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भारत में बाल श्रम कारण कानून व दुष्परिणाम | Child Labour In India In Hindi

भारत में बाल श्रम कारण कानून व दुष्परिणाम Child Labour Introduction Types Causes How To Stop Effects & Laws In India In Hindi : कम आयु में बच्चों को पढ़ाने लिखाने एवं विकास के समुचित अवसर दिलाने के स्थान पर किसी रोजगार में लगा देना बाल श्रम (child labour) कहलाता है.

बाल श्रम से परिवार की आय बढ़ती है व आर्थिक स्थति में सुधार होता है, परन्तु इससे बालकों के स्वाभाविक शारीरिक व मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

इसके कारण वे व्यक्तित्व के विकास के लिए जरुरी चीजों से वंचित हो जाते है. तथा समुचित बौद्धिक विकास में पीछे रह जाते है.

बाल श्रम कारण कानून व दुष्परिणाम (child labour in india in Hindi)

भारत में बाल श्रम कारण कानून व दुष्परिणाम | Child Labour Introduction Types Causes How To Stop Effects & Laws In India In Hindi

भारत में बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है. इसके अंतर्गत बेहद कम आयु वर्ग के बालक बालिकाओं को कठोर शारीरिक व मानसिक श्रम कार्यों अथवा मजदूरी पर लगाया जाता है.

स्कुल जाने की इस उम्रः में अनियमित काम घंटे व असुरक्षा के कारण इनका भविष्य अन्धकारमय  जाता है. भारत सरकार ने बाल श्रम को रोकने के लिए कई Child Labour low बनाए है. जिनके तहत इस समस्या को समाप्त किया जा सकता है.

बाल श्रम क्या है (child labour introduction in hindi)

भारत म बाल श्रम की समस्या गरीबी से जुड़ी हुई है. अधिकाँश बाल श्रमिक भूमिहीन खेतिहर मजदूरों, सीमांत किसानों, दस्तकारों और शहरी झुग्गियों में रहने वाले प्रवासी परिवारों से आते है.

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार 2011 की जनगणना में देश में कुल 43.53 लाख बाल श्रमिक है.

सबसे अधिक बाल श्रमिक उत्तरप्रदेश से 8.96 लाख व सबसे कम लक्षद्वीप से 28 है. बाल श्रमिक क्या है. भारतीय जनगणना की परिभाषा के अनुसार एक बाल श्रमिक वह है, जो दिन का बड़ा हिस्सा काम करने में लगाता है और 14 वर्ष से कम आयु का होता है.

1989 के बच्चों के अधिकारों पर राष्ट्रमंडल कन्वेंशन में बाल श्रमिक की उपरी आयु सीमा 18 वर्ष रखी गई थी.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को ही बाल श्रम में लेता है. भारत में 14 साल से ऊपर उम्रः वाले बच्चों को रोजगार के लिए पर्याप्त उम्रः माना गया है.

बाल श्रम के कारण (child labour causes in hindi)

भारत में अत्यधिक गरीबी के चलते बाल श्रम एक सामाजिक समस्या का रूप ले चुका है. ग्रामीण गरीब अपनी जीविका का निर्वहन न कर पाने की स्थति में नौकरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते है. अतः समाज के इन गरीब वर्ग परिवारों की बड़ी संख्या बच्चों की कमाई पर निर्भर रहने को मजबूर है.

रोजी रोटी के लिए इस प्रकार के परिवारों के बच्चों को कम उम्रः में ही काम पर जाकर अपने घर की पारिवारिक आय के लिए योगदान करना होता है. इस प्रकार के बच्चों के माँ बाप उन हालत में नही होते है,

कि अपनी सन्तान को किसी विद्यालय में गुणवतापूर्ण शिक्षा मुहैया करवा सके. उन्हें या तो स्कुल भेजा ही नही जाता है, अथवा कुछ समय के लिए ही स्कूल भेजा जाता है.

इसके परिणाम के रूप में आज जिन बच्चों की आयु स्कुल में पढ़ने खेलने कूदने की होती है, उन्हें एक मजदूर की भांति कार्य करने के लिए विवश होना पड़ता है.

अधिकांश फैक्ट्री अथवा उद्योग मालिक भी इस प्रकार के बच्चों को काम पर लगाने की अधिक वरीयता देते है. सस्ता श्रम व समय से अधिक उसका उपयोग करने पर भी बच्चें प्रतिकार नही कर पाते है. इस कारण उन्हें कम खर्च कर अधिक मुनाफा प्राप्त होता है.

भारत के ग्रामीण क्षेत्र में बाल श्रम (Child labor in the rural areas of India)

ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चें स्वयं नियुक्त श्रमिकों क्र तौर पर या अवैतनिक पारिवारिक सहायकों की तरह काम करते है.

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चें अक्सर जानवर चराने, कृषि कार्यों, गृह आधारित उद्यमों, जैसे बीड़ी, हथकरघा, बुनाई, दस्तकारी, पापड़ बनाने आदि कार्यों में सलग्न रहते है.

शहरी क्षेत्रों में बाल श्रम (Child labor in urban areas)

शहरी क्षेत्रों में छोटे बच्चें उद्योगों और कार्यशालाओं में बीड़ी, दियासलाई या आतिशबाजी बनाने, कांच और चूड़ियाँ बनाने में, कालीनों की बुनाई, हथकरघा, हीरों की पोलिश, कुम्हारी, कागज के लिफ़ाफ़े, प्लास्टिक की चीजे बनाने और मत्स्य सर्वधन जैसा काम करते है.

दियासलाई और आतिशबाजी बनाने के उद्योगों में बड़ी मात्रा में कम उम्रः के बच्चें काम करते है. वे निर्माण स्थलों, पत्थरों की खानों में तथा माल लादने और उतारने का काम करते है.

होटलों और ढाबों में वे चाय और खाना देने का काम या दूध और सब्जी बेचने का काम अथवा घरेलू नौकरों, अख़बार बेचने वालों या गाड़ी साफ करने वालों का काम करते है. झुग्गियों में बच्चें कुलियों तथा आश्रित श्रमिकों का काम भी करते है.

बाल श्रम पर निबंध (essay on child labour)

ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बच्चें अवैतनिक पारिवारिक श्रमिकों के रूप में या मालिकों के घरों में परिवारों द्वारा किये जाने वाले ठेके पर काम करने तथा अपने ही परिवार के छोटे खेतों या उद्यमों में काम करते है.

आम तौर पर घरों में किया जाने वाला काम कम शोषणकारी माना जाता है, मगर अक्सर परिवार के भीतर इन बच्चों के साथ सबसे बुरा सलूक किया जाता है. तथा बेहद कठिन हालातों के बिच उन्हें 15 से 20 घंटे तक काम करना पड़ता है. अकसर बाल श्रमिकों को कम ही वेतन दिया जाता है. कई स्थानों पर उन्हें अमानवीय स्थति व जीवन की न्यूनतम सुरक्षा के अभाव में भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता है.

नगरों तथा बड़े शहरों में एक बड़ा तबका निराश्रित बच्चों का होता है. इस प्रकार के बच्चों के आगे पीछे कोई नही होता है, न ही इनका अपना कोई घर होता है. रेल की पटरियों या फुटपाथों पर ही ये रहने को मजबूर है. गाँव में इनके परिवार की नाजुक परिस्थियाँ और लड़ाई झगड़ा इन्हें भागने के लिए मजबूर कर देते है, तथा ऐसे शहरों में आकर एक असुरक्षित समुदाय का हिस्सा बन जाते है.

बाल श्रम के दुष्परिणाम (effects of child labour in india)

बाल श्रम के प्रभाव निम्न है.

  • कम आयु में बालकों के शोषण व विपरीत परिस्थतियों में जीवन निर्वाह के कारण उनका मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है.
  • बाल मजदूरों की संख्या में वृद्धि के फलस्वरूप वयस्कों हेतु रोजगार के अवसरों में कमी नजर आने लगी है.
  • राष्ट्र की कुल उत्पादकता पर बुरा प्रभाव
  • समाज के विभाजन की प्रक्रिया एवं लैगिंक विभेदीकरण को बढ़ावा मिलता है.
  • बाल श्रमिक सामान्यत गरीब व निम्न आर्थिक प्रष्ठभूमि से आते है, वे सिमित मजदूरी पाते है. जिसके दम पर उनकी जरूरते भी पूरी नही हो पाती है. इस कारण वे समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो जाते है.
  • शहरी क्षेत्रों में उनकी गरीबी व असुरक्षा का फायदा उठाकर कई संगठित समाज विरोधी गिरोह इन बालकों का प्रयोग गैर कानूनी कार्यों में करते है.

