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आतंकवाद पर निबंध | Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi : आज आए दिन हम देखते सुनते है कि फला स्थान पर आतंकवादी हमला हुआ, शायद ही कोई दिन गया हो जब कहीं बेगुनाहों का खून न बहा हो.

पाकिस्तान के प्रश्रय से विश्व भर में वैश्विक आतंकवाद का आलम बेहद खतरनाक नजर आता हैं.  कक्षा 10 के बच्चों के लिए Terrorism Essay In Hindi यहाँ साझा कर रहे हैं.

आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi

भारत में आतंकवाद की समस्या पर निबंध Hindi Aatankwad Ki Samasya Essay : पुलावामा हमले के बाद आतंकवाद की समस्या का एक नया रूप भारत व दुनियां ने देखा हैं.

भीड़ वाले इलाकों में बम धमाके, लोगों को बंदी बनाना, निहत्थों पर वार कर उनकों मौत के घाट उतार देना आतंकवाद का स्वरूप हैं. Aatankwad Ki Samasya Essay में हम इस समस्या के बारे में विस्तार से जानेगे.

Cross Border Terrorism Essay In India In English

In this  Cross Border Terrorism Essay brief introduction terrorism problems in India in Hindi and English language. after the 2008 Mumbai Terror attack continuously, suffered it the whole world.

Cross-Border Terrorism becomes now a global problem and a big threat to human life. in this written ” best essays on terrorism”  in 200,250, 300 words. these valuable points include it What are the problem of terrorism, its adverse consequences, and preventive measures.

almost all over the world terrorist groups are arising like carrot grass. the number of terrorist groups in increasing. some of them are maos, bodos, jklf, nakasal Vadis, LTTE.

they are trying to destroy the peace of related states. they are organized to fulfill their political and religious desires to give an advantage to the particular race.

they are using the worst methods of destroying national and public property by a bomb blast and killing innocent people by using guns.

Cross-Border Terrorism has no religion. they only aim is to occupy the power of some state or nation. they fill the terror in the hearts of peace-loving people.

The only way to conquer this burning problem is to start talks with terrorists and prepare them to leave the way of killing innocent people.

Alas! our leaders have no courage to solve this Cross Border Terrorism problem. they always think of capturing the ruling seat. Parvez Musharraf said that if he left the Kashmir issue, he would leave Pakistan.

only talks will not solve this Cross Border Terrorism problem. terrorists should be killed firmly with iron hands. terrorists don’t deserve mercy.

the nation should not depend on America. which takes the side of Pakistan. our India can be saved from the poisoned fruits of Cross Border Terrorism by taking strict steps.

Cross Border Terrorism Essay In Hindi

विभिन्न तरीकों से डर अर्थात भय की स्थति उत्पन्न करना Terrorism आतंकवाद कहलाता है. इसके कई प्रकार है. मुख्य रूप से सीमा पार Terrorism के कारण न सिर्फ भारत बल्कि आज पूरा विश्व चिंतित है. यह किसी राज्य अथवा देश की समस्या न होकर विश्व की ज्वलंत समस्या बन चूका है.

किसी युद्ध अथवा झगड़े का कोई समाधान हो सकता है. मगर छुटपुट घुसपैठ से भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाकर निर्दोष नागरिकों की जान लेने का यह खुनी खेल आप अपने चरम पर पहुच चूका है. अमेरिका जैसा शक्तिशाली मुल्क भी इसके दुष्परिणाम भुगत चूका है.

अमेरिका को चन्द्रमा पर पहुचने के लिए जितनी मेहनत नही करनी पड़ी, उतनी खूखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को ढूढने में लगी. बहरहाल इसे विगत वर्षों में पाकिस्तान की सरभूमि पर मार गिराया था.

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है. Terrorism को जड़ से समाप्त करना किसी एक देश के लिए कितना मुशीबत भरा हो सकता है.

तक़रीबन 50-70 साल पूर्व आतंकवाद नाम की कोई चीज नही हुआ करती थी. भारत पाक विभाजन के चलते कुछ पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठनों ने जिहाद के नाम पर जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने के लिए इस तरह के Terrorism संगठन तैयार किये थे. अमेरिका तथा अन्य इस्लामिक देशों ने इसे आर्थिक व सैन्य सहायता के बन्दोबस्त किये थे.

पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम देशों में Terrorism attack को देखकर कहा जा सकता है, जिसनें विष को पाला अब वह उन्हें ही डस रहा है.

भारत में भी आए दिन घुसपैठिये अपनी नाकाम कोशिशे करते रहे है. मगर सीमा सुरक्षा बल की मुस्तैदी के चलते हर बार हमारी सेना ने आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम किया है.

आतंकवाद निबंध 1

धर्म के नाम पर इंसानियत का खून नये नये चेहरों पर जेहाद का जूनून क्या खूब स्वागत है इक्कीसवीं सदी का मौत की स्याही से लिखा जाता है सुकून

आतंकवाद से आज विश्व के अधिकाँश देश पीड़ित हैं. धर्म और जेहाद के नाम पर नित्य कहीं न कहीं निर्दोष लोगों की हत्याएँ हो रही हैं. हत्या, शोषण, मादक द्रव्यों और अवैध शस्त्रों के व्यापार में लिप्त अनेक आतंकी गिरोह शांति और सभ्यता के शत्रु बने हुए हैं.

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या – आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका हैं.  आज  ऐसे संगठन   और  गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं. भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा हैं. किन्तु जब 11 सितम्बर 2001 को अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर भस्मसात हुआ,

इंग्लैंड की ट्रेनों में धमाके हुएइंडोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई  सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं.

मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफियासंगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं. कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं.

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास – भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमांत से प्रारम्भ हुई. नागालैंड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय प्रभावी रहा.

इसके पश्चात पंजाब और जम्मू कश्मीर से आतंकवाद की क्रूरता को झेला. अब तो लगभग सारे देश में आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं.

गुजरात का अक्षरधाम, संसद भवन, दिल्ली का लाल किला, मुंबई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर सभी आतंकी प्रहार झेल चुके हैं.

भारत और पाकिस्तान के मध्य चलाई गई समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट, मुंबई के  ताज होटल  हमला तथा पठानकोट एअर बेस पर हमला आतंकवाद की भयानक घटनाएँ हैं. छोटी मोटी आंतकी घटनाएं आज भी जारी हैं.

आतंकवाद की नर्सरी – आज सारा संसार जान चुका है कि आतंकवाद की नर्सरी पाकिस्तान में हैं. वर्षों से इस देश में आतंक वादियों को प्रशिक्षण और शरण मिलती आ रही हैं.

समाप्ति के उपाय – आतंकवाद से टुकड़ो में नहीं निपटा जा सकता. अब तो संसार के सभी जिम्मेदार राष्ट्रों को संगठित होकर आतंकवाद के विनाश में सक्रिय भागीदारी करनी होगी.

पाकिस्तान को सही रास्ते पर आने को मजबूर करना होगा. भारतीय नेताओं को भी वोट बैंक, स्वार्थ और सत्ता लोलुपता त्यागकर देश की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाना होगा. जनता को भी केंद्रीय सत्ता में प्रचंड संकल्प वाले युवा लोगों को चुनकर भेजना होगा.

उपसंहार – आतंकवाद मानव सभ्यता पर कलंक हैं. उसे धर्म का अंग बताकर निर्दोषों का खून बहाने वाले मानव, मानव नहीं दानव हैं. उनका संहार करना हर सभ्य राष्ट्र का दायित्व हैं.

आतंकवाद निबंध 2

आज सम्पूर्ण मानवता आतंकवाद की समस्या से त्रस्त है. पिछड़े और विकासशील देश तो इसकी गिरफ्त में है, सम्रद्ध व शक्तिशाली देश भी इस खतरे से अछूते नही है.

विधि सम्मत सरकार के विरुद्ध हिंसात्मक कार्यवाही करना तथा जनता को भयभीत करना आतंकवाद है. हिंसा की धमकी, व्यक्तिगत हिंसात्मक कृत्य और लोगों को आतंकित करना आतंकवाद   है. भारत सहित दक्षिण एशियाई देश तो इस समस्या से जूझ ही रहे है, अमेरिका भी इसका अपवाद नही है.

जम्मू कश्मीर तथा देश के अन्य भागों में विघटनकारी घटनाओं को अंजाम देने का कार्य यही आतंकवादी कर रहे है. दिसम्बर 2001 में भारतीय संसद पर जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तोयबा के आतंकवादियों ने हमला कर दिया था.

विदेशी आतंकवादी संगठनों द्वारा प्रायोजित यह छाया युद्ध युद्ध भारत के लिए एक बड़ी समस्या है. आतंकवाद राज्य एवंम इसका राज्य प्रायोजित रूप अत्यंत भयावह है.

इसके अंतर्गत विश्व के कई राज्य अपने स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए खुलेआम आतंकवाद और आतंकवादी संगठनों को शह एवं प्रश्रय दे रहे है.

इन आतंकवादी संगठनों के पास अत्याधुनिक हथियार, विस्फोटक, वित्त व अन्य सभी संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

अनगिनत वार्ताओं व सम्मेलनों में चर्चा के बावजूद आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. इससे प्रभावित देश में शांति और परस्पर विश्वास तो खंडित हुआ ही है. आर्थिक संसाधनों की बर्बादी हुई है.

अच्छा हो, आने वाला समय आतंकवादी गतिविधियों से मुक्त हो तथा इस अथाह धनराशी का प्रयोग जनता के विकास की ओर उन्मुख करने का मार्ग प्रशस्त हो.

आतंकवाद की समस्या का विस्तार ( aatankwad ke karan )

आज दुनिया का लगभग हर देश आतंकवादी की समस्या को लेकर चिंतित है. यह सर्वविदित है, कि इस समस्या की जड़ पाकिस्तान से जुड़ी हुई है.

पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी isi को पालिसी हमेशा इन आतंकवादी संगठनो को प्रश्रय देने की रही है. कई टेरिरिस्ट ग्रुप्स और उनके लीडर जैसे हाफिज सईद पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में भारत की मांग पर कई देशों ने सहयोग किया.

पाकिस्तान व चीन आतंकवाद के मामले में भारत की राह का रोड़ा बनकर भविष्य में अपनी चुनौतियों को आमत्रित कर रहे है.

इसका नतीजा पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान सहित्र कई इस्लामिक मुल्क भी भुगत रहे है.ईरान, सीरिया, नाइजीरिया, अफगानिस्तान में आतंकवाद पाकिस्तान की दुचाल का ही कारण है.

आतंकवाद की समस्या के समाधान के उपाय (aatankwad ki samasya ka samadhan)

आतंकवाद को नियंत्रित करने के हर संभव प्रयास पिछले कुछ सालों से किये जा रहे है. लेकिन कुछ देशों में अभी भी गुप्त रूप से टेररिस्ट ट्रेनिंग के कैम्प खुलेआम चल रहे है. धार्मिक फंड के नाम पर कई बड़े देश इन्हें चोरी छिपे फंडिग कर रहे है. इससे आतंकवादियों के हौसलें बुलंद है.

यह कितने खतरनाक साबित हो सकते है. इस बात का अनुमान लगाने के लिए आप समझ सकते है, आज के परमाणु युग में जो तकनीक कई विकसित राष्ट्रों के पास नही है, वो आज इन आतंकवादी संगठनो के पास है.

धर्म के नाम पर चल रहा aatankwad का यह खुनी खेल दुनिया को तबाह कर रख देगा. यदि दुनिया के शक्तिशाली देश समय रहते इसके विरोध में नही आए तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते है.

आतंकवाद निबंध 3

बमों के धमाके, गोलियों की तड़तड़ाहट, असुरक्षित जन जीवन, असुरक्षित धर्म स्थान, निर्दोषों का बहता लहूँ, निराश्रितों के बढ़ते शरणस्थल, यह तस्वीर है हमारे आधुनिक जगत की. कोई भी कही भी सुरक्षित नही हैं. समाचार पत्र आतंकवादी कृत्यों के समाचारों से भरे रहते हैं.

आतंकवाद क्या हैं- आतंकवाद बल प्रयोग द्वारा तथा आतंक फैलाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का बर्बर तरीका हैं.

आतंकवाद का विश्वव्यापी रूप – आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या हैं. ओसाबा बिन लादेन के नेतृत्व में अलकायदा अफगानिस्तान के तालिबान, पड़ोस में पल फूल रहे जेहादी तथा भारत एवं नेपाल में सक्रिय माओवादी और नक्सलवादी आतंकवाद के सहारे ही अपना अधिकार जमाना चाहते हैं.

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ एवं दुष्परिणाम- स्वतंत्र भारत में आतंकवाद का प्रारम्भ पूर्वी सीमान्त से हुआ. नागालैंड, त्रिपुरा, असम आदि प्रदेशों में विदेशी शक्तियों के षड्यंत्र से आतंकवादी गतिविधियाँ काफी समय से चलती हैं. 

भारत में स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या से लेकर, विमान अपहरण, निर्दोष लोगों की हत्याएं, जगह जगह धमाके, यहाँ तक कि घात लगाकर सेना पर हमला, अक्षरधाम और संसद भवन पर हमला आदि आतंकवाद के ही उदहारण हैं. जयपुर में बम ब्लास्ट तथा मुंबई में हुए हमले में सैकड़ो लोगो की जान चली गई. 

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की आतंकवादी हमले में हत्या कर दी गई. आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाला देश स्वयं आतंकवाद की चपेट में आ गया हैं. यह घटना संदेश देती हैं कि आतंकवाद बढ़ाकर किसी समस्या का समाधान नही हो सकता.

मुक्ति के उपाय- आतंकवाद के विरुद्ध संसार का हर सभ्य और समझदार देश आवाज उठा रहा हैं. किन्तु यह रोग बढ़ता ही जा रहा हैं. आतंकवादी गतिविधियों का कठोरता से सामना करके ही सफलता मिल सकती हैं.

उपसंहार- आज आतंकवाद को रोकने के लिए हमे अपनी सेना को नवीनतम सैन्य उपकरणों से सुसज्जित करना होगा और सारी गुप्तचर एजेंसियों को अधिक चुस्त और सावधान बनाना होगा. तभी हम आतंकवाद की इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या निबंध 4

आज के समय में विश्व की सबसे ज्वलंत समस्याओं पर नजर डाले तो जिनमे आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा हैं. न सिर्फ भारत बल्कि समूचा संसार इस जहरीले आतंक की आग की लपेट में जल रहा हैं.

1993 के मुंबई ब्लास्ट, 11 सितम्बर 2001 में अमेरिका के वाइट हाउस,इसी वर्ष भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला (Terrorist attack on Indian Parliament) और 26 नवम्बर 2008 के दिन मुंबई की ताज होटल पर हमला, 2017 में पेरिस और उरी में हुई आतंकवादी घटनाओं इस बात का गवाह हैं.

कि यह समस्या किसी एक देश की न होकर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद (International terrorism) का रूप ले चुकी हैं.

आतंकवाद की जड़ कहे जाने वाले अलकायदा के ओसामा बिन लादेन और बगदादी के पतन के बावजूद इस तरह की आतंकी घटनाएँ निरंतर बढ़ रही हैं. 

आतंकवाद मुख्य रूप से हिंसा के द्वारा आम जन में भय का माहौल बनाकर अपने राजनीतिक (Political) ,आर्थिक (Economic) , धार्मिक (Religious) और सामाजिक उद्देश्यों (Social objectives) को पूरा करना ही हैं.

आज विश्व में आतंकवाद के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं. जिनमे कही राजनितिक आतंकवाद,कही धार्मिक आतंकवाद तो कही सामाजिक आतंकवाद के उदहारण आए दिन देखने को मिलते हैं.

भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों मूख्य रूप से जम्मू कश्मीर और असम में हिंसक गठबन्धनों द्वारा किये गये कार्य राजनीतिक आतंकवाद (Political terrorism) के उदहारण हैं.

आतंकवाद के उद्देश्य (Objectives of terrorism)

हमारे देश और पड़ोसी मुल्को में तालिबान,अलकायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहमद जैसे कई कट्टर धार्मिक आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. जो अपनी कट्टरपंथी विचारधारा (Radical ideology) के प्रयास के लिए हिंसा और अपराध को जन्म देते है.

इसके अतिरिक्त समाज में व्याप्त क्रांतिकारी विद्रोह (Revolutionary revolt) को भी आतंकवाद की श्रेणी में शामिल किया जाता हैं. अकसर भारत में नक्सलवाद और गैर राजनितिक आतंकवाद के उदहारण देखने को मिलते हैं.

आतंकवादी हमेशा नए-नए तरीकों की तलाश करते हैं, जिनके कारण अधिक से अधिक मात्रा में लोग मारे जाए, और उसमे भय उत्पन्न किया जा सके. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्लेन हाईजेक करना, रेववे स्टेशन या ट्रेन में बम डालना, रेल की पटरियों को उखाड़ लेना.

आम नागरिकों या विद्यार्थियों को बंदी बना लेना, भीडभाड वाले स्थान को घेर लेना या उनमे घुसकर गोलीबारी करना आतंकवादियों के मुख्य हथियार (Main weapon of terrorists) होते हैं.

भारत में आतंकवाद और आतंकवादी घटनाएं (Terrorism and terrorist incidents in India)

यु तो हर दिन विश्व के किसी न किसी देश में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाएँ घटित होती रहती हैं. मगर इनमे भारत आतंकवाद की समस्या से सबसे अधिक त्रस्त राष्ट्र हैं.

पिछले कुछ ही वर्षो से देश के जम्मू कश्मीर और अन्य हिस्सों में आतंकवादी घटनाएँ निरंतर बढ़ी हैं. 80 के दशक में भारत में आतंकवाद की शुरुआत पंजाब में खालिस्तान की मांग से शुरू हुई थी,

भारत में आतंकवाद के इतिहास में सबसे बड़ा एंटी टेरिरिज्म ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) था. 1984 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने पंजाब के प्रसिद्ध स्वर्ण मन्दिर पर सैनिको को गोलियाँ बरसाने का आदेश दिया था.

इसके ठीक १० साल बाद 12 मार्च 1993 में मुंबई में हुई सिलसिले वार बम धमाकों में 250 से अधिक आम नागरिक मारे गये थे.

इसके पश्चात 13 दिसम्बर 2001 को भारत के लोकतंत्र पर आतंवादियों द्वारा सीधा हमला किया गया. संसद पर हुए इस हमले में ९ सुरक्षाकर्मियो सहित कुछ निर्वाचित सदस्य भी मारे गये थे.

इसके पश्चात वाराणसी , मुंबई और भारत पाक के बिच चलने वाली रेल में भयंकर आतंकी हमले हुए, जिनमे सैकड़ो लोगो ने अपनी जान गवाई थी.

भारत में आतंकवादी हमले (Terrorist attacks in India)

विगत महीनों में हुआ उरी आतंकी हमला जिनमे कई सुरक्षा सैनिक मारे गये थे, इसके अलावा जम्मू कश्मीर और एलओसी पर आए दिन चिट-पिट आतंकी घटनाएं और घुसपेट की घटनाए आए दिन सुनने को मिलती हैं.

वैसे तो हमेशा से आतंकवादियो ने जम्मू कश्मीर को अपना निशाना बनाया है, भारत के इस राज्य में आतंकवाद की शुरुआत (The beginning of terrorism) 1947 से ही हो गई थी. जो आज तक जारी हैं.

इस आतंकवाद को हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हमेशा से आश्रय देता आया हैं. 1990 आते-आते आतंकवाद न सिर्फ भारत की बल्कि समूचे विश्व की समस्या के रूप में सामने आया. मुख्य रूप से इस्लाम कट्टरपंथी पाकिस्तान समर्पित आतंकवाद ही इस सम्पूर्ण समस्या की जड़ हैं.

आज के समय में छतीसगढ़ सहित पश्चिम बंगाल में नक्सलवाद पूर्ण रूप से आतंकवाद का स्वरूप ले चूका हैं. आरम्भ में नक्सलवाद ने अपने हक़ और अधिकारों के लिए एक विद्रोह शुरू किया था.

जो कालांतर में एक हिंसक विद्रोह का रूप ले चूका हैं. साथ ही इन संगठनो द्वारा हिंसा का रास्ता चुन लिए जाने के कारण नक्सलवाद का स्वरूप आतंकवाद के समरूप हो चूका हैं.

पश्चिम बंगाल से शुरू हुई नक्सलवाद की समस्या आज उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश सहित देश के अन्य भागों में फ़ैल चुकी हैं.

आतंकवाद के कारण और प्रभाव (Due to terrorism and influence)

आरम्भिक वर्षो में आतंकवाद ने राजनितिक स्वार्थ के लिए धर्म को आधार बनाकर सता प्राप्ति का रास्ता चुना था. दूसरी तरफ नक्सलवाद की उत्पति/इसके जन्म का कारण मुख्य रूप से सामाजिक हैं. जिनमे अत्यंत गरीबी और अशिक्षा इसके मूल कारण हैं.

यही वजह हैं कि कम शिक्षित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनो द्वारा लोगों को धर्म के झासे में फसाकर इस प्रकार के संगठनो से जोड़ दिया जाता हैं. थोड़े से लाभ के लिए ये लोग आतंकवाद के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करते हैं.

यदि हम वैश्विक या भारतीय परिप्रेक्ष्य (Indian perspective) में पिछले 10 वर्षो में लोगों की मृत्यु की घटनाओं (Incidence of death) को देखे तो किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक लोग आतंकवाद के शिकार हुए हैं.

इनके कुकृत्यो से मारे जा चुके हैं. बहुत सारे ऐसे परिवार हैं, जो आतंकवाद के कारण अपना पूरा परिवार या परिवार के किसी सदस्य को खो चुके हैं.

दूसरी तरफ लाखों की संख्या में ऐसे दिव्यांग (Divyang) मिल जाएगे, जिन्होंने आतंकवाद घटनाओं में अपने अंगो को खो दिया हैंजिनका दंश वो आज भी भोग रहे हैं.

यदि हम आतंकवाद की रोकथाम (Terrorism Prevention) इस समस्या के समाधान के पहलुओ को जानना चाहे तो मुख्य रूप से शिक्षा और रोजगार का बड़ा मसला हैं.

पिछड़े इलाकों में नवयुवक शिक्षा की कमी और रोजगार की अनुपलब्धता के कारण धार्मिक कट्टरपंथी (Religious fanatics) लोगों के लालच या बहकावे में आकर आतंकवाद का दामन थाम लेते हैं.

दूसरी तरफ नक्सलवाद (racism) भी किसी तरह आतंकवाद से कम नही हैं, सरकार को चाहिए कि वह उन लोगों की मागों को पूरा करे, जिसके लिए उन्होंने हथियार उठाएँ हैं.

समाधान (Solution)

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का सबसे खतरनाक रूप देखने को मिलता हैं. जिसकी मुख्य वजह पाकिस्तानी घुसपैठ भी हैं.

हाल ही के वर्षो में भारत सरकार ने एलओसी को पूर्ण रूप से अभेद्द बनाए जाने के प्रयासों को ओर तेज कर राज्य की आंतरिक प्रशासन व्यवस्था को सुधारे जाने की सख्त आवश्यकता हैं. जो बेहद निम्न स्तर की रही हैं.

यह भी हो सकता हैं, कि पाकिस्तान भले ही हमारा दुश्मन मुल्क हैं. आतंकवाद को प्रश्रय देने का कार्य भी मूल रूप से पाकिस्तान का भी, इसका खामियाजा उन्हें भी हर रोज भुगतना पड़ता हैं. अत: इस विषय पर दोनों देशों के राजनयिकों (Diplomats) को बैठकर कोई बिच का रास्ता निकालना चाहिए.

चूँकि आतंकवाद एक अंतराष्ट्रीय समस्या हैं. इसलिए इसका समाधान प्रभावित देशों के सदस्यों के साथ बैठकर भी कोई हल निकाला जा सकता हैं. जिनमे सयुक्त राष्ट्र संघ, अंतराष्ट्रीय न्यायालय जैसे सगठन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.

आतंकवाद पर निबंध 5

आतंकवाद एक ऐसी समस्या हैं जिसका भारत में हम कई दशकों से सामना कर रहे हैं. आज आतंकवाद एक ऐसी समस्या माना जाता हैं. जो न केवल राष्ट्रिय बल्कि अंतराष्ट्रीय राजनीती को भी अस्थिर कर सकती हैं.

जिन कारको ने आतंकवाद को कट्टरपंथीयों द्वारा अवांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसे महत्वपूर्ण हथियार बनाया. वे हैं.

उद्देश्य में दृढ विशवास, कट्टरता, अपने सरगनाओं के प्रति निष्ठा, हिंसात्मक आदर्शवाद आदर्शवाद आत्म बलिदान की इच्छा तथा विदेशो से मिलती वित्तीय सहायता आदि.

आतंकवाद क्या हैं ?- आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार हैं जो समाज या उसके बड़े भाग में राजनितिक उद्देश्यों से भय पैदा करने के उद्देश्य से किया जाता हैं. यह राज्य या समाज के विरुद्ध होता हैं.

यह अवैध और गैर क़ानूनी होता हैं. यह न केवल निशाना बनाया जाने वाले व्यक्ति आपितु सामान्य व्यक्तियों को डराने और बेबसी व लाचारी की भावना पैदा करता हैं.

आतंकवाद के उद्देश्य- आतंकवादियो का मुख्य उद्देश्य अपनी विचारधारा का प्रचार करना हैं. इस प्रक्रिया में यह विचार जन-समर्थन प्राप्त करना चाहता हैं. वह शासन की सैन्य शक्ति व मनो वैज्ञानिक शक्ति को विघटित करना चाहता हैं.

आतंकवाद किसी भी देश/क्षेत्र की आंतरिक स्थिरता तोड़ना और उसके सतत विकास को रोकना चाहता हैं. वह अपने विचार रूपी आन्दोलन को बढ़ाना चाहता हैं.

इस आन्दोलन की रूकावट चाहे वो व्यक्ति हो या सस्था उसे हटाने की कोशिश करता हैं. यह शासन को प्रतिक्रिया दिखाने के लिए उकसाता हैं.

भारत में आतंकवाद समस्या & हमले

” अहिंसा परमोधर्म: तथा “वसुधैव कुटुम्बकम” जैसे महामानवता वादी सिद्दांत वाले हमारे देश भारत में पिछले अनेक वर्षो से साम्प्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद विकराल समस्या बनी हुई हैं. बंगाल में नक्सलियों द्वारा की गईं हिंसा आगे जाकर पंजाब में खालिस्तान बनाने की मांग के चलते असंख्य बेगुनाहों का रक्तपात हुआ.

आज देश में जम्मू कश्मीर, असम, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा तथा उत्तर भारत के अनेक शहर आतंकवादियो के निशाने पर रहते हैं. बीते वर्षो में हमारी संसद पर किया गया आतंकवाद हमला एक प्रकार से हमारे सविधान तथा हमारे स्वाभिमान पर किया गया हमला था.

यदि समय रहते हमारे जवानों ने उन आतंकवादियों को काबू में न किया होता तो हम कल्पना कर सकते हैं, उसके कितने भयानक दुष्परिणाम हो सकते थे.

आतंकवाद का कारण

यह सच हैं कि बेकारी तथा बेरोजगारी के कारण परेशान युवाओं को धन का लालच देकर तथा धर्म के नाम पर उकसाने तथा आतंकवादी बनने का काम धार्मिक कट्टरपंथी संस्थाएँ करती रहती हैं.

ये संस्थाए अपने द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों के माध्यम से देश में अस्थिरता का वातावरण बनाते रहते हैं. मुंबई, दिल्ली, जयपुर तथा अहमदाबाद में आतंकवादियो द्वारा “सीरियल ब्लास्ट” तथा “साइकिल बम ब्लास्ट” जैसी घटनाओं ने देश को झंकझोर कर रख दिया. इसलिए आज आतंकवाद के खिलाफ कठोरता से पेश आने की आवश्यकता हैं.

आतंकवाद को नियंत्रित करने के उपाय-

राष्ट्रीय समस्याओं पर आम सहमती तैयार की जानी चाहिए. न्याय व्यवस्था से सम्बन्धित सुधार करना, शासक और जनता में संवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए,

पुलिस तथा सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाना चाहिए तथा शिक्षा एवं रोजगार की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.

आतंकवादी जब अपने आत्मघाती हथियारों तथा बमों से लोगों के घर उजाड़ते हैं तब यही कहने को मन करता हैं कि,

‘लोग सारी उम्र लगा देते हैं एक घर बनाने में | उनको शर्म नही आती बस्तियाँ जलाने में || “

आतंकवाद के कारण और निवारण निबंध 6

What is Terrorism Problem, Causes, Type and solution in Hindi 

आतंक का शाब्दिक अर्थ होता है- भय,त्रास या अनिष्ट की पीड़ा. षडयंत्रपूर्वक क्रूरता  से नागरिकों को मारना, हमले करना, भय का वातावरण बनाना आतंकवाद कहलाता है.

आतंकवादी अमानवीय प्रवृति के कारण अतीव क्रूर एवं स्वार्थी होते है. इनमे असहनशीलता एवं उग्रता चरम मात्रा में भरी रहती है. इसी स्वभाव के कारण आतंकवादियों को उग्रवादी भी कहा जाता है.

हमारे देश भारत में यह आतंकवाद और उग्रवाद पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा तथा कुछ विदेशी इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा छद्म रूप में चलाया जा रहा है.

भारत में आतंकवाद (Terrorism in India)

भारत में यदपि पूर्वोतर सीमांत क्षेत्र पहले ही अलगाववादी प्रवृति से ग्रस्त रहा है, परन्तु कश्मीर को लेकर आतंकवाद का प्रारम्भ 1989 को हुआ. उस समय जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट  के संगठन ने सशस्त्र अलगाववादी आंदोलन की शुरुआत की.

इससे कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठन उभरे, जिन्होंने जेहाद के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया ये सभी संगठन पाकिस्तान के समर्थक और और उसके सहयोग निर्देश पर काम करते है. पाकिस्तान में ही उन आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर है.

और वही से उन्हें आर्थिक सहायता तथा विस्फोटक सामग्री उपलब्ध होती है पकिस्तान ये सारे काम पर्दे के पीछे करता है और विश्व मंच पर हो हल्ला करता है. कि मुस्लिम बहुल कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाए तथा कश्मीर में आतंकवादी तो वास्तव में जेहादी लोग है.

इस प्रकार पिछले दो दशकों से भारत को इन आतंकवादियों का सामना करना पड़ रहा है.

पाकिस्तान समर्थित आतकंवादी समय समय पर भारत में नरसंहार करते रहे है. दिल्ली के लाल किले पर, फिर कश्मीर विधानसभा भवन पर, फिर 13 दिसम्बर 2001 को संसद भवन पर हमला,, बाद में गांधीनगर के अक्षरधाम पर, 2008 में मुंबई की ताज होटल, 2017 में उरी और पठानकोट पर जो आतकवादियों ने किया है.

वह राष्ट्र की आत्मा के लिए एक चुनौती है. कश्मीर में प्रतिदिन कही न कही पर सैनिकों के साथ आतंकवादियों की झड़पें होती रहती है. और अब तक भाड़े के हजारों आतंकवादी मारे जा चुके है.

पाकिस्तान एक प्रकार से आतंकवादी देश है जो सदा ही आतंकवादियों को तैयार करता रहा है. कश्मीर को हथियानें के लिए वह अनेक कुचालें चल रहा है.

जिनमे आतंकवादियों को हर जगह की सहायता में विशेष रूचि दिखाता है. उसके द्वारा भेजे गये भाड़े के आतंकवादी मानवता की चिंता न कर निरपराध जनता को मार डालते है.

