of farmers per unit of arable land. Concentration- the extent of a feature's spread over space. Pattern- the geometric arrangement of objects. This featured Essay On Problems Faced By Indian Farmers In Hindi is one of many example essays available on this topic.

  23. भारतीय किसान पर निबंध- Essay on farmers problems in Hindi

    Essay on bhartiya kisan in hindi किसान पर निबंध विकट गर्मी पड़ रही है. भगवान सूर्य अपनी प्रचंड किरणों से पृथ्वी को जलाकर तवा सा बना रहे हैं.

  24. Who Are the Far-Right Groups Behind the U.K. Riots?

    After a deadly stabbing at a children's event in northwestern England, an array of online influencers, anti-Muslim extremists and fascist groups have stoked unrest, experts say.

  25. Bangladesh's Leader Resigns and Flees Country After Protests

    Jubilant crowds thronged the streets of Bangladesh's capital on Monday after Prime Minister Sheikh Hasina resigned and fled the country. The army chief said in a statement to the nation that the ...