भारत में बाल श्रम उन्मूलन के प्रयास (child labour law in india in hindi)

  • सविधान के अनुच्छेद 23 [2]में मानव में बलात श्रम लेने को निषिद्ध किया गया हैं इस प्रकार बच्चों से भी बलात श्रम लेना निषिद्ध हैं.
  • सविधान के अनुच्छेद 24 के अंतगर्त 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के किसी कारखाने खान एंव अन्य खतरनाक उद्दोगों में नियोजन का प्रतिषेध किया गया हैं.
  • संविधान के अनुच्छेद 39 [ड ]में [निहित निर्देशक तत्वों में] राज्य को यह दायित्व सोंपा गया हैं कि वह यह सुनिश्चित करे कि पुरुष तथा स्त्री कर्मकारो के स्वास्थ्य और शक्ति का तथा बालको की सुकुमार अवस्था का दुरूपयोग नही हो तथा आर्थिक आवश्यकता से विवश होकर नागरिकों को ऐसे रोजगार में नही जाना पड़े जो उनकी आयु व शक्ति के अनुकूल नही हो.
  • सविधान के अनुच्छेद 39 [च] [नीति निर्देशक तत्वों में] में राज्य को यह दायित्व सोपा गया है कि वह बालको को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर देगा और बालको और अल्पवय व्यक्तियो को शोषण से तथा नेतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा करेगा.
  • शिक्षा का अधिकार [अनु 21 a या 21 क]; संसद द्वारा 86 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 पारित किया गया जिसके द्वारा अनुच्छेद-21 क को मूल अधिकार के रूप में जोड़ा गया है तथा 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को अनुवार्य व निशुल्क शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करेगा. इस अधिनियम में नागरिकों के मूल कर्तव्य अनुच्छेद 51 ट भी जोड़ा गया है. जिसके द्वारा इन बच्चों को शिक्षा के अवसर मुहैया कराने का माता पिता का मूल कर्तव्य माना गया है.
  • भारत के संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में अनुच्छेद 45 के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है.
  • संविधान के अनुच्छेद 21 क एवं 45 के तहत बालकों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 को 1 अप्रैल 2010 से लागू कर दिया गया है. इस अधिनियम में प्रत्येक निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत सीटेगरीब व अन्यथा अक्षम बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होगी.

बाल श्रम कानून क्या है Child Labour Act In India In Hindi

बाल (श्रमक बंधक) कानून 1933.

माता पिता अथवा अभिभावक द्वारा बालक को श्रम बंधक बनाने की स्थति में यह कानूनी प्रावधान किया गया है. इस अधिनियम के अनुसार बालकों को श्रम बंधक रखने वाले किसी भी मौखिक अथवा लिखित समझौतों को निरस्त बना दिया गया है.

कारखाना कानून 1948 (indian factories act 1948)

कारखाना कानून के तहत उन सभी व्यक्तियों को बालक की श्रेणी में शामिल किया गया है. जिन्होंने अभी तक 15 वर्ष की उम्रः पूरी नही की है.

कानून के तहत बालकों और महिलाओं से संध्या 7 बजे से प्रातः 6 बजे तक कार्य कराएं जाने का प्रतिषेधः है. यह कानून बच्चों को काम पर लगाने को गैर कानूनी घोषित करता है.

खान कानून 1952 (Mining laws in India)

इस कानून में सभी प्रकार की खानों में बालकों के नियोजन का प्रतिषेधः किया गया है.

प्रशिक्षु कानून 1961

इसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को प्रशिक्षु के रूप में काम करने हेतु नियोजन नही किया जा सकता है.

बीड़ी सिंगार कर्मकार कानून 1966

इस कानून द्वारा इस प्रकार के उद्योगों में किसी बालक के नियोजन को प्रतिबंधित किया गया है.

बाल श्रम (प्रतिषेधः एवं विनियमन) कानून 1986

वर्ष 1979 में सरकार ने बाल श्रम को रोकने के उपायों पर पहली बार गुरुपदस्वामी कमेटी का गठन किया. कमेटी ने न=विस्तृत अध्ययन कर बताया कि जब तक गरीबी रहेगी तब तक बाल श्रम रोकना संभव नही है, कानून के जरिये इन्हें पूर्ण व्यवहारिक रूप से खत्म नही किया जा सकता.

इसलिए एक विकल्प के तौर पर जोखिम वाले कार्यों में बच्चों को लगाने पर पूर्णत रोक लगा दी जावे. तथा गैर पप्रतिबंधित क्षेत्रों में बालकों के लिए कार्य स्थति, समय, मजदूरी बेहतर हो. इसी कमेटी की सिफारिश पर 1986 में बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) कानून बनाया गया था.

इस कानून के तहत सभी घरेलू इकाइयों को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्र में 14 वर्ष से कम आयु के बालक को काम पर लगाने की पूर्ण मनाही है. इस कानून की अवमानना करने की स्थति में दोषी व्यक्ति को तीन माह से एक वर्ष तक कारावास या 10-20 हजार रूपये जुर्माना अथवा दोनों भी हो सकते है.

सरकार द्वारा 2015 में बाल श्रम प्रतिषेध कानून में किये गये बदलाव के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चें अपने परिवार के पुश्तैनी कार्य में हाथ बंटा सकते है, इसके लिए यह अनुबंध किया गया है, कि कार्य खतरनाक नही होना चाहिए.

इस कानून के पूर्व के 1986 के कानून के तहत 14 वर्ष के बच्चों को किसी भी तरह के श्रम कार्य में लगाया जाना प्रतिबंधित था.

बाल श्रम उन्मूलन कानून के कुछ तथ्य

  • सरकार द्वारा खतरनाक श्रेणी के उद्योगों में 14 से 18 यानि 1 से 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों को लगाना गैर क़ानूनी है.
  • यदि कोई माता-पिता या उद्योगपति बाल श्रम का दोषी पाया जाता है, तो उन्हें तीन वर्ष की कठोर कारावास व 50 हजार रूपये तक का जुरमाना देना होगा.
  • यदि माता पिता बाल श्रम करवाते है, तो पहली दफा उन्हें चेतावनी के साथ छोड़ दिया जाता है, दूसरी बार ऐसा करने की स्थति में उन पर 10 हजार रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

ये कार्य बाल श्रम में नही आते

  • अगर बालक किसी वीडियो अथवा ऑडियो माध्यम का कलाकार हो.
  • फिल्म अथवा धारावाहिक में बाल कलाकार की भूमिका में हो.
  • सर्कस के सिवाय किसी भी खेल प्रतियोगिता में.
  • बच्चें के माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वो निरिक्षण करते रहे सम्बन्धित कार्य से बच्चें की शिक्षा व स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर न पड़े.

राष्ट्रीय बाल श्रम नीति (NCLP)

वर्ष 1979 में गठित गुरुपद स्वामी समिति के सुझावों पर भारत सरकार द्वारा अगस्त 1987 को एक राष्ट्रीय बाल श्रम नीति का निर्धारण किया गया.

राष्ट्रीय बाल नीति 2013 (National Child Policy)

भारत सरकार ने 26 अप्रैल 2013 को नयी राष्ट्रीय बाल नीति घोषित की. इसमें 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति/महिला को बालक माना गया है.

  • बाल श्रम उन्मूलन के लिए 26 सितम्बर 1994 को एक राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन प्राधिकरण की स्थापना की गई थी.
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 10 दिसम्बर 1996 को दिए गये निर्णय में देश में खतरनाक व घातक उद्योगों में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन को प्रतिबंधित किया गया है.

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बाल मजदूरी पर निबंध – Essay on Child Labour in Hindi

Essay on Child Labour in Hindi : दोस्तों आज हमने बाल मजदूरी पर निबंध लिखा है क्योंकि हमारे देश में आज भी बाल मजदूरी बढ़ती ही जा रही है जिसके कारण बच्चे पढ़ लिख नहीं पा रही है और उन्हें अपना पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत करना पड़ रहा है.

यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आज पढ़े लिखे हुए भारत में भी बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए विवश है हमे इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी.

essay on child labour in hindi

Get Some Essay on Child Labour in Hindi under 150, 300, 500, 1800 words

Best Essay on Child Labour in Hindi 150 Words

जब भी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से आमदनी कमाने के लिए होटलों, उद्योग धंधों, ढाबे, चाय की दुकान इत्यादि पर कार्य करवाया जाता है तो वह बाल मजदूरी की श्रेणी में आता है.

हमारे देश की आजादी के इतने सालों बाद भी बाल मजदूरी हमारे देश के लिए कलंक बना हुआ है हम आज भी यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि आज की सदी के भारत में भी हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे है.

बाल मजदूरी को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है जिसके कारण दिन प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और बच्चों का बचपन खराब हो रहा है. से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएं आती है.

हमें बाल श्रम को जड़ से मिटाने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे साथ ही स्वयं को भी जागरूक होना होगा तभी इस बाल मजदूरी के अभिशाप से छुटकारा पाया जा सकेगा.

Essay on Child Labour in Hindi 300 Words

किसी भी व्यक्ति के लिए बचपन ही सबसे अच्छा और सुनहरा वक्त होता है लेकिन जब बचपन में ही जिम्मेदारियों का बोझ नन्हे हाथों पर डाल दिया जाता है तो बचपन के साथ साथ उसकी पूरी जिंदगी खराब हो जाती है

क्योंकि बच्चों से उनके माता-पिता या अभिभावक कुछ चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करवाते है जिससे वह बच्चा पढ़ लिख नहीं पाता है और वह किसी नौकरी करने के योग्य भी नहीं रह पाता है इसलिए उसे मजबूरी वश जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ती है जिससे उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है.

बाल मजदूरी हमारे समाज और हमारे देश के ऊपर सबसे बड़ा कलंक है आज भले ही भारत के लोग पढ़े लिखे हैं लेकिन जब किसी बच्चे को मजदूरी करते हुए देखते है तो उसकी सहायता नहीं करते हैं सहायता करना तो दूर वे पुलिस या अन्य सरकारी संस्थाओं को इसकी जानकारी तक नहीं देते है.

किसी भी बच्चे के लिए बचपन में काम करना एक बहुत ही भयावह स्थिति होती है क्योंकि कभी कभी बच्चों के साथ कुछ ऐसे कृत्य हो जाते है जिससे उनकी पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है.

जैसे जैसे देश की आबादी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ही बाल मजदूर भी बढ़ते ही जा रहे हैं इसे अगर जल्द ही रोका नहीं गया तो हमारे देश के लिए यह आने वाली सबसे बड़ी महामारी होगी.

हमारी भारत सरकार ने बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उनकी पालना नहीं होने के कारण सड़क के किनारे बने ढाबों, होटलों इत्यादि में आज भी बच्चे बाल मजदूरी कर रहे होते है लेकिन कोई भी उनकी तरफ ध्यान नहीं देता है.

हमें एक भारत के सच्चे नागरिक होने का कर्तव्य निभाना चाहिए जब भी आपको कोई बच्चा बाल मजदूरी करता हुआ दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने मैं उसके खिलाफ शिकायत करनी चाहिए जब तक हम स्वयं जागरुक नहीं होंगे तब तक सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों कि ऐसे ही अवहेलना होती रहेगी.

Bal Majduri Essay in Hindi 500 Words

रूपरेखा –

बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियां भी समझनी होगी.

बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना हमारे देश के लिए आज एक चुनौती बन चुका है क्योंकि बच्चों के माता-पिता ही आज बच्चों से बचपन में कार्य करवाने लगे है. आज हमारे देश में किसी बच्चे का कठिन कार्य करते हुए देखना आम बात हो गई है.

हम रोज हर चौराहे हर मोड़ पर बच्चों को कार्य करते हुए देखते हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जिसके कारण बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता है. यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि सिर्फ कुछ चंद रुपयों के लिए बच्चों के बचपन से खेला जा रहा है.

अगर इसे जल्द ही रोका नहीं गया तो बच्चों के भविष्य के साथ साथ देश का भविष्य भी डूब जाएगा.

बाल मजदूरी के कारण –

(1) बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण हमारे देश में गरीबी का होना है गरीब परिवार के लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ होते हैं इसलिए वे अपने बच्चों को बाल मजदूरी के लिए भेजते है.

(2) शिक्षा के अभाव के कारण अभिभावक यही समझते हैं कि जितना जल्दी बच्चे कमाना सीख जाए उतना ही जल्दी उनके लिए अच्छा होगा.

(3) बाल श्रम का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि कुछ अभिभावक के माता पिता लालची होते हैं जोकि स्वयं कार्य करना नहीं चाहते और अपने बच्चों को चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करने के लिए भेज देते है.

(4) बाल श्रम को बढ़ावा इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि बच्चों को कार्य करने के प्रतिफल के रूप में कम रुपए दिए जाते हैं जिसके कारण लोग बच्चों को काम पर रखना अधिक पसंद करते है.

(5) बाल श्रम बढ़ने का एक कारण और भी है क्योंकि हमारे देश में लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं तो कुछ माफिया लोग उन बच्चों को डरा धमका कर भीख मांगने और मजदूरी करने भेज देते है.

(6) बाल श्रम को बड़ा मिलने का एक कारण यह भी है कि बाल श्रम पर बने कानून की पालना नहीं की जाती है.

बाल मजदूरी के समाधान –

(1) बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए में कड़े कानूनों का निर्माण करना होगा साथ ही उनकी सख्ती से पालना भी करवानी होगी.

(2) बाल मजदूरी को अगर खत्म करना है तो हमें लोगों को शिक्षित करना होगा साथ ही बच्चों की शिक्षा के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी.

(3) हम सबको जागरूक होना होगा क्योंकि जब तक हम बाल मजदूरी को देखते हुए भी अनदेखा करते रहेंगे तब तक बाल श्रम का यह कार्य यूं ही फलता फूलता रहेगा.

(4) हम सबको मिलकर लोगों की सोच बदलनी होगी क्योंकि ज्यादातर लोग सिर्फ पैसों के बारे में सोचते है उन्हें बच्चों के बचपन और देश के विकास से कोई मतलब नहीं होता है.

(5) बाल श्रम करवाने वाले लोगों के खिलाफ हमें शिकायत करनी होगी तभी जाकर बाल श्रम करवाने वाले माफियाओं पर शिकंजा कसा जा सकेगा.

(6) बच्चों को भी उनके अधिकार बताने होंगे क्योंकि पढ़ना लिखना उनका जन्मसिद्ध अधिकार होता है.

(7) हमारे देश से हमें गरीबी को हटाना होगा क्योंकि गरीबी बाल मजदूरी की मूल जड़ है.

निष्कर्ष –

बाल मजदूरी हमारे देश के लिए एक गंभीर समस्या है अगर जल्द ही इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो यह पूरे देश को दीमक की तरह खोखला कर देगी. बच्चे ही हमारे देश का भविष्य है अगर उन्हीं का बचपन अंधेरे और बाल श्रम में बीतेगा तो हम एक सुदृढ़ भारत की कल्पना कैसे कर सकते है.

अगर हमें नए भारत का निर्माण करना है तो बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा यह सिर्फ हमारे और सरकार के सहयोग से ही संभव है.

Essay on Child Labour in Hindi 1800 Words

प्रस्तावना –

बाल मजदूरी एक बच्चे के बचपन के सबसे भयावह दिन होते है. हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज भी मकड़ी के जाल की तरह बाल श्रम छोटे-छोटे बच्चों को अपने जाल में जकड़ता जा रहा है और हम सब हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे है.

बाल श्रम एक ऐसा दिन में जहर है जोकि चंद रुपयों के लिए बेच दिया जाता है यह जहर धीरे-धीरे बच्चे के बचपन को तबाह कर देता है इसके साथ ही देश का नव निर्माण करने वाला भविष्य भी खत्म हो जाता है.

हमारे भारत में बच्चों को भगवान स्वरूप माना जाता है लेकिन उन्हीं से उनका बचपन छीन लिया जाता है और हाथों में परिवार की जिम्मेदारियां थमा दी जाती है. सभी बच्चों का मन बचपन में खिलौने से खेलने और शिक्षा प्राप्त करने का होता है लेकिन क्या करें साहब कहीं लालच तो कहीं परिवार की जिम्मेदारियां सामने आ जाती है.

बाल श्रम क्या है –

भारत के सविधान 1950 के 24 वे अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है.