इससे जम्मू कश्मीर से अल्पसंख्यकों का पलायन हो चूका है. और कई वर्षों से लोग जम्मू तथा दिल्ली में शरण लेकर रहने को मजबूर है.

आतंकवाद का दुष्परिणाम (Causes and solution of Terrorism Problem in Hindi)

आतंकवाद वस्तुतः अब कुटनीतिक इशारों पर छदम युद्ध का रूप धारण करने लगा है. जिसका दुष्परिणाम यह है कि भारत को अपनी सम्पूर्ण पश्चिमी सीमा पर सेना तैनात करनी पड़ रही है.

हमारा भारत देश अभी तक विश्व समुदाय का ध्यान रख रहा है, लेकिन जब से भारतीय संसद तथा कश्मीर विधानसभा पर आतंकवादियों ने जो आत्मघाती हमला किया है.

तब से उसकी दुससाहसी प्रवृति भारत की प्रभुसता के लिए एक खतरा बन गई हाई. इस चुनौती के कारण भारत की सीमाओं पर सैन्य बन तैनात है तथा प्रतिदिन आतंकवादियों से डटकर सामना कर रहे है, जिससे आतंकवादी उग्रवादी मारे एवं पकड़े जा रहे है.

इस तरह हमारे देश में बढ़ रहे आतंकवाद का नामोनिशान मिटाने की जरुरत है. भारत सरकार इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही . तथा हमारी सेनाएँ प्रत्येक चुनोती का उचित जवाब दे रही है.

परन्तु जम्मू कश्मीर के निवासियों की तथा देश की काफी आर्थिक हानि हो रही है. अतएवं आतंकवाद के विषदंत को जड़ से उखाड़कर इसके प्रायोजक पाकिस्तान को दंड देने से इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है.

7# आतंकवाद पर निबंध | Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद का अर्थ क्या है इतिहास, वैश्विक परिदृश्य, प्रकृति व भारत पर प्रभाव | What Is Terrorism In Hindi

एक हम एक बेहद खतरनाक समस्या से गुजर रहे हैं वह है  आतंकवाद – Terrorism  यह किसी एक देश की समस्या न होकर सम्पूर्ण वैश्विक समाज के लिए संकट बनकर उभर रहा हैं. विश्व समुदाय अभी तक आतंकवाद की परिभाषा व उसका अर्थ भी समझ नहीं पाया हैं.

आतंकवाद मूलतः एक विखंडनकारी प्रवृति है जिसका अन्य विखंडनकारी प्रवृत्तियों के साथ गहरा संबंध हैं. यह कोई राजनीतिक अवधारणा नहीं है,

किसी न किसी रूप में यह प्राचीन काल से लेकर अब तक सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में विद्यमान रही हैं. आतंकवाद, साम्प्रदायिकतावाद और पृथकवाद एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं.

आतंकवाद ने विश्व शांति को सर्वाधिक नुक्सान पहुचाया हैं. भारत आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक हैं. आतंकवाद को परिभाषित करना अत्यंत दुष्कर कार्य हैं.

एक दृष्टिकोण की मान्यता है कि किसी एक के विचार में जो आतंकवादी है वह दूसरे के विचार में स्वतंत्रता सेनानी भी हो सकता हैं.

वर्तमान विश्व में आतंकवाद धार्मिक व जातीय आधार पर ही जिन्दा हैं. विश्व में इस्लामिक आतंकवाद आज सबसे गंभीर समस्या हैं.

आतंकवाद का अर्थ क्या है (What Is Terrorism In Hindi)

terror का लेटिन भाषा में अर्थ है to make tremble किसी को भय से कंपकपाने को मजबूर करना. ओ दिमेरस ने लिखा है कि आतंकवाद एक विभ्रम हैं.

यह मनोवैज्ञानिक हमला हैं. इसका लक्ष्य मनौवैज्ञानिक परिणाम प्राप्त करना होता हैं. हिंसा की नाटकीय प्रस्तुती और उन्नति व प्रसिद्ध आतंकवाद की मुख्य प्रकृति हैं.

सामान्य अर्थ में किसी भी तरह से भय उत्पन्न करने की विधि को आतंकवाद की संज्ञा दी जा सकती हैं. जब एक व्यक्ति या समूह उचित मांगों की पूर्ति के लिए शान्तिपूर्वक, अहिंसात्मक ढंग से सकारात्मक प्रयास करता है तो उसे आंदोलन कहा जाता हैं.

आंदोलन लोकतंत्रात्मक व्यवस्था की अपरिहार्य प्रक्रिया कही जा सकती हैं. इसके विपरीत व्यक्ति या व्यक्ति समूह जब अपनी अनुचित मांगों की पूर्ति के लिए व्यापक स्तर पर हिंसा व अशांति पर आधारित नकारात्मक प्रयत्न करता है तो उसे आतंकवाद कहा जाता हैं.

आतंकवाद को आमतौर पर धार्मिक, जातीय, क्षेत्रीय, नस्लीय आधार पर समर्थन मिलता हैं. किन्तु यह अलोकतांत्रिक होने के कारण व्यापक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में समर्थन प्राप्त करने में असफल रहता हैं. आतंक के प्रयोग से तात्पर्य है- भय पैदा करना.

सभी निरंकुश समाजों की स्थापना भय पर आधारित थी. आधुनिक युग में तथाकथित अधिनायकवादी शासन का मूल आधार भय ही हैं. शांतिकाल में युद्ध जैसी हिंसा के घोषित रूप में आतंक की तलवार सदैव उन पर मंडराती रहती हैं. जो विद्रोह करने की सोचते हैं.

आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान पर विधिसंगत शासन को अपदस्थ कर सत्ता हथियाना होता हैं. आतंकवाद विश्व की सबसे खतरनाक हिंसक मनोवैज्ञानिक युद्ध प्रणाली हैं.

आतंकवाद एक तरह से संक्रामक बिमारी हैं. आतंकवाद के वास्तविक भौतिक प्रभाव से कहीं अधिक इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव हैं.

शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात विश्व के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बन गया हैं. आतंकवाद उन नवीन संस्कारों में शामिल हैं. जिससे आण्विक, जैविक व रासायनिक हथियारों के प्रयोग व सामूहिक विनाश की आशंका बनी हुई हैं.

व्यवहार में आतंकवाद कई बार गरीब का शक्तिशाली के विरुद्ध हथियार बन जाता हैं तो कभी धर्म की सत्ता व धर्म की रक्षा का हथियार.

आतंकवाद का इतिहास (History Of Terrorism In Hindi)

सम्पूर्ण इतिहास में शक्ति को प्राप्त करने के लिए आतंक का बार बार प्रयोग हुआ हैं. सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए बल के सामने झुकना और स्थापित व्यवस्था को मजबूरन स्वीकारना हर युग में आम बात थी.

आतंक का प्रयोग सबसे पहले संभवतः उस समय हुआ होगा, जब शासन के लिए आदिम अवस्था में सजा देकर किसी को विशेष गतिविधि करने से रोका गया था.

प्रथम मेसोपोटामिया का साम्राज्य अक्कड़ के सारगोन पूर्णतया डरा धमकाकर ही स्थापित किया गया था. प्रथम सैनिक साम्राज्य अनसिरियाई ने अपने विरोधियों की इच्छा शक्ति और साहस को तोड़ने के लिए क्रूर, भयानक तरीको का प्रयोग किया गया था.

सम्पूर्ण इतिहास में निरंकुश समाजों में आतंक का प्रयोग लोगों को मजबूरन दासत्व व अधीनता स्वीकार करवाने के लिए हथियार के रूप में होता रहा हैं.

सदियों से आतंक का साया मानवता पर मंडराता रहा हैं. राज्य का आतंक चाहे गुप्त रूप से अथवा खुले रूप से हो हमेशा सामूहिक हत्या के लिए प्रयोग किया गया था.

मंगोलों और तैमूर लंग ने केवल आतंक या भय का प्रयोग कर बड़े बड़े शहरों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था.

यह सदैव अलग अलग स्वरूप में विद्यमान रहा था. समय काल और स्थान के अनुसार इसके तरीकों और प्रकृति में जरुर अंतर रहा होगा, लेकिन आतंक सर्वत्र व्याप्त था.

प्रथम शताब्दी के यहूदी उग्रपंथियों से लेकर 11 वीं से 13 वीं शताब्दियों के इस्माइली एसेसिन हत्यारों को इस श्रेणी में गिना जा सकता हैं.

आतंकवाद की धर्म से सम्बद्धता हर कालखंड रही में रही हैं. वर्तमान समय में आतंकवाद का धार्मिक आयाम इसे जरुर विशिष्ट बनाता हैं. वास्तव में धार्मिक आतंकवाद भी नया नहीं हैं. आधुनिक युग में आतंकवाद ने गुरिल्ला युद्ध को भी पीछे छोड़ दिया हैं.

आतंकवाद का वैश्विक परिदृश्य (World Prespective Of Terrorism Hindi)

9/11 की घटना में अचानक आतंकवाद को पुनः महत्वपूर्ण बना दिया. वस्तुतः तालिबानी स्वरूप पिछली शताब्दी के अंतिम दो दशकों में सक्रिय था,

किन्तु अमेरिका ने उन्हें महिमामंडित किया और योद्धा और जन मुक्ति दाता कहा, उल्लेखनीय है कि यही रवैया पाकिस्तान का कश्मीर के आतंकवादियों के प्रति रहा हैं.

वे उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की संज्ञा देकर अपने राजनीतिक मंसूबों को साधना चाहता हैं. धार्मिक आधार पर सहानुभूति प्रदर्शित कर वह राजनीतिक रोटियाँ सेक रहा है.

आतंकवाद प्रतिक्रियावादी व आत्मघाती दोनों प्रभाव रखता हैं. आज पाकिस्तान जो आतंकवाद का मुख्य पोषक देश है स्वयं आतंकवाद से जूझ रहा हैं.

एक देश ने अपने विरोधी देश के खिलाफ रणनीति के बतौर आतंकवाद का खूब सहारा लिया हैं. अमेरिका ने तालिबान रुपी दैत्य को पूर्व सोवियत संघ के विरोध में उत्पन्न किया. किन्तु दो दशक बाद वह दैत्य उसके विरुद्ध हो गया. ईराक को पनपाना तालिबान को पनपाना, अमेरिकी राज्य रणनीति का हिस्सा था.

स्वयं अमेरिका ने 9/11 के बाद युद्ध को नया नाम आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही देकर ईराक और अफगानिस्तान की संप्रभुता पर हमला किया.

अमेरिका और उसके सहयोगिनी का मानना है कि किसी भी किस्म के विध्वंसक हथियार रखना और उसके जरिये हिंसक कार्यवाही करना आतंकवाद हैं. इसी नजरिये से आतंकी संगठनों और उनके पनाह देने वाले राष्ट्रों को चिन्हित किया जा रहा हैं.

वास्तव में आतंकवाद केवल हिंसा की तकनीक नहीं हैं. यह सिर्फ जान से मार देने की या आतंकित कर देने की कला नहीं हैं. अपितु विचारधारा हैं.

इसका शीतयुद्धकालीन अमेरिकी विदेश नीति से गहरा संबंध हैं. शीतयुद्ध वस्तुतः रक्तबीज हैं. इसे जितना मारोगे यह उतना ही विकराल रूप धारण करता जाएगा.

उपरी तौर पर शीतयुद्ध समाप्त हो गया परन्तु विचारधारा के तौर पर यह आज भी जिन्दा हैं. मौजूदा ISIS तालिबान और आतंकवाद का विश्वव्यापी स्वरूप उसका हिस्सा हैं.

इस स्वरूप का अपना तंत्र है और अपनी विचारधारा हैं. इसकी प्राणवायु बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हैं. आतंकवाद अब कोई स्थानीय ढांचागत नही रहा हैं.

इसके प्रभाव को सीमा में नहीं बाँधा जा सकता हैं. इसका मौजूदा वैविध्य पूर्ण रूप इसे पूरी तरह विश्वव्यापी ढांचागत संरचना बनाता हैं. आतंकवाद अत्याधुनिक हथियारों और विदेशी धन के सहारे फलफूल रहा हैं.

तालिबान, अलकायदा, लिट्टे, खालिस्तान, कमांडो फोर्स आद्रेन, रोबर्ती द आब्यूस्सोन, फलांगा आदि दर्जनों आतंकी संगठनों के बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से संबंध रहे हैं.

यह कम्पनियां दो प्रकार की है नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाली व दूसरी हथियारों का निर्माण करने वाली. आतंकवाद की यह रणनीति रही है कि हिंसा के माध्यम से सुनियोजित ढंग से आम जनता में दहशत पैदा की जाए. सत्ता की प्रतिक्रियाओं में लाभ उठाया जाए और अपनी मांगों को उभारा जाए.

बी क्रोजियर में ए थ्योरी ऑफ़ कान्फ्लिक्ट में रेखांकित किया गया है कि आतंक और हिंसा कमजोरों का अस्त्र है. ये लोग संख्या में कम होते है और सत्ताहीन होते है, ये ऐसे लोग है जो परम्परागत ढंग से सत्ता प्राप्ति करने में असमर्थ होते हैं.

धर्मान्धता और आतंकवाद (Fanaticism & Terrorism Problem)

आतंकवाद को धर्म से सम्बद्ध मानने की प्रवृत्ति काफी दिनों से विवाद का विषय रही हैं. यह एक गंभीर प्रश्न है कि आतंकवाद को किसी धर्म विशेष से जोड़ा जाए या नहीं. यह मानना है कि धर्म के अनुयायी आतंकवाद को प्रश्रय देते है. यह बिलकुल असत्य और निराधार हैं.

पश्चिमी देशों के आतंकवाद के विश्लेषकों ने माना कि कुछ देशों में धर्म विशेष का हिंसक उत्परिवर्तन काफी गम्भीर विषय हैं. जो विगत 25-30 वर्षों में एक शक्तिशाली प्रवृति व घटना के रूप में उभरा हैं.

आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव न होकर एक समुदाय विशेष के प्रति समर्पण भाव रखना एक नकारात्मक प्रवृति हैं.

जो एक स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज के लिए हितकारी नहीं होता हैं. आत्म बलिदान और असीमित बर्बरता, ब्लैकमेल, जबरन धन वसूली और निर्मम न्रशंस हत्याएं करना ऐसे आतंकवाद की विशेषता बन गई हैं. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया पृथकतावादी श्रेणी में आता हैं.

पाकिस्तान में वर्ष 2014 में स्कूल में घुसकर मासूम बच्चों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 132 बच्चों की हत्या आतंकवाद का वास्तविक भयानक चेहरा प्रस्तुत करता हैं.

खून से भीगे बस्ते, पानी की बोतले, जूते, खाने के टिफिन बताते है कि आतंकवाद मूलतः मानवता के विरुद्ध अपराध हैं.

आतंकवाद की प्रकृति (Nature Of Terrorism)

इसमें मुख्य रूप से तीन पात्र होते हैं.

  • आतंकवादी गुट

आम जनता अन्य देशों की सरकार व आतंकवादी गुट इसके दर्शक होते हैं.

भारत में आतंकवाद (Terrorism Problem In India)

आतंकवाद कोई नई प्रवृत्ति नहीं हैं. जिसका रातोरात आधुनिक युग में अवतरण हुआ हो. भारत के सम्पूर्ण इतिहास में शक्ति को प्राप्त करने के लिए आंतक का बार बार प्रयोग हुआ हैं.

भारत में पिछली सदी के दो दशकों के पंजाब के आतंकवाद, जम्मू और कश्मीर के आतंकवाद व वर्तमान में विभिन्न भारतीय राज्यों में सक्रिय नक्सलवाद और उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों के उग्रवाद को आतंकवाद की परिभाषा में सम्मिलित किया जा सकता हैं.

भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में कई स्थानीय आतंकी संगठनों के अतिरिक्त अन्य विदेशी आतंकी संगठन भी सक्रिय हैं. भारत में वर्ष 2016 तक कुल 38 आतंकवादी संगठनों को अनाधिकृत गतिविधि अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया जा चुका हैं.

भारत में आतंकवाद का स्वरूप (Nature Of Terrorism In India)

भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों की प्रकृति एक जैसी नहीं हैं. यदपि सभी आतंकवादी संगठन हिंसा व भय पैदा करने के विभिन्न तरीको को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयोग जरुर करते हैं.

भारत में उत्तर पूर्वी राज्यों, विशेषतया सीमावर्ती राज्यों, जम्मू कश्मीर, असम, पंजाब, आंध्रप्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, बंगाल व महाराष्ट्र आदि में आतंकवादी गुट सक्रिय हैं.

कश्मीर में आतंकवादी गुटों को धार्मिक कारणों से अधिक जनाधार प्राप्त हैं. उन्हें विदेशी पाकिस्तानी समर्थन भी भरपूर मात्रा में प्राप्त हैं. धन, हथियार, प्रशिक्षण, दुष्प्रचार व युवाओं में धार्मिक वैचारिक विकार पैदा करने में पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई हैं.

मनोवैज्ञानिक रूप से विभिन्न हथकंडों का प्रयोग करते हुए कश्मीर के युवाओं में धर्मान्धता व कट्टरपन की भावना पैदा कर उन्हें मुख्य राष्ट्रीय धारा से विमुख करने में विदेशी समर्थन का बहुत बड़ा योगदान हैं. जिसने भारत के भौगोलिक, राजनीतिक एवं सामरिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला हैं.

यदपि पिछली शताब्दी में सक्रिय पंजाब के आतंकवादियों का केन्द्रीय लक्ष्य पृथक राष्ट्र की मांग एक जैसी ही हैं. पंजाब, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया पृथकतावादी श्रेणी में आता हैं.

सभी आंतकी सगठनों की एक जैसी राजनीतिक सोच संभव नहीं हैं. पंजाब व जम्मू कश्मीर दोनों जगह आतंकवाद ने धार्मिक कट्टरवाद का सहारा लिया हैं.

पंजाब में आतंकवादियों ने हत्या के लिए निर्दोष नागरिकों को अपना निशाना बनाया वहीँ कश्मीर में आतंकवादियों ने सेना व अन्य सुरक्षा बलों को नुकसान पहुचाना अपना लक्ष्य बनाया हुआ हैं.

पंजाब में आतंकवाद के उस चरण में आतंकवादियों ने राज्य मशीनरी को निशाना बनाने की बजाय निर्दोष लोगों की हत्या की.

राज्य पुलिस बल उनका दूसरा लक्ष्य था. असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड में आतंकवादी गुटों का मुख्य निशाना समुदाय विशेष के लोग हैं. कभी कभी राज्य मशीनरी पर भी हमला बोला जाता हैं.

किन्तु आम तौर पर किसी समुदाय विशेष के लोगों पर ही हमलें होते रहे हैं. अतः इन राज्यों के आतंकवाद में समूह या जनजातीय ग्रुपों के बीच में हिंसक मुठभेडे या हमलें होते रहते हैं.

राज्य मशीनरी पर हमला करने का राजनीतिक तौर पर प्रत्यक्ष संबंध नहीं है किन्तु प्रछन्न पृथकतावादी गिरोहों से संबंध जरुर दिखाई देता हैं. मसलन पंजाब में खालिस्तानियों और नक्सली गुटों और आंध्रप्रदेश में पीपुल्सवार ग्रुप का लिट्टे से रिश्ता था.

इसी तरह प्रत्येक प्रान्त में ऐसे आतंकवादी गिरोह सक्रिय हैं जो प्रत्यक्ष विदेशी इशारों पर आतंकवाद की कार्यवाहियों में सक्रिय रहते हैं.

तात्पर्य यह है कि आतंकवादी गिरोहों का परिपेक्ष्य एक सा नहीं हैं. भारत में प्रमुख आतंकवादी घटना 12 मार्च 1993 को बम्बई में हुई जिसमें बम विस्फोटों में 317 निर्दोष लोगों की म्रत्यु हुई.

इस विध्वस्कारी घटना में अपराधी और तस्कर गिरोह कट्टरपंथियों और विदेशी एजेंसियों की भूमिका थी. मूलतः यह एक आतंकवादी कार्यवाही थी.

साम्प्रदायिकता, पृथक्तावाद और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इन तीनों में अन्तःक्रियाएं चलती रहती हैं. तात्पर्य यह है कि साम्प्रदायिकता के पृथकतावादी या आतंकवादी प्रवृति में रूपांतरण की संभावना हैं उसी तरह से पृथकतावाद से साम्प्रदायिकता और आतंकवाद में बदल जाने की संभावना बनी हैं.

इसी प्रकार आतंकवाद के साम्प्रदायिकता एवं पृथकतावादी रूप लेने की भी संभावना हैं. झारखंड, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश व छतीसगढ़ में नक्सली आतंकी गिरोहों की आतंकवादी कार्यवाहियों से भिन्न होता हैं.

नक्सलवादी गिरोहों का पृथकतवाद केन्द्रीय लक्ष्य नहीं हैं. 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला हाल ही के वर्षों में भारत में होने वाला सबसे बड़ा आतंकी हमला है जिसमें 44 CRPF के जवान शहीद हुए थे.

भारत के आतंकवाद प्रभावित राज्य (Terrorism Affected States Of India)

  • जम्मू कश्मीर
  • उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत
  • पूर्वोत्तर भारत- असम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड
  • दक्षिण भारत- अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक

आतंकवादियों की सामाजिक पृष्टभूमि (Social Background Of Terrorism)

भारत में आतंकवादी कार्यवाहियों में शामिल व्यक्ति की सामाजिक पृष्टभूमि अलग अलग रही हैं.

  • मध्य वर्ग और उच्च मध्य वर्ग के युवा
  • पंजाब, कश्मीर बंगाल के नक्सली, उत्तर पूर्वी राज्यों के आतंकी मोटे तौर पर इन्ही वर्गों से आते हैं.
  • धर्मांध गरीब तबके के विभ्रमित युवा.

आतंकवादी कार्यवाही के लक्ष्य (Objectives Of Terrorist Activities)

  • सुनिश्चित ढंग से कुछ प्रमुख केन्द्रों या संस्थानों पर हमला करना
  • आतंक और हिंसा की कार्यवाहियों की बढ़ चढ़कर जिम्मेवारी लेना
  • सत्ता से लाभ प्राप्त करना

पहला लक्ष्य कार्यनीतिक है दूसरा रणनीतिक है और तीसरा मील अभिसिप्त लक्ष्य हैं. कार्यनीतिक स्तर पर लोगों को डराना, धमकाना, आतंकित करना और हमला करना होता हैं. रणनीतिक चरण के अंतर्गत अतिनाटकीय ढंग से आतंक एवं हिंसा की कार्यवाही को सम्पन्न करना.

परिणामतः ज्यादा से ज्यादा माध्यमों का ध्यान खीचने में सफलता प्राप्त करना उनका लक्ष्य होता हैं. आतंकवादियों की कार्यनीति, रणनीति और लक्ष्य ये तीनों एक दूसरे से अंतरग्रंथित हैं.

आतंकवाद के मनोवैज्ञानिक तत्व (Psychological elements of terrorism)

आतंकवाद अपरिहार्य रूप से एक ऐसी रणनीति है जो मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर आधारित होती हैं. इस रणनीति के तहत आतंकवादी दर्शकों को प्रभावित करते हैं. यहाँ दर्शक वे लोग है जो आतंकवादी कार्यवाही से भयग्रस्त हो जाते हैं.

  • कर्म द्वारा प्रचार
  • अस्त व्यस्तता व अराजकता उथल पुथल

आतंकवाद और मीडिया कवरेज (Terrorism and Media Coverage)

आतंकवाद और मीडिया कवरेज- तकनीकी के प्रयोग के कारण आतंक और हिंसा की कार्यवाही और भी आकर्षक दिखती हैं.

भारत में पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद की प्रस्तुतियों में स्टीरियों टाइप छवि का प्रभुत्व रहा हैं. परिणामतः आतंकवादियों के प्रति तकनीकी माध्यमों के द्वारा घ्रणा के बजाय सहिष्णु भाव पैदा हुआ हैं.

इस तरह के मिडिया के कवरेज का समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता हैं. पहला आतंक हिंसा की गतिविधियों की रिपोर्टिंग को मिलने वाले महत्व अन्य को वैसी ही कार्यवाही को प्रेरित करती हैं. दूसरा कम या ज्यादा माध्यम कवरेज से यह संभव हैं. कि राज्य उत्पीड़न की कार्यवाहियां बढ़े.

यही स्थिति आतंकवाद पैदा करना चाहती हैं. इससे उन्हें अपने लक्ष्य के विस्तार में मदद मिलती हैं. तीसरा मीडिया कवरेज के द्वारा आम जनता के अंदर भावशून्य स्थिति पैदा हो जाती हैं. चौथा आतंकवादियों द्वारा अपह्रत या बंदी व्यक्ति के लिए मिडिया कवरेज से जान का खतरा पैदा हो सकता हैं.

आतंकवाद कुछ विशेष शैली प्रतीकों और बिम्बों का प्रयोग करते हैं. पंजाब के आतंकवादी दौर में मोटर साइकिल, मारुति वैन और ए के 47 आतंकवादियों का प्रतीक मानी जाती थी. डर का माहौल पैदा करना उनका मकसद होता हैं. इससे प्रशासनिक मशीनरी पंगु बन जाती हैं.

सेना व सुरक्षा बल लगातार काम करते हैं. जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती हैं. राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक कारणों से समाज की आतंकवाद के प्रति सहिष्णुता पैदा करना अत्यंत घातक हो जाती हैं.

आम जनता में भाव शून्यता से सहन करने की क्षमता बढ़ जाती हैं. वह आतंकी हिंसा को जीवन की सच्चाई के रूप में देखने लगती हैं.

सामान्य तौर पर आतंकवादी गिरोहों की कार्यवाही के दो मकसद होते हैं.

  • हिंसा के माध्यम से जनमाध्यमों का ध्यान आकर्षित करना.
  • भय और आतंक का माहौल पैदा करना.

इन दोनों तरीकों के जरिये आतंकवादी गिरोह अपनी मांगों को लोकप्रिय बनाने और राष्ट्रीय एजेंडे पर लाने में सफल हो जाते हैं. अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए दवाब डालते हैं. अत्यधिक मीडिया कवरेज से आतंकवाद फलता फूलता हैं. आतंकवाद और जन माध्यमों का जटिल संबंध हैं.

और सशलिष्ट प्रक्रिया से यह सम्बन्ध विकसित होता हैं. अब यह सामान्य धारणा बन चुकी हैं कि किसी आतंकवादी घटना को मीडिया द्वारा अधिक कवरेज देने से इसका दुष्प्रचार होता हैं. जो राज्य के हितो का विरोधी हैं.

आतंकवादी घटना के अत्यधिक मिडिया कवरेज का दुष्प्रभाव (Repurcussions Of Over Reporting Of Terrorist Activity By Media)

  • यह विभिन्न आतंकवादी गुटों का निर्माण के लिए उत्प्रेरित करता हैं.
  • धार्मिक व साम्प्रदायिक कारणों से आतंकवादियों को सस्ती लोकप्रियता हासिल होने की संभावना निहित हैं.
  • विभिन्न गुटों में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होने पर बढत व पहलकदमी हासिल करने की होड़ उत्पन्न करना.
  • आतंकवादी गिरोहों द्वारा मिडिया कवरेज करने वाले चैनल्स पर नियंत्रण स्थापित करने की आशंका बनना.
  • प्रशासनिक मशीनरी की कार्य कुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना.

यह माना जाता है कि आतंकवाद एक तरह से संक्रामक बिमारी हैं. जाने अनजाने माध्यमों से आतंक एवं हिंसा को प्रोत्साहित किया जाता हैं. घटनाओं की एक जैसी पुनरावृत्ति और बार बार कवरेज पुनः हिंसा और आतंक को जन्म देता हैं. आतंकवादी गिरोहों का सहज रूप से अपनी राजनीतिक मांगों के लिए मंच मिल जाता हैं. परिणामतः इससे आतंकवाद बढ़ता हैं.

आतंकवाद की सफलता- आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान या विधिसंगत शासन को अपदस्थ कर सत्ता हथियाना होता हैं. यह रणनीति मुख्यतः विद्रोही व बलवाई आतंकवादियों द्वारा अपनाई जाती हैं.

यदि हमें आतंकवादियों के सफलता के परिणामों को देख पाते है कि केवल उपनिवेशवादी विरोधी गुटों को पूरी तरह सफलता प्राप्त हो सकी उनमें मुख्य हैं.

20 वीं व 21 वीं शताब्दी के अधिकांश आतंकवादी गुट अपने मंसूबों को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रहे हैं. भारत में पंजाब के आतंकी पूरी तरह असफल हुए.

LTTE जैसा दुर्दांत आतंकवादी संगठन श्रीलंका में अन्तः असफल ही हुआ. आईएसआई एस ISIS वोकोहरम, तालिबान, जैश ए मोहम्मद व अन्य मुस्लिम आतंकवादी संगठन अभी तक राजनीतिक रूप से असफल ही रहे हैं.

पूर्व सोवियत संघ के विद्वान् यूरी त्रिफोनाव ने लिखा है कि आतंकवाद का विश्व स्तर पर पतन हुआ हैं. रंगमंच खून से तर बतर और चरित्र म्रत्यु हैं. डेविड फ्रामकिन ने लिखा है कि हिंसा आतंकवाद का प्रारम्भ है इसका परिणाम है इसका अंत.

ब्रेनाजिन किंस ने लिखा है कि आतंकवादी चाहते है कि बहुत सारे लोग देखे और सारे लोग सुने न कि बहुत सारे लोग मरे.

आज भी आतंकवाद विश्व शांति और सुरक्षा के लिए गम्भीर चुनौती बना हुआ हैं. विश्व के समस्त देश जब तक एकजुट होकर इस दैत्य का मुकाबला नहीं करते तब तक यह समस्या समाप्त नहीं होगी.

भारत में भी आतंकवाद आधे से अधिक राज्यों को प्रभावित कर रहा हैं. शासन को आने वाले समय में आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.

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terrorism essay in hindi class 10

Hindi Essay and Paragraph Writing – Terrorism  (आतंकवाद) for classes 1 to 12

आतंकवाद पर निबंध – इस लेख में हम आतंकवाद क्या है, आतंकवाद का मतलब क्या होता है, आतंकवाद के प्रभाव क्या हैं? के बारे में जानेंगे। आतंकवाद एक वैश्विक घटना है जिसके कारण दुनिया भर के देश प्रभावित होते हैं। आतंकवाद की जटिलता के कारण इसमें धार्मिक अतिवाद, राजनीतिक उत्पीड़न और आर्थिक असमानता शामिल हो सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में आतंकवाद पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में आतंकवाद पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • जल संरक्षण पर 10 लाइन  10 lines
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • जल संरक्षण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

आतंकवाद पर 10 लाइन 10 lines on Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका या भयावह रूप है।
  • लोगों का समूह या संगठन जो आतंकवाद का समर्थन करते है उन्हें आतंकवादी कहा जाता है।
  • अपने उद्देश्य के पूर्ति हेतु आतंकवादी हिंसा का सहारा लेते हैं।
  • आतंकवादी बमबारी, गोलीबारी और अपहरण जैसे विभिन्न माध्यमों से हिंसा का प्रदर्शन करते हैं।
  • आतंकवादी कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी विरुद्ध हमले कर देते हैं।
  • आतंकवादी अपना डर फैलाने के लिए हमेशा निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते है।
  • आतंकवादी अपने विचार और लक्ष्य के बारे में लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लेते है।
  • आतंकवादी हमले का असर देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ता है।
  • आतंकवाद के कुछ उदाहरणों में अमेरिका का 9/11 और भारत का 26/11 हमला है।
  • आतंकवाद एक देश की समस्या नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।

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Short Essay on Terrorism in Hindi आतंकवाद पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

आतंकवाद पर निबंध – आतंकवाद अपनी जटिल और बहुआयामी प्रकृति के कारण वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है। आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य एक देश की सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए बमबारी, अपहरण और गोलीबारी जैसे विभिन्न माध्यमों से निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा कर सबके मन में डर और भय पैदा करना है। 

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका है जिसमें व्यक्ति या समूह भय पैदा करने के लिए निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके हिंसा से देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि आतंकवादी राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं, लेकिन उनके कार्य हमेशा बहुत बुरे होते हैं। आतंकवादी बमबारी, अपहरण और गोलीबारी सहित विभिन्न माध्यमों से हिंसा का करते हैं, जिससे अक्सर निर्दोष लोगों की जान चली जाती है। इसलिए आतंकवाद से लड़ने और दुनिया में शांति, प्यार और अपनापन को बढ़ावा देने के लिए सरकार और व्यक्तियों को साथ मिलकर काम करना चाहिए।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

आतंकवाद हिंसा का एक गंभीर और भयावह रूप है जिसका उद्देश्य लोगों में डर और भय पैदा करना है। ये कृत्य आम तौर पर नागरिक आबादी को टारगेट करते हैं, जिनका उद्देश्य निर्दोष लोगों की जान लेना और समाज को अस्थिर करना है। आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तरीके बहुत भिन्न हो सकते हैं, जिनमें बमबारी, अपहरण और गोलीबारी से लेकर साइबर हमले तक शामिल हैं। वे अक्सर हवाई अड्डों, शॉपिंग मॉल या यहां तक ​​कि स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों को निशाना बनाते हैं, जहां वे हताहतों की संख्या और प्रभाव को अधिकतम दर पर फैला सके। उनका हिंसा इतना क्रूर होता है कि बच्चे, बूढ़े को भी मारने से बिल्कुल नहीं हिचकिचाते है। हिंसा के इस रूप का देश पर बहुत प्रभाव पड़ता है। लोग डर से घर से भी निकल नहीं पाते है, भय में जीते है। अत: आतंकवाद से निपटने के लिए सभी राष्ट्रों को आपस में मिलकर इसपर काम करना चाहिए।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा है जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। यह राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक उद्देश्यों के लिए भय पैदा करने और नागरिकों को डराने के इरादे से व्यक्तियों या संगठनों द्वारा किए गए हिंसक कृत्यों को संदर्भित करता है। इन कृत्यों में आम तौर पर जनता के बीच आतंक पैदा करने और व्यापक दहशत पैदा करने के उद्देश्य से बमबारी, गोलीबारी या अपहरण जैसी हिंसा का उपयोग शामिल होता है। आतंकवाद के पीछे के उद्देश्य अलग-अलग हो सकते हैं, जिनमें स्वतंत्रता या राजनीतिक परिवर्तन की मांग से लेकर धार्मिक अतिवाद तक शामिल हैं। हालाँकि, आतंकवाद किसी एक धर्म या देश से संबंधित नहीं है। यह एक जटिल समस्या है जो दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करती है। आतंकवाद के परिणाम विनाशकारी हैं, क्योंकि यह निर्दोष लोगों की जान लेता है, संपत्ति का विनाश करता है और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित करता है। इसके अतिरिक्त, आतंकवाद भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर सकता है, जिससे आर्थिक स्थिरता में कमी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्ते हो सकते हैं। अत: दुनिया भर में सरकारें और खुफिया एजेंसियां ​​संभावित खतरों की पहचान करने के लिए जानकारी इकट्ठा करके और उसका विश्लेषण करके ऐसे हमलों को रोकने के लिए अथक प्रयास करती हैं।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है जो दुनिया भर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। यह एक जटिल और बहुआयामी घटना है जो राष्ट्रीय सीमाओं, धार्मिक मान्यताओं और राजनीतिक विचारधाराओं से परे है। हालांकि एक व्यापक परिभाषा प्रदान करना चुनौतीपूर्ण है, आतंकवाद को मोटे तौर पर हिंसा के जानबूझकर उपयोग के रूप में समझा जा सकता है, जो अक्सर भय पैदा करने, राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने या व्यापक व्यवधान पैदा करने के उद्देश्य से नागरिकों को टारगेट करता है। आतंकवाद का सबसे दुखद पहलू इसकी अंधाधुंध प्रकृति है। इसके हमले कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी विरुद्ध हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका के 9/11 और भारत के 26/11 हमलों में आतंकवाद के विनाशकारी परिणाम देखे गए हैं।आतंकवाद के पीछे की प्रेरणाएँ विविध और जटिल हैं, और वे अक्सर एक समूह या व्यक्ति से दूसरे समूह में भिन्न होती हैं। कुछ आतंकवादियों का लक्ष्य सरकार को अस्थिर करने या मौजूदा शासन को उखाड़ फेंकने के लिए हिंसा और धमकी का उपयोग करके राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना है। अन्य लोग अपने कार्यों को उचित ठहराने के लिए धार्मिक विचारधाराओं का उपयोग करते हैं, धार्मिक सिद्धांत की अपनी व्याख्या थोपने या इस्लामी खिलाफत स्थापित करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारक भी आतंकवाद को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं, क्योंकि हाशिए पर रहने वाले और अशक्त व्यक्ति न्याय पाने या अपनी शिकायतों का समाधान करने के लिए उग्रवाद का सहारा लेते हैं। अंतः, आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके लिए वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करके, खुफिया जानकारी साझा करने में वृद्धि करके और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के माध्यम से आतंकवाद के कृत्यों को रोका जा सकता है, क्योंकि इस विश्वव्यापी खतरे के खिलाफ एकजुट होना और उन सिद्धांतों की रक्षा के लिए सतर्क रहना जरूरी है जिन्हें आतंकवादी कमजोर करना चाहते हैं।   Top  

Hindi Essay Writing Topic – आतंकवाद (Terrorism)

आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। आतंकवाद एक कैंसर की तरह है जिस देश में पैदा होता है, उसी देश के लिए खतरनाक होता है। यही कारण है कि आज पाकिस्तान में आधे से ज्यादा हमले आतंकी हमले होते हैं। 

आतंकवाद कोई आज की नई समस्या नहीं है, यह तो बहुत समय से इस दुनिया में उपस्थित रही है। 

इस लेख में हम आतंकवाद की समस्या, प्रभाव, कारण, प्रकार, आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम, आतंकवाद पर भारत का रुख और भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु प्रावधान की जानकारी प्राप्त करेंगे। 

आतंकवाद की परिभाषा और प्रकार

भारत में आतंकवाद के कारण, भारत में आतंकवाद के प्रभाव, आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम, आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा उठाए गए कदम, भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु प्रावधान.

भारत क्षेत्रफल में दुनिया का सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है

भारत में 2,000 से अधिक जातीय समूह रहते है, 22 मान्यता प्राप्त बोलियां हैं और नौ मान्यता प्राप्त धर्मों का पालन करती है।

इस प्रकार, यह विभाजनों के साथ व्यापक है और संघर्ष स्वाभाविक रूप से अनुसरण करता है। 

यह आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष दस में से एक है। सिडनी स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत आतंकवाद से सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश है।

यह न केवल धार्मिक उग्रवाद का सामना कर रहा है, बल्कि यह गरीबी, शहरी-ग्रामीण विभाजन, आदिवासी झगड़ों और जातीय राष्ट्रवाद से भी घिरा हुआ है, ये सभी राष्ट्र के भीतर आतंकवाद की समस्या को जन्म देते हैं। 

भारत बहुत समय से आतंकवाद के खात्मे की योजना कर रहा है, इसी कड़ी में भारत पहली बार अक्टूबर में दिल्ली और मुंबई में आतंकवाद पर एक विशेष बैठक के लिए चीन, रूस और अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सभी 15 देशों के राजनयिकों और अधिकारियों की मेजबानी करेगा।  

आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है। 

भारत वर्तमान में कई पश्चिमी देशों की तरह, 1988 में श्मिड और जोंगमैन द्वारा प्रस्तावित आतंकवाद की परिभाषा का उपयोग करता है।

 “ आतंकवाद बार-बार हिंसक कार्रवाई की एक चिंताजनक-प्रेरक विधि है, जिसे (अर्ध-) गुप्त व्यक्ति, समूह या राज्य के बड़े बड़े समूहों द्वारा मूर्खतापूर्ण, आपराधिक, राजनीतिक कारणों से नियोजित किया जाता है, हालांकि इसका प्रत्यक्ष लक्ष्य हिंसा नहीं होती है। कई बार यह बस डराने या धमकाने के लिए किया जाता है”। ~ श्मिड और जोंगमैन

आतंकवाद के प्रकार

द्वितीय प्रशासनिक सुधार की आठवीं रिपोर्ट के अनुसार आतंकवाद को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है: 

1. जातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद

इस प्रकार का आतंकवाद जातीय-राष्ट्रवादी और अलगाववादी लक्ष्यों से प्रेरित है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग के दौरान इसे वैश्विक प्रमुखता प्राप्त हुई जब तक कि धार्मिक आतंकवाद ने केंद्र स्तर प्राप्त नहीं किया।

इस तरह का आतंकवाद या तो एक अलग राज्य के निर्माण के लिए या एक जातीय समूह की स्थिति को दूसरों पर ऊंचा करने पर बहुत जोर देता है।

श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल ईलम और उत्तर पूर्व भारत में विद्रोही समूह इस प्रकार के आतंकवाद के कुछ उदाहरण हैं। 

2. धार्मिक आतंकवाद

वर्तमान में, अधिकांश आतंकवादी गतिविधियाँ धार्मिक विचारों से प्रेरित हैं। इस प्रकार के आतंकवाद के अभ्यासी हिंसा के कार्य को या तो दैवीय कर्तव्य या एक पवित्र कार्य मानते हैं। यह अक्सर हिंसा के चरम कृत्यों को गले लगाता है और उचित ठहराता है, जिससे यह प्रकृति में कहीं अधिक विनाशकारी हो जाता है।

इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) और अल-कायदा इस प्रकार के आतंकवाद के कुछ उदाहरण हैं। 

3. विचारधारा उन्मुख आतंकवाद

इस प्रकार का आतंकवाद हिंसा और आतंक के कृत्यों का समर्थन करने के लिए विचारधारा का उपयोग करता है।

इसे दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है;

  • वामपंथी आतंकवाद: इसमें वामपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने के लिए ज्यादातर किसान वर्ग द्वारा शासक अभिजात वर्ग के खिलाफ हिंसा शामिल है। ये विचारधाराएँ ज्यादातर मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, माओ त्से-तुंग, आदि जैसे विचारकों के विचारों पर आधारित हैं। वामपंथी विचारधाराओं का मानना ​​​​है कि पूंजीवादी समाज में सभी मौजूदा सामाजिक संबंध और राज्य संरचनाएं शोषक हैं और हिंसा के माध्यम से एक क्रांतिकारी परिवर्तन आवश्यक है। इस प्रकार के आतंकवाद के उदाहरणों में भारत और नेपाल में माओवादी समूह, इटली में रेड ब्रिगेड आदि शामिल हैं।
  • दक्षिणपंथी समूह: इसमें अक्सर यथास्थिति बनाए रखने या किसी पिछली स्थिति में लौटने का लक्ष्य रखते हैं जो उन्हें लगता है कि उन्हें संरक्षित करना चाहिए। कभी-कभी वे जातीय/जातिवादी/धार्मिक चरित्र का भी समर्थन करते हैं। वे सरकार को पड़ोसी देश में “उत्पीड़ित” अल्पसंख्यक के अधिकारों की रक्षा के लिए क्षेत्र का अधिग्रहण करने या हस्तक्षेप करने के लिए भी मजबूर कर सकते हैं। प्रवासियों के खिलाफ हिंसा भी इसी श्रेणी में आती है। इस प्रकार के उदाहरणों में नाज़ीवाद, फ़ासीवाद, अमेरिका में श्वेत वर्चस्व आंदोलन।   

4. राज्य द्वारा समर्थित आतंकवाद

इसको छद्म द्वारा युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, राज्य प्रायोजित आतंकवाद उतना ही पुराना है जितना कि सैन्य संघर्ष का इतिहास। पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद के कारण भारत आजादी के बाद से इसी तरह के आतंकवाद का सामना कर रहा है।

1960 और 1970 के बीच अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इसे प्रमुखता मिली है।

वर्तमान में, कुछ देशों ने आतंकवाद को विदेश नीति के एक जानबूझकर साधन के रूप में अपनाया है। एक अंतर जो इस प्रकार के आतंकवाद को दूसरों से अलग करता है वह यह है कि यह मीडिया का ध्यान खींचने या विशिष्ट दर्शकों को लक्षित करने के बजाय परिभाषित विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

5. नार्को-आतंकवाद

यह या तो “आतंकवाद के प्रकार” या “आतंकवाद के साधन” की श्रेणी में आ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे परिभाषित किया गया है।  हालांकि इस शब्द का इस्तेमाल शुरू में दक्षिण अमेरिका में मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित आतंकवाद का वर्णन करने के लिए किया गया था, अब यह दुनिया भर में आतंकवादी समूहों और गतिविधियों से जुड़ा हुआ है और मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी ऐसा ही है।

कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस इसे “नशीले पदार्थों के तस्करों द्वारा सरकार की नीतियों को व्यवस्थित धमकी या हिंसा के उपयोग से प्रभावित करने के प्रयास” के रूप में परिभाषित करती है।

हालाँकि, इसका उपयोग आतंकवाद के साधन के रूप में या किसी भी दर पर आतंकवाद के वित्तपोषण के साधन के रूप में वर्णित करने के लिए भी किया जा सकता है।

यह दो अवैध गतिविधियों – मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी को जोड़ती है।

यह मुख्य रूप से आर्थिक कारणों से प्रेरित है क्योंकि यह उन्हें अन्य आतंकवादी गतिविधियों को निधि देने में मदद करता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, मादक पदार्थों के तस्करों और आतंकवादी समूहों के बीच संबंध 38 में से 19 देशों में देखे गए। 

इन देशों में अल्जीरिया, कोलंबिया, कोमोरोस, इक्वाडोर, जर्मनी, ग्वेर्नसे, भारत, जापान, केन्या, किर्गिस्तान, लिथुआनिया, मॉरीशस, सऊदी अरब, तुर्की, यूके, यूएसए, उज्बेकिस्तान और यमन शामिल हैं।

इस गतिविधि में शामिल प्रमुख आतंकवादी समूहों में तुर्की में अल कायदा, पीकेके (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी), लेबनान में हिजबुल्लाह, भारत में इस्लामी आतंकवादी समूह आदि शामिल हैं। 

भारत में व्यापक रूप से फैले आतंकवाद के निम्न कारण हैं;

भारत एक धर्म भूमि है। देश में विभिन्न धर्मों के लोग बड़े पैमाने पर शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं, जबकि कई धार्मिक चरमपंथी संगठन हैं जो उनके बीच दरार पैदा करना चाहते हैं।  

ये समूह अपने धर्म की शिक्षाओं का झूठा दावा करते हैं और यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनका धर्म दूसरों के धर्म से श्रेष्ठ है। अतीत में इन समूहों द्वारा कई हिंसक आंदोलनों ने देश की शांति और सद्भाव को भंग कर दिया है और इस प्रकोप के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

2. जातीय-राष्ट्रवादी

इस प्रकार का आतंकवाद हमेशा चरमपंथी समूहों द्वारा भड़काया जाता है।  जब किसी राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खुद को अलग करने और अपना राज्य / देश बनाने की इच्छा व्यक्त करता है, तो यह आतंकवाद को बढ़ावा देता है। 

कश्मीर जैसा खूबसूरत भारतीय राज्य भी इस तरह के आतंकवाद से पीड़ित है क्योंकि कुछ कश्मीरी इस्लामिक समूह कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते हैं। इसी तरह, नागालैंड, त्रिपुरा, असम और तमिलनाडु भी इस प्रकार के आतंकवाद से पीड़ित हैं। 

सरकार और देश की राजनीतिक व्यवस्था से असंतुष्ट लोग एक आतंकवादी समूह का गठन करते हैं। भारत में वामपंथी चरमपंथियों को नक्सलवाद के नाम से जाना जाता है। 

अतीत में नक्सली देश की राजनीतिक व्यवस्था से निराश होकर कई आतंकी हमले कर चुके हैं। 

उन्होंने सशस्त्र विद्रोह से सरकार को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य रखा है, ताकि वे अपनी शक्ति का निर्माण कर सकें। 

4. सामाजिक-आर्थिक असमानता

भारत अपनी सामाजिक-आर्थिक असमानता के लिए जाना जाता है।  जहां अमीर और अमीर, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। इससे गरीब वर्ग में असमानता की भावना पैदा होती है।  जिसके कारण वे उच्च वर्ग के लोगों को तबाह करने के लिए आतंकवादी संगठनों में शामिल हो जाते हैं। वे ज्यादातर सत्ता के लोगों और उच्च वर्ग के क्षेत्रों को निशाना बनाकर आतंकवादी हमले करते हैं। 

आतंकवाद का देश पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। चलिए देखते हैं कि भारत में आतंकवाद का क्या प्रभाव पड़ा है। 

लोगों में दहशत

भारत में आतंकवाद ने आम जनता के बीच आतंक पैदा कर दिया है।  देश में हर समय कोई विस्फोट, फायरिंग या अन्य प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां होती रहती हैं।  इससे कई लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है और कई लोगों को अपना शेष जीवन विकलांगों के रूप में बिताना पड़ता है। 

इन हमलों के कारण आम जनता में तनाव और चिंता और भय का माहौल है और लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगते हैं। 

प्रभावित देश का पर्यटन विकास में बाधा आती है

लोग आतंकवादी हमलों की आशंका वाली जगहों पर जाने से डरते हैं।  बाहरी और आंतरिक आतंकवादी संगठनों की आतंकवादी गतिविधियों से भारत का पर्यटन उद्योग और शांति व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।  आतंकी गतिविधियों के कारण पर्यटन उद्योग कई महीनों से ठप है। 

विदेशी निवेश

विदेशी निवेशक भारत और अन्य आतंकवाद-प्रवण देशों में निवेश करने से पहले कई बार सोचते हैं, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोखिम अधिक होता है और वे सुरक्षित विकल्पों की तलाश में रहते हैं। 

जिससे भारतीय कारोबारियों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

अर्थव्यवस्था पर संकट

भारत की अर्थव्यवस्था पर आतंकवाद का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  कई भारतीय प्रमुख शहर आतंकवादी हमलों से प्रभावित हुए हैं, जिससे संपत्ति और व्यवसायों को नुकसान हुआ है, जबकि ऐसे मामलों में पुनरुत्थान की लागत बहुत अधिक है। 

देश की संपत्ति, जिसका उपयोग उत्पादक कार्यों में किया जा सकता है, को आतंकवादी हमलों से होने वाले नुकसान की भरपाई में निवेश किया जाता है। 

इसके अलावा, पर्यटन उद्योग में गिरावट, भारत में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों की कमी और भारत में आतंकवाद के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दरों में वृद्धि का देश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 

मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव

भारत में कई प्रतिभाशाली युवा देश की निम्न गुणवत्ता और आतंकवादी हमलों की अनिश्चितताओं के कारण देश में नहीं रहना चाहते हैं। 

वे संयुक्त राष्ट्र, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों में प्रवास करते हैं, जो आतंकवादी हमलों से कम प्रभावित होते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। 

इस कारण आतंकवादी गतिविधियों के कारण भारत के नवयुवाओ के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव में वृद्धि हुई है। 

आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक मंच ने निम्नलिखित कदम उठाएं हैं। 

संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति

यह चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है:

  • उन परिस्थितियों से निपटना जो आतंकवाद के प्रसार की ओर ले जाती हैं।
  • आतंकवाद को रोकने और उससे निपटने के लिए राज्यों की क्षमताओं में वृद्धि करना।
  • सभी के लिए मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना।
  • आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कानून के शासन की गारंटी।

ग्लोबल काउंटर टेररिज्म फोरम (जीसीटीएफ)

यह 29 देशों और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक, एक-राजनीतिक, बहुपक्षीय आतंकवाद (सीटी) मंच है, यह 2011 में शुरू किया गया था। 

वर्तमान में, इसकी सह-अध्यक्षता मोरक्को और नीदरलैंड द्वारा की जाती है। 

भारत जीसीटीएफ का संस्थापक सदस्य है। 

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी)

यह भारत द्वारा 1996 में प्रस्तावित किया गया था लेकिन अभी भी विश्व के देशों में विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और इस्लामी देशों के संगठन के बीच कोई आम सहमति नहीं है।

काउंटर-टेररिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स (CTITF)

काउंटर-टेररिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स का जनादेश आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों के समन्वय और सुसंगतता को बढ़ाना है।

आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के तहत UN काउंटर-टेररिज्म सेंटर (UNCCT), आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को लागू करने में सदस्य राज्यों का समर्थन करता है।

ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (टीपीबी) अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह अनुरोध पर सदस्य राज्यों की सहायता के लिए, अनुसमर्थन, विधायी समावेश और आतंकवाद के खिलाफ सार्वभौमिक कानूनी ढांचे के कार्यान्वयन के साथ काम करता है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जो एक वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण प्रहरी है, अंतरराष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है जिसका उद्देश्य इन अवैध गतिविधियों और समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है। 

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निम्नलिखित कदम उठाए हैं। 

  • भारत ने कई देशों के साथ मिलकर आतंकवाद/सुरक्षा मामलों पर संयुक्त कार्य समूहों (जेडब्ल्यूजी) की स्थापना के लिए कई कदम उठाए हैं। 
  • अन्य देशों के साथ आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता (एमएलएटी) पर द्विपक्षीय संधियों पर हस्ताक्षर किए गए हैं ताकि जांच, सबूतों का संग्रह, गवाहों का स्थानांतरण, स्थान और अपराध की आय के खिलाफ कार्रवाई आदि की सुविधा मिल सके। 
  • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली: यह अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद आदि जैसे सीमा पार अपराधों का पता लगाने और नियंत्रित करने में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की क्षमता में काफी सुधार करती है।  
  • आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति : भारत जीरो टॉलरेंस के खिलाफ आतंकवाद का आह्वान करता है और इसे रोकने के लिए एक साझा रणनीति विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी): 1984 में इसकी स्थापना हुई। बता दे कि इसकी स्थापना “ राज्यों की आंतरिक सुरक्षा के लिए आतंकवादी गतिविधियों से निपटने” के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड उन राज्यों में सक्रिय होते हैं जहां पर आतंकवादी गतिविधियों से निपटने हेतु वहां की पुलिस और सुरक्षा बल पर्याप्त नहीं होती है। 

भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु निम्न प्रावधान हैं। 

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2019

यह कानून 2019 में संसद में पारित किया गया था। 

संशोधित अधिनियम केंद्र को व्यक्तियों/संगठनों को आतंकवादी घोषित करने की शक्ति देता है यदि वह आतंकवाद करता/भागता है, तैयारी करता है, बढ़ावा देता है या इसमें शामिल है। 

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958

यह अधिनियम “कानून और व्यवस्था को बाधित करने के लिए कार्य करने वाले” व्यक्ति के खिलाफ आवश्यक किसी भी प्रकार के बल के उपयोग की अनुमति देता है। यह तभी लागू होता है जब सुरक्षा कर्मियों द्वारा चेतावनी दी जाती है।

आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम

आम तौर पर टाडा के रूप में जाना जाता है, आतंकवाद विरोधी कानून 1985 और 1995 के बीच पंजाब विद्रोह के रूप में प्रभावी था और पूरे भारत में लागू था। 

यह 23 मई 1985 को प्रभावी हुआ। 

1989, 1991 और 1993 में, उत्पीड़न के व्यापक आरोपों के बाद बढ़ती अलोकप्रियता के कारण 1995 में समाप्त होने की अनुमति देने से पहले इसे नवीनीकृत किया गया था। 

आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा)

आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा) आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुधार के लिए 2002 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम था। 

अधिनियम भारत में कई आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप विशेष रूप से संसद पर हमले के जवाब में अधिनियमित किया गया था। 2001 के आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (POTA) और आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम को अधिनियम द्वारा हटा दिया गया है। 

इस अधिनियम को सरकार द्वारा 2004 में निरस्त कर दिया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और अवैध गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 वर्तमान में भारत में आतंकवाद को विनियमित करने के लिए प्रभावी कानून हैं। 

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम एक सख्त कानून है जो महीनों तक निवारक निरोध प्रदान करता है यदि अधिकारियों को यह विश्वास हो जाता है कि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा है। 

आतंकवाद केवल एक हिंसक गतिविधि नहीं है बल्कि यह देश और समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और रक्षा ताने-बाने पर हमला करता है और देश के सतत विकास में बाधा डालता है। 

आतंकवाद किसी भी रूप में समाज और राष्ट्र के लिए घातक है, लेकिन गलत धार्मिक अवधारणाओं पर आधारित आतंकवाद पर विश्व सर्वसम्मति का अभाव आतंक के खिलाफ मार्ग में सबसे बड़ा अवरोधक है इसलिए, सभी देशों को सामाजिक आर्थिक अन्याय, शरणार्थी संकट, विश्व स्तर पर मानवाधिकारों के हनन जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहिए और इसे समाप्त करने के लिए सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ एकमत से खड़ा होना चाहिए। 

भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) को स्वीकार करना और उसकी पुष्टि करना अच्छा पहला कदम होगा।

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आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)

आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W) लिखा हैं जिसमें  हमने प्रस्तावना, आतंकवाद क्या है, आतंकवाद का उद्देश्य, विश्व में प्रमुख आतंकवादी हमले, भारत मे आतंकवाद विकसित होने के कारण, आतंकवाद का समाधान, आतंकवाद पर 10 लाइन के बारे में लिखा हैै।

Table of Contents

प्रस्तावना (आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi)

आज यदि हम भारत के विभिन्न समस्याओं पर विचार करें, तो हमें लगता है कि हमारा देश अनेक प्रकार के समस्याओं के चक्रव्यू में गिरा हुआ है। एक और भुखमरी, दूसरी और बेरोजगारी, कहीं अकाल तो, कहीं बाढ़ का प्रकोप है।

आतंकवाद ही एक एसी समस्या है जो देश रूपी वटवृक्ष को दिमाग के समान  चट-चट कर खोखला कर रही है। कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।

आतंकवाद का क्या है What about Terrorism in Hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका भारत में हम कई दशकों से सामना कर रहे हैं। आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार है जो सम्मान या उसके बड़े भाग में राजनीतिक उद्देश्य से पैदा करने के इरादे से किया जा रहा है।

“अहिंसा परमो  धर्मा” तथा “वसुधैव कुटुंबकम” जैसे महा मानवता के सिद्धांत वाला हमारा देश भारत के पिछले अनेक वर्षों से संप्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद की विकराल समस्या बनी हुई है।

आतंकवाद का उद्देश्य Purpose of Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद का कोई नियम कानून नहीं होता वह केवल अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के ऊपर दबाव बनाने के साथ ही आतंक को हर जगह फैलाने के लिए निर्दोष लोगों के समूह या समाज पर हमला करते हैं।
  • यह सच है कि बेकारी तथा बेरोजगारी के कारण परेशान युवाओं को धन का लालच देकर तथा धर्म के नाम पर उकसाने तथा आतंकवाद बनाने का काम धार्मिक कट्टरपंथी संस्थाएं करती रहती है।
  • आतंकवादियों द्वारा सीरियल ब्लास्ट कथा साइकल बम ब्लास्ट जैसी घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है, इसीलिए आज आतंकवादियों के खिलाफ कठोरता से पेश आने की आवश्यकता है।

विश्व में प्रमुख आतंकवादी हमले Major Terrorism attacks in the world in Hindi

  • 1947 में भारत के आजादी के बाद से ही, भारत को विभिन्न देशों में विद्रोह और आतंकवादी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
  • 12 मार्च 1993 को भारत के आर्थिक राजधानी को बम विस्फोट की एक श्रृंखला से हिला दिया गया था।
  • 1998 में कोयंबटूर बमबारी।
  • 13 दिसंबर 2001 को देश की सबसे सुरक्षित इमारत संसद पर हमला।
  • 24 सितंबर 2002 को गांधीनगर, गुजरात में अक्षरधाम मंदिर परिसर आत्मघाती हमला।
  • 2005 में दिल्ली सीरियल बम विस्फोट।
  • 2006 में बॉम्बे ट्रेन विस्फोट।
  • 2007 में समझौता एक्सप्रेस बमबारी।
  • 26/11 2008 मुंबई में हुई सबसे बड़ी आतंकी हमला का भारत ने सामना किया।

भारत में आतंकवाद विकसित होने के कारण Due to the development of Terrorism in India in Hindi

जिनमें से प्रमुख गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, तथा धार्मिक उन्माद है। इनमें से धार्मिक कट्टरता आतंकवादी गतिविधियों को अधिक प्रोत्साहित कर रही है। लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे का गला काटने को तैयार हो जाते हैं।

धार्मिक उन्माद अपने विरोधी धर्मावलंबी को सहन नहीं कर पाता। परिणाम स्वरूप हिंदू मुस्लिम हिंदू सीख आदि धर्म के नाम पर अनेक दंगे भड़क उठते हैं।

आतंकवाद का समाधान Solution to Terrorism in Hindi

यह मुश्किल हो सकता है एक निश्चित व्यक्ति जिसने अपना मन बना लिया हो उसे रोकना जो आतंक का कार्य करना चाहता है लेकिन हमेशा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित कर सख्त कानून की जरूरत है सरकार को आतंकवादी विधि के प्रवाह को रोकने और कड़ाई से निगरानी करने के लिए कानून बनाना चाहिए और प्रभावी ढंग से और कार्य करना चाहिए।

आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए सरकार तथा जनता को मिलकर कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से सबसे पहले कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा।

जहां जहां पर अंतरराष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है उन समस्त क्षेत्रों की नाकाबंदी की जानी चाहिए जिसकी वजह से आतंकवादी सीमा पार से हथियार, गोली, बारूद और प्रशिक्षण प्राप्त करने में असफल हो जाए।

आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है उसे पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

आतंकवाद पर 10 लाइन 10 line on Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका भारत में जिसका भारत में हम गए दस्को से सामना कर रहे हैं।
  • आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार है जो सम्मान या उसके बड़े भाग में राजनीतिक उद्देश्य से पैदा करने के इरादे से किया जा रहा है।
  • महा मानवता के सिद्धांत वाला हमारा देश भारत के पिछले अनेक वर्षों से संप्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद की विकराल समस्या बनी हुई है।
  • आतंकवाद हि एक एसी समस्या है जो देश रूपी वटवृक्ष को दिमाग के समान चट- चट कर खोखला कर रही है। कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
  • कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
  • विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

निष्कर्ष Conclusion

 आतंकवाद जैसी मानसिकता का समाधान खोजने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा, और इसीलिए हर साल 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस मनाया जाता है।

इस समस्या से लड़ने के लिए एक अकेला देश कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि आतंकवाद विश्वव्यापी समस्या है जिसे जड़ से खत्म करना विश्व शांति के लिए आवश्यक है।

यदि आपको हमारा यह आतंकवाद पर निबंध अच्छा लगा हो तो हमारे साथ और भी इसी तरह की जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए।

 धन्यवाद

1 thought on “आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)”

सर जी आपका द्वारा लिखा गया ये निबंध बहुत ही अच्छे शब्दो मे है और आपने इसको बहुत सहजता से बहुत ही सरल भाषा में लिखा है मेरा एसएसबी हेड कांस्टेबल का एग्जाम है उसमे निबंध की महत्वपूर्ण भूमिका है आपका आशीर्वाद रहा तो जरूर सफलता मिलेगी सहृदय धन्यवाद्

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Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on terrorism in hindi), आतंकवाद : एक विश्वव्यापी समस्या (अथवा) मानव सभ्यता का संकट : आतंकवाद – (terrorism: a worldwide problem or crisis of human civilization: terrorism).