लेकिन किताबी दुनिया से बाहर आकर देखे तो हमें हर दुकान हर मोड़ पर बाल मजदूरी करते हुए बच्चे देखने को मिलते है. हकीकत तो यह है कि लोग कानून की परवाह ही नहीं करते है इसी कारण दिन प्रतिदिन बाल श्रम बढ़ता ही जा रहा है.

2017 की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 मिलियन से भी ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करते है सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में बाल मजदूरी होती है

बाल श्रम के कारण –

(1) शिक्षा की कमी – बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण शिक्षा की कमी होना ही है क्योंकि जब तक लोग पढ़े लिखे हुए नहीं होंगे तब तक भी यही मानते रहेंगे की पैसों से बढ़कर कुछ नहीं होता है इसीलिए वे लोग अपने बच्चों को बचपन से ही मजदूरी के काम में लगा देते है.

(2) गरीबी – हमारे देश के लिए गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती है बाल श्रम भी गरीबी के कारण ही उत्पन्न हुई एक समस्या है क्योंकि गरीब परिवार के लोग अपने परिवार का सही-सही भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने बच्चों को भी मजदूरी के काम में झोक देते हैं

(3) अनाथ बच्चे – हमारे देश में आज भी कई लोग अपने बच्चों को या तो छोड़ देते हैं या फिर उनके माता पिता की मृत्यु हो जाती है जिसके कारण भी अनाथ हो जाते हैं और वह ऐसे लोगों के संपर्क में आ जाते हैं जो कि उन्हें खाने का लालच देकर पूरे दिन भर उनसे कारखानों, होटलों, ढाबों पर कार्य करवाते है और उनकी कमाई भी खुद रख लेते है.

(4) लालची लोग – आज 21 सदी के भारत में कुछ माता-पिता और अभिभावक पैसों के लिए इतने लालची होते हैं कि वे पैसों के लिए अपने बच्चों को भी मजदूरी के कार्य में लगा देते है.

(5) पारिवारिक मजबूरियां – कई बार बच्चों की पारिवारिक मजबूरियां भी होती है क्योंकि कुछ ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती है जिसके कारण उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं रहता है इसलिए उन्हें मजबूरी वश बचपन में ही होटलों, ढाबों, चाय की दुकान, कल कारखानों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है.

(6) जनसंख्या वृद्धि – भारत में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण जरूरत की वस्तुओं का मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण गरीब लोग अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने परिवार के सभी सदस्यों को मजदूरी करने दे देते है जिसमें बच्चे भी शामिल होते है इसलिए ना चाहते हुए भी बच्चों को परिश्रम करना पड़ता है.

(7) भ्रष्टाचार – बाल मजदूरी का एक कारण भ्रष्टाचार भी है तभी तो बड़े बड़े होटलों ढाबों और कारखानों पर उनके मालिक बिना किसी भय के बच्चों को मजदूरी पर रख देते है उन्हें पता होता है कि अगर पकड़े भी गए तो हम घूस देकर छूट जाएंगे इसीलिए भ्रष्टाचार बाल मजदूरी में एक अहम भूमिका निभाता है.

(8) बेरोजगारी – भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है जिसके कारण कई गरीब लोग अपने परिवार की जीवन जीने योग्य जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते है मजबूरन वे अपने बच्चों को मजदूरी के काम में लगा देते है वे सोचते हैं कि अगर थोड़ा बहुत भी पैसा घर में आता है तो वह तो वक्त का भोजन कर पाएंगे.

(9) उचित नियम कानून का ना होना – भारत सरकार ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए कानून तो बनाए हैं लेकिन उन कानूनों में काफी खामियां है इसका फायदा उठाकर लोग बाल श्रम को अंजाम देते है और कई बार तो कानून का नियम पूर्वक पालन भी नहीं किया जाता है.

बाल श्रम के दुष्परिणाम –

(1) बचपन बर्बाद होना – जीवन का सबसे अच्छा पल बचपन ही होता है जब हम बच्चे होते हैं तो मैं किसी भी बात की चिंता नहीं रहती है हम खिलौने से खेलते हैं और सभी लोग हमें प्यार करते हैं साथ ही हम जो चाहे पढ़ सकते हैं

लेकिन जिन बच्चों को बाल मजदूरी के काम में लगा दिया जाता है वह कभी भी खेल नहीं पाते हैं और अपना मनचाहा काम नहीं कर पाते है. जिसके कारण उनका पूरा बचपन मसूरी काम करने में बीत जाता है.

(2) कुपोषण – बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अक्सर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके मालिक उनसे काम तो ज्यादा करवाते है लेकिन उन्हें खाने को कुछ भी नहीं देते है जिसके कारण उनके शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और भी धीरे-धीरे कुपोषण के शिकार हो जाते है.

(3) शारीरिक शोषण – बाल मजदूरी करते समय कई बच्चे और बच्चियों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है जोकि उनके ऊपर दोहरी मार है एक रिपोर्ट के अनुसार बाल मजदूरी करने वाले बच्चों में से लगभग 40% बच्चों का शारीरिक शोषण किया जाता है यह बहुत ही गंभीर बात है लेकिन इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया जाता है शारीरिक शोषण के समय कुछ बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है.

(4) मानसिक प्रताड़ना – मजदूरी करते समय बच्चों से अक्सर गलतियां होती रहती हैं गलतियां तो बड़े लोगों से भी होती है लेकिन बच्चों को डाट लगाना आसान होता है इसलिए उन से काम कराने वाले उनके मालिक उन्हें मानसिक प्रताड़ना देते है

उन्हें तरह-तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करके बुलाया जाता है जो कि एक छोटे से बच्चे के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालती है. इसी के कारण काफी बड़े हो जाते है और बड़े होने पर गलत कार्यों में लिप्त हो जाते है.

(5) गरीबी बढ़ना – बच्चों के माता-पिता बचपन में तो कुछ रुपयों के लिए अपने बच्चों को मजदूरी पर लगा देते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि अगर वे पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं तो उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी और वे पूरी जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ेगी जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीतेगा इसीलिए भारत में दिन प्रतिदिन करीब ही बढ़ती जा रही है.

(6) देश के आर्थिक विकास कमी – ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ लिख नहीं पाते हैं इसी कारण वे अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं और देश के विकास में सहयोग नहीं कर पाते हैं इसलिए देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाता है.

(7) सामाजिक विकास में कमी – जहां पर बच्चों से मजदूरी कराई जाती है वहां के लोग अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं साथ ही उनका रहन-सहन भी अच्छा नहीं होता है जिसके कारण बच्चे भी उन्हीं के साथ रहने के कारण उनकी भाषा और उन्हीं के जैसा रहन सहन करने लग जाते हैं और उनकी मानसिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण एक अच्छे समाज का विकास नहीं हो पाता है.

बाल श्रम रोकथाम के उपाय –

(1) जागरूकता – बाल श्रम को अगर रोकना है तो हमें लोगों को जागरूक करना होगा क्योंकि जब तक लोगों में यह जागरूकता नहीं आएगी बच्चों से मजदूरी नहीं करवानी चाहिए और जो भी बच्चे मजदूरी कर रहे है. उनके मालिकों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए लोगों को पता ही नहीं होता है कि वे जिस छोटू, मोटू को प्यार से बुला रहे है.

वह असल में बाल मजदूरी का शिकार है. इसलिए जब तक लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक ऐसे ही बच्चे मजदूरी करते रहेंगे.

(2) उचित शिक्षा व्यवस्था – हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था आज भी सुधर नहीं है जिसके कारण ग्रामीण इलाकों और बिछड़े हुए इलाकों के बच्चे आज भी पढ़ लिख नहीं पाते है जिसके कारण वह बचपन में ही बाल मजदूरी का शिकार हो जाते है इसलिए हमें उचित शिक्षा व्यवस्था सभी स्थानों पर उपलब्ध करवानी होगी और छोटे बच्चों के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी

(3) उचित कानून व्यवस्था – हमारे देश की कानून व्यवस्था अच्छी नहीं होने के कारण लोग इसका फायदा उठाते हैं और बाल श्रम जैसे कृत्यों को अंजाम देते है. हमें हमारी कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा तभी जाकर हम बाल श्रम जैसी भयंकर परेशानियों से निपट पाएंगे.