  • प्रस्तावना,
  • आतंकवाद क्या है?
  • आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या,
  • भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास,
  • आतंकवादी समस्या का समाधान,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना नहीं सुरक्षित मन्दिर, मस्जिद, गिरजे या गुरुद्वारे। निर्दोषों के खून बहाते घूम रहे हत्यारे। पता नहीं कब कहाँ मौत का अग्नि पुंज फट जाए? चिथड़े-चिथड़े लाशों से निर्दोष धरा पट जाए।

आतंकवाद ने आज मानव-जीवन को कितना दयनीय और असुरक्षित बना दिया है! विश्व का कोई कोना आज मौत के इन सौदागरों से सुरक्षित नहीं है।

Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद क्या है? What is the Terrorism

उपनिवेशवादी शासकों के विरुद्ध वहाँ की जनता ने कभी हथियार उठाये थे वह एक क्रान्तिकारी अभियान था। उसके पीछे स्वतन्त्रता और न्याय का आधार था। किन्तु आज तो कुकुरमुत्तों की भाँति ढेरों संगठित गिरोह संसार में फैले हुए हैं, जिनके उद्देश्य बड़े सीमित और स्वार्थपूर्ण हैं।

धन ऐंठना, निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों तक की हत्या करना तथा मादक पदार्थों एवं शस्त्रों के अवैध व्यापार आदि आज के इन तथाकथित मुक्तिमोर्चों के कुकृत्य हैं।

Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या- आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका है। आज ऐसे अनेक छद्म संगठन और गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है किन्तु जब अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर भस्मसात् हुआ और इंग्लैण्ड की ट्रेनों में धमाके हुए, इण्डोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई तो सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी।

आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं। मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफिया संगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं। कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं। ‘आई.एस.’ तो एक सुसंगठित खूख्वार और घृणित आतंकी संगठन है।

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास- भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमान्त से प्रारम्भ हुईं। नागालैण्ड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय तक प्रभावी रहा। इसके पश्चात् पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने आतंकवाद की क्रूरता को झेला।

गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर, संसद भवन, मुम्बई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर, समझौता एक्सप्रेस, आतंकवाद का निशाना बन चुके हैं। इसके अतिरिक्त छोटी-मोटी आतंकी घटनाएँ तो आए दिन होती रहती हैं।

26/11 के मुम्बई में हुए आतंकवादी प्रहार ने विश्व को झकझोरा था। कुछ ही समय पूर्व नापाक पड़ोसी द्वारा ‘उड़ी’ ऐयर-बेस में खून का खेल खेला जा चुका है।

आतंकवादी समस्या का समाधान- आतंकवाद का कुफल अब विश्व के विकसित देश भी भोग रहे हैं। अतः इस विकट समस्या के समाधान के प्रति हर सभ्य देश चिन्तित है। आतंकवाद से छुटकारा तभी हो सकता है जब विश्व के सभी देश इसकी समाप्ति में सक्रिय सहयोग दें। इसका प्रमाण ‘आई.एस’ के विनाश में जुटे विश्व के सभी प्रमुख देशों की भूमिका से मिल रहा है।

‘आई.एस.’ का सर्वनाश अब अधिक दूर नहीं लगता । अतः जनता की जागरूकता, सुरक्षा बलों को समर्थन और दलीय राजनीति से ऊपर उठकर प्रबल इच्छा-शक्ति से ही आतंकवाद का सामना किया जा सकता है।

आतंकवाद को उसी की भाषा में जबाव देकर ही उसे समाप्त किया जा सकता है। भारत द्वारा ‘सर्जीकल अटैक’ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

उपसंहार- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, धर्मान्धता और माफिया गिरोहों से ही आतंकवाद दाना-पानी और संरक्षण पा रहा है, किन्तु अब आतंकवाद का निर्यात करने वालों के घर भी जलने लगे हैं। अतः रोग लाइलाज हो जाय उससे पहले ही उसको समाप्त कर देना बुद्धिमानी है। इसके लिए सभी देशों का सहयोग आवश्यक है।

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आतंकवाद पर निबंध | Essay on Terrorism in Hindi

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Table of Contents

Hindi Essay and Paragraph Writing – Terrorism  (आतंकवाद) for classes 1 to 12

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आतंकवाद पर निबंध – इस लेख में हम आतंकवाद क्या है, आतंकवाद का मतलब क्या होता है, आतंकवाद के प्रभाव क्या हैं? के बारे में जानेंगे। आतंकवाद एक वैश्विक घटना है जिसके कारण दुनिया भर के देश प्रभावित होते हैं। आतंकवाद की जटिलता के कारण इसमें धार्मिक अतिवाद, राजनीतिक उत्पीड़न और आर्थिक असमानता शामिल हो सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में आतंकवाद पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में आतंकवाद पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

आतंकवाद पर 10 लाइन 10 lines on Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका या भयावह रूप है।
  • लोगों का समूह या संगठन जो आतंकवाद का समर्थन करते है उन्हें आतंकवादी कहा जाता है।
  • अपने उद्देश्य के पूर्ति हेतु आतंकवादी हिंसा का सहारा लेते हैं।
  • आतंकवादी बमबारी, गोलीबारी और अपहरण जैसे विभिन्न माध्यमों से हिंसा का प्रदर्शन करते हैं।
  • आतंकवादी कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी विरुद्ध हमले कर देते हैं।
  • आतंकवादी अपना डर फैलाने के लिए हमेशा निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते है।
  • आतंकवादी अपने विचार और लक्ष्य के बारे में लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लेते है।
  • आतंकवादी हमले का असर देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ता है।
  • आतंकवाद के कुछ उदाहरणों में अमेरिका का 9/11 और भारत का 26/11 हमला है।
  • आतंकवाद एक देश की समस्या नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।

Short Essay on Terrorism in Hindi आतंकवाद पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

आतंकवाद पर निबंध – आतंकवाद अपनी जटिल और बहुआयामी प्रकृति के कारण वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है। आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य एक देश की सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए बमबारी, अपहरण और गोलीबारी जैसे विभिन्न माध्यमों से निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा कर सबके मन में डर और भय पैदा करना है। 

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

आतंकवाद हिंसा का एक गैर-कानूनी तरीका है जिसमें व्यक्ति या समूह भय पैदा करने के लिए निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके हिंसा से देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि आतंकवादी राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं, लेकिन उनके कार्य हमेशा बहुत बुरे होते हैं। आतंकवादी बमबारी, अपहरण और गोलीबारी सहित विभिन्न माध्यमों से हिंसा का करते हैं, जिससे अक्सर निर्दोष लोगों की जान चली जाती है। इसलिए आतंकवाद से लड़ने और दुनिया में शांति, प्यार और अपनापन को बढ़ावा देने के लिए सरकार और व्यक्तियों को साथ मिलकर काम करना चाहिए।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

आतंकवाद हिंसा का एक गंभीर और भयावह रूप है जिसका उद्देश्य लोगों में डर और भय पैदा करना है। ये कृत्य आम तौर पर नागरिक आबादी को टारगेट करते हैं, जिनका उद्देश्य निर्दोष लोगों की जान लेना और समाज को अस्थिर करना है। आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तरीके बहुत भिन्न हो सकते हैं, जिनमें बमबारी, अपहरण और गोलीबारी से लेकर साइबर हमले तक शामिल हैं। वे अक्सर हवाई अड्डों, शॉपिंग मॉल या यहां तक ​​कि स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों को निशाना बनाते हैं, जहां वे हताहतों की संख्या और प्रभाव को अधिकतम दर पर फैला सके। उनका हिंसा इतना क्रूर होता है कि बच्चे, बूढ़े को भी मारने से बिल्कुल नहीं हिचकिचाते है। हिंसा के इस रूप का देश पर बहुत प्रभाव पड़ता है। लोग डर से घर से भी निकल नहीं पाते है, भय में जीते है। अत: आतंकवाद से निपटने के लिए सभी राष्ट्रों को आपस में मिलकर इसपर काम करना चाहिए।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा है जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। यह राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक उद्देश्यों के लिए भय पैदा करने और नागरिकों को डराने के इरादे से व्यक्तियों या संगठनों द्वारा किए गए हिंसक कृत्यों को संदर्भित करता है। इन कृत्यों में आम तौर पर जनता के बीच आतंक पैदा करने और व्यापक दहशत पैदा करने के उद्देश्य से बमबारी, गोलीबारी या अपहरण जैसी हिंसा का उपयोग शामिल होता है। आतंकवाद के पीछे के उद्देश्य अलग-अलग हो सकते हैं, जिनमें स्वतंत्रता या राजनीतिक परिवर्तन की मांग से लेकर धार्मिक अतिवाद तक शामिल हैं। हालाँकि, आतंकवाद किसी एक धर्म या देश से संबंधित नहीं है। यह एक जटिल समस्या है जो दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करती है। आतंकवाद के परिणाम विनाशकारी हैं, क्योंकि यह निर्दोष लोगों की जान लेता है, संपत्ति का विनाश करता है और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित करता है। इसके अतिरिक्त, आतंकवाद भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर सकता है, जिससे आर्थिक स्थिरता में कमी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्ते हो सकते हैं। अत: दुनिया भर में सरकारें और खुफिया एजेंसियां ​​संभावित खतरों की पहचान करने के लिए जानकारी इकट्ठा करके और उसका विश्लेषण करके ऐसे हमलों को रोकने के लिए अथक प्रयास करती हैं।   Top  

आतंकवाद पर निबंध/ अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है जो दुनिया भर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। यह एक जटिल और बहुआयामी घटना है जो राष्ट्रीय सीमाओं, धार्मिक मान्यताओं और राजनीतिक विचारधाराओं से परे है। हालांकि एक व्यापक परिभाषा प्रदान करना चुनौतीपूर्ण है, आतंकवाद को मोटे तौर पर हिंसा के जानबूझकर उपयोग के रूप में समझा जा सकता है, जो अक्सर भय पैदा करने, राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने या व्यापक व्यवधान पैदा करने के उद्देश्य से नागरिकों को टारगेट करता है। आतंकवाद का सबसे दुखद पहलू इसकी अंधाधुंध प्रकृति है। इसके हमले कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी विरुद्ध हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका के 9/11 और भारत के 26/11 हमलों में आतंकवाद के विनाशकारी परिणाम देखे गए हैं।आतंकवाद के पीछे की प्रेरणाएँ विविध और जटिल हैं, और वे अक्सर एक समूह या व्यक्ति से दूसरे समूह में भिन्न होती हैं। कुछ आतंकवादियों का लक्ष्य सरकार को अस्थिर करने या मौजूदा शासन को उखाड़ फेंकने के लिए हिंसा और धमकी का उपयोग करके राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना है। अन्य लोग अपने कार्यों को उचित ठहराने के लिए धार्मिक विचारधाराओं का उपयोग करते हैं, धार्मिक सिद्धांत की अपनी व्याख्या थोपने या इस्लामी खिलाफत स्थापित करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारक भी आतंकवाद को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं, क्योंकि हाशिए पर रहने वाले और अशक्त व्यक्ति न्याय पाने या अपनी शिकायतों का समाधान करने के लिए उग्रवाद का सहारा लेते हैं। अंतः, आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके लिए वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करके, खुफिया जानकारी साझा करने में वृद्धि करके और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के माध्यम से आतंकवाद के कृत्यों को रोका जा सकता है, क्योंकि इस विश्वव्यापी खतरे के खिलाफ एकजुट होना और उन सिद्धांतों की रक्षा के लिए सतर्क रहना जरूरी है जिन्हें आतंकवादी कमजोर करना चाहते हैं।   Top  

Hindi Essay Writing Topic – आतंकवाद (Terrorism)

आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। आतंकवाद एक कैंसर की तरह है जिस देश में पैदा होता है, उसी देश के लिए खतरनाक होता है। यही कारण है कि आज पाकिस्तान में आधे से ज्यादा हमले आतंकी हमले होते हैं। 

आतंकवाद कोई आज की नई समस्या नहीं है, यह तो बहुत समय से इस दुनिया में उपस्थित रही है। 

इस लेख में हम आतंकवाद की समस्या, प्रभाव, कारण, प्रकार, आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम, आतंकवाद पर भारत का रुख और भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु प्रावधान की जानकारी प्राप्त करेंगे। 

भारत क्षेत्रफल में दुनिया का सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है

भारत में 2,000 से अधिक जातीय समूह रहते है, 22 मान्यता प्राप्त बोलियां हैं और नौ मान्यता प्राप्त धर्मों का पालन करती है।

इस प्रकार, यह विभाजनों के साथ व्यापक है और संघर्ष स्वाभाविक रूप से अनुसरण करता है। 

यह आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष दस में से एक है। सिडनी स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत आतंकवाद से सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश है।

यह न केवल धार्मिक उग्रवाद का सामना कर रहा है, बल्कि यह गरीबी, शहरी-ग्रामीण विभाजन, आदिवासी झगड़ों और जातीय राष्ट्रवाद से भी घिरा हुआ है, ये सभी राष्ट्र के भीतर आतंकवाद की समस्या को जन्म देते हैं। 

भारत बहुत समय से आतंकवाद के खात्मे की योजना कर रहा है, इसी कड़ी में भारत पहली बार अक्टूबर में दिल्ली और मुंबई में आतंकवाद पर एक विशेष बैठक के लिए चीन, रूस और अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सभी 15 देशों के राजनयिकों और अधिकारियों की मेजबानी करेगा।  

आतंकवाद की परिभाषा और प्रकार

आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है। 

भारत वर्तमान में कई पश्चिमी देशों की तरह, 1988 में श्मिड और जोंगमैन द्वारा प्रस्तावित आतंकवाद की परिभाषा का उपयोग करता है।

 “ आतंकवाद बार-बार हिंसक कार्रवाई की एक चिंताजनक-प्रेरक विधि है, जिसे (अर्ध-) गुप्त व्यक्ति, समूह या राज्य के बड़े बड़े समूहों द्वारा मूर्खतापूर्ण, आपराधिक, राजनीतिक कारणों से नियोजित किया जाता है, हालांकि इसका प्रत्यक्ष लक्ष्य हिंसा नहीं होती है। कई बार यह बस डराने या धमकाने के लिए किया जाता है”। ~ श्मिड और जोंगमैन

आतंकवाद के प्रकार

द्वितीय प्रशासनिक सुधार की आठवीं रिपोर्ट के अनुसार आतंकवाद को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है: 

1. जातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद

इस प्रकार का आतंकवाद जातीय-राष्ट्रवादी और अलगाववादी लक्ष्यों से प्रेरित है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग के दौरान इसे वैश्विक प्रमुखता प्राप्त हुई जब तक कि धार्मिक आतंकवाद ने केंद्र स्तर प्राप्त नहीं किया।

इस तरह का आतंकवाद या तो एक अलग राज्य के निर्माण के लिए या एक जातीय समूह की स्थिति को दूसरों पर ऊंचा करने पर बहुत जोर देता है।

श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल ईलम और उत्तर पूर्व भारत में विद्रोही समूह इस प्रकार के आतंकवाद के कुछ उदाहरण हैं। 

2. धार्मिक आतंकवाद

वर्तमान में, अधिकांश आतंकवादी गतिविधियाँ धार्मिक विचारों से प्रेरित हैं। इस प्रकार के आतंकवाद के अभ्यासी हिंसा के कार्य को या तो दैवीय कर्तव्य या एक पवित्र कार्य मानते हैं। यह अक्सर हिंसा के चरम कृत्यों को गले लगाता है और उचित ठहराता है, जिससे यह प्रकृति में कहीं अधिक विनाशकारी हो जाता है।

इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) और अल-कायदा इस प्रकार के आतंकवाद के कुछ उदाहरण हैं। 

3. विचारधारा उन्मुख आतंकवाद

इस प्रकार का आतंकवाद हिंसा और आतंक के कृत्यों का समर्थन करने के लिए विचारधारा का उपयोग करता है।

इसे दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है;

  • वामपंथी आतंकवाद: इसमें वामपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने के लिए ज्यादातर किसान वर्ग द्वारा शासक अभिजात वर्ग के खिलाफ हिंसा शामिल है। ये विचारधाराएँ ज्यादातर मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, माओ त्से-तुंग, आदि जैसे विचारकों के विचारों पर आधारित हैं। वामपंथी विचारधाराओं का मानना ​​​​है कि पूंजीवादी समाज में सभी मौजूदा सामाजिक संबंध और राज्य संरचनाएं शोषक हैं और हिंसा के माध्यम से एक क्रांतिकारी परिवर्तन आवश्यक है। इस प्रकार के आतंकवाद के उदाहरणों में भारत और नेपाल में माओवादी समूह, इटली में रेड ब्रिगेड आदि शामिल हैं।
  • दक्षिणपंथी समूह: इसमें अक्सर यथास्थिति बनाए रखने या किसी पिछली स्थिति में लौटने का लक्ष्य रखते हैं जो उन्हें लगता है कि उन्हें संरक्षित करना चाहिए। कभी-कभी वे जातीय/जातिवादी/धार्मिक चरित्र का भी समर्थन करते हैं। वे सरकार को पड़ोसी देश में “उत्पीड़ित” अल्पसंख्यक के अधिकारों की रक्षा के लिए क्षेत्र का अधिग्रहण करने या हस्तक्षेप करने के लिए भी मजबूर कर सकते हैं। प्रवासियों के खिलाफ हिंसा भी इसी श्रेणी में आती है। इस प्रकार के उदाहरणों में नाज़ीवाद, फ़ासीवाद, अमेरिका में श्वेत वर्चस्व आंदोलन।   

4. राज्य द्वारा समर्थित आतंकवाद

इसको छद्म द्वारा युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, राज्य प्रायोजित आतंकवाद उतना ही पुराना है जितना कि सैन्य संघर्ष का इतिहास। पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद के कारण भारत आजादी के बाद से इसी तरह के आतंकवाद का सामना कर रहा है।

1960 और 1970 के बीच अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इसे प्रमुखता मिली है।

वर्तमान में, कुछ देशों ने आतंकवाद को विदेश नीति के एक जानबूझकर साधन के रूप में अपनाया है। एक अंतर जो इस प्रकार के आतंकवाद को दूसरों से अलग करता है वह यह है कि यह मीडिया का ध्यान खींचने या विशिष्ट दर्शकों को लक्षित करने के बजाय परिभाषित विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

5. नार्को-आतंकवाद

यह या तो “आतंकवाद के प्रकार” या “आतंकवाद के साधन” की श्रेणी में आ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे परिभाषित किया गया है।  हालांकि इस शब्द का इस्तेमाल शुरू में दक्षिण अमेरिका में मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित आतंकवाद का वर्णन करने के लिए किया गया था, अब यह दुनिया भर में आतंकवादी समूहों और गतिविधियों से जुड़ा हुआ है और मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी ऐसा ही है।

कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस इसे “नशीले पदार्थों के तस्करों द्वारा सरकार की नीतियों को व्यवस्थित धमकी या हिंसा के उपयोग से प्रभावित करने के प्रयास” के रूप में परिभाषित करती है।

हालाँकि, इसका उपयोग आतंकवाद के साधन के रूप में या किसी भी दर पर आतंकवाद के वित्तपोषण के साधन के रूप में वर्णित करने के लिए भी किया जा सकता है।

यह दो अवैध गतिविधियों – मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी को जोड़ती है।

यह मुख्य रूप से आर्थिक कारणों से प्रेरित है क्योंकि यह उन्हें अन्य आतंकवादी गतिविधियों को निधि देने में मदद करता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, मादक पदार्थों के तस्करों और आतंकवादी समूहों के बीच संबंध 38 में से 19 देशों में देखे गए। 

इन देशों में अल्जीरिया, कोलंबिया, कोमोरोस, इक्वाडोर, जर्मनी, ग्वेर्नसे, भारत, जापान, केन्या, किर्गिस्तान, लिथुआनिया, मॉरीशस, सऊदी अरब, तुर्की, यूके, यूएसए, उज्बेकिस्तान और यमन शामिल हैं।

इस गतिविधि में शामिल प्रमुख आतंकवादी समूहों में तुर्की में अल कायदा, पीकेके (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी), लेबनान में हिजबुल्लाह, भारत में इस्लामी आतंकवादी समूह आदि शामिल हैं। 

भारत में आतंकवाद के कारण

भारत में व्यापक रूप से फैले आतंकवाद के निम्न कारण हैं;

भारत एक धर्म भूमि है। देश में विभिन्न धर्मों के लोग बड़े पैमाने पर शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं, जबकि कई धार्मिक चरमपंथी संगठन हैं जो उनके बीच दरार पैदा करना चाहते हैं।  

ये समूह अपने धर्म की शिक्षाओं का झूठा दावा करते हैं और यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनका धर्म दूसरों के धर्म से श्रेष्ठ है। अतीत में इन समूहों द्वारा कई हिंसक आंदोलनों ने देश की शांति और सद्भाव को भंग कर दिया है और इस प्रकोप के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 

2. जातीय-राष्ट्रवादी

इस प्रकार का आतंकवाद हमेशा चरमपंथी समूहों द्वारा भड़काया जाता है।  जब किसी राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खुद को अलग करने और अपना राज्य / देश बनाने की इच्छा व्यक्त करता है, तो यह आतंकवाद को बढ़ावा देता है। 

कश्मीर जैसा खूबसूरत भारतीय राज्य भी इस तरह के आतंकवाद से पीड़ित है क्योंकि कुछ कश्मीरी इस्लामिक समूह कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते हैं। इसी तरह, नागालैंड, त्रिपुरा, असम और तमिलनाडु भी इस प्रकार के आतंकवाद से पीड़ित हैं। 

सरकार और देश की राजनीतिक व्यवस्था से असंतुष्ट लोग एक आतंकवादी समूह का गठन करते हैं। भारत में वामपंथी चरमपंथियों को नक्सलवाद के नाम से जाना जाता है। 

अतीत में नक्सली देश की राजनीतिक व्यवस्था से निराश होकर कई आतंकी हमले कर चुके हैं। 

उन्होंने सशस्त्र विद्रोह से सरकार को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य रखा है, ताकि वे अपनी शक्ति का निर्माण कर सकें। 

4. सामाजिक-आर्थिक असमानता

भारत अपनी सामाजिक-आर्थिक असमानता के लिए जाना जाता है।  जहां अमीर और अमीर, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। इससे गरीब वर्ग में असमानता की भावना पैदा होती है।  जिसके कारण वे उच्च वर्ग के लोगों को तबाह करने के लिए आतंकवादी संगठनों में शामिल हो जाते हैं। वे ज्यादातर सत्ता के लोगों और उच्च वर्ग के क्षेत्रों को निशाना बनाकर आतंकवादी हमले करते हैं। 

भारत में आतंकवाद के प्रभाव

आतंकवाद का देश पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। चलिए देखते हैं कि भारत में आतंकवाद का क्या प्रभाव पड़ा है। 

लोगों में दहशत

भारत में आतंकवाद ने आम जनता के बीच आतंक पैदा कर दिया है।  देश में हर समय कोई विस्फोट, फायरिंग या अन्य प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां होती रहती हैं।  इससे कई लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है और कई लोगों को अपना शेष जीवन विकलांगों के रूप में बिताना पड़ता है। 

इन हमलों के कारण आम जनता में तनाव और चिंता और भय का माहौल है और लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगते हैं। 

प्रभावित देश का पर्यटन विकास में बाधा आती है

लोग आतंकवादी हमलों की आशंका वाली जगहों पर जाने से डरते हैं।  बाहरी और आंतरिक आतंकवादी संगठनों की आतंकवादी गतिविधियों से भारत का पर्यटन उद्योग और शांति व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।  आतंकी गतिविधियों के कारण पर्यटन उद्योग कई महीनों से ठप है। 

विदेशी निवेश

विदेशी निवेशक भारत और अन्य आतंकवाद-प्रवण देशों में निवेश करने से पहले कई बार सोचते हैं, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोखिम अधिक होता है और वे सुरक्षित विकल्पों की तलाश में रहते हैं। 

जिससे भारतीय कारोबारियों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

अर्थव्यवस्था पर संकट

भारत की अर्थव्यवस्था पर आतंकवाद का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  कई भारतीय प्रमुख शहर आतंकवादी हमलों से प्रभावित हुए हैं, जिससे संपत्ति और व्यवसायों को नुकसान हुआ है, जबकि ऐसे मामलों में पुनरुत्थान की लागत बहुत अधिक है। 

देश की संपत्ति, जिसका उपयोग उत्पादक कार्यों में किया जा सकता है, को आतंकवादी हमलों से होने वाले नुकसान की भरपाई में निवेश किया जाता है। 

इसके अलावा, पर्यटन उद्योग में गिरावट, भारत में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों की कमी और भारत में आतंकवाद के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दरों में वृद्धि का देश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 

मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव

भारत में कई प्रतिभाशाली युवा देश की निम्न गुणवत्ता और आतंकवादी हमलों की अनिश्चितताओं के कारण देश में नहीं रहना चाहते हैं। 

वे संयुक्त राष्ट्र, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों में प्रवास करते हैं, जो आतंकवादी हमलों से कम प्रभावित होते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। 

इस कारण आतंकवादी गतिविधियों के कारण भारत के नवयुवाओ के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव में वृद्धि हुई है। 

आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम

आतंकवाद के दमन हेतु वैश्विक मंच ने निम्नलिखित कदम उठाएं हैं। 

संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति

यह चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है:

  • उन परिस्थितियों से निपटना जो आतंकवाद के प्रसार की ओर ले जाती हैं।
  • आतंकवाद को रोकने और उससे निपटने के लिए राज्यों की क्षमताओं में वृद्धि करना।
  • सभी के लिए मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना।
  • आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कानून के शासन की गारंटी।

ग्लोबल काउंटर टेररिज्म फोरम (जीसीटीएफ)

यह 29 देशों और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक, एक-राजनीतिक, बहुपक्षीय आतंकवाद (सीटी) मंच है, यह 2011 में शुरू किया गया था। 

वर्तमान में, इसकी सह-अध्यक्षता मोरक्को और नीदरलैंड द्वारा की जाती है। 

भारत जीसीटीएफ का संस्थापक सदस्य है। 

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी)

यह भारत द्वारा 1996 में प्रस्तावित किया गया था लेकिन अभी भी विश्व के देशों में विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और इस्लामी देशों के संगठन के बीच कोई आम सहमति नहीं है।

काउंटर-टेररिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स (CTITF)

काउंटर-टेररिज्म इम्प्लीमेंटेशन टास्क फोर्स का जनादेश आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों के समन्वय और सुसंगतता को बढ़ाना है।

आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के तहत UN काउंटर-टेररिज्म सेंटर (UNCCT), आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को लागू करने में सदस्य राज्यों का समर्थन करता है।

ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (टीपीबी) अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह अनुरोध पर सदस्य राज्यों की सहायता के लिए, अनुसमर्थन, विधायी समावेश और आतंकवाद के खिलाफ सार्वभौमिक कानूनी ढांचे के कार्यान्वयन के साथ काम करता है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जो एक वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण प्रहरी है, अंतरराष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है जिसका उद्देश्य इन अवैध गतिविधियों और समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है। 

आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा उठाए गए कदम

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निम्नलिखित कदम उठाए हैं। 

  • भारत ने कई देशों के साथ मिलकर आतंकवाद/सुरक्षा मामलों पर संयुक्त कार्य समूहों (जेडब्ल्यूजी) की स्थापना के लिए कई कदम उठाए हैं। 
  • अन्य देशों के साथ आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता (एमएलएटी) पर द्विपक्षीय संधियों पर हस्ताक्षर किए गए हैं ताकि जांच, सबूतों का संग्रह, गवाहों का स्थानांतरण, स्थान और अपराध की आय के खिलाफ कार्रवाई आदि की सुविधा मिल सके। 
  • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली: यह अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद आदि जैसे सीमा पार अपराधों का पता लगाने और नियंत्रित करने में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की क्षमता में काफी सुधार करती है।  
  • आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति : भारत जीरो टॉलरेंस के खिलाफ आतंकवाद का आह्वान करता है और इसे रोकने के लिए एक साझा रणनीति विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी): 1984 में इसकी स्थापना हुई। बता दे कि इसकी स्थापना “ राज्यों की आंतरिक सुरक्षा के लिए आतंकवादी गतिविधियों से निपटने” के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड उन राज्यों में सक्रिय होते हैं जहां पर आतंकवादी गतिविधियों से निपटने हेतु वहां की पुलिस और सुरक्षा बल पर्याप्त नहीं होती है। 

भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु प्रावधान

भारतीय कानून में आतंकवादी गतिविधियों हेतु निम्न प्रावधान हैं। 

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2019

यह कानून 2019 में संसद में पारित किया गया था। 

संशोधित अधिनियम केंद्र को व्यक्तियों/संगठनों को आतंकवादी घोषित करने की शक्ति देता है यदि वह आतंकवाद करता/भागता है, तैयारी करता है, बढ़ावा देता है या इसमें शामिल है। 

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958

यह अधिनियम “कानून और व्यवस्था को बाधित करने के लिए कार्य करने वाले” व्यक्ति के खिलाफ आवश्यक किसी भी प्रकार के बल के उपयोग की अनुमति देता है। यह तभी लागू होता है जब सुरक्षा कर्मियों द्वारा चेतावनी दी जाती है।

आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम

आम तौर पर टाडा के रूप में जाना जाता है, आतंकवाद विरोधी कानून 1985 और 1995 के बीच पंजाब विद्रोह के रूप में प्रभावी था और पूरे भारत में लागू था। 

यह 23 मई 1985 को प्रभावी हुआ। 

1989, 1991 और 1993 में, उत्पीड़न के व्यापक आरोपों के बाद बढ़ती अलोकप्रियता के कारण 1995 में समाप्त होने की अनुमति देने से पहले इसे नवीनीकृत किया गया था। 

आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा)

आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा) आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुधार के लिए 2002 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम था। 

अधिनियम भारत में कई आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप विशेष रूप से संसद पर हमले के जवाब में अधिनियमित किया गया था। 2001 के आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (POTA) और आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम को अधिनियम द्वारा हटा दिया गया है। 

इस अधिनियम को सरकार द्वारा 2004 में निरस्त कर दिया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और अवैध गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 वर्तमान में भारत में आतंकवाद को विनियमित करने के लिए प्रभावी कानून हैं। 

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम एक सख्त कानून है जो महीनों तक निवारक निरोध प्रदान करता है यदि अधिकारियों को यह विश्वास हो जाता है कि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा है। 

आतंकवाद केवल एक हिंसक गतिविधि नहीं है बल्कि यह देश और समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और रक्षा ताने-बाने पर हमला करता है और देश के सतत विकास में बाधा डालता है। 

आतंकवाद किसी भी रूप में समाज और राष्ट्र के लिए घातक है, लेकिन गलत धार्मिक अवधारणाओं पर आधारित आतंकवाद पर विश्व सर्वसम्मति का अभाव आतंक के खिलाफ मार्ग में सबसे बड़ा अवरोधक है इसलिए, सभी देशों को सामाजिक आर्थिक अन्याय, शरणार्थी संकट, विश्व स्तर पर मानवाधिकारों के हनन जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहिए और इसे समाप्त करने के लिए सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ एकमत से खड़ा होना चाहिए। 

भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) को स्वीकार करना और उसकी पुष्टि करना अच्छा पहला कदम होगा।

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jyoti gupta

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Essay on Terrorism in Hindi 300 Words

विनाशकारी शक्तियो द्वारा विभिन तरीके से जान-माल का नुक्सान पहुँचाना या भय की स्थिति पैदा करने को आतंकवाद कहते है। विश्व के बहुत सारे देश पहले ही कठिन परिस्तिथियों और चुनौतियों जैसे कि गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, निरक्षरता, असमानता आदि का सामना कर रहे है, किन्तु इन सब से खतरनाक है – आतंकवाद। आतंकवाद का कोई क्षेत्र न होने के कारन यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। आतंकवाद पूरी मानव जाति को मानसिक तोर से प्रभावित कर रहा है। विकसित हो चुके देशो यूएसए, रुस आदि और विकसित हो रहे देशो, दोनों के लिए आतंकवाद बहुत बड़ी चुनौती है। कुछ चंद लोग अपने राजनीतिक लाभ, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्य पाने के लिए भी आतंकवाद का सहारा लेते है, जो दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।

आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होती, वह अपनी माँगों को मनवाने के लिए गलत तरीके से सरकार के ऊपर दबाव बनाते है, जिसके लिए वह मासूम लोगो पर हमला कर देते है जिनका कोई कसूर नहीं होता। आतंकवादी विमानों का अपहरण करते हैं, लोगों पर गोलियाँ चलाते हैं, बम विस्फोट द्वारा और दूसरी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। ऐसी ज्यादातर घटनाये सिनेमाघरों, रेलगाड़ियों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में होती है ताकि ज्यादा नुक्सान और दहशत पैदा की जा सके।

आतंकवादी लक्ष्य के साथ वारदात को अंजाम देते है। भारत में पहले ऐसा माना जाता था कि आतंकवादी गतिविधियाँ केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित है, पर आज आतंकवाद अपनी जड़े दूसरे क्षेत्रों में भी फैला रहा है। अपने कार्य के अनुसार राजनीतिक और आपराधिक आतंकवाद के दो मुख्य प्रकार हैं। आतंकवाद के जरिये देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति पैदा हो जाति है, जो सभी देशो के नागरिको के लिए बहुत खतरनाक है। आतंकवाद बहुत बुरी बीमारी है जो दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, अब समय आ गया है कि सरकार इसके लिये कठोर कदम उठाये।

Essay on Terrorism in Hindi 700 Words

समग्र विश्व आज बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है; और यह बारूद है आतंकवाद की राज से पीडित विश्व मानव-समाज आज अपनी परछाई से भी डरने लगा है, अपने ही कदमों की आहट से चौंकने लगा है। हालांकि इस सब का समाधान वैश्विक स्तर पर एक मुद्दा बना हुआ है, लेकिन आतंकवाद से पूर्णत: निजात पाकर कब चैन की सांस ले पायेंगे, उस दिन का इंतजार हम सबको है। वैसे इस संदर्भ में हम अपने देश भारत को ही देखें तो ऐसा लगता है कि वाकई यहाँ से आतंकवाद का खात्मा बहुत जल्द ही होने वाला है। भले ही आतंकवादियों की हमलावर, अत्याचारी और साजिशों भरा कदम अभी तक नहीं थका है, लेकिन उनको शायद यह पता नहीं यह कदम उनके अंत की ओर ही जा रहा हैं।

भारत में बरसों पहले, सन् 1989 में कश्मीर में आतंकवाद ने अपनी दूसरी दस्तक दी थी। तब से आतंकवाद का जेहादी संस्करण तकरीबन एक लाख इंसानों की कुर्बानियां ले चुका है। कश्मीर से बाहर आकर संसद से सड़क तक, पुलों से लेकर रेलों तक, सब स्थानों पर उसने अपने विध्वंसकारी मंसूबों को अंजाम दिया है। कश्मीर में आतंकवाद का आगाज जे। के। एल। एफ। (Janimu Kashmir Liberation front) के माध्यम से हुआ है, जो कश्मीर की मुकम्मल आजादी को अपना लक्ष्य बनाकर मैदान में आया था। लेकिन जे। के। एल। एफ। के स्थान पर पाक इंटेलीजेंस आई एस आई ने हिजबुल मुजाहिदीन को महत्व दिया, जो कि कश्मीर के पाक में विलय का हिमायती है। अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के विरूद्ध इस्लामिक जेहादियों के मोर्चा खोलने के लिए आई एस आई ने अलकायदा को पाला-पोसा था और अलकायदा के अफगान मुजाहिदों को आई एस आई ने कश्मीर में विद्रोहियों को आतंकवाद की ट्रेनिंग के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया। इस तरह सन् 1990 से ही कश्मीर के कथित जेहाद में अलकायदा की बाकायदा उपस्थिति दर्ज की गई है। हिजबुल मुजाहिदीन संगठन में कश्मीरी नौजवानों की क्षमता कायम रही और इसका कमांडर भी एक कश्मीरी रहा है।

अब, जबकि अमेरिका के कूटनीतिक दबाव के कारण आई एस आई को जेहादी आतंकवादियों की सीधी सरपरस्ती से पीछे हटना पड़ रहा है, अलकायदा ने संपूर्ण आतंकवादी नेटवर्क पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया है। लम्बे वक्त से अलकायदा और ओसामा बिन लादेन एक दूसरे के पूरक रहे हैं। न्यूयार्क ट्रेड सेंटर से लेकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक अलकायदा के जेहादियों ने अमेरिका को अपनी विध्वसंक साजिश निशाना बनाया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कबाइली इलाकों में भी छुपकर अलकायदा और लादेन सारी दुनिया में अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं।

इधर बंग्लादेश भी इस आतंकवाद का एक बहुत बड़ा अड्डा बनता जा रहा है। भारत में जेहादी आतंकवादियों की घुसपैठ इसी अलकायदा के अड्डों से हो रही है। अलकायदा का वास्तविक मकसद मजहब के नाम पर दुनिया के मुसलमानों को एकजुट करके एक ‘इस्लामिक दुनिया’ बनाना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के खातिर अलकायदा ने हिन्दु धर्मस्थलों को अपना पहला निशाना बनाया ताकि धार्मिक वैमनस्य फैलाकर भारत को हिन्दू मुसलमानों के मध्य विभाजित किया जाए। लेकिन अलकायदा की ये कोशिश काश्मीर से ही नाकामयाब हो गयी और वह भी पिछले पन्द्रह सालों की कोशिशों के बावजूद। यह इसलिए संभव हो पाया है कि कश्मीरी नागरिक अपनी परपरांगत कश्मीरियत पर कायम हैं।

सूफीवाद के दर्शन से ओतप्रोत कश्मीरियों ने हमेशा इन्सानी भाईचारे को साकार किया है। पंजाब के उदाहरण से यह बात और भी साफ हो सकती है कि धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति से संकीर्ण मजहबी आतंकवाद को बखूबी परास्त किया जा सकता है। इसलिए अलकायदा के जेहादियों से संघर्ष करते हुए भारत को अपनी धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति पर अडिग रहना होगा। कश्मीर में जेहादियों ऐसी जबरदस्त नाकमी इस बात को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि भारत अलकायदा की साजिशों से निपट सकता है। यह स्थिति एक और तथ्य से भी स्वयं सिद्ध हो जाती है कि विगत पांच वर्षों के दौरान जो सक्रिय आतंकवादी गिरफ्तार किए गए हैं, उनकी संख्या तकरीबन 15 हजार रही और इनमें से तकरीबन 11 हजार जेहादी आतंकवादी, पाकिस्तान एवं अन्य देशों के रहे हैं। तो पन्द्रह वर्षों की तमाम कोशिशों के बाद भी जहाँ जेहादी, कश्मीर में निरंतर छापामार युद्ध करने की स्थिति तक पहुंच नहीं पाया वहां अपने आतंकवाद का कहर बरसाकर पूरे भारत से कैसे निबट पाएगा? ऐसे में कहा जा सकता है आतंकवाद की आतंकी साजिशों को अब उल्टे कदम थामना पड़ेगा, पिछे की तरफ वापस लौटना ही पड़ेगा।

Essay on Terrorism in Hindi 750 Words

आतंकवाद और अमेरिका

9/11 की घटना से हम सब परिचित ही हैं। इस दिन को विश्व के काल दिना का श्रेणी में रखा जाता है। यह घटना विश्व की भयावह घटनाओं में से एक सर्वाधिक भयावह घटना थी। इस दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर और वाशिंगटन स्थित प्रशासनिक मुख्यालय पेंटागन को कतिपय आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा हवाई जहाज के माध्यम से निशाना बनाया गया और उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। इस घटना से पूरे अमेरिका में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में कोहराम मच गया। सारा विश्व इसके बाद स्तब्ध सा रह गया। आतंकवाद की यह सर्वाधिक प्रबल अभिव्यक्ति थी जिसे अमेरिका जनता को भुगतना पड़ा था।

वस्तुत: आतंकवाद आज विश्व की सर्वाधिक विकराल समस्याओं में से है। इसके दुष्प्रभाव आज सम्पूर्ण विश्व को अपने स्तर पर झेलने पड़ रहे हैं। विश्व का शायद ही कोई देश ऐसा हो, जिसे आतंकवाद की काली छाया का सामना कभी न कभी, किसी न किसी रूप में न करना पड़ा हो। वस्तुत: लोकतांत्रिक राजनीति और व्यापक रूप से आयोजित किये गए औद्योगिक विकास ने सांमती-सोच वाले लोगों को सामाजिक-आर्थिक रूप से परिवर्तित होने पर बाध्य किया। किन्तु इससे उनके स्वार्थों का हनन होता था। इसी कारण आतंकवादी संगठन अपने स्वार्थवश आधुनिकता का विरोध कर, सामंती जीवन पद्धति पर बल देते हैं। इसके लिए पूर्णत: हिंसात्मक क्रियाकलापों को ही ग्रहण करते हैं और मासूम लोगों की हत्याओं से पूरे समाज में भय का संचार करते हैं, ताकि कोई भी उनका विरोध करने का साहस न कर सके। आतंकवाद भय के व्यापार पर ही चलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद एक प्रकार से भय का व्यापार है।

9/11 के बाद अमेरिकी समाज और वहां के सरकारी-तंत्र ने प्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद के घिनौने रूप का अनुभव किया। इसके बाद समग्र रूप से आतंकवाद को विश्व-मानवता के लिए घातक माना गया और वैश्विक स्तर पर इसके विरूद्ध संगठित होने की अनिवार्यता को महसुस किया गया। किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अमेरिका किसी प्रकार की विश्व-शांति का चहेता देश है। उसके अपने आर्थिक और राजनीतिक स्वार्थ हैं जिन्हें पूरा करने के लिए वह नित नयी राजनीतियां निर्मित और कार्यान्वित करता रहता है। आजकल अमेरिकी प्रशासन इसी प्रकार की एक दषित रणनीति को वैश्विक स्तर पर कार्यान्वित कर रहा है। वह सायास रूप से यह झूठा प्रचार कर रहा है कि आतंकवाद मुस्लिम देशों की उपज है। इसके माध्यम से वह मुस्लिम देशों को अपने आर्थिक-स्वार्थों की पूर्ति का साधन बनाना चाहता है। हम आतंकवाद के निकृष्ट प्रत्यय का पूर्णत: विरोध करते हैं किन्तु जो देश अपने आर्थिक स्वार्थों की पति के लिए इस आतंकवाद को निशाना बनाते हैं उनका भी समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।

9/11 के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया। इस हमले का नुकसान आतंकवादी संगठनों को नहीं भुगतना पड़ा, बल्कि इस विनाश का शिकार अधिकतर वहां की मासूम जनता बनी। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने वाले देशों को इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि आतंकवादी संगठन किसी धर्म, जाति अथवा किसी अन्य सामाजिक पहचान से जुड़े हुए नहीं होते हैं। उनका कोई धर्म और कोई मजहब नहीं होता। अत: हमें भी आतंकवादियों को धर्म आदि से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसे किसी धर्म विशेष से संबंधित समूचे समाज को ही आतंकवादी परिभाषित कर देते हैं। अमेरिका मुस्लिम-समाज के साथ आज ऐसा ही कर रहा है।

जिन लोगों ने अमेरिका में आतंकवादी घटनाएँ की उनका न तो कोई धर्म था और न ही कोई जाति। वे हत्यारों के अलावा और कुछ नहीं हो सकते । किन्तु हमें इस बात का पूरा ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि अपने निहित-स्वार्थों से गतिशील आतंकवादी आम लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति तथा गरीबी का फायदा न उठा सकें । अमेरिका पर आतंकवाद की दस्तक कहीं न कहीं उसकी दूषित आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है। उसे इस पर विचार करना चाहिए।

आतंकवाद जैसी विकराल समस्या के सामाधान के लिए बहुत ही कठोर नीति अवलम्बन करनी चाहिए और हमें व्यापक रूप से ऐसी नीतियों का ग्रहण करना चाहिए, जिससे हम विश्व से आतंकवादी-मनोवृति का सफाया कर सकें और समूचे विश्व में शांति की स्थापना कर सकें।

Essay on Terrorism in Hindi 800 Words

‘राजधानी में बम विस्फोट : पांच व्यक्ति मरे बीस घायल’, ‘सीमा पार से तीन आतंकवादी देश की सीमा में घुसे’ ; पोस्ट ऑफ़िस में एंथ्रेक्स का संदेश’ जैसे अनेक समाचार आए दिन समाचारपत्रों, दूरदर्शन और रेडियो की सुर्खियाँ बने नज़र आते हैं। जहाँ देखो आतंकवाद का बोलबाला है। आतंकवाद की यह समस्या केवल भारत की ही नहीं, सारे विश्व की समस्या है। अल्बू निदाल, ओसामा बिन लादेन जैसे अंतर्राष्ट्रीय शस्त्र-तस्कर और आतंकवादियों ने विश्व के लगभग सभी देशों को आतंकवाद का लक्ष्य बनाया है। आतंकवाद एक भयंकर चुनौती के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरा है। यह विश्व क्षितिज पर प्रलयंकारी बादलों की भाँति छाया हुआ है और प्रति क्षण मानव जाति के लिए संकट का वाहक बना हुआ है। कोई नहीं जानता कब किसके ऊपर उसकी गाज गिरे और विनाशलीला प्रकट हो जाए। हाल ही में अमरीका व भारत में कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

आतंक का अर्थ है ‘भय’। आतंकवादी ऐसे किसी भी संगठन के सदस्य हो सकते हैं जो अपने किसी राजनैतिक, सामाजिक, अथवा धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति विनाशकारी उपायों से करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक अथवा धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति विनाशकारी उपायों से करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक स्थलों पर बम विस्फोट करके, सरकारी सम्पत्ति को हानि पहुंचाकर समाज में आतंकवाद फैलाते हैं। इस कारण मनुष्य हर क्षण संत्रस्त तथा डरा हुआ बना रहता है।

आतंकवाद वस्तुत: अतिवाद का दुष्परिणाम है। आज के भौतिकवादी युग में अतिवाद की काली छाया इतनी बढ़ गई है कि चारों ओर असंतोष की स्थिति तेजी से बढ़ रही है। असंतोष की अभिव्यक्ति अनेक माध्यमों से होती है। आतंकवाद आज राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए एक अस्त्र बन गया है। अपनी बात मनवाने के लिए आतंक उत्पन्न करने की पद्धति एक सामान्य नियम बन गई है। आज यदि शक्तिशाली देश निर्बल देशों के प्रति उपेक्षा का व्यवहार करता है तो उसके प्रतिकार के लिए आतंकवाद का सहारा लिया जाता है। उपेक्षित वर्ग भी अपना अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए आतंकवाद का मार्ग अपनाता है।

स्वार्थबद्ध संकुचित दृष्टि ही आतंकवाद की जननी है। क्षेत्रवाद, धर्माधता, भौगोलिक एवं ऐतिहासिक कारण, सांस्कृतिक टकराव, भाषाई मतभेद, आर्थिक विषमता, प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता और नैतिक ह्रास अंतत: आतंकवाद के पोषण एवं प्रसार में सहायक बनते हैं।

भारत को जिस प्रकार के आतंकवाद से जूझना पड़ रहा है, यह भयावह और चिंतनीय इसलिए है क्योंकि उसके मूल में अलगाववादी और विघटनकारी तत्त्व काम कर रहे हैं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के तत्काल पश्चात् से ही देश के विभिन्न भागों में विदेशी शह पाकर आतंकवादी सक्रिय हो उठे थे। इसका दुष्पारेणाम यह है कि आज कश्मीर का एक बहुत बड़ा भाग पाकिस्तानी कबाइलियों और उनके देश में आए पाक सैनिकों के हाथ पहुंच गया है। आज तो कश्मीर में आतंकवाद का प्रभाव इस सीमा तक बढ़ चुका है कि वहाँ के मूल निवासी शरणार्थी बनकर मारे-मारे भटक रहे हैं।

केवल कश्मीर ही नहीं अपितु नागा पहाड़ी क्षेत्र, मिजोरम, सिक्किम, पंजाब आदि आतंकवाद का शिकार बन रहे हैं। उत्तर-पूर्व राज्यों में भी आतंकवाद रह-रहकर उभरता रहता है। देश के कुछ भागों में नक्सली आतंकवादी आज भी सक्रिय हैं। फलस्वरूप हमेशा भय, आतंक और तनाव का वातावरण बना रहता है। इसका अंत कब, कहाँ और किस प्रकार होगा ? सरकार भी इस संबंध में कुछ निश्चित कह पाने में असमर्थ है। शासन व्यवस्था बेकार सी होकर रह गई है।

जहाँ-जहाँ आतंकवादियों का बोलबाला है, वहाँ-वहाँ की आम जनता का जीवन प्रायः ठप्प है। वहाँ अगर हलचल और सक्रियता दिखाई देती है तो बस आतंकवादियों के उग्र-घातक कार्यों में या फिर उन्हें दबाने और निष्क्रिय करने के कार्य में लगे सुरक्षा बलों और सेना की गतिविधियों में। आतंकवाद पशुता है एवं दानवता है। हर आतंकवादी संगठन मानवता का शत्रु है चाहे वह उल्फा हो, लिट्टे हो, अथवा कश्मीरी उग्रवादी संगठन या तालिबान हो या अल-कायदा।

मानवीय मूल्यों से रहित आतंकवादी विचारधारा को समाप्त करने के लिए जहाँ एक ओर तो आज संसार के सारे देशों का कटिबद्ध होकर शक्ति प्रयोग द्वारा इसका अंत करना होगा, वहीं दूसरी ओर इस असंतोष के कारणों तथा आम लोगों के नैतिक मूल्यों का विकास तथा राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग तथा ‘जय जगत’ की कल्पना को विकसित करना होगा। सौहार्द एवं मैत्री की अवधारणा को जन-मानस तक पहुंचाना होगा और इन सबसे ऊपर हमें जनता में इतना आत्मबल विकसित करना होगा कि वह असहाय, मूक और निरीह दर्शक बने रहने के बजाय स्वयं आगे आकर आतंकवाद से टकरा सके।

Terrorism in India essay in Hindi 1000 Words

आतंकवाद किसी एक व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इसका विष इतनी तीव्रता से फैल रहा है कि यदि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है।

शाब्दिक अर्थों में आतंकवाद का अर्थ भय अथवा डर के सिद्धान्त को मानने से है। दूसरे शब्दों में, भययुक्त वातावरण को अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु तैयार करने का सिद्धान्त आतंकवाद कहलाता है। विश्व के समस्त राष्ट्र प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं। रावण के सिर की तरह एक स्थान पर इसे खत्म किया जाता है तो दूसरी ओर एक नए सिर की भांति उभर आता है। यदि हम अपने देश का ही उदाहरण लें तो हम देखते हैं कि अथक प्रयासों के बाद हम पंजाब से आतंकवाद को समाप्त करने में सफल होते हैं तो यह जम्मू-कश्मीर, आसाम वं अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में प्रारम्भ हो जाता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को समर्थन देने की प्रथा तो निरन्तर पचास वर्षों से चली आ रही है।

हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां पर अनेक धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्रह्म समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मों के अनुयाइयों को यहां समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। वास्तविक रूप में धर्मों का मूल एक है। सभी ईश्वर पर आस्था रखते हैं तथा मानव कल्याण को प्रधानता देते हैं। सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव और मानवता का संदेश देते हैं परन्तु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते हैं। धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित कर देते हैं कि उनमें किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशित हो जाता है। उनमें ईष्र्या, बैर व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे एक दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूकते हैं।

देश में आतंकवाद के चलते पिछले पांच दशकों में 50,000 से भी अधिक परिवार प्रभावित हो चुके हैं। कितनी ही महिलाओं का सुहाग उजड़ गया है। कितने ही माता-पिता बेऔलाद हो चुके हैं तथा कितने ही भाइयों से उनकी बहनें व कितनी ही बहनें अपनी भाइयों से बिछुड़ चुकी हैं। पिछले दशक के हिंदू-सिख दंगों में कितने ही लोग जिन्दा जला दिए गए। इसी आतंकवाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी। हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व० राजीव गाँधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने। अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके। पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है। वहाँ के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है।

धरती को स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून की नदियाँ बहना आम बात हो गई है। प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय और आतंक का पर्याय बन रहा है। खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पांच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है। आतंकवाद के कारण यहाँ का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हजारों की संख्या में लोग यहाँ से पलायन कर चुके हैं। विगत वर्षों में इस आतंकवाद ने कितनी जाने ली हैं कितने सैनिक शहीद हुए हैं, इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। चूंकि यह आतंकवाद एक सुनियोजित अभियान के तहत चलाया जा रहा है, इसलिए इसकी समाप्ति इतनी सरल नहीं है।

भारत में दंगों का एक लम्बा इतिहास रहा है। हर दंगे अपने पीछे घृणा और आपसी वैमनस्य के बीज छींट कर फिर से कई नए दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। गुजरात के दंगे अब तक के भीषणतम दंगे कहे जा सकते हैं। निर्दोष कार सेवकों को जलाने की घटना से शुरू हुए ये दंगे हजारों के लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं थे मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राजनीतिक दलों और मीडिया ने इस घटना में आग में घी डालने जैसी हरकतें कीं। यह पहली घटना नहीं है कि जब भी दो समुदायों के बीच झड़पें, विवाद और दंगे होते हैं, सत्ताधारी व विपक्ष इससे अपने-अपने लाभ की बात सोचते हैं जिसे भारतीय राजनीति का एक विकृत स्वरूप कहा जा सकता है।

कुछ राजनीतिक दलों की मान्यता है कि यदि अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा का भय बना रहे तो उनकी सुरक्षा की दुहाई देकर उनके वोट हासिल किए जा सकते हैं। ये दल जब सत्ता में आते हैं तब अल्पसंख्यकों के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाकर अपना हितसाधन करते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुसलमानों में गरीबी और अशिक्षा अधिक मात्रा में व्याप्त है जिसकी तरफ किसी नेता का ध्यान नहीं जाता। अशिक्षा भी आतंकवाद का एक मुख्य कारण है।

आतंकवाद के चलते खलनायकों को नायक के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल निरीह लोग ही इसकी गिरफ्त में आते हैं। आतंकवाद ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी नहीं बख्शा जिसके फलस्वरूप हजारों लोग मौत के मुँह में समा गए तथा उसे अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है। उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

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Essay On Terrorism (आतंकवाद पर निबन्ध-आतंकवाद की समस्या)

Essay on terrorism hindi (आतंकवाद पर निबन्ध-आतंकवाद की समस्या).

Essay On Terrorism Hindi (आतंकवाद पर निबन्ध-आतंकवाद की समस्या)

अन्य सम्बन्धित शीर्षक :-

आतंकवाद , आतंकवाद की समस्या (problem of terrorism) , बढ़ता आतंकवाद और भारत की सुरक्षा ,  आतंकवाद:समस्या और समाधान, विश्व और आतंकवाद, आतंकवाद:एक चुनौती ,आतंकवाद: वैश्विक चुनौती , आतंकवाद और उसके दुष्परिणाम| rising terrorism and india’s security, terrorism: problem and solution, in hindi, world and terrorism in hindi, terrorism: a challenge, terrorism: global challenge, terrorism and its consequences in hindi ., ♦रूपरेखा –.

  • प्रस्तावना 
  • आतंकवाद से तात्पर्य 
  • विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद
  • भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ
  • आतंकवाद का समाधान

प्रस्तावना –

21वीं  शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में आतंकवाद सभी महाद्वीपों में फैल चुका है । दक्षिण एशिया के देशों में इसकी विभीषिका सर्वाधिक रूप से मौजूद दिखायी पड़ रही है । भारत आतंकवाद से अधिक पीड़ित है । इस क्षेत्र में भारत व पाकिस्तान के सम्बन्ध कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं । पाकिस्तान युद्ध में भारत से विजय नहीं प्राप्त कर सकता ; अत : उसने छद्म रूप से आतंकवाद को हथियार बना लिया है ।आतंकवाद से तात्पर्य – आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है , जो राजनैतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र – शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है ।

अस्त्र – शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग , दल , समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है । अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवादी गैरकानूनी ढंग से अथवा हिसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासनतन्त्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास भी करते हैं । इस प्रकार “ आतंकवाद उस प्रवृत्ति को कह सकते हैं , जिसमें कुछ लोग अपनी उचित अथवा अनुचित माँग मनवाने के लिए घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का प्रयोग करने लगते हैं । ”

विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद –

आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में हैं । राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है । संसार के भौतिक दृष्टि से सम्पन्न देशों में आतंकवाद की यह प्रवृत्ति और भी ज्यादा पनप रही है । अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी और भारतीय प्रधानमन्त्रियों श्रीमती इन्दिरा गांधी तथा श्री राजीव गांधी को नृशंस हत्या , अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट , भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण आदि घटनाएँ अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं ।

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ-

विगत दो दशाब्दियों में भारत के पंजाब , बिहार , असम , बंगाल , जम्मू – कश्मीर आदि कई प्रान्तों में आतंकवादियों ने व्यापक स्तर पर आतंकवाद फैलाया । कश्मीर की समस्या का समाधान न हो पाना भी भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का कारण रहा है । पाकिस्तान कश्मीर की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को उकसाकर उस क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा है । यह सिलसिला वर्ष 1990 से चल रहा है । भारत के अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है । मुम्बई में 26 नवम्बर , 2008 को बड़ा आतंको हमला भारत को झेलना पड़ा ।

इससे पूर्व 13 दिसम्बर , 2001 को भी भारतीय संसद पर जैश के आतंकियों ने हमला किया था । जम्मू – कश्मीर विधानसभा के भवन पर भी जैश – ए – मोहम्मद ने ब्लास्ट किया था । जनवरी 2016 ई ० मे पठानकोट स्थित एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया । यद्यपि सभी आतंकवादियों को मारकर इस हमले को विफल कर दिया गया , किन्तु भारत को भी अपने सार जाँबाज सैनिकों को गंवाना पड़ा । जुलाई 2017 में अमरनाथ यात्रा के समय तीर्थयात्रियों से भरी बस पर आतंकी हमला कर दिया गया । इस हमले में तीर्थयात्री मारे गए । वर्ष 2018 में पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र के अनेक सैन्य स्थलों पर आतंकी हमले करवाए । फरवरी 2018 में सुजवा में सैन्य क्षेत्र पर आतंकी हमला किया गया , जिसमें भारत के कुछ सैनिक शहीद हो गए ।

आतंकवाद का समाधान –

आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो , इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो , किन्तु यह तो स्पष्ट ही है कि इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है । आतंकवाद मानव – जाति के लिए कलंक है , इसलिए इसका कठोरता से दमन किया जाना चाहिए । भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गम्भीरता से लिया है और इनकी समाप्ति के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए है ।

भारत की संसद ने ‘ आतंकवाद – विरोधी विधेयक पारित कर दिया है , जिसके अन्तर्गत आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहनेवाले व्यक्तियों को कठोर – से – कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है ।

प्रमुख बिंदु

  • आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक दोनों ही स्तरों पर किया जाना चाहिए । जिन लोगों को पीड़ा हुई अथवा जिनके परिवार अथवा सम्पत्ति को नुकसान हुआ है तथा जिनके सम्बन्धियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है , उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए , जिससे उनके घाव हरे न रहे और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को सह न सकने की स्थिति में स्वयं भी आतंकवादी न बन जाएँ ।
  • आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है कि सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए ।
  • इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकवादियों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा , वहीं गुमराह युवकों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की कोशिश भी करनी होगी । आतंकवादियों को पकड़ने तथा उन्हें दण्डित करने के लिए आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए । इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है , जिससे जनता आतंकवादियों से लड़ने में भय का अनुभव न करे ।
  • आतंकवाद से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने चाहिए । अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की भर्त्सना की है ।
  • आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एकमत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लें ।

उपसंहार –

आतंकवाद मानवीय सभ्यता पर कलंक है । आतंकवाद से किसी भी समस्या का समाधान सम्भव नहीं है । अब समय आ गया है कि मानवीय सभ्यता के इस कलंक को पूरे संसार से स्वार्थी रूप से मिटा देना चाहिए ।

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आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh) | Essay on Terrorism in Hindi

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education

आतंकवाद पर निबंध, Terrorism जो हमारे समाज और देश को हानि पहुंचाने वाली गंभीर समस्या है, इसके प्रभाव और निवारण के बारे में अधिक जानने की इच्छा है तो आप सही जगह पर हैं! हमारे इस निबंध में हम आपको आतंकवाद के परिभाषा, प्रकार, कारण, प्रभाव और निवारण के उपायों के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह निबंध आपको आतंकवाद के विषय में गहरी समझ और ज्ञान प्रदान करेगा। तो चलिए, आतंकवाद पर निबंध को पढ़ें और इस जटिल समस्या को समझने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करें।

Table of Contents

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh 10 Line)

  • आतंकवाद देश और समाज के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • यह हिंसा के माध्यम से दहशत फैलाता है।
  • आतंकवादी हमलों के कारण लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा होता है।
  • आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को हानि पहुंचाता है।
  • यह सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।
  • आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना आवश्यक है।
  • जनसंख्या को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करना आवश्यक है।
  • सामरिक सहयोग के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है।
  • शिक्षा को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ाने से भी आतंकवाद को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • हम सभी को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए और एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए।

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आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay on Terrorism in Hindi)

Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh)

हमारे समाज में आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है। यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इस निबंध में, हम आतंकवाद के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से देखेंगे और इसके प्रभाव और निवारण पर चर्चा करेंगे।

आतंकवाद का अर्थ

आतंकवाद एक बहुत व्यापक शब्द है जिसे विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है। इसका मतलब होता है एक संगठित तरीके से हिंसा का उपयोग करके नगरीय जीवन को हानि पहुंचाने का प्रयास करना। आतंकवादी संगठन विभिन्न माध्यमों के माध्यम से अपने धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद कई प्रकार का हो सकता है। इसमें धार्मिक आतंकवाद, राजनीतिक आतंकवाद और साइबर आतंकवाद शामिल होते हैं।