(4) भ्रष्टाचार पर लगाम – भ्रष्टाचार के कारण बाल श्रम करवाने वाले अपराधी आसानी से छूट जाते हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार ही नहीं किया जाता है जिसके कारण छोटे बच्चों को मजदूरी करनी पड़ती है इसलिए हमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी चाहिए.

(5) अच्छे और उदार व्यक्तियों की आवश्यकता – हमारे समाज में बहुत से अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन हमें और अच्छे व्यक्तियों की आवश्यकता है जो कि कम से कम एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा सके क्योंकि जब तक हम हमारे समाज की जिम्मेदारी नहीं लेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता क्योंकि अकेली सरकार सब कुछ नहीं कर सकती है इसलिए हमें आगे बढ़कर गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई में मदद करनी चाहिए.

बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्य –

(1) The Child Labour (Prohibition and regulation) Act 1986 :बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए हमारी सरकार द्वारा 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया है जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य करवाना दंडनीय अपराध माना जाएगा.

(2) The Juvenile Justice (Care and Protection) of Children Act of 2000 : इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों से मजदूरी करवाता है या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर दंड नहीं है कार्रवाई की जाएगी.

(3) The Right of Children to Free and Compulsory education Act, 2009 : यह कानून वर्ष 2009 में बनाया गया था जिसके अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब और विकलांग बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित होंगी.

उपसंहार –

बाल मजदूरी हमारे भारत देश और हमारे समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है अगर जल्द ही इसे खत्म नहीं किया गया तो यह हमारे देश की तरक्की में बाधक होगा साथ ही जिन बच्चों को बचपन में हंसना खेलना और पढ़ाई करना चाहिए वह बच्चे हमें अधिक मात्रा में कठिन परिश्रम करते हुए मिलेंगे जिसे हमारा देश का भविष्य खराब हो जाएगा.

इसलिए हमें आज ही बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और जहां पर भी कोई बच्चा हमें बाल मजदूरी करते हुए मिले उसकी शिकायत हमें नजदीकी पुलिस स्टेशन में करनी चाहिए.

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40+ बाल मजदूरी पर नारे – Slogans on Child Labour in Hindi

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Child Labour in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

16 thoughts on “बाल मजदूरी पर निबंध – Essay on Child Labour in Hindi”

Thank you hindi yatra aapne mujhe bohot help kiya mera project khatam karne kii….😄😄

Welcome Riya Johar

Haa mera bhi project khatam ho gaye

Bahut Acche Rishika

Aapne bahot acha likha hai sir ..I like it ki aapne kaise 150 words se 1800 words tak likha hai nyc thank you so much sir

welcome Akshita Dhariwal

Sir really apne bohot aacha likha hai. Thank you sir ye essay likhne ke liye mujhe bohot help mila hai ye essay se..😊

Diya ji parsnsha ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, aise hi hindi yatra par aate rahe.

Shrijana, aap ka bhut bhut dhanyawad. esi trah ke nibandh padhne ke liye hindiyatra par aate rahe.

Ye article mere Dil Ko Chu Gaya . Sir really aap ne bahut achha likha hai . ☺️

Really aap ne bahut achha likha hai sir . Mujhe ye article bahut achha laga .

Thank you Rohi for appreciation keep visiting hindiyatra.

Nice seeriya nibad

Thank you Devendra pratap Singh for appreciation.

Sir bahut mast article likha hai aapne apna skill aise hi badhate rahiye aur mehnat karte rahiye aap ek din jaroor top blogger me se ek kaho jaoge waise maine bhi ek blog banaya hai aap chahe to mera blog dekhkar comment me feedback de sakte hain Dhanyawad.

hum ne bhi aap ka blog dekha bhut accha laga, aap bhi bahut accha likh rahe hai, dhanyawad.

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बाल मजदूरी पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi)

बाल मजदूरी

किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा अपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते है। इसे गैर-जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिये मालिकों द्वारा जबरजस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिये जरुरी संसाधनों की कमी के चलते ये बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते है। हमारे देश के साथ ही विदेशों में भी बाल मजदूरी एक बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में हर एक को जागरुक होना चाहिए।

बाल मजदूरी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Child Labour in Hindi, Bal Majduri par Nibandh Hindi mein)

बाल मजदूरी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

बाल मजदूरी बच्चों से लिया जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए, ये गैरकानूनी कृत्य बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करते है।

बाल मजदूरी का कारण

बाल मजदूरी के कई कारण है जिनमे अनाथ होना, माँ बाप या परिवार का गरीब होना, शिक्षा का अभाव आदि प्रमुख कारण है। बाल मजदूरी के लिए सरकार और अन्य सामाजिक तंत्र भी जिम्मेदार है। कानून व्यवस्था की गैरजिम्मेदारी भी इसका एक प्रमुख कारण है।

बाल मजदूरी का प्रभाव

बाल मजदूरी के कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अल्प विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से कमजोरी आदि। इसकी वजह से बच्चे बचपन के प्यारे लम्हों से दूर हो जाते है, जो हर एक के जीवन का सबसे यादगार और खुशनुमा पल होता है।

बाल मजदूरी का निवारण

सरकार को इसे जड़ से खत्म करने करने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। जो अभिभावक और संस्था इसे बढ़ावा देती है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। बच्चो की शिक्षा के लिए सरकार को पहल करना चाहिए।

हर माता-पिता को ये समझना चाहिए कि देश के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारी है। देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिये उन्हें अपने बच्चों को हर तरह से स्वस्थ बनाना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Child Labour in Hindi

Bal Majduri par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

5 से 14 साल तक के बच्चों का अपने बचपन से ही नियमित काम करना बाल मजदूरी कहलाता है। विकासशील देशों मे बच्चे जीवन जीने के लिये बेहद कम पैसों पर अपनी इच्छा के विरुद्ध जाकर पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर है। वो स्कूल जाना चाहते है, अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहते है और दूसरे अमीर बच्चों की तरह अपने माता-पिता का प्यार और परवरिश पाना चाहते है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी हर इच्छाओं का गला घोंटना पड़ता है।

बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए। ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। ये मुद्दा सभी के लिये है जोकि व्यक्तिगत तौर पर सुलझाना चाहिए, क्योंकि ये किसी के भी बच्चे के साथ हो सकता है।

विकासशील देशों में, खराब स्कूलिंग मौके, शिक्षा के लिये कम जागरुकता और गरीबी की वजह से बाल मजदूरी की दर बहुत अधिक है। ग्रामीण क्षेंत्रों में अपने माता-पिता द्वारा कृषि में शामिल 5 से 14 साल तक के ज्यादातर बच्चे पाए जाते है। पूरे विश्व में सभी विकासशील देशों में बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण गरीबी और स्कूलों की कमी है।

बचपन हर एक के जीवन का सबसे खुशनुमा और जरुरी अनुभव माना जाता है क्योंकि बचपन बहुत जरुरी और दोस्ताना समय होता है सीखने का। अपने माता-पिता से बच्चों को पूरा अधिकार होता है खास देख-रेख पाने का, प्यार और परवरिश का, स्कूल जाने का, दोस्तों के साथ खेलने का और दूसरे खुशनुमा पलों का लुफ्त उठाने का। बाल मजदूरी हर दिन न जाने कितने अनमोल बच्चों का जीवन बिगाड़ रहा है। ये बड़े स्तर का गैर-कानूनी कृत्य है जिसके लिये सजा होनी चाहिये लेकिन अप्रभावी नियम-कानूनों से ये हमारे आस-पास चलता रहता है।

समाज से इस बुराई को जड़ से मिटाने के लिये कुछ भी बेहतर नहीं हो रहा है। कम आयु में उनके साथ क्या हो रहा है इस बात का एहसास करने के लिये बच्चे बेहद छोटे, प्यारे और मासूम है। वो इस बात को समझने में अक्षम है कि उनके लिये क्या गलत और गैर-कानूनी है, बजाए इसके बच्चे अपने कामों के लिये छोटी कमाई को पाकर खुश रहते है। अनजाने में वो रोजाना की अपनी छोटी कमाई में रुचि रखने लगते है और अपना पूरा जीवन और भविष्य इसी से चलाते है।

Child Labour Essay in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

अपने देश के लिये सबसे जरुरी संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत समझ और गरीबी की वजह से बच्चे देश की शक्ति बनने के बजाए देश की कमजोरी का कारण बन रहे है। बच्चों के कल्याण के लिये कल्याकारी समाज और सरकार की ओर से बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे के ज्यादातर बच्चे रोज बाल मजदूरी करने के लिये मजबूर होते है।

किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही देश का भी भविष्य बिगाड़ देते है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है। ये एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने की जरुरत है।

देश की आजादी के बाद, इसको जड़ से उखाड़ने के लिये कई सारे नियम-कानून बनाए गये लेकिन कोई भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे सीधे तौर पर बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है। बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम करना पड़े।

भयंकर गरीबी और खराब स्कूली मौके की वजह से बहुत सारे विकासशील देशों में बाल मजदूरी बेहद आम बात है। बाल मजदूरी की उच्च दर अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक है जिसमें 5 से 14 साल तक के बच्चे विकासशील देशों में काम कर रहे है। कृषि क्षेत्र में बाल मजदूरी की दर सबसे उच्च है जो ज्यादातर ग्रामीण और अनियमित शहरी अर्थव्यवस्था में दिखाई देती है जहाँ कि अधिकतर बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलने और स्कूल भेजने के बजाए प्रमुखता से अपने माता-पिता के द्वारा कृषि कार्यों में लगाये गये है।

बाल मजदूरी का मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय हो चुका है क्योंकि देश के विकास और वृद्धि में ये बड़े तौर पर बाधक बन चुका है। स्वस्थ बच्चे किसी भी देश के लिये उज्जवल भविष्य और शक्ति होते है अत: बाल मजदूरी बच्चे के साथ ही देश के भविष्य को भी नुकसान, खराब तथा बरबाद कर रहा है।

बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है। बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।

Child Labour Essay

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बाल श्रम पर लेख, अनुच्छेद

child labour assignment in hindi

By विकास सिंह

Paragraph on child labour in hindi

बाल श्रम किसी भी उद्योग या व्यवसाय में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का रोजगार है। बाल श्रम एक अवैध कार्य है और भारत में वर्षों से एक बड़ा सामाजिक मुद्दा रहा है। इसे बच्चों और देश के भविष्य के लिए शोषक माना जाता है।

उद्योगों में बच्चों द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रकार की नौकरी कठिन होने के साथ-साथ उनके लिए अधिक खतरनाक और नैतिक रूप से निंदनीय है। छोटी उम्र और कम क्षमता के होने के बाद भी बच्चों को कई तरह के कार्य और गतिविधियाँ करनी पड़ती हैं।

बाल श्रम पर लेख, Paragraph on child labour in hindi (100 शब्द)

पूरे भारत में कुछ उद्योगपतियों और व्यापारियों की भागीदारी से बाल श्रम उनके कम उम्र के बच्चों द्वारा किया गया एक अवैध कार्य है। उद्योगपतियों और व्यापारियों ने आमतौर पर कम खर्चे में कम से कम समय में कुशल कार्य के कारण बाल श्रम को चुना।

बच्चे आमतौर पर अपनी गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण बाल श्रम में शामिल हो जाते हैं। लोग, जो बहुत गरीब हैं और अपने दो समय के भोजन और कपड़े का प्रबंधन नहीं कर सकते हैं, अपने बच्चों और बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजने के बजाय सबसे कम भुगतान पर कुछ काम करने के लिए भेजने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

बाल श्रम पर लेख, 150 शब्द:

आम तौर पर, मध्यम वर्ग के बच्चे कुछ सरल घर के कार्यों और गतिविधियों में शामिल होते हैं जो बच्चों की सेहत और स्कूली शिक्षा को प्रभावित किए बिना उनके माता-पिता को दैनिक दिनचर्या में मदद करते हैं। घर पर इस तरह की गतिविधियों को बच्चों के लिए आवश्यक माना जाता है।

हालाँकि, बच्चों के स्वास्थ्य, विकास और स्कूली शिक्षा को प्रभावित करने वाली सभी गतिविधियाँ बाल श्रम के अंतर्गत आती हैं। बाल श्रम में बहुत कम भुगतान पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा किए गए कुछ कठिन कार्य शामिल हैं। देश में कुछ उद्योगपतियों और व्यापारियों द्वारा बाल श्रम की आवश्यकता है, जो कम से कम लागत पर कुशल काम करना चाहते हैं।

बाल श्रम भी गरीब लोगों (गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले) की जरूरत है, जो उनके लिए दो समय के भोजन का प्रबंधन करने में विफल रहते हैं, अपने बच्चों और बच्चों को बहुत कम लागत पर भी कुछ काम करने के लिए भेजते हैं। ऐसी गतिविधियों को सरकार द्वारा गरीब लोगों को समर्थन देकर तत्काल अवरुद्ध किया जाना चाहिए।

उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने और उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। गरीब लोगों और उनके बच्चों को अपने वयस्क जीवन में भारतीय समाज के उत्पादक सदस्य बनने में मदद करने के लिए दोनों, सरकार और अच्छी तरह से नागरिकों द्वारा कुछ सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।

बाल श्रम पर लेख, Paragraph on child labour in hindi (200 शब्द)

भारत में बाल श्रम एक सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा बन गया है जिसे नियमित आधार पर हल करने की आवश्यकता है। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, इसे सभी माता-पिता, मालिकों और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा हल किया जाना चाहिए और देखभाल की जानी चाहिए।

यह सभी का मुद्दा है जिसे व्यक्तिगत रूप से हल किया जाना चाहिए क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति के बच्चे के साथ हो सकता है। कई विकासशील देशों में उच्च स्तर की गरीबी और बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा के अवसरों के अस्तित्व के कारण बाल श्रम बहुत आम है।

बाल श्रम की उच्चतम घटना दर अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक है जिसमें विकासशील देश में 5 से 14 आयु वर्ग के बच्चे काम कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में बाल श्रम की दर अधिक है, जो ज्यादातर ग्रामीण और अनौपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में पाया जाता है, जहां ज्यादातर बच्चों को मुख्य रूप से उनके खुद के माता-पिता द्वारा बजाय उन्हें स्कूल भेजने के और उन्हें खेलने के लिए मुक्त करने के लिए दोस्तों के साथ के बजाय कृषि कार्य में लगाया जाता है ।

बाल श्रम का मुद्दा अब एक अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है क्योंकि यह देश के विकास और विकास को बाधित करने में अत्यधिक शामिल है। स्वस्थ बच्चे किसी भी देश का उज्ज्वल भविष्य और शक्ति होते हैं और इस प्रकार बाल श्रम बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचाता है, बिगाड़ता है और नष्ट करता है और आखिरकार देश।

बाल श्रम पर लेख, 250 शब्द:

बाल श्रम मानवता का अपराध है जो समाज के लिए एक अभिशाप बन गया है और देश के विकास और विकास को रोकने वाले बड़े मुद्दे हैं। बचपन जीवन का सबसे यादगार दौर है जिसे हर किसी को जन्म से जीने का अधिकार है। बच्चों को दोस्तों के साथ खेलने, स्कूल जाने, माता-पिता के प्यार और देखभाल को महसूस करने और प्रकृति की सुंदरता को छूने का पूरा अधिकार है।

हालांकि, सिर्फ लोगों (माता-पिता, मालिकों, आदि) की अनुचित समझ के कारण, बच्चे बड़े जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। उन्हें बचपन में जीवन रक्षा के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था करने के लिए मजबूर किया जाता है। माता-पिता अपने बच्चों के शुरुआती बचपन में उन्हें अपने परिवार के प्रति बहुत जिम्मेदार बनाना चाहते हैं।

वे यह नहीं समझते कि उनके बच्चों को प्यार और देखभाल की आवश्यकता है, उन्हें उचित स्कूली शिक्षा की आवश्यकता है और दोस्तों के साथ ठीक से बढ़ने के लिए खेलें। ऐसे माता-पिता समझते हैं कि उनके बच्चे उनकी एकमात्र संपत्ति हैं, वे उनका उपयोग कर सकते हैं जैसा वे चाहते हैं।

लेकिन वास्तव में, हर माता-पिता को यह समझने की जरूरत है कि उनके देश के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारी है। उन्हें देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए अपने बच्चों को हर पहलू में स्वस्थ बनाने की आवश्यकता है।

माता-पिता को परिवार की सारी ज़िम्मेदारी खुद लेनी चाहिए और अपने बच्चों को बहुत प्यार और देखभाल के साथ अपने बचपन को जीने देना चाहिए। दुनिया भर में बाल श्रम के मुख्य कारण गरीबी, माता-पिता, समाज, कम वेतन, बेरोजगारी, खराब जीवन स्तर और समझ, सामाजिक अन्याय, स्कूलों की कमी, पिछड़ापन, अप्रभावी कानून हैं जो देश के विकास को सीधे प्रभावित कर रहे हैं।

बाल श्रम पर लेख, Paragraph on child labour in hindi (300 शब्द)

बाल श्रम में पांच से चौदह साल की उम्र में बच्चों के नियमित रूप से काम करना शामिल है। कई विकासशील देशों के बच्चों को अपने अस्तित्व के लिए बहुत कम वेतन पर अपनी इच्छा के खिलाफ पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर किया जाता है।

वे स्कूल जाना चाहते हैं, अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहते हैं और अपने माता-पिता द्वारा अमीर घरों में रहने वाले अन्य बच्चों की तरह प्यार और देखभाल चाहते है। लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ करने के लिए मजबूर किया जाता है।

विकासशील देशों में, गरीबी के कारण बाल श्रम की दर अधिक है, शिक्षा के लिए निम्न स्तर की जागरूकता और खराब स्कूली शिक्षा के अवसर। 5 से 14 आयु वर्ग के अधिकांश बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों में अपने माता-पिता द्वारा कृषि में शामिल पाए जाते हैं। दुनिया भर में किसी भी विकासशील देश में गरीबी और स्कूलों की कमी बाल श्रम के प्राथमिक कारण हैं।

बचपन को सभी के जीवन में सबसे सुखद और महत्वपूर्ण अनुभव माना जाता है क्योंकि बचपन ही सीखने का सबसे महत्वपूर्ण और अनुकूल समय होता है। बच्चों को अपने माता-पिता से उचित ध्यान पाने, अपने माता-पिता से प्यार और देखभाल, उचित स्कूली शिक्षा, मार्गदर्शन, दोस्तों के साथ खेलने और अन्य खुशी के क्षणों का पूरा अधिकार है।

बाल श्रम हर दिन कई कीमती बच्चों के जीवन को दूषित कर रहा है। यह उच्च स्तर का गैरकानूनी कार्य है जिसके लिए किसी को दंडित किया जाना चाहिए लेकिन अप्रभावी नियमों और विनियमों के कारण यह एक तरफ हो रहा है। समाज से बाल श्रम को जल्द से जल्द रोकने के लिए कुछ भी कारगर नहीं हो रहा है।

बच्चे बहुत छोटे, प्यारे और मासूम होते हैं, जो उन्हें कम उम्र में होने वाली चीजों का एहसास कराते हैं। वे यह पहचानने में असमर्थ हैं कि उनके लिए क्या गलत और गैरकानूनी है, बजाय इसके कि वे अपने काम के लिए कम पैसे पाकर खुश हों। अनजाने में वे दैनिक आधार पर धन प्राप्त करने और अपने पूरे जीवन और भविष्य को बर्बाद करने में रुचि रखते हैं।

बाल श्रम पर लेख, 350 शब्द:

बाल श्रम किसी भी प्रकार के काम में बच्चों का रोजगार है। यह बच्चों को बचपन से दूर रखता है और उनकी स्कूली शिक्षा में हस्तक्षेप करता है। यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से या नैतिक रूप से सभी बच्चों (14 वर्ष से कम आयु) के लिए खतरनाक और हानिकारक है। यह कई उद्योगों द्वारा अपने स्वयं के लाभ के लिए किया गया एक शोषणकारी कार्य है। बाल श्रम पर रोक लगाने के विभिन्न नियम और कानून हैं, लेकिन लोगों द्वारा इसका ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है। बाल श्रम का उपयोग आम तौर पर कृषि, कारखानों, खनन और अन्य घर-आधारित विधानसभा संचालन के क्षेत्र में किया जाता है।

हालांकि, 2009-2010 के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में यह 4.98 मिलियन बच्चों तक कम हो गया था। 2011 की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, बाल श्रम में शामिल बच्चों की कुल संख्या (5-14 वर्ष की आयु) 4.35 मिलियन थी। बाल मजदूरी केवल एक राष्ट्रीय समस्या नहीं है; यह दिन-ब-दिन खतरनाक होता जा रहा है। किसी भी खतरनाक उद्योगों में बच्चों (आयु वर्ग 4-14 वर्ष के बीच) को शामिल करना एक आपराधिक मामला है, इसके बावजूद; इसे समाज से खत्म करना बहुत कठिन है।

विभिन्न विकासशील देशों में, बाल श्रम के मुख्य कारण (प्राथमिक कारण) उच्च गरीबी स्तर और गरीब बच्चों के सामने स्कूली शिक्षा के कम अवसर हैं। 2010 के आंकड़ों के अनुसार, बाल श्रम की उच्चतम घटनाएं उप-सहारा अफ्रीका में थीं।

यह कुछ अफ्रीकी देशों द्वारा देखा गया कि 5-14 वर्ष के बीच के लगभग 50% बच्चे काम कर रहे हैं। बाल श्रम का उपयोग आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों और अनौपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में उनके माता-पिता या कारखानों के मालिक द्वारा किया जाता है।

बाल श्रम पर लेख, article on child labour in hindi (400 शब्द)

बच्चों को उनके देश की सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में संरक्षित किया जाता है, लेकिन माता-पिता की अनुचित समझ और गरीबी उन्हें देश की शक्ति होने के बजाय देश की कमजोरी का कारण बनाती है। गरीबी रेखा के नीचे के अधिकांश बच्चे सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम और बच्चे के कल्याण के लिए समाज के भविष्य के कल्याण के बाद भी दैनिक बाल श्रम करने के लिए मजबूर हैं।

बच्चे किसी भी राष्ट्र की शक्ति हैं लेकिन कुछ लोग इसे लगातार ख़त्म करने में लग रहे हैं और देश के भविष्य को नष्ट कर रहे हैं और बढ़ते बच्चों को अवैध रूप से शामिल करके छोटे पैसे कमा रहे हैं। वे निर्दोष लोगों और उनके बच्चों के नैतिक के साथ खेल रहे हैं।

बच्चों को बाल श्रम से बचाना देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। बाल श्रम सामाजिक-आर्थिक मुद्दा है जो बहुत पहले से चला आ रहा है और अब इसे अंतिम आधार पर हल करने की आवश्यकता है। देश की आजादी के बाद, बाल श्रम के संबंध में विभिन्न कानून और कानून लागू किए गए हैं, लेकिन देश में इसका अंत नहीं हुआ।

बाल श्रम शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से उनके स्वास्थ्य को सीधे नष्ट करके बच्चों की मासूमियत को बर्बाद करता है। बच्चे प्रकृति की प्यारी रचना हैं लेकिन यह उचित नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों के कारण वे अपनी उचित उम्र से पहले कठिन श्रम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

बाल श्रम वैश्विक मुद्दा है जो अविकसित देशों में अधिक आम है। गरीबी रेखा के नीचे गरीब माता-पिता या माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं और वे परिवार के अस्तित्व के लिए पर्याप्त पैसा कमाने में असमर्थ हैं। इसलिए, वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत में शामिल करना बेहतर समझते हैं।

वे समझते हैं कि स्कूली शिक्षा समय की बर्बादी है और कम उम्र में पैसा कमाना उनके परिवार के लिए अच्छा है। बाल श्रम के बुरे प्रभावों के बारे में गरीब लोगों के साथ-साथ अमीर लोगों (गलत तरीके से देश की संपत्ति का उपयोग नहीं करने) के बारे में जागरूक करने की तत्काल आवश्यकता है।

उन्हें उन सभी संसाधनों का लाभ उठाना चाहिए, जिनकी उनके पास कमी है। अमीर लोगों को गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए ताकि उनके बच्चों को भी बचपन में सभी आवश्यक चीजें मिल सकें। सरकार को इसकी जड़ों को हमेशा के लिए पूरी तरह से समाप्त करने के लिए कुछ प्रभावी नियमों और विनियमों की आवश्यकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi (1000W)

बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में बाल मजदूरी पर निबंध (Essay on Child Labour in Hindi) 1000 शब्दों में लिखा है जिसमे हमने प्रस्तावना,बाल श्रम का प्रारंभ,अशिक्षित वर्ग,बाल मजदूरी के कारण, भारत के सविधान मे व्यवस्था,बाल मजदूरी एक वयस्क समस्या,बाल मजदूरी को रोकने के उपाय के बारे मे बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi) 

किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा आपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते हैं। जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिए मालिकों द्वारा जबरदस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी  के चलते यह बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते हैं।

बचपन सभी के जीवन में विशेष और खुशी का पल होता है जिसमें बच्चे प्रकृति प्रियजनों और अपने माता पिता के जीवन जीने का तरीका सीखते हैं। सामाजिक बौद्धिक शारीरिक और मानसिक सभी दृष्टिकोण से बाल मजदूरी बच्चों की वृद्धि और विकास में बाधा का काम करती है।

बाल श्रम का इतिहास History of Child Labour in Hindi

बाल श्रम का प्रारंभ है औद्योगिक की क्रांति की शुरुआत से ही मानी जाती है। कार्ल मार्क्स ने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में मौजूदा स्वरूप में बाल श्रम की बात कही थी। 1990 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोमालिया को छोड़कर अन्य सभी देशों  ने बाल अधिकार सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए।

बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है। जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों और अभिभावकों द्वारा भी सम्मानित करना चाहिए।

यह मुद्दा सभी के लिए है जो कि व्यक्तिगत तार पर सुलझाना चाहिए, क्योंकि यह किसी के भी बच्चे के साथ भी हो सकता है।

अशिक्षित वर्ग Illiterate class in Hindi

भारत में जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग अशिक्षित है, जिसके दृष्टिकोण में शिक्षा ग्रहण करना अधिक आवश्यक है धन कमाना जिससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है। बड़ा और संयुक्त परिवार होने से परिवार के कम ही लोगों को रोजगार मिल पाता है। फलस्वरूप बच्चों को काम करने के लिए विवश होना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त समाज के स्वार्थी तत्व और गलत तरीके से अधिक हितों की पूर्ति करने वाले व्यवसायिक संगठनों के द्वारा जानबूझकर प्रतिकूल स्थिति पैदा कर दी जाती है, ताकि उन्हें सस्ती मजदूरी पर बिना विरोध के काम करने वाले बाल श्रमिक आसानी से मिल जाए।

बाल मजदूरी के कारण Reasons Behind Child Labour in Hindi

  • गरीबी के कारण गरीब माता-पिता अपने बच्चे को घर- घर और दुकानों में काम करने के लिए भेजते हैं।
  • दुकान और छोटे व्यापारी भी बच्चों से काम तो बड़े लोगों की जितना ही करवाते हैं परंतु दाम उनसे आधा देते हैं क्योंकि वह बच्चे हैं।
  • व्यापार में उत्पादन लागत कम लगने के लोभ में भी कुछ व्यापारी बच्चों का जीवन बर्बाद कर देते हैं।
  • बच्चे बिना किसी लोग के मन लगाकर काम करते हैं।

भारत के संविधान में व्यवस्थाएं Arrangements in the Constitution of India in Hindi

  • बाल श्रम को रोकने या हतोत्साहित करने के लिए विभिन्न अवस्थाएं की गई हैं जैसे 14 वर्ष से कम उम्र के किसी बालक को कारखाने में काम करने के लिए या किसी जोखिम वाले रोजगार में नियुक्त नहीं किया जाएगा।
  • (धारा 24), बाल्यावस्था और किशोरावस्था को शोषण तथा नैतिक एवं भौतिक परित्यक्ता से बताया जाएगा।
  • (धारा 39Af), संविधान के प्रारंभ होने से 10 वर्ष की अवधि में सभी बालकों की, जब तक वे 14 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं कर लेते हैं राज्य निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रयत्न करेगा।

वर्ष 1987 में राष्ट्रीय बाल श्रम नीति तैयार की गई, जिसके अंतर्गत जोखिम भरे व्यवसाय में कार्यरत बच्चों के पुनर्वास पर जोर दिया गया।

वर्ष 1986 में उच्चतम न्यायालय द्वारा  दिए गए उस फैसले ने बालश्रम के विरुद्ध कार्रवाई में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें संघिय एवं राज्य सरकारों को जोखिम भरे  व्यवसायों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने एवं शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।

 केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 28 अगस्त 2012 को बाल श्रम अधिनियम 1986 में संशोधन की मंजूरी दी गई।

  •  इस अधिनियम में संशोधन के द्वारा गैर जोखिम भरे कार्य में भी 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को काम पर लगाने पर  पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गैया है।
  •  इस अधिनियम के अनुसार 14 से 18 वर्ष के बच्चों को किशोरावस्था की श्रेणी में रखा गया और जोखिम वाले उद्योग धंधों में काम करने वालों की न्यूनतम 18 वर्ष कर दी गई।
  •  इसमें बाल श्रम का संगे अपराध कानून के उल्लंघन करने वाले की सजा 1 वर्षों से बढ़कर 2 वर्ष साथ-साथ जुर्माना की रकम 20,000 से बढ़कर 50,000 कर दी गई।

इन सब के बावजूद भी आज हमारे देशों में बाल श्रमिकों की संख्या आज भी करोड़ों में है।

बाल मजदूरी एक बड़ी समस्या Child labour an big problem in Hindi

बाल मजदूरी एक व्यस्त समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता पिता यह गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च बाहर नहीं कर पाते हैं और जीवन यापन के लिए जरूरी पैसा भी नहीं कमा पाते हैं।

इसी वजह से वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय कठिन श्रम में शामिल कर लेते हैं। वे मानते हैं कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बर्बादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिए अच्छा होता है। बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीबी के साथ साथ अमीर लोग को भी तुरंत अवगत कराने की जरूरत है।

उन्हें हर तरह के साधनों की उपलब्धता कराने चाहिए जिनकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरूरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसे जड़ से मिटाने के लिए सरकार को कड़े नियम और कानून बनाने चाहिए।

बाल मजदूरी को रोकने के उपाय Measures to Stop Child Labour in Hindi

बाल मजदूरी के लिए मजबूत तथा कड़े नियम कानून  बनाने चाहिए जिससे कोई भी बाल मजदूरी करवाने से डरे। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में होने से रोकना चाहिए।

गरीब माता-पिता को भी अपने बच्चों की शिक्षा में पूरा ध्यान देना चाहिए क्योंकि आज सरकार मुफ्त शिक्षा खाना और कुछ स्कूलों में दवाइयों जैसे चीजों की भी सुविधा प्रदान की है।

कारखानों और दुकानों के लोगों को प्रण लेना चाहिए कि वह किसी भी बच्चे से मजदूरी नहीं करवाएंगे और काम करवाने वाले लोगों को रोकेंगे।

निष्कर्ष Conclusion

वास्तव में हम सोचते हैं कि इस तरह की सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का सिर्फ सरकार का दायित्व है। सब कुछ कानूनों के पालन एवं कानून भंग करने वालों को सजा देने में सुधार जाएगा, लेकिन यह असंभव है।

हमारे ढाबों में, होटलों में अनेक  प्रकार के श्रमिक मिल जाएंगे जो कड़ाके की ठंड से या तपती धूप की परवाह किए  बगैर काम करते हैं।बाल मजदूरी को रोकने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा।

आशा करती हूं आप सभी को बाल मजदूरी पर यह निबंध पर बनाया होगा यदि आपको इसी तरह की जानकारी प्राप्त करनी है तो हमारे साथ जुड़े रहिए।

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Speech On Child Labour : छात्रों के लिए बाल मजदूरी पर भाषण

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  • Updated on  
  • जून 4, 2024

Speech On Child Labour in Hindi

भारत में बाल मजदूरी एक बड़ी समस्या है। यह भारत के ऊपर एक बहुत बड़े अभिशाप की तरह है। आज भारत में लाखों बच्चे बाल मजदूर बने हुए हैं। बाल मजदूरी के मामले में भारत विश्व में पहले स्थान पर आता है। एक सामाजिक बुराई के रूप में संदर्भित, भारत में बाल श्रम एक अनिवार्य मुद्दा है जिससे देश वर्षों से निपट रहा है। हर साल 12 जून के दिन विश्व बाल मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर स्कूलों कर कॉलेजों में छात्र बाल मजदूरी पर भाषण देते हैं। यहाँ speech on child labour in Hindi दिया जा रहा है, इसकी मदद से छात्र बाल मजदूरी पर भाषण तैयार कर सकते हैं। 

Speech On Child Labour in Hindi : बाल मजदूरी पर 100 शब्दों में भाषण  

यहाँ बाल मजदूरी पर 100 शब्दों में speech on child labour