धार्मिक आतंकवाद: धार्मिक आतंकवाद जब किसी धर्म के नाम पर होता है, तो वह धार्मिक आतंकवाद कहलाता है। इसमें आतंकवादी समुदाय अपने धर्म के नाम पर हिंसा का उपयोग करता है और अपने मकसद को प्राप्त करने की कोशिश करता है।

राजनीतिक आतंकवाद: राजनीतिक आतंकवाद वह होता है जब किसी संगठन या व्यक्ति राजनीतिक मुद्दों के नाम पर हिंसा का प्रयोग करता है। यह मुद्दे राजनीतिक तकराव, असहयोग या न्यायाधीशों या राजनेताओं के खिलाफ विरोध के कारण हो सकते हैं।

साइबर आतंकवाद: साइबर आतंकवाद आधुनिक दुनिया में एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। यह आतंकवाद का एक नया रूप है जहां आतंकवादी संगठन इंटरनेट और साइबर स्थानों का उपयोग करके अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के कारण

आतंकवाद के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर चर्चा करेंगे:

सामाजिक आर्थिक असमानता: सामाजिक और आर्थिक असमानता आतंकवाद का मुख्य कारण हो सकती है। जब लोग अपने सामाजिक और आर्थिक हक्क के अभाव को महसूस करते हैं और उन्हें न्याय की अपेक्षा नहीं मिलती है, तब वे आतंकवाद के मार्ग का चुनाव कर सकते हैं।

राजनीतिक संकट: राजनीतिक संकट भी आतंकवाद का प्रमुख कारण हो सकता है। यहां राजनीतिक तकराव, आपसी नफरत और राजनीतिक आपातकाल जैसे मुद्दे आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव: धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव भी आतंकवाद के पीछे एक कारण हो सकते हैं। जब लोग अपने धर्म और संस्कृति के प्रति अपने विचारों को सुरक्षित नहीं महसूस करते हैं और उन्हें दूसरे समुदायों के साथ टकराव होता है, तब आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है।

शिक्षा के अभाव: शिक्षा की कमी भी आतंकवाद के प्रमुख कारणों में से एक है। जब लोगों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता है और उन्हें अवसरों की कमी का अहसास होता है, तब वे आतंकवाद की ओर आकृष्ट हो सकते हैं।

आतंकवाद के प्रभाव

आतंकवाद के प्रभाव व्यापक होते हैं और इसकी सीमा विस्तारित होती जा रही है। कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों को हम यहां देखेंगे:

मानसिक स्वास्थ्य: आतंकवाद का मुख्य प्रभाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर होता है। आतंकवादी हमलों और हिंसा की घटनाओं के कारण, लोगों में भय और चिंता का माहौल पैदा होता है। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और उन्हें स्थायी रूप से परेशान कर सकता है।

आर्थिक विकास: आतंकवाद का अन्यत्र प्रभाव आर्थिक विकास पर होता है। आतंकवाद के कारण व्यापार और पर्यटन को नुकसान पहुंचता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। यह विकास और प्रगति को रोकता है और गरीबी और असंगठितता को बढ़ावा देता है।

सामाजिक संगठन: आतंकवाद के प्रभाव के तहत सामाजिक संगठनों को भी प्रभावित किया जाता है। यह संगठनों की स्थिति और स्थायित्व पर असर डालता है और सामाजिक समरसता को हानि पहुंचाता है। आतंकवाद की वजह से विभाजन, असहयोग और विरोध की वातावरण उत्पन्न होती है, जो सामाजिक संगठनों को कमजोर करती हैं।

आतंकवाद के नियंत्रण

आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कठोर और सशक्त कार्रवाई की जरूरत होती है। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण नियंत्रण उपायों पर चर्चा करेंगे:

सुरक्षा बढ़ाना: आतंकवाद को नियंत्रित करने का पहला कदम है सुरक्षा को मजबूत बनाना। लोगों को सुरक्षित महसूस करना चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को सशक्त करना चाहिए।

जागरूकता फ़ैलाना: आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता फ़ैलाना महत्वपूर्ण है। लोगों को आतंकवाद के बारे में जागरूक करना चाहिए, उन्हें संक्रमित होने से बचाने के लिए उपाय बताने चाहिए और सामरिक सहयोग का आह्वान करना चाहिए।

शिक्षा और व्यापार को सुधारना: आतंकवाद को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है शिक्षा और व्यापार को सुधारना। शिक्षा के अधिकार को सभी तक पहुंचाना चाहिए और व्यापार में सुधार कर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहिए।

आतंकवाद एक गंभीर समस्या है और इसका साम्राज्यवादी विचारधारा, राजनीतिक संकट, धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव, और शिक्षा के अभाव जैसे कारण हो सकते हैं। इसके प्रभाव में मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक संगठन को प्रभावित किया जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बढ़ाना, जागरूकता फ़ैलाना, और शिक्षा और व्यापार को सुधारना जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh 10 Line)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q: आतंकवाद क्या है.

उत्तर: आतंकवाद एक हिंसात्मक कार्रवाई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को हानि पहुंचाती है। यह हिंसा के माध्यम से नरक फैलाता है और सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।

Q: क्या कारण हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं?

उत्तर: आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक या राजनीतिक टकराव, असहयोग, विरोध और शिक्षा के अभाव।

Q: आतंकवाद का निवारण कैसे संभव है?

उत्तर: आतंकवाद को निवारण करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, जनसंख्या को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करना, शिक्षा को सुधारना, और सामरिक सहयोग को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। साथ ही, एकता, सद्भाव, और सामरिकता के संकल्प का अवलंबन करना भी आवश्यक है।

Q: आतंकवाद के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: आतंकवाद के प्रभाव में सामाजिक और राजनीतिक संकट, आर्थिक विसंगति, सामाजिक टकराव, और सामाजिक संगठन में विघटन शामिल हो सकते हैं। यह समाज के मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक सुख को प्रभावित करता है।

Q: आतंकवाद से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर: आतंकवाद से बचने के लिए सुरक्षा बढ़ाने, जनसंख्या को जागरूक करने, शिक्षा को सुधारने, सामरिक सहयोग को बढ़ाने और व्यापार में सुधार कर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उपाय अपनाए जा सकते हैं।

इस लेख के माध्यम से हमने आतंकवाद के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है और आतंकवाद को रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है। हम सभी को मिलकर सामाजिक सुरक्षा, सौहार्द, और सद्भाव की दिशा में अग्रसर रहना चाहिए ताकि हम सभी एक बेहतर और शांतिपूर्ण दुनिया में रह सकें।

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आतंकवाद पर निबंध

terrorism essay in hindi class 10

By विकास सिंह

essay on terrorism in hindi

आतंकवाद व्यक्तिगत, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों सहित अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सीधे लोगों में आतंक और भय पैदा करने के लिए हिंसा के अनधिकृत उपयोग द्वारा लोगों के समूह द्वारा किया गया गैरकानूनी कार्य है।

आतंकवाद पर निबंध, short essay on terrorism in hindi (100 शब्द)

आतंकवाद हिंसा का गैरकानूनी कार्य है जिसका उपयोग आतंकवादियों द्वारा लोगों को भयभीत करने के लिए किया जाता है। आतंकवाद एक सामान्य सामाजिक मुद्दा बन गया है। इसका उपयोग आम जनता और सरकार को धमकी देने के लिए किया जाता है।

आतंकवाद का उपयोग विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनेताओं और व्यावसायिक उद्योगों द्वारा अपने लक्ष्यों को बहुत आसान तरीके से प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आतंकवाद का समर्थन करने वाले लोगों के एक समूह को आतंकवादी के रूप में जाना जाता है।

आतंकवाद की व्याख्या करना इतना आसान नहीं है क्योंकि इसने अपनी जड़ें बहुत गहरी फैला ली हैं। आतंकवादियों का कोई नियम और कानून होता है; वे केवल समाज और देश में आतंक के स्तर को बढ़ाने और बढ़ाने के लिए हिंसक कृत्यों का उपयोग करते हैं।

आतंकवाद पर निबंध, essay on terrorism in hindi (150 शब्द)

पूरी दुनिया में आतंकवाद एक बड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन गई है। वैश्विक आतंकवाद ने दुनिया भर के लगभग सभी देशों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है। हालांकि कई देशों द्वारा आतंकवाद का विरोध करने की कोशिश की गई है; आतंकियों को अभी भी किसी का समर्थन मिल रहा है।

आतंकवाद आम जनता को दिन या रात में डराने का एक हिंसक कार्य है। आतंकवादियों के कई उद्देश्य होते हैं जैसे कि समाज में हिंसा फैलाना, राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति, आदि। वे देश के नागरिकों को अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाते हैं।आतंकवाद के कुछ उदाहरण अमेरिकी दूतावास पर बमबारी, हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम हमले आदि हैं।

आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य एक विशिष्ट देश की सरकार द्वारा उनकी मांगों की पूर्ति है। वे जनता और सरकार तक अपनी आवाज फैलाने के लिए ऑनलाइन सोशल मीडिया या अखबार, पत्रिका आदि से संपर्क करते हैं। कभी-कभी, आतंकवादी हमला धार्मिक और वैचारिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए किया जाता है।

आतंकवाद पर लेख, article on terrorism in hindi (200 शब्द)

भारत एक विकासशील देश है जिसने अतीत में कई चुनौतियों का सामना किया है और वर्तमान में आतंकवाद एक बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। इसने भूख से मौत, अशिक्षा, गरीबी, असमानता, जनसंख्या विस्फोट और आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना किया है जिसने इसके विकास और उन्नति को काफी हद तक प्रभावित किया है।

आतंकवाद, सरकार और आम जनता के लिए धर्म, मातृभूमि और आतंकवादियों के अन्य अनुचित उद्देश्यों के उद्देश्य से एक बड़ा खतरा है। आतंकवादी खुद को बहादुर सैनिक कहते हैं, लेकिन वे असली सैनिक नहीं हैं। असली सैनिकों ने आम जनता को कभी चोट नहीं पहुंचाई और वे केवल दुश्मनों से अपने देश को बचाने के लिए लड़ते हैं।

असली सैनिक एक राष्ट्र के उद्देश्य को पूरा करने के लिए लड़ते हैं। जबकि आतंकवादी अपने, व्यक्तिगत और अनुचित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लड़ते हैं।

एक राष्ट्रीय सैनिक पूरी तरह से अपनी सभी जिम्मेदारियों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन एक आतंकवादी कभी ऐसा नहीं करता है। आतंकियों ने अपना नाम आतंक शब्द से लिया था। इससे पहले, आतंकवाद जम्मू और कश्मीर राज्य जैसे कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित था; अब एक दिन, यह लगभग सभी क्षेत्रों में फैल गया है विशेष रूप से उत्तर पूर्वी भारत के क्षेत्र।

हाल ही में, भारत में आतंकवादी हमला ताज होटल और मुंबई में नरीमन हाउस में हुआ था। उस हमले में भारत ने कई लोगों की जान गंवाई थी और उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ था।

आतंकवाद पर निबंध, essay on terrorism in hindi (250 शब्द)

आतंकवाद एक बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है जो मानव मन का उपयोग पूर्ण विजय प्राप्त करने के लिए करता है। आतंकवाद इंसान के दिमाग को इतना कमजोर बना रहा है कि वे उसे कमजोर बना सकते हैं ताकि वे फिर से देश पर शासन कर सकें। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल करने की जरूरत है।

आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए हम सभी को मिलकर सोचना चाहिए। हमें अपने राज्य को पूरी तरह से नष्ट करने के साथ-साथ मानव मन से हड़ताली आतंक को दूर करने के लिए एक मजबूत नीति बनानी चाहिए। आतंकवाद उद्देश्य को प्राप्त करने और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए हिंसक तरीकों का उपयोग करता है।

आतंकवाद हिंसा का कार्य है जिसे आतंकवादी कहा जाता है के समूह द्वारा किया जाता है। वे बहुत आम लोग बन जाते हैं और किसी तरह वे कुछ अनुचित प्राकृतिक आपदाओं या दूसरों द्वारा उनके साथ अनुचित गतिविधियों के कारण मन पर अपना नियंत्रण खो देते हैं जो उन्हें सामान्य और स्वीकृत तरीकों से इच्छाओं को पूरा करने में असमर्थ बनाते हैं।

धीरे-धीरे उन्हें समाज के कुछ बुरे लोगों के विश्वास के तहत ले जाया जाता है जहां उन्हें सभी इच्छाओं को पूरा करने का वादा किया जाता है। वे एकजुट हो जाते हैं और अपने राष्ट्र, समाज और समुदाय से लड़ने के लिए आतंकवादियों का एक समूह बनाते हैं। आतंकवाद ने देश के सभी युवाओं को प्रभावित किया है, उनकी वृद्धि और विकास।

इसने राष्ट्र को उचित विकास से कई साल पहले खींच लिया था। आतंकवाद ब्रितानियों की तरह ही देश पर शासन कर रहा है, जहाँ से हमें फिर से आज़ाद होने की ज़रूरत है। हालाँकि, ऐसा लगता है कि आतंकवाद हमेशा अपनी जड़ें गहरी फैलाता रहेगा क्योंकि हमारे राष्ट्र के कुछ अमीर लोग अभी भी अपने अनुचित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उनका समर्थन कर रहे हैं।

आतंकवाद पर निबंध, essay on terrorism in hindi (300 शब्द)

भारत ने गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, भुखमरी, अशिक्षा, असमानता जैसी कई चुनौतियों का सामना किया था और कई और अधिक, लेकिन आतंकवाद अब तक मानव जाति और मानवता को प्रभावित करने के लिए अत्यधिक खतरनाक है। यह खतरनाक और भयावह बीमारी से अधिक है जो लोगों को मानसिक और बौद्धिक रूप से प्रभावित कर रही है।

चाहे वह छोटे (आयरलैंड, इज़राइल, आदि) या बड़े (यूएसए, रूस, आदि) देशों में मौजूद हो; इसने दोनों को समान स्तर पर चुनौती दी है। आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय हिंसा का उपयोग करने का कार्य करता है निराश लोगों के समूह का अर्थ है आतंकवादी कुछ राजनीतिक, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करना। आतंकियों द्वारा आतंक का प्रसार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

आतंकवाद का कोई नियम और कानून नहीं है, यह केवल समाज या उपनिवेश पर हमला करता है या आतंक फैलाने के लिए रहने वाले निर्दोष लोगों की भीड़ के साथ-साथ सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव देता है। आतंकवादी की माँगें केवल वही पूरा करने के लिए विशिष्ट बन जाती हैं जो वे चाहते हैं।

यह मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वे अपने दोस्तों, परिवार, मासूम बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों से कभी समझौता नहीं करते हैं। वे केवल लोगों की भीड़ के स्थान पर परमाणु बम विस्फोट करना चाहते हैं। वे भीड़, अपहरण उड़ान और अन्य आतंकी गतिविधियों पर गोली चलाते हैं।

आतंकवादी अपने पसंदीदा क्षेत्रों, क्षेत्र या देश में न्यूनतम समय के भीतर आतंक फैलाने का लक्ष्य रखते हैं। पहले, यह माना जाता है कि आतंकवादी गतिविधियां केवल कश्मीर तक ही सीमित थीं, लेकिन इसने पूरे देश में अपनी जड़ें फैला ली हैं। राष्ट्र में कई आतंकवादी समूह मौजूद हैं जिनके नाम के आधार पर उनके विशेष नाम हैं।

आतंकवाद के दो मुख्य प्रकार हैं राजनीतिक आतंकवाद और आपराधिक आतंकवाद उनके कामों पर निर्भर करता है। आतंकवादी कुछ विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करने के लिए तैयार लोगों के प्रशिक्षित समूह हैं। विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक से अधिक आतंकवादी समूह को प्रशिक्षित किया जाता है। यह एक बीमारी की तरह है जो नियमित रूप से फैल रही है और स्थायी हटाने के लिए कुछ अत्यधिक प्रभावी कदम की आवश्यकता है।

आतंकवाद पर निबंध, essay on terrorism in hindi (400 शब्द)

आतंकवाद, आतंकवादियों द्वारा प्रशिक्षित प्रशिक्षित लोगों के समूह द्वारा की जाने वाली अनुचित और हिंसक गतिविधियां है। केवल एक मालिक है जो समूह को किसी भी तरह से विशेष गतिविधि करने के लिए सख्त आदेश देता है। वे अपने अनुचित विचारों की पूर्ति के लिए धन, शक्ति और प्रचार चाहते हैं।

ऐसी स्थितियों में, यह मीडिया है जो वास्तव में किसी भी राष्ट्र के समाज में आतंकवाद के बारे में खबर फैलाने में मदद करता है। आतंकवादी समूह विशेष रूप से संपर्क करके मीडिया का समर्थन लेते हैं ताकि उन्हें उनकी योजना, विचारों और लक्ष्यों के बारे में पता चल सके।

आतंकवादियों के विभिन्न समूहों को उनके उद्देश्य और उद्देश्यों के अनुसार नामित किया गया है। आतंकवाद के कार्य मानव मन को काफी हद तक प्रभावित करते हैं और लोगों को इतना भयभीत कर देते हैं कि वे अपने ही घर से बाहर जाने से डरते हैं।

उन्हें लगता है कि रेलवे स्टेशन, मंदिर, सामाजिक कार्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम और बहुत सारी भीड़ में घर के बाहर हर जगह आतंक है। आतंकवादी अपने कार्य के साथ-साथ लोगों के दिमाग पर राज करने के लिए उच्च आबादी के विशिष्ट क्षेत्र में आतंक फैलाना चाहते हैं।

आतंकवाद के कुछ हालिया कार्य अमेरिका में 9/11 हमले और भारत में 26/11 हमले हैं। इसने वित्तीय स्थिति और मानवता को काफी हद तक प्रभावित किया है। राष्ट्र से आतंकवाद के आतंक और प्रभाव को कम करने के लिए, सरकार के आदेश पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।

सभी स्थानों पर जो किसी भी कारण से भीड़भाड़ कर रहे हैं जैसे कि सामाजिक कार्यक्रम, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, मंदिर और आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम। प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा व्यवस्था के नियमों का पालन करना पड़ता है और पूर्ण शरीर की स्वचालित मशीन से गुजरना पड़ता है स्कैनर। ऐसी मशीनों के इस्तेमाल से सुरक्षा को आतंकवादियों की मौजूदगी का पता लगाने में मदद मिलती है। इतनी कड़ी सुरक्षा के इंतजाम के बाद भी हम आतंकवाद के खिलाफ इसे प्रभावी नहीं बना पा रहे हैं।

हमारा देश आतंकवाद से लड़ने के साथ-साथ आतंकवादी समूह को हटाने के लिए हर साल बहुत पैसा खर्च कर रहा है। हालांकि, यह अभी भी एक बीमारी की तरह बढ़ रहा है क्योंकि नए आतंकवादी दैनिक आधार पर प्रशिक्षित हो रहे हैं। वे हमारे जैसे बहुत आम लोग हैं लेकिन उन्हें कुछ अनुचित कार्य पूरा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें अपने एक समाज, परिवार और देश के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।

वे इतने प्रशिक्षित होते हैं कि वे अपने जीवन से कभी समझौता नहीं करते हैं, वे लड़ते हुए अपना जीवन समाप्त करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। एक भारतीय नागरिक के रूप में, आतंकवाद को रोकने के लिए हम सभी अत्यधिक जिम्मेदार हैं और इसे केवल तभी रोका जा सकता है जब हम कुछ बुरे और निराश लोगों की लालची बातों में कभी नहीं आते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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आतंकवाद पर निबंध ( Essay on Terrorism in Hindi ) – अहिंसा मानव के लिए सबसे जरूरी चीज होती है। हमें हर पल अहिंसा का साथ देना चाहिए। आपने यह कहते हुए भी सुना होगा कि अहिंसा हमारा परम धर्म होता है। हमारे शास्त्रों में यही लिखा है कि हमें कभी भी हिंसा नहीं करनी चाहिए। किसी को डरा धमकाकर काम करवाना सही नहीं होता है। हिंसा के मार्ग पर चलना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं होती है। हिंसक व्यक्ति के दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है। वह अच्छे और बुरे के बीच में अंतर नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति को आतंकवादी की संज्ञा दी जाती है।

आतंकवाद पर निबंध ( Terrorism Essay in Hindi)

आतंक शब्द ही सुनने में बहुत अजीब लगता है। आतंकवाद अपने आप में गंभीर समस्या है। आतंक एक प्रकार का रोग है। यह रोग अक्सर दिमाग में पनपता है। आतंक से भरा व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। उस व्यक्ति के सिर पर सनक सवार होती है। आतंकवाद धीरे-धीरे फैलने वाला रोग है। आज के समय में हमारे समाज में आतंक व्यापक रूप से फैल गया है। इसकी कोई सीमा ही नहीं रही है। आतंक किसी भी रूप में हो वह घातक ही होता है। आतंक से पूरे समाज में दहशत पैदा हो जाती है।

आतंकवाद से किसी का भी भला नहीं होता है। आतंक को समाज और देश के लिए एक कलंक से ज्यादा और कुछ नहीं माना जाता है। आतंकवाद किसी भी देश को आर्थिक रूप से कमजोर बना देता है। आतंकवाद के चलते अनेक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। आतंक के चलते समाज में लोग डरे सहमे से रहते हैं। इसी वजह के चलते समाज में कोई भी पनप नहीं सकता है। तो आज का हमारा विषय आतंकवाद पर आधारित है। तो चलिए हम आतंकवाद पर निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।

आज के समय दुनिया में आतंकवाद एक ऐसी समस्या बन चुकी है जिस पर लगाम लगाना बहुत ज्यादा जरूरी हो चुका है। आतंकवाद की अवधारणा एक सीमित दायरे में नहीं आती है। आतंकवाद का दायरा बहुत बड़ा है। वह हर चीज़ जो किसी भी तरह से किसी के मन और ह्रदय में भय को उत्पन्न करे वह आतंकवाद की श्रेणी में आता है।

आतंकवाद भारत के लिए भी उतनी ही बड़ी समस्या है जितनी किसी दूसरे देश की। आतंकवाद के चलते संसार में कितने ही लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। यह समस्या समाज में व्यापक रूप से फैली हुई है। यह उस दीमक की तरह जो समाज को खोखला किए जा रहा है।

आज आतंकवाद के चलते समाज अपने आप को बहुत ही कमजोर महसूस करता है। आतंकवादी को एक ही रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। जो भी किसी को डराता या धमकाता है, उसे भी आतंकवादी की श्रेणी में डाला जाता है। जिसके सिर पर आतंकवाद सवार होता है वह मनुष्य होते हुए भी एक दैत्य के समान ही माना जाता है।

ऐसा इंसान एक हैवान की तरह काम करता है। उसे हर बुरे काम को करने में आनंद की अनुभूति होती है। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कि एक समय पर रावण और कंस जैसे राक्षस धरती पर आतंक फैलाते थे। वह हमेशा भले लोगों को अपना निशाना बनाते थे। आज हम सभी को पग पग पर आतंकवादी देखने को मिलेंगे।

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आतंकवाद क्या है?

आतंकवाद आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या है। आज के इस दौर में आतंकवाद ने भयानक रूप ले लिया है। आतंकवाद जहर के समान है। यह समाज में सभी को धीरे धीरे खत्म कर देता है। आतंकवाद समाज को खोखला बना देता है। आज हम अपने समाज में हर जगह आतंक का माहौल देख सकते हैं।

आज छोटी छोटी बातों में बहस और तनाव हो जाता है। यह तनाव कब बड़े झगड़े में बदल जाता है कुछ पता ही नहीं चलता है। यह झगड़ा एक प्रकार से आतंकवाद ही होता है। आतंकवाद शब्द कोई नया शब्द नहीं है। आतंकवाद की समस्या ने लोगों को हमेशा से ही परेशान किया है। आज से हजारों साल पहले भी आतंक फैलाने वाले राक्षस हमारे समाज का हिस्सा थे।

उन सभी ने मिलकर पूरी दुनिया में आतंक फैला रखा था। वह सभी को परेशान किया करते थे। वह सभी उस समय के आतंकवादी थे। आज के समय में आतंकवादी बहुत ज्यादा फैल गए हैं। आतंकवादी संगठन व्यापक रूप से फैल चुके हैं। पूरी दुनिया में आज कहीं पर भी बम धमाके हो जाते हैं। इन बम धमाकों में कितने ही लोग मारे जाते हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान भुगतना पड़ता है। आतंकवाद विष के समान सब कुछ खत्म कर देता है।

आतंकवाद के कारण

आतंकवाद आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। आज पूरी दुनिया को आतंकवाद ने अपनी चपेट में ले रखा है। आतंकवाद फैलने के पीछे भी कई कारण हो सकते हैं। चलिए हम इन कारणों पर गौर करते हैं –

(1) अशिक्षा और बेरोजगारी – आतंकवाद फैलने का सबसे बड़ा कारण है अशिक्षा और बेरोजगारी। आज का युवा अशिक्षा और बेरोजगारी होने के चलते भटक गया है। उसे सही और बुरे का कोई फर्क नहीं रह गया है। क्योंकि एक युवा अशिक्षित होता है तो उसे राह से भटकाना बहुत आसान होता है। राह से भटका व्यक्ति हिंसा के मार्ग पर ही चलता है।

(2) मनोवैज्ञानिक कारण – आतंकवादी बनने के पीछे का कारण मनोविज्ञान भी होता है। बहुत बार ऐसा होता है कि लोग भोले भाले युवाओं का ब्रेनवाश कर देते हैं। उन युवा लोगों को यह सिखाया जाता है कि आतंक फैलाने से समाज में प्रतिष्टा बढ़ती है। वह बच्चे समाज में अपने रुतबे को बनाने के चक्कर में आतंकवादी बन जाते हैं। उनका दिमाग हिंसक रूप में काम करने लगता है।

(3) जागरूकता की कमी – समाज चाहे कोई भी हो जब तक समाज में सही रूप से जागरूकता नहीं होती है तो उस स्थिति में समाज में असंतोष और अराजकता फैलती है। इसी जागरूकता की कमी के चलते ही आतंकी पनपते हैं। इन सभी आतंकियों को हल्के में लिया जाता है। इसी वजह से इनकी हिम्मत और बढ़ती चली जाती है।

आतंकवाद रोकने के उपाय

आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या को रोकना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि आतंकवाद पर रोकथाम ही नहीं लगाई जा सकती है। आतंकवाद एक प्रकार का रोग है जिसका निदान हम बड़े ही अच्छे तरीके से कर सकते हैं। आतंकवाद को रोकने का सबसे ज्यादा कारगर उपाय है शिक्षा को बढ़ावा देना।

जब समाज में लोग शिक्षित होते हैं तो वह रोजगार भी प्राप्त कर लेते हैं। शिक्षित व्यक्ति कभी भी किसी के बहकावे में नहीं आता है। दूसरा उपाय है पूरी दुनिया का एकजुट होना। यह बहुत जरूरी है कि पूरी दुनिया एकजुट होकर आतंकवाद से लड़े। एकजुटता से बड़ी से बड़ी समस्या भी खत्म की जा सकती है। जागरूकता भी आतंकवाद से लड़ने में सहायक हो सकती है।

आतंकवाद पर प्रसिद्ध उद्धरण

(1) मैं किसी भी परिस्थिति में जान से मारना या हत्या करना या आतंकवाद को अच्छा नहीं मानता। – महात्मा गांधी

(2) आतंकवाद की कोई राष्ट्रीयता या धर्म नहीं है। – व्लादिमीर पुतिन

(3) यदि आप आवाज़ नहीं उठाएंगे तो आतंकवाद फैल जाएगा। – मलाला युसूफजई

(4) यदि हम आतंकवाद के जवाब में मानव अधिकारों और क़ानून के शासन को नष्ट कर देते हैं तो ये उनकी जीत है। – जोय्ची इटो

(5) टेररिज्म युद्ध का एक सिस्टेमेटिक हथियार बन गया है जो कोई सीमा नहीं जानता और जिसका कभी-कभार ही कोई चेहरा होता है। – जाक शिराक

(6) हमारे लिए विश्वव्यापी आतंकवाद को कम करने का एक तरीका ये है कि हम इसमें इंगेज होना बंद कर दें। – नोम चौमस्की

(7) हमारे मूल्य और जीने का तरीका रहेंगे- आतंकवाद नहीं होगा। – जाॅन लिन्डर

(8) आप आतंकवाद के खिलाफ युद्ध कैसे छेड़ सकते हैं जब युद्ध खुद आतंकवाद है? – हावर्ड जिन

(9) यदि आप दहशतगर्दी से लड़ते हैं, तो ये भय पर आधारित है। यदि आप शांति को बढ़ावा देते हैं; तो ये आशा पर आधारित है। – ग्रेग मॉर्टनसन

(10) आतंकवाद और धोखा शक्तिशालियों के नहीं बल्कि कमजोरों के हथियार हैं। – महात्मा गांधी

(11) हम आतंकवादियों से लड़कर आतंकवाद को पैदा नही करते। हम उन्हें अनदेखा करके आतंकवाद को आमंत्रित करते हैं। – जार्ज डब्ल्यू बुश

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में

आतंकवाद का नाम सुनते ही किसी के भी मन में भय का माहौल पैदा हो जाता है। यह शब्द किसी को भी भयभीत कर सकता है। आतंकवाद को हम किसी खतरनाक बीमारी से जोड़कर देख सकते हैं। गंभीर बीमारी के समान ही आतंकवाद भी फैलता रहता है। आतंकवाद को रोकना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। हम सभी इसका उदाहरण देख चुके हैं।

हम सभी को यह पता है कि कितने आतंकवादी संगठन आज दुनियाभर में दहशत फैलाए हुए हैं। आए दिन दुनिया में आतंकी हमले होते रहते हैं। आतंकवाद ने अपनी जड़े मजबूत कर रखी है। आतंकवाद किसी को भी नहीं बख्शता है। आतंकवाद मानवता और अर्थव्यवस्था दोनों को हिलाकर रख देता है। लेकिन आतंकवाद को लेकर हम सभी को सजग होना पड़ेगा। आतंकवाद को जड़ से खत्म करना ही हम सभी का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।

आतंकवाद पर 10 लाइनें

(1) आतंकवाद एक प्रकार की भयानक समस्या है।

(2) आतंकवाद पूरी दुनिया को खोखला बना देता है।

(3) आतंक और दहशत फैलाने वाले लोगों को आतंकवादी की श्रेणी में रखा जाता है।

(4) पूरी दुनिया के लोग आतंकवाद का नाम सुनते ही थर थर कांपने लगते हैं।

(5) आतंकवाद मानवता और अर्थव्यवस्था को गंभीर चोट पहुंचाता है।

(6) आतंकवादी हमला कहीं पर भी किसी भी रूप में हो जाते हैं।

(7) आतंकवाद के माध्यम से निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जाता है।

(8) आतंकवाद किसी भी रूप में हो सकता है। इसकी कोई श्रेणी नहीं होती।

(9) आतंकवाद दुनिया में हमेशा से ही प्रचलन में था। समय के साथ आतंकवाद के रूप बदलते गए।

(10) आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए सभी को शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

आतंकवाद ने हमेशा से ही हमें परेशान किया है। आतंकी हमले दुनियाभर में कहीं पर भी हो जाते हैं। आतंकवाद दुनिया को कमजोर बनाता है। हमारा उद्देश्य यही होना चाहिए कि हमें आतंकवाद को खत्म कर देना चाहिए।

आतंकवाद पर निबंध FAQs

प्रश्न 1. आतंकवाद क्या है?

उत्तर- आतंकवाद जहर के समान है। यह समाज में सभी को धीरे धीरे खत्म कर देता है। आतंकवाद समाज को खोखला बना देता है। दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान भुगतना पड़ता है। आतंकवाद विष के समान सब कुछ खत्म कर देता है।

प्रश्न 2. आतंकवाद फैलने का मुख्य कारण क्या रहता है?

उत्तर- आतंकवाद फैलने का मुख्य कारण अशिक्षा और बेरोजगारी है।

प्रश्न 3. आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई थी?

उत्तर- आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति आतंक शब्द से मानी गई है।

प्रश्न 4. आतंकवाद के रूप कितने होते हैं?

उत्तर- बमबारी, सशस्त्र हमले, अपहरण या बंधक बनाना आदि।

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Aatankwad Par Nibandh : स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में आतंकवाद पर निबंध

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  • Updated on  
  • मई 17, 2024

terrorism essay in hindi class 10

दुनियाभर के कई देश आतंकवादी घटनाओं से प्रभावित हैं। पिछले कुछ सालों में विश्व के कई विभिन्न देशों पर आतंकवादी हमले हुए हैं। भारत की सीमा पर आतंकवाद के कई घाव हैं। देश ने कई आतंकवादी हमलों का सामना किया है और अब हम इसे पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। आतंकवादी अपने मकसद को साबित करने के लिए धर्म और विचारधारा का सहारा लेते हैं, उनका मानना है कि उनका संघर्ष जिहाद है। यदि वह मर जाता है, तो वह स्वर्ग जाएगा और अपना जीवन बचाएगा, वह अपने उद्देश्य को प्राप्त करेगा। दुनिया के कुछ हिस्से आज़ादी की लड़ाई लड़ने की बात करते हैं। इसलिए आज हम स्टूडेंट्स के लिए लेकर आए हैं आतंकवाद पर निबंध (Aatankwad Par Nibandh) 100, 200 और 500 शब्दों में। 

This Blog Includes:

आतंकवाद क्या है , आतंकवाद पर निबंध 100 शब्दों में, आतंकवाद पर निबंध 200 शब्दों में, भारत आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए क्या- क्या कर रहा है, आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए इंटरनेशनल पहल, आतंकवाद के प्रकार, भारत में हुए बड़े आतंकी हमले-, निष्कर्ष .

आतंकवाद एक अपराध है जिसमें संगठित या असंगठित गुट्ठे के सदस्य अत्याचारिक हिंसा का आचरण करते हैं ताकि वे अपने राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, या आत्मघातक उद्देश्यों को पूरा कर सकें। इसका मुख्य उद्देश्य डर और संकट का बोझ बढ़ाना होता है ताकि समाज और सरकार पर प्रभाव डाला जा सके।

100 शब्दों में आतंकवाद पर निबंध (Aatankwad Par Nibandh) कुछ इस प्रकार है –

आतंकवाद एक वैश्विक घटना है जिसके कारण दुनिया भर के देश प्रभावित होते हैं, जिसके कारण निर्दोष लोगों और देशों की अर्थव्यवस्था व अन्य चीजों को नुकसान पहुंचाया है। आतंकवाद की जटिलता के कारण इसमें धार्मिक अतिवाद, राजनीतिक उत्पीड़न और आर्थिक असमानता शामिल हो सकते हैं।

आतंकवादी का ग्रुप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए बमबारी, अपहरण सहित कई तरह की दुस्ट कामों का उपयोग करते हैं। वे कई बार भीड़-भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर नागरिकों को भी निशाना बनाते हैं। समाज पर आतंकवाद का प्रभाव विनाशकारी है, जिससे जीवन की हानि, चोट और मनोवैज्ञानिक आघात होता है। 

यह भी पढ़ें : भारतीय सेना पर लिखें कुछ उत्तम निबंध जो आपको गर्व से भर देंगे

200 शब्दों में आतंकवाद पर निबंध (Aatankwad Par Nibandh) कुछ इस प्रकार है –

आतंकवादी से देश का बहुत नुकसान होता है, ये न सिर्फ देश में एक बीमारी की तरह फैल रहा है, बल्कि ये छोटे-छोटे बच्चों और युवाओं को इसका शिकार बनाता है। इसे जड़ से खत्म करना आज के समय की मांग है। 

दुनियाभर में आतंकवादी घटनाओं में लाखों की संख्या में लोग मारे गए हैं, जबकि करोड़ों लोग बेघर भी हो गए हैं। भारत में मुंबई, संसद, अक्षरधाम आतंकी हमले हुए। इन हमलों में कई लोग मारे गए और हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा। इन हमलों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, यहीं नहीं आज भी ज़रा सी सनका होने पर लोगों के अंदर डर का मौहोल पैदा हो जाता है। 

कई देश ऐसे भी हैं जो आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते है। देखा जाए तो आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है, इसे समाप्त करने के लिए दुनियाभर के देशों को एक साथ होना होगा। जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उन पर  प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है, उसके लिए किसी के प्रति हमदर्दी जैसा कुछ नहीं होता। आतंकवाद हमारे लिए एक कलंक के समान है। 

आतंकवाद पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में आतंकवाद पर निबंध (Aatankwad Par Nibandh) कुछ इस प्रकार है –

आतंकवाद एक ऐसा समस्या है जिसने पूरे विश्व को अपने प्रभाव में डाल दिया है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें अनियमितता, हिंसा, और भयानक घातकता शामिल होती है। आतंकवाद के कारण लोगों की जिन्दगी पर सवाल उठते हैं और समाज में असुरक्षा की भावना फैलती है। इस निबंध में हम आतंकवाद के मतलब, कारण, प्रभाव, और इसे रोकने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

आतंकवादी हमला 26/11, आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए NIA 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई और वर्ष 2009 में इसने अपना कार्य शुरू किया। अब तक NIA ने 447 मामले दर्ज किये जा चुके हैं। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम प्राथमिक आतंकवाद विरोधी कानून भारत में है। वहीं नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) की स्थापना सुरक्षा से संबंधित जानकारी इकट्ठा करने के लिए की गई है।

  • संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद-निरोध कार्यालय (UNOCT)
  • ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (TPB)
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
  • आतंकवाद-निरोध पर भारत का वार्षिक संकल्प

आतंकवाद विभिन्न मान्यताओं या उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं, इनमें से कुछ निमलिखत के बारे में हम आपको बता रहे है। 

  • जातीयता पर आधारित आतंकवाद
  • धर्म पर आधारित आतंकवाद
  • वामपंथी आतंकवाद
  • दक्षिणपंथी आतंकवाद
  • नारको आतंकवाद
  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद
  • मुंबई सीरियल ब्लास्ट 12 मार्च 1993 को पूरे मुंबई में सीरियल धमाके हुए।
  • कोयम्बटूर धमाका 14 फरवरी 1998 में इस्लामिक ग्रुप अल उम्माह में हुए। 
  • जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला 1 अक्टूबर 2001 को हुआ। 
  • संसद पर हमला 13 दिसंबर 2001 को किया गया। 
  • अक्षरधाम मंदिर पर हमला 24 सितंबर 2002 में हुआ। 
  • दिल्‍ली में दिवाली से कुछ दिन पहले 29 अक्‍टूबर 2005 को दिल्‍ली को दहला दिया था। 
  • मुंबई ट्रेन में 11 जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुआ विस्फोट। 
  • ‘पिंक सिटी’ में 13 मई 2008 को इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने हमले किए।
  • अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को बम विस्फोट हुए थे। 
  • 14 फरवरी 2019 को जम्‍मू और कश्‍मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्‍मद के एक आत्‍मघाती हमलावर ने विस्‍फोटकों से भरी गाड़ी CPRF के काफिले से भिड़ा दी। 
  • 11 जुलाई 2017 को अमरनाथ यात्रा पर जा रही बस पर आतंकियों ने हमला किया। 
  • 2 जनवरी 2016 में पठानकोट स्थित सेना के ठिकानों पर आतंकी हमले हुए थे। 
  • 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आत्मघाती हमलावरों मुंबई को दहला दिया। 

आतंकवाद एक भयानक समस्या है जिसे समाज और सरकार को मिलकर समाधान करना होगा। शिक्षा, सामाजिक सुधार, सुरक्षा, और सहयोग से हम इस महामारी से निपट सकते हैं। हमें समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा ताकि आतंकवाद को रोका जा सके और हम सभी एक शांत और सुरक्षित दुनिया में जी सकें।

Aatankwad par Nibandh

यह भी पढ़ें : आतंकवाद विरोधी दिवस

आतंकवाद एक ऐसा समस्या है जिसमें संगठित या असंगठित गुट्ठे के सदस्य अत्याचारिक हिंसा का आचरण करते हैं ताकि वे अपने राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, या आत्मघातक उद्देश्यों को पूरा कर सकें।

आतंकवाद के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे कि राजनैतिक असमानता, सामाजिक और आर्थिक असमानता, धार्मिक और जातिगत विवाद, और भ्रष्टाचार।

आतंकवाद के प्रभाव शामिल सुरक्षा समस्या, आर्थिक हानि, सामाजिक दुर्भावना, मानवाधिकार का उल्लंघन, और समाज में असुरक्षा की भावना शामिल हो सकते हैं।

आतंकवाद को रोकने के उपाय में शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक सुधार, सुरक्षा सुदृढ़ करना, संविधानिक उपाय, और अन्य देशों के साथ सहयोग शामिल हो सकते हैं।

हां, आतंकवाद का समाधान संभव है, लेकिन यह कठिन प्रक्रिया है जो सामाजिक, राजनैतिक, और आर्थिक सुधार की आवश्यकता है। समाज, सरकार, और अन्य संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि आतंकवाद को रोका जा सके।

हर साल भारत में 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। 

संबंधित आर्टिकल्स

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Aatankwad Par Nibandh के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

Table of Contents

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Terrorism in Hindi)

  • प्रस्तावना,
  • आतंकवाद क्या है?
  • आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या,
  • भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास,
  • आतंकवादी समस्या का समाधान,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना नहीं सुरक्षित मन्दिर, मस्जिद, गिरजे या गुरुद्वारे। निर्दोषों के खून बहाते घूम रहे हत्यारे। पता नहीं कब कहाँ मौत का अग्नि पुंज फट जाए? चिथड़े-चिथड़े लाशों से निर्दोष धरा पट जाए।

आतंकवाद ने आज मानव-जीवन को कितना दयनीय और असुरक्षित बना दिया है! विश्व का कोई कोना आज मौत के इन सौदागरों से सुरक्षित नहीं है।

आतंकवाद क्या है? What is the Terrorism

उपनिवेशवादी शासकों के विरुद्ध वहाँ की जनता ने कभी हथियार उठाये थे वह एक क्रान्तिकारी अभियान था। उसके पीछे स्वतन्त्रता और न्याय का आधार था। किन्तु आज तो कुकुरमुत्तों की भाँति ढेरों संगठित गिरोह संसार में फैले हुए हैं, जिनके उद्देश्य बड़े सीमित और स्वार्थपूर्ण हैं।

धन ऐंठना, निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों तक की हत्या करना तथा मादक पदार्थों एवं शस्त्रों के अवैध व्यापार आदि आज के इन तथाकथित मुक्तिमोर्चों के कुकृत्य हैं।

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या- आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका है। आज ऐसे अनेक छद्म संगठन और गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है किन्तु जब अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर भस्मसात् हुआ और इंग्लैण्ड की ट्रेनों में धमाके हुए, इण्डोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई तो सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी।

आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं। मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफिया संगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं। कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं। ‘आई.एस.’ तो एक सुसंगठित खूख्वार और घृणित आतंकी संगठन है।

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास- भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमान्त से प्रारम्भ हुईं। नागालैण्ड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय तक प्रभावी रहा। इसके पश्चात् पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने आतंकवाद की क्रूरता को झेला।

गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर, संसद भवन, मुम्बई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर, समझौता एक्सप्रेस, आतंकवाद का निशाना बन चुके हैं। इसके अतिरिक्त छोटी-मोटी आतंकी घटनाएँ तो आए दिन होती रहती हैं।

26/11 के मुम्बई में हुए आतंकवादी प्रहार ने विश्व को झकझोरा था। कुछ ही समय पूर्व नापाक पड़ोसी द्वारा ‘उड़ी’ ऐयर-बेस में खून का खेल खेला जा चुका है।

आतंकवादी समस्या का समाधान- आतंकवाद का कुफल अब विश्व के विकसित देश भी भोग रहे हैं। अतः इस विकट समस्या के समाधान के प्रति हर सभ्य देश चिन्तित है। आतंकवाद से छुटकारा तभी हो सकता है जब विश्व के सभी देश इसकी समाप्ति में सक्रिय सहयोग दें। इसका प्रमाण ‘आई.एस’ के विनाश में जुटे विश्व के सभी प्रमुख देशों की भूमिका से मिल रहा है।

‘आई.एस.’ का सर्वनाश अब अधिक दूर नहीं लगता । अतः जनता की जागरूकता, सुरक्षा बलों को समर्थन और दलीय राजनीति से ऊपर उठकर प्रबल इच्छा-शक्ति से ही आतंकवाद का सामना किया जा सकता है।

आतंकवाद को उसी की भाषा में जबाव देकर ही उसे समाप्त किया जा सकता है। भारत द्वारा ‘सर्जीकल अटैक’ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

उपसंहार- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, धर्मान्धता और माफिया गिरोहों से ही आतंकवाद दाना-पानी और संरक्षण पा रहा है, किन्तु अब आतंकवाद का निर्यात करने वालों के घर भी जलने लगे हैं। अतः रोग लाइलाज हो जाय उससे पहले ही उसको समाप्त कर देना बुद्धिमानी है। इसके लिए सभी देशों का सहयोग आवश्यक है।

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आतंकवाद पर निबंध। terrorism essay in hindi

Terrorism Essay in Hindi

terrorism जिसे हम हिंदी में आतंकवाद के नाम से जानते है। मानव विकास और सामाजिक सौहार्द के बीच सबसे बड़ी बाधा आतंकवाद है । आज पूरा विश्व आतंकवाद की पीड़ा को झेल रहा है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में terrorism essay in hindi ले कर आये है । इस आतंकवाद पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on terrorism in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

टेररिज्म जिसे हम हिंदी में आतंकवाद कहते है।आतंकवाद आतंक शब्द से उभरा हुआ शब्द है। कई लोग आतंकवाद को बहुत छोटी चीज़ समझते है। लेकिन जहां ये सुचारु रूप से चलन में है, वहां के लोग इसे बखूबी समझते है। दुनिया के हर कोने में बेशक ये ना हो लेकिन से दुनिया के कुछ खास देश व प्रदेशों में है।ईरान, अफगानिस्तान नाइजीरिया, सीरिया और पाकिस्तान सबसे ज़्यादा इन गतिविधियों का हिस्सा होते है। आई.ई.पी के ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में इसका खुलासा हुआ । जो लोग इसे महज कोई मामूली झगड़े के समान समझते है वे इसके दुष्प्रभाव के बारे में जानने से वे फिलहाल वंचित है। एक गुत्थि सुलझने के प्रयास में ना जाने हम कितने उलझ से जाते है। जी हां मेरा मकसद सबसे पहले ये बताने का था कि आतंकवाद कोई मामूली चीज नही है। लोग इसे हल्के में ना ले। अब हम आसान भाषा मे आतंकवाद व आतंकवादी जैसे शब्दों का अर्थ समझेंगे। आतंकवाद को सीधे तौर पर देखा जाए तो वह गद्दारी और हिंसा होती है। और जो इसे करता है उसे हम आतंकवादी कहते हैं। जो जी पूर्णताः गद्दार के समान होता है। कई बार वे आपने ही राष्ट्र के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है। हिंसात्मक होता है।

प्रस्तावना-  आतंकवाद का कोई धर्म, कोई राष्ट्र, कोई भाषा, कोई घर, कोई परिवार नही होता। उनका एक ही मकसद होता है ” विरोध”। अगर और स्पष्ट रूप से समझा जाये की आतंकवादी कौन है, तो ये एक समूह है जिसमे हर व्यक्ति का सामान उद्देश्य होता है। वह उद्देश्य ही आतंकवाद को जन्म देता है। और आतंकवादी उद्देश्य की पूर्ति करते है। वे देश को या देश के नागरिकों को जान-मान तक कि हानि पहुचाते है।आतंकवादी आतंकवाद फैलाने के लिए जगह जगह दंगे करवाते है। वे अलग अलग टुकड़ी में विभाजित होकर दुनिया के अलग अलग कोने की शांति भंग करते हैं। कई बार अपने मकसद में कामयाब होने की जद्दोजहद में वे बारूद के बम को ब्लास्ट करवाते है। वे ऐसी जगहों पर बम को लगाते है जहां बड़ी संख्या में लोग आते जाते रहते हो। जैसे कोई मॉल, बाजार, थिएटर इत्यादि। वे विभिन्न प्रकार के हानिकरक बम का इस्तेमाल करते है। आतंकवाद जब एक दो जगह से बढ़ते बढ़ते बहुत सारी जगह होने लगे तब ये काफी चिंता का विषय होता हैं। आज भी ये चिंता का विषय है।

आतंकवादियों का मकसद एवं उद्देश्य- बिना उद्देश्य व बिना किसी मकसद के तो कहा जाता है कि पत्ता भी नही हिलता फिर ये तो गोलियों की आवाजों, दंगों, व बम विस्फोट की बात है। आतंकवादियों का मकसद भी इसी प्रकार अलग अलग है। किसी के अंदर बदले की भावना होती है तो वह आम लोग को नुकसान पहुंचाते हैं। इसमे विचारों का अहम हिस्सा है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्य को सिद्ध करने या करवाने के लिए हिंसात्मक होने का विचार बनाता है वहां से ही आतंकवाद की शुरुवात हो जाती है। हिंसा का रास्ता अपनाने की शुरुवात विचारों से ही होती है। आतंकवादियों का मकसद हर बार अलग अलग होता है। कुछ अपने संगठन के लोगों को सरकार से छुड़वाने के लिए आतंकवाद के प्रसार का  रास्ते अपनाते है। जिससे सरकार उनके संगठन के लोगो को छोड़ दे। वे देश के मासूम लोगो को अपना निशाना बनाते है। कुछ लोग के विचार वर्तमान सरकार से अलग होते है वे चाहते है कि सिर्फ दुनिया मे हमारी ही चले। कुछ पैसों के लिए आतंवादी बनते है। कुछ लोग किसी की हत्या को रोकने के लिए पैसे की मांग करते है जिससे उन्हें पैसा मिले पैसा मिलते ही वह अमुख व्यक्ति को छोड़ देते है। आतंकवादियों के अलग अलग संघठन होते है। अलग अलग मकसद से होते है।अलग अलग जगहों पर होते है। माना जाता है कि आतंकवाद घरेलू स्तर याने की एक गांव में , राष्ट्रीय स्तर याने कुछ अमुख मुल्कों में एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर अर्थात हर जगह फैलाया जाता है। अपने मन मर्ज़ी के लक्ष्यों को पूर्ति करने के लिए लोग हिंसा का सहारा अपनाते है। उनके बेशक उद्देश्य अलग अलग होते है। जैसे राष्ट्र की शांति भंग करना, बदला लेना, पैसे हड़पना, राष्ट्र की बदनामी करना,दंगे भड़काना इत्यादि।परंतु मकसद एक ही होता है ” हिंसात्मक रूप से अपने कार्य को, अपने लक्ष्य को पूरा करवाना” । जब आतंकवादी हिंसा को अपना कर अपने कार्य पूर्ण करवाते है उसी को हम आतंकवाद कहते है। जैसे जैसे लोगो में अलग व गलत कार्य सिद्ध करवाने की आशा बढ़ती है, वैसे वैसे आतंकवाद में भी तेजी से बढ़ोतरी होती है।

आतंकवादी बनने की वजह- आतंकवादी कोई दूसरे ग्रह से आये एलियन नही है। वे भी हमारी ही तरह इंसान है। जिस तरह से देश की रक्षा करने का जस्बा या साहस हमारी बॉर्डर के लोगों में होता है। ठीक वैसे ही आतंकवादियों में आतंक फैलाने का कीड़ा होता है। लेकिन हमारी सीमा पर जो सैनिक तैनात है उन्हें कही न कही से वहां डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। तो हम ये क्यों नही समझते कि आतंवादियों को भी आतंकवाद करने और उसमें डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। जब हम अच्छी प्रेरणा को बढ़ावा देते है तो बुरी प्रेरणा को कम क्यों नही करते है? 

आपके हृदय में इस क्षण जो भाव आया वही भाव देश के नागरिकों को आना चाहिए। 

एक व्यक्ति आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान होता है। ताज्जुब की बात ये है कि लोग आतंकवादी को इस प्रकार देखते है कि जैसे उसने जन्म ही आतंकवादी के रूप में लिया हो। उनके जीवन मे क्या मुश्किलें रही जिसके कारण उन्हें आतंकवादी बनना पड़ा ये 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग समझने का कभी प्रयास नही करते। तरह तरह के कारण की वजह से लोग आतंकवाद का रास्ता अपनाते है। अधिक लोग इसमे मजबूरी के कारण जाते है। कोई पारिवारिक समस्या होती है या फिर उनके माहौल में असंतुलन। बचपन से किसी बच्चे को हर छोटी चीज़ के लिए डांटा जाए मारा जाए ये बेहद खराब स्थिति देख बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है। हो सकता है अपना जीवन जीने वो अपने रास्ते पर निकले और उसे गलत संगति मिल जाये। वह व्यक्ति पहले से ही आहत है। वो आसानी से लोगो की बातों में आकर गलत रास्ते पर जा सकता है। इसी प्रकार के कई कारण होते है। जिससे बच्चे के मस्तिष्क पर असर पड़ता है। वह क्रोध करता है। हिंसा का मार्ग अपनाता है। लेकिन इस सूची में आने वाले महज 5 प्रतिशत लोग ही आतंकवाद का सहारा लेते है। बाकी के बचे लोग की आतंकवाद को अपनाने की अलग वजह होती है। और उन सब मे से सबसे बड़ी 2 वजह है “शिक्षा एवं बेरोज़गारी का अभाव”। 

जिस भी क्षेत्र में ज्ञान की कमी है, वहां आतंकवादी आम जन ही है। 

जब व्यक्ति शिक्षित हो जाता है पर उसे रोज़गार मुहैया नही कराया जाता, वह व्यक्ति अपने आप को दुनिया का बदनसीब इंसान समझता है। जब लंबे समय तब समान स्थिति बनी रहे तो इसके बाद उनके पास आतंकवाद के रास्ते खुलते है। देश ये युवाओं को आतंकवादी संगठन ढूंढते है उन्हें प्रेरित करते है कि हमारे साथ जुडो। जिन लोगो के पास नौकरी नही होती ऐसे लोग बड़ी आसानी से जाल में यह सोच कर फस जाते है कि कमसे कम हमे पैसा तो मिलेगा, भूखे तो नही रहेंगे। कुछ लोग इसी प्रेरणा से और कुछ मजबूरी से आतंकवादी बन जाते है।

आतंकवाद को कम करने का उपाय- आतंकवाद को कम करने के लिए हमे दीर्घदृष्टि की आवश्यकता है। सबसे पहले हमें उन्हें समझते हुए उनका दिमाग पढ़ना होगा और ये समझना होगा कि वे किस वजह से आतंकवाद में आये। अलग अलग टुकड़ी का उद्देश्य इसी प्रकार समझना होगा। आतंकवाद कम करने के लिए आतंकवादी कम करने पड़ेंगे। और आतंकवादी कम करने के लिए शिक्षा का संचार करना होगा। जिससे इन व्यक्ति के बाद में आतंकवादी बनने वाले व्यक्ति की संभावना इस रास्ते पर आने को लेकर है वह शून्य हो जाएं। शिक्षा के माध्यम से अच्छा और बुरा पहचानने में लोगो को मदद मिलेगीं। साथ ही उन लोगो को हृदय से समझने की आवश्यकता हैं। जिससे आतंकवाद की संभावना जड़ से खत्म हो पाए।जिनके पास शिक्षा नही है उन्हें शिक्षित करे। जिनके पास रोज़गार नही है उन्हें रोज़गार मुहैया कराए।जो तनाव ग्रसित है उनसे उनकी समस्या पूछी जाए। जो अलग विचार रखते है उनसे स्पष्ट बात की जाए। जो नामुनकिन है उसे मुमकिन किया जाए। फिर जब आतंकवादी ही नही बचेंगे तो आतंकवाद कहाँ से  होगा। खाली दिमाग मे जो अंकुरित करते है, परिणाम स्वरूप वही सामने आता है। इसीलिए सरकार को शिक्षा, रोज़गार दोनो मुहैया करने की आवश्यकता है। 

उपसंहार- अगर आम लोग की बात है तो हमे भी आतंकवाद कम करने में योगदान देना चाहिए। अपने आस पास के लोगो की मदद करे। कोई अनपढ़ है तो आप उसे पढ़ाई में मदद करिए। कोई परेशान है तो उसके जीवन मे सुधार का हिस्सा बनिये। जो व्यक्ति आतंकवादी बनता है वह हमारे बीच का ही कोई व्यक्ति होता है। वह आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान की ज़िंदगी जी रहा होता है। ध्यान रखिये की आपके बीच का व्यक्ति कभी आतंकवाद का रास्ता न अपनाए। इसकी जिम्मेदारी अगर हर व्यक्ति लेगा तो आतंकवाद जड़ से नष्ट हो जाएगा।

उनकी पीड़ा को न समझ कर देशद्रोही का खिताब देने की बजाए पीड़ा को समझे और जिस प्रेरणा से वह आतंकवादी बन सकते है उस प्रेरणा को मिटाए। 

समझदार है तो ज़िम्मेदारी लीजिये, वरना विनाश के ज़िम्मेदार भी खुद को ठहराइये। 

हमें आशा है आपको terrorism essay पसंद आया होगा। आप इस निबंध को global terrorism essay या फिर international terrorism essay के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। इस निबंध को paragraph on terrorism के लिए भी प्रयोग कर सकते है ।

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आतंकवाद पर निबंध – Essay on Terrorism in Hindi

Essay on Terrorism in Hindi

आज आतंकवाद जिस तरह से पूरे विश्व में अपनी जड़े फैला रहा है, और लोगों के अंदर भय पैदा कर रहा है, यह वाकई चिंतनीय है। आतंकवाद का मुद्दा आज पूरे दुनिया में एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है, वहीं अगर जल्द ही आतंकवाद के प्रति लोगों के अंदर जागरुकता नहीं फैलाई गई और इसे काबू पाने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में इसका काफी बुरा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

आतंकवाद जैसे अतिसंवेदनहीन मुद्दों के प्रति बच्चों की समझ विकसित करने के उद्देश्य से आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में अलग-अलग शब्द सीमा पर आतंकवाद पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Essay on Terrorism

आतंकवाद की समस्या अब वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है, जिससे चलते कई गैरकानूनी अमानवीय और हिंसक कृत्य जन्म ले रहे हैं, जिससे आमजन के मन में डर बैठ रहा है, तो वहीं इस पर काबू पाने की बजाय कई राजनेता, अपने वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और जाति, धर्म और संप्रदायिकता के मुद्दों को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं बढ़ती जंनसंख्या और बेरोजगारी की वजह से भी आतंकवाद की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं।

आतंकवाद का अर्थ – Terrorism Meaning

हिंसात्म कुकृत्यों द्धारा आम लोगों के अंदर भय पैदा करना ही आतंकवाद कहलाता है। गैरकानूनी तरीके से सरकार से अपनी अनुचित बात मनवाना, सामाजिक हिंसा को बढ़ावा देना अथवा राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार और आम-जनता में भय पैदा करना ही आंतकवाद का मुख्य मकसद होता है।

या फिर दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद एक तरह का माहौल है जिसके तहत लोग अपनी धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक ज़रूरत की पूर्ति के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।

वहीं आतंकवादी वो होते हैं, जो अमानवीय, हिंसात्मक गतिविधियों का समर्थन करते हैं और अपने कृत्यों से लोगों को भयभीत करते हैं।

आपको बता दें कि आतंकवादियों की न कोई जाति होती है, न कोई धर्म होता है और न हीं उनका कोई देश होता है।

आतंकवादी, सिर्फ हिंसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, मासूम बच्चों, निर्दोष महिलाएं, बेकसूर बूढ़े और जवानों की निर्मम तरीके से जान ले लेते हैं, और देश में आराजकता का माहौल पैदा करते हैं।

वहीं आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की जो भी अधिकारी हिमाकत करता है, आतंकवादी उसे हिंसक तरीके से अपने रास्ते से हटा देते हैं अथवा उनकी जान ले लेते हैं। ताकि, उनके डरकर कोई भी अपनी आवाज न उठा सके और चुपचाप आतंकवादियों के अत्याचारों को सहते रहें।

आतंकवादी संगठन गुप्त जगहों पर अपना ठिकाना बनाते हैं, ताकि कोई परिंदा भी उनके ठिकानों पर अपना पर नहीं मार सके और वे गुपचुप तरीके से अपने अमानवीय कृत्यों को अंजाम देने की तैयारी कर सकें।

आतंकवाद का खात्मा करने के लिए हमारी सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं। इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बाबजूद भी आतंकवाद, एक संक्रामक बीमारी की तरह पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है।

यही नहीं, कई आतंकवादी संगठनों द्धारा आतंक का प्रभाव और तेज करने के लिए कई ऐसे बेकसूर और सामान्य लोगों को आतंकवादी बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है, साथ ही हिंसक कृत्यों को करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

वहीं अगर इस तरह आतंकवाद बढ़ता रहा तो आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है, इसलिए हम सभी लोगों को एकजुट होकर इसके खिलाफ कदम उठाने चाहिए और अपनी लालची प्रवृत्ति को छोड़ना चाहिए, अर्थात ऐसे लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए जो लालच देकर दंगे – फसाद समेत कई हिंसात्मक गतिविधियों करने के लिए विवश करते हैं, तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकेगा।

आतंकवाद पर निबंध नंबर 2 – Aatankwad Par Nibandh

आतंकवाद का मुद्दा आज का सबसे गंभीर मुद्दा बन चुका है, इसकी वजह से देश-दुनिया के विकास की गति धीमी हो गई है। मनुष्य के दिल – दिमाग में इसका गलत असर पड़ रहा है और यह सम्पूर्ण दुनिया में भय का माहौल पैदा कर रहा है।

आतंकवादी विनाशकारी हथियारों के बल पर न सिर्फ कई बेकसूर लोगों और मासूमों की जान ले रहे हैं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों को तबाह कर रहे हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में भारत में आतंकवाद तेजी से पनपा है।

आतंकवाद के कई रुप –

आतंकवाद कई रुपों में आज पूरी दुनिया में फैल रहा है, जैसे कि – अपराधिक आतंकवाद, सांप्रदायिक आतंकवाद और राजनीतिक आतंकवाद आदि।

सांप्रदायिक आतंकवाद को कट्टर धार्मिक, संकीर्ण और छोटी मानसिकता वाले लोग जन्म देते हैं,ऐसी विचारधारा वाले लोग अक्सर किसी दूसरे धर्मों के प्रति असहज महसूस करते हैं और उनके धर्म नहीं मानने वाले लोगों को बर्दाश्त करना पसंद नहीं करते हैं।

यही नहीं धर्म के नाम पर अलग-अलग राज्य बनाने की कोशिश करते हैं और अन्य धर्मों के प्रति नफरत फैलाते हैं। उस धर्म का गलत तरीके से प्रचार-प्रसार करते हैं या फिर अन्य धर्म के लोगों से उनके धर्म को अपनाने के लिए विवश करते हैं।

इस तरह धार्मिक सांप्रदायिकता की भावना बड़े स्तर पर आतंकवाद को जन्म देती है।

वहीं अपराधिक आतंकवाद के अंदर, कई लालची प्रवृत्ती के लोग गैर कानूनी तरीके से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपहरण, चोरी, डकैती आदि कर पैसों की मांग करते हैं।

जबकि राजनीतिक आतंकवाद के तहत, कुछ लोग जनता का वोट अपनी झोली में करने के लिए, और अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए जाति-धर्म आदि की राजनीति करते हैं और जनता में डर का माहौल पैदा करते हैं। इसके साथ ही कुछ लालची लोगों को पैसों का लालच देकर दंगा-फसाद करवाते हैं, जिससे देश की एकता तो कमजोर होती है और इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है और आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।

भारत में आतंकवाद की समस्या

भारत में आतंकवाद जिस तरह तेजी से बढ़ रहा है, वह न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहा है बल्कि देश के विकास को भी रोक रहा है। धर्म, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हुए राष्ट्रों के विभाजन ने लोगों के अंदर हिंसा, नफरत, अलगाववादी, आतंकवाद आदि की भावना पैदा कर दी थी, जिसके चलते आजादी के इतने सालों बाद भी लोगों की नफरतें खत्म नहीं हुई और आतंकवाद ने एक बड़ा रुप ले लिया।

ब्रिटिश शासकों की फूट डालो, शासन करो की नीति के बाद भी भारत में आतंकवाद का स्तर बढ़ा है। इसके अलावा नागालैंड समेत बांग्लादेश औऱ पाकिस्तान के भारत से विभाजन के बाद आतंकवाद की शुरुआत हुई और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए भी कई नए आंतकवादियों ने जन्म लिया, जो कई अमानवीय कुकृत्यों द्धारा भारत में आतंक को बढ़ा रहे हैं और लोगों के मन में खौफ पैदा कर रहे हैं।

भारत को नुकसान पहुंचाने और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों पर कब्जा करने समेत भारतीय जनता में भय का माहौल पैदा करने के उद्देश्य से कई बार ऐसे आतंकवादी हमले करवाए जाते हैं, जिससे देश के कई बेकसूर और बेगुनाह लोग मारे जाते हैं।

साथ ही भारत की सुरक्षा पर सेंध लगाने के उद्देश्य से भारतीय सुरक्षा बलों समेत भारतीय सैनिकों पर भी हमले किए जाते हैं, जिससे लड़ाई करते हुए कई सीमा पर तैनात भारतीय जवान शहीद हो जाते है।

इसके अलावा आतंकवादियों द्धारा भारत के कई सार्वजनिक स्थलों पर भी बम-बिस्फोट समेत कई हिंसात्मक और अमानवीय गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।

वहीं भारत में आतंकवाद की मूल वजह बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, अशिक्षा भुखमरी असमानता और बेरोजगारी है।

वहीं भारत में कई बडे़ आतंकी संगठनजैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा, उल्फा, तालिबान, ISIS आदि सक्रिय हैं, और यह संगठन भारत के बेरोजगारों और गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं, जिससे भारत में आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है।

वहीं भारत में आतंकवाद तो पहले सिर्फ कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था जैसे कि जम्मू कश्मीर। लेकिन पिछले कुछ सालों में आतंकवाद, भारत में काफी फैल चुका है। इसके बड़े उदाहरण 26/11 मुंबई आतंकी हमला , जयपुर विस्फोट, मुंबई ट्रेन धमाका, दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट, 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट, कोयंबटूर धमाका, भारतीय संसद पर हमला आदि हैं।

आतंकवाद जिस तरह से पूरे संसार में अपनी जड़े फैला रहा है, यह गंभीर चिंता का विषय है। अगर इस पर जल्द काबू नहीं किया गया तो, आने वाली पीढ़ी के लिए यह बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

इसलिए, आतंकवाद की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है।

अगले पेज आतंकवाद पर और भी निबंध……

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आतंकवाद पर निबंध | Terrorism in Hindi

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आतंकवाद पर निबंध | Terrorism in Hindi!

आतंकवाद किसी एक व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है । हमारे देश मे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व मे इसका जहर इतनी तीव्रता से फैल रहा है कि यदि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है ।

शाब्दिक अर्थों में आतंकवाद का अर्थ भय अथवा डर के सिद्‌धांत को मानने से है । दूसरे शब्दों में, भययुक्त वातावरण को अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति हेतु तैयार करने का सिद्धांत आतंकवाद कहलाता है । विश्व के समस्त राष्ट्र प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं । रावण के सिर की तरह एक स्थान पर इसे खत्म किया जाता है तो दूसरी ओर एक नए सिर की भाँति उभर आता है ।

यदि हम अपने देश का ही उदाहरण लें तो हम देखते हैं कि अथक प्रयासों के बाद हम पंजाब से आतंकवाद का समाप्त करने में सफल होते है तो यह जम्यू-कश्मीर, आसाम व अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में प्रारंभ हो जाता है । पड़ोसी देश पाकिस्तान द्‌वारा भारत में आतकवाद को समर्थन देने की प्रथा तो निरंतर पचास वर्षो से चली आ रही है ।

हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है । यहाँ अनेक धर्मो के मानने वाले लोग निवास करते हैं । हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्रहम समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मो के अनुयाइयों को यहाँ समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं ।

वास्तविक रूप में धर्मो का मूल एक है । सभी ईश्वर पर आस्था रखते है तथा मानव कल्याण को प्रधानता देते हैं । सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव व मानवता का संदेश देते है परंतु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते है ।

धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित कर दैत है कि उनमें किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशित हो जाता है । उनमें ईर्ष्या, द्वेष व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे एक पूँक्षर कह खून बहच सं भी नहीं चूकते हैं ।

देश में आतंकवाद के चलते पिछले पाँच दशकों में 50,000 से भी अधिक परिवार प्रभावित हो चुके हैं । कितनी ही महिलाओं का सुहाग उजड़ गया है । कितने ही माता-पिता बेऔलाद हो चुके हैं तथा कितने ही भाइयों से उनकी बहनें व कितनी ही बहनें अपने भाइयों से बिछुड़ चुकी हैं । पिछले दशक के हिंदू-सिख में कितने ही लोग जिंदा जला दिए गए । इसी आतंकवाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी ।

हमारे भूतपूर्व युवा प्रधानमंत्री स्व॰ राजीव गाँधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने । अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके । पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है । वहाँ के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे है ।

पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है । धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून की नदियाँ बहना आम बात हो गई है । प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय और आतंक का पर्याय बन रहा है । खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पाँच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है ।

आतंकवाद के कारण यहाँ का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है । हजारों की संख्या में लोग वहाँ से पलायन कर चुके हैं । विगत वर्षो में इस आतंकवाद ने जितनी जाने ली हैं कितने सैनिक शहीद हुए हैं इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है । चूँकि यह आतंकवाद एक सुनियोजित अभियान के तहत चलाया जा रहा है, इसलिए इसकी समाप्ति उतनी सरल नहीं है ।

आतंकवाद के चलते खलनायकों को नायक के रूप में देखा जा रहा है । ऐसा नहीं है कि केवल निरीह लोग ही इसकी गिरफ्त में आते हैं । आतंकवाद ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी नहीं छोड़ा जिसके फलस्वरूप हजारों लोग मौत के मुँह में समा गए तथा अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा ।

आतंकवाद मानव सम्यता के लिए कलंक है । उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए । विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें ।

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आतंकवाद : एक विकराल समस्या

‘आतंकवाद’ शब्द की उत्पत्ति फ्राँसीसी क्रांति के दौरान उस समय हुई थी, जब वर्ष 1793-94 के दौरान वहाँ आतंक का राज स्थापित हुआ था। लेकिन मूल रूप से इसका आरंभ विश्व भर में 1950 के दशक में हुए वामपंथ के उत्थान के बाद से देखा जा सकता है। इसकी जद में यूरोप सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी और भारत जैसे अनेक देश आए। भारत में नक्सलवाद और माओवाद के रूप में आतंकवाद का स्वरूप काफी लंबे अरसे से उपस्थित रहा है। वर्तमान में तो भारत में धार्मिक आतंकवाद का असर कहीं ज्यादा देखने को मिल रहा है।

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आतंकवाद की परिभाषा

यूं तो आतंकवाद की कोई सीधी सटीक परिभाषा देना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी अनेक संस्थाओं और कानूनों के माध्यम से आतंकवाद को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। उनमें से कुछ संस्थाओं व कानूनों के तहत दी गई आतंकवाद की परिभाषा निम्नानुसार है-

  • वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा था कि “लोगों को भयभीत करने या सरकार या किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन को कोई कार्य करने अथवा नहीं करने के लिए विवश किए जाने के उद्देश्य से नागरिकों या निहत्थे लोगों को मारने या गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया कृत्य आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाएगा।”
  • भारतीय संसद ने वर्ष 1987 में ‘आतंकवादी और विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ पारित किया था। इसके तहत आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि “जो कोई भी कानून द्वारा स्थापित सरकार को डराने या लोगों या लोगों के किसी समूह को आतंकित करने या उन्हें मारने या विभिन्न समूहों के मध्य सौहार्द को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के उद्देश्य से बम, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थ या ज्वलनशील पदार्थ या घातक हथियारों या ज़हर या हानिकारक गैसों या अन्य रसायनों या खतरनाक प्रकृति के अन्य किसी पदार्थ (जैविक या अन्य) का इस तरह से प्रयोग करते हुए कोई कार्य करता है, जिससे व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु हो या उन्हें कोई चोट पहुँचे या संपत्ति की हानि या विनाश हो या समुदाय के जीवन के लिये अनिवार्य आपूर्तियाँ अथवा सेवाओं में बाधा पहुँचे अथवा किसी व्यक्ति बाधित हो या सरकार या किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्य करने से अलग रहने के लिये विवश करने हेतु लोगों को मारने या घायल करने की धमकी देता है, उसका कृत्य आतंकवादी कार्य माना जायेगा।”
  • वर्ष 2002 में पारित ‘आतंकवाद निवारण अधिनियम’ (POTA) के अंतर्गत आतंकवाद के वित्तीयन को भी आतंकवादी कृत्य माना गया है।

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद को मुख्यतः निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है-

1. नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद :

डेनियल बाइमैन के अनुसार, अपने उद्देश्य प्राप्ति हेतु किसी उप-राष्ट्रीय नृजातीय समूह द्वारा जान बूझकर की गई हिंसा ‘नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद’ कहलाता है। ऐसी हिंसा पृथक राज्य के गठन या किसी नृजातीय समूह की अपेक्षा अपना स्तर सुधारने के लिये की जाती है। जैसे- श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादी समूह, पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी समूह आदि।

2. धार्मिक आतंकवाद :

वर्तमान में यह आतंकवाद का अत्यधिक प्रचलित रूप है। हॉफमैन के अनुसार, पूर्णत: या अंशत: धार्मिक आदेशों से प्रेरित आतंकवादी हिंसा धार्मिक आतंकवाद कहलाती है। इससे प्रेरित आतंकवादी हिंसा का औचित्य सिद्ध करने के लिए विभिन्न धार्मिक साधनों का सहारा लेते हैं। भारत के इस आतंकवाद से अत्यधिक प्रभावित है।

3. विचारधारा-प्रेरित आतंकवाद :

I. वामपंथी आतंकवाद :

पूंजीवाद का विरोध करते हुए एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करने के उद्देश्य से की जाने वाली हिंसा वामपंथी आतंकवाद कहलाती है। जैसे- लेनिन, माओ त्से-तुंग और मार्क्स की विचारधारा पर आधारित हिंसा।

II. दक्षिणपंथी आतंकवाद :

एक समूह द्वारा प्राचीन संस्कृति की पुनर्स्थापना या उसके संरक्षण के लिए की जाने वाली हिंसा दक्षिणपंथी आतंकवाद कहलाती है। जैसे- जर्मनी में नाजीवाद, इटली में फासीवाद आदि।

4. राज्य प्रायोजित आतंकवाद :

जब किसी देश की सरकार के द्वारा किसी अन्य देश में हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिलाया जाता है, तो इसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद कहा जाता है। इस प्रकार की हिंसा सामान्यतः विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए की जाती है। जैसे-

  • रूस द्वारा बाल्कन क्षेत्र में स्लाव लोगों का समर्थन।
  • प्रथम विश्व युद्ध के बाद बुल्गारिया द्वारा यूगोस्लाविया के विरुद्ध मैसेडोनिया के क्रांतिकारियों का इस्तेमाल।
  • शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों द्वारा साम्यवाद विरोधियों का समर्थन।
  • भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद आदि।

5. स्वापक आतंकवाद :

मादक द्रव्यों की तस्करी में संलग्न गिरोहों द्वारा अपने उद्देश्यों के परिपूर्ति के लिए की जाने वाली हिंसा स्वापक आतंकवाद की श्रेणी में आती है। इसके अंतर्गत मादक द्रव्यों की तस्करी में संलग्न गिरोह अपने उद्देश्य की परिपूर्ति के लिए विभिन्न आतंकवादी संगठनों का सहारा लेते हैं। इसके परिणाम स्वरूप आतंकवादियों को आसानी से आर्थिक लाभ प्राप्त हो जाता है तथा मादक द्रव्यों की तस्करी करने वाले गिरोह अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं, इसीलिए ये दोनों पक्ष आसानी से एक दूसरे का सहयोग करने के लिए तैयार हो जाते हैं। अतः कहा जा सकता है कि स्वापक आतंकवाद मुख्य रूप से आर्थिक हितों से प्रेरित होता है।

भारत में आतंकवाद के नियंत्रण हेतु उठाए गए कदम

भारत विश्व में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है। ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ की मानें तो वर्ष 2018 भारत आतंकवाद से 7 वाँ सर्वाधिक प्रभावित देश था। आजादी के बाद से ही भारत में अनेक आतंकवादी घटनाएं घटित होती रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2001 से 2018 के मध्य भारत में आतंकी हमलों के कारण 8000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। ऐसे में, भारत सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जो निम्नानुसार हैं-

  • सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए भारतीय संसद ने वर्ष 1967 में ‘गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम’ (UAPA) पारित किया था तथा इसे और प्रभावी बनाने के लिए वर्ष 2004 में इसमें संशोधन भी किया गया था।
  • भारतीय संसद में वर्ष 1987 में आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ‘आतंकवादी और विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (TADA) पारित किया था।
  • वर्ष 2002 में भारतीय संसद में ‘आतंकवाद निवारण अधिनियम’ (POTA) भी पारित किया था इसका उद्देश्य भी आतंकवादी गतिविधियों से निपटना था।
  • भारत के मुंबई में हुए कुख्यात 26/11 आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ (NIA) का गठन किया था।
  • इसके अलावा, भारत सरकार ने विभिन्न खुफिया एजेंसियों का गठन किया है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए कार्य करती हैं। इनमें ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (RAW), ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो’ (IB) आदि संस्थाएं प्रमुख हैं।
  • भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड’ (NATGRID) का निर्माण भी किया है। इसका उद्देश्य विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के डेटाबेस को आपस में जोड़ना है, ताकि ये सुरक्षा एजेंसियां बेहतर सामंजस्य के साथ कार्य कर सकें।
  • भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड’ (NSG) नामक एक अर्ध सैनिक बल का गठन भी किया है।
  • इसके अलावा, भारत ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन का भी सदस्य है, जो मुख्य रूप से धन शोधन व आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने का कार्य करती है।

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Terrorism Essay for Students and Teacher

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Terrorism is an act, which aims to create fear among ordinary people by illegal means. It is a threat to humanity. It includes person or group spreading violence, riots, burglaries, rapes, kidnappings, fighting, bombings, etc. Terrorism is an act of cowardice. Also, terrorism has nothing to do with religion. A terrorist is only a terrorist, not a Hindu or a Muslim.

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Types of Terrorism

Terrorism is of two kinds, one is political terrorism which creates panic on a large scale and another one is criminal terrorism which deals in kidnapping to take ransom money. Political terrorism is much more crucial than criminal terrorism because it is done by well-trained persons. It thus becomes difficult for law enforcing agencies to arrest them in time.

Terrorism spread at the national level as well as at international level.  Regional terrorism is the most violent among all. Because the terrorists think that dying as a terrorist is sacred and holy, and thus they are willing to do anything. All these terrorist groups are made with different purposes.

Causes of Terrorism

There are some main causes of terrorism development  or production of large quantities of machine guns, atomic bombs, hydrogen bombs, nuclear weapons, missiles, etc. rapid population growth,  Politics, Social, Economic  problems, dissatisfaction of people with the country’s system, lack of education, corruption, racism, economic inequality, linguistic differences, all these are the major  elements of terrorism, and terrorism flourishes after them. People use terrorism as a weapon to prove and justify their point of view.  The riots among Hindus and Muslims are the most famous but there is a difference between caste and terrorism.

The Effects Of Terrorism

Terrorism spreads fear in people, people living in the country feel insecure because of terrorism. Due to terrorist attacks, millions of goods are destroyed, the lives of thousands of innocent people are lost, animals are also killed. Disbelief in humanity raises after seeing a terrorist activity, this gives birth to another terrorist. There exist different types of terrorism in different parts of the country and abroad.

Today, terrorism is not only the problem of India, but in our neighboring country also, and governments across the world are making a lot of effort to deal with it. Attack on world trade center on September 11, 2001, is considered the largest terrorist attack in the world. Osama bin Laden attacked the tallest building in the world’s most powerful country, causing millions of casualties and death of thousands of people.

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Terrorist Attacks in India

India has suffered several terrorist attacks which created fear among the public and caused huge destruction. Here are some of the major terrorist attacks that hit India in the last few years: 1991 – Punjab Killings, 1993 – Bombay Bomb Blasts, RSS Bombing in Chennai, 2000 – Church Bombing, Red Fort Terrorist Attack,2001- Indian Parliament Attack, 2002 – Mumbai Bus Bombing, Attack on Akshardham Temple, 2003 – Mumbai Bombing, 2004 – Dhemaji School Bombing in Assam,2005 – Delhi Bombings, Indian Institute of Science Shooting, 2006 – Varanasi Bombings, Mumbai Train Bombings, Malegaon Bombings, 2007 – Samjhauta Express Bombings, Mecca Masjid Bombing, Hyderabad Bombing, Ajmer Dargah Bombing, 2008 – Jaipur Bombings, Bangalore Serial Blasts, Ahmedabad Bombings, Delhi Bombings, Mumbai Attacks, 2010 – Pune Bombing, Varanasi Bombing.

The recent ones include 2011 – Mumbai Bombing, Delhi Bombing, 2012 – Pune Bombing, 2013 – Hyderabad Blasts, Srinagar Attack, Bodh Gaya Bombings, Patna Bombings, 2014 – Chhattisgarh Attack, Jharkhand Blast, Chennai Train Bombing, Assam Violence, Church Street Bomb Blast, Bangalore, 2015 –  Jammu Attack, Gurdaspur Attack, Pathankot Attack, 2016 – Uri Attack, Baramulla Attack, 2017 – Bhopal Ujjain Passenger Train Bombing, Amarnath Yatra Attack, 2018 Sukma Attack, 2019- Pulwama attack.

Agencies fighting Terrorism in India

Many police, intelligence and military organizations in India have formed special agencies to fight terrorism in the country. Major agencies which fight against terrorism in India are Anti-Terrorism Squad (ATS), Research and Analysis Wing (RAW), National Investigation Agency (NIA).

Terrorism has become a global threat which needs to be controlled from the initial level. Terrorism cannot be controlled by the law enforcing agencies alone. The people in the world will also have to unite in order to face this growing threat of terrorism.

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आतंकवाद पर निबंध | Terrorism Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Terrorism in Hindi

By: savita mittal

आतंकवाद का बदलता और बढ़ता स्वरूप | Terrorism Essay in Hindi

विभिन्न आतंकी गुट, वैश्विक स्तर पर आतंकवाद, भारत में आतंकी गतिविधियाँ, आतंकवाद के दुष्परिणाम, समाधान के प्रयास, आतंकवाद पर निबंध/10 lines on terrorism in hindi/essay on terrorism/terrorism essay/anti terrorism video.

आतंकबाद एक ऐसा विचार है, जो सामान्य जनमानस में भय की भावना का संचार कर देता है। भय मृत्यु का या आर्थिक, सामाजिक किसी भी श्रेणी का हो सकता है। आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसकी आग में पूरा विश्व जल रहा है। आज कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता की उसकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं है और वह आतंकबाद से पूरी तरह से मुक्त है। आतंकबाद लैटिन भाषा के ‘टेस’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है समाज में हिंसक कार्यों और गतिविधियों से जनमानस में भय की मन:स्थिति की स्थापना कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करना।

इस प्रकार से आलंकबाद समाज के मानव समुदाय द्वारा संचालित ऐसी मानव विरोधी गतिविधियाँ हैं जो कि उसी समाज के मानव समुदाय के बिरुद्ध लूट, अपहरण, बम बिस्फोट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों का कारण बनती हैं।

आतंकवाद का उद्देश्य राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नहीं, सामाजिक या अन्य किसी प्रकार का भी हो सकता हैं। वैसे तो आतंकवाद के कई प्रकार है, किन्तु इनमें से तीन ऐसे हैं जिनसे पूरी दुनिया अस्त है- राजनीतिक आतंकबाद, धार्मिक कट्टरता एवं गैर-राजनीतिक या सामाजिक आतंकबाद। श्रीलंका में लिट्टे समर्थकों एवं अफग़ानिस्तान में तालिबानी संगठनों की गतिविधियाँ राजनीतिक आतंकबाद के उदाहरण हैं।

कश्मीर, लद्दाख एवं असम में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकबाद के ही उदाहरण है। अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से आपराधिक कृत्यों को अंजाम देते हैं। अत: ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न सामाजिक क्रान्तिकारी विद्रोह को गैर-राजनीतिक आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है। 

भारत में नक्सलबाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण है। इस प्रकार, आतंकी गुट विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति विभिन्न रूपों में करते हैं। आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों, रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों, बस इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेल पटरियों का उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बन्दी बना लेना, बैंक डकैतियाँ इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं, जिनसे पूरा विश्व विगत कुछ दशकों से त्रस्त है।

Terrorism Essay in Hindi

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विश्व स्तर पर आतंकबाद के फैलते साम्राज्य का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि अभी तक आतंकवाद पर नियन्त्रण के सारे प्रयास निष्फल साबित हुए हैं। परिणामस्वरूप ‘विश्व शान्ति’ की कल्पना एक स्वप्न बनकर रह गई है। 

आतंकवाद एक ऐसी भयावह समस्या है, जिससे दुनिया में मानव अस्तित्व का समूल नाश सम्भव है फिर भी दुनिया के लगभग प्रत्येक देश में आतंकवाद है, कहीं धार्मिक संगठनों की हिंसक गतिविधियों के रूप में तो कहीं राजनीतिक विचारधाराओं के मध्य विध्वंसात्मक संघर्ष के रूप में। तो कहीं क्षेत्र, भाषा या फिर जाति जैसे मुद्दों पर निर्मित संगठनों के हथियार बन्द संघर्ष के रूप में आतंकवाद व्याप्त है। 

दुनिया में आतंकबाद की समस्या की भयावहता का मूल कारण यह है कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण आतंकवादियों के लिए जहाँ रासायनिक, नाभिकीय, जैविक मानव बम जैसे अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग उपलब्ध है.तो यहाँ इण्टरनेट की उपलब्धता से उनके लिए सरकारी आंकड़ों की गोपनीयता तक पहुँचना भी सम्भव हो गया है। इन परिस्थितियों में दुनिया में आतंकवाद का प्रसार बढ़ रहा है।

आज विश्व स्तर पर आतंकवाद की अमरबेल मानव समाज की सुख-समृद्धि और शान्ति के प्रयासों को निष्फल कर रही है। पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हुई है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के स्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। 

दिसम्बर, 2014 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के एक कैम्पस में ग्राहकों को बन्दी बनाना, पाकिस्तान के पेशावर जिले में स्थित एक आमने स्कूल में लगभग 180 मासूम बच्चों को निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतारना, जनवरी, 2015 में फ्रांस में ‘शाकों आब्दी के कार्यालय पर हमला कर पत्रकारों की हत्या। इसके अतिरिक्त वर्ष 2017 में क्रमश: काबुल (मार्च में), बलख (अप्रैल में), लन्दन में (मार्च में), सीरिया च मिस्र (नवम्बर में) आदि ऐसी मयावह वारदाते हैं, जो आतंकवाद के घिनौने रूप की प्रकट करती हैं।

वस्तुतः आतंकबाद एक वैश्विक समस्या है, किन्तु भारत इस समस्या से सर्वाधिक त्रस्त है। इसका प्रमुख कारण भारत के पड़ोसी देश विशेष रूप से पाकिस्तान है। भारत और पाकिस्तान में आरम्भ से ही जम्मू-कश्मीर राज्य (अब कश्मीर और लद्दाख केन्द्रशासित प्रदेश) विवाद का मुद्दा रहा है और दोनों देश इस पर अपना अधिकार करना चाहते हैं। पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयत्न कई बार कर चुका है। यह आए दिन सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है, लेकिन उसे अभी तक असफलता ही हाथ लगी है। अत: पाकिस्तान ने भारत को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

12 मार्च, 1993 को मुम्बई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोट, 13 दिसम्बर, 2001 को संसद भवन पर हमला, 7 मार्च, -2006 को बाराणसी बम विस्फोट, 26 जुलाई, 2008 का अहमदाबाद बम बिस्फोट, 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई के ताज होटल पर हमला, वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला, वर्ष 2017 में अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमला, 14 फरवरी 2019 का पुलवामा हमला इत्यादि कुछ ऐसी घटनाएँ हैं, जो भारत को आतंकवाद पीड़ित देश घोषित करती है। इन बड़ी घटनाओं के अतिरिक्त आतंकवादी भारत में अनेक छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। नक्सलवाद भी एक प्रकार से देश में आतंकबाद का स्वरूप ग्रहण का चुका है।

प्रारम्भ में यह विद्रोह प. बंगाल तक सीमित था, किन्तु अब यह धीरे-धीरे ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भी फैल गया है। चीन द्वारा भी भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी एवं नक्सलवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। चीन भारत में सक्रिय अलगाववादी गुटों को पैसा, हथियार एवं संरक्षण मुहैया कराकर भारत में अराजकता की स्थिति बनाने पर लगा है। चीन, भारत को प्रत्येक स्तर पर अपना विरोधी मानते हुए कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष माध्यम से भारत के विकास में रोड़ा अटकाता रहता है। इसके अलावा वह सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने का भी जिम्मेदार है।

आतंकवाद के दुष्परिणामस्वरूप अब तक दुनिया के कई राजनयिकों सहित मासूमों एवं निर्दोष लोगों की जाने जा चुकी हैं तथा लाखो लोग विकलांग एवं अनाथ हो चुके है।। आतंकवाद के सन्दर्भ में सबसे बुरी बात यह है कि कोई नहीं। जानता कि आतंकबाद और आतंकवादियों का अगला निशाना कौन होगा? इसलिए आतंकवाद ने आज लोगों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है। यह मानव जाति के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।

वैश्विक समस्या के चलते आतंकवाद के वैश्विक समाधान की दिशा में सतत प्रयास जारी हैं। विभिन्न देशों के साथ ही कई अन्य संगठन भी इस दिशा में प्रयासरत है। जैसे-ब्राजील में 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (2019) में आतंकबाद का मुद्दा महत्वपूर्ण रहा। 

14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, 2019 (थाईलैण्ड), ताशकन्द में हुए 18वें शंघाई सहयोगसंगठन शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर गहन विमर्श किया गया। नवम्बर, 2019 में पेरिस मै जारी ग्लोबल टेररिज्म इण्डेक्स-2018 ज्यादा फैल गया है, लेकिन वर्ष 2014 में यह बात सामने आई है कि आतंकियों का दुनिया भर में जाल पहले से कहीं में 33,565 की तुलना में वर्ष 2018 में 15,952 का आंकड़ा आतंकी हत्या के गिरते ग्राफ का संकेत है। 

यह गिरावट एक या दो प्रतिशत की नहीं 15.2% की है। निश्चय ही इसके पीछे अमेरिका, भारत और यूरोपियन देशों के आतंकवाद विरोधी अभियान की बड़ी भूमिका है।

भारत में भी आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार ने समय-समय पर अनेक कानूनों का सहारा लिया है, जैसे- वर्ष 1950 में निवारक निरोध अधिनियम, वर्ष 1970 में मीसा, वर्ष 1980 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1987 में टाडा (TADA), वर्ष 2002 में पोता (POTA), वर्ष 2008 में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेन्सी (एनआईए), 2019 में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक-2019 (यूएपीए) को मंजूरी आदि। 

इसके अतिरिक्त रोशनी जैसे कार्यक्रम भी चलाए गए हैं तथा ऐसी गतिविधियों में संलग्न लोगों के लिए स्वरोजगार सम्बन्धी उपाय मी जा रहे हैं। जिससे देश के कुछ राज्यों में इससे नक्सलवादी लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर (अब कश्मीर एवं लद्दाख) में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए भारत को कड़े कदम उठाने होंगे एवं पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकते हुए इस राज्य पर अपनी प्रशासनिक पकड़ मजबूत बनानी होगी।

दुनिया के देशों को आतंकवाद पर नियन्त्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोपरि भूमिका को स्वीकार करते हुए उसके निर्णय को बाध्यकारी बनाए जाने की जरूरत है। इसके अतरिक्त विभिन्न देशों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के लिए ठोस निर्णय लेना होगा। दुनिया के ऐसे देश जिनके द्वारा आतंकवाद को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय सहायता से पूर्णतः अलग-थलग कर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के प्रयास किए जाने चाहिए। 

दुनिया में जीवन के अस्तित्व और सुरक्षा के लिए आतंकवाद पर नियन्त्रण जरूरी है। दुनिया में आतंक का खौफ मानवता के लिए एक ऐसा अभिशाप साबित हो रहा है। जिसने विश्व शान्ति की परिकल्पना के क्रियान्वयन पर विराम लगा दिया है। दुनिया को आतंकवाद से मुक्त किए बिना जीवन में सुख-समृद्धि, शान्ति और विकास की बात सम्भव नहीं है। इस दृष्टि से विश्व के प्रत्येक देश और समाज में प्रत्येक नागरिक को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा अन्यथा आतंकवाद के भयानक विस्फोट में मानव अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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    ADVERTISEMENTS: आतंकवाद पर निबंध | Terrorism in Hindi! आतंकवाद किसी एक व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है ...

  21. आतंकवाद

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  22. Terrorism Essay for Students and Teacher

    500+ Words Essay on Terrorism Essay. Terrorism is an act, which aims to create fear among ordinary people by illegal means. It is a threat to humanity. It includes person or group spreading violence, riots, burglaries, rapes, kidnappings, fighting, bombings, etc. Terrorism is an act of cowardice. Also, terrorism has nothing to do with religion.

  23. आतंकवाद पर निबंध

    आतंकवाद का बदलता और बढ़ता स्वरूप | Terrorism Essay in Hindi. आतंकबाद एक ऐसा विचार है, जो सामान्य जनमानस में भय की भावना का संचार कर देता है। भय मृत्यु का या आर्थिक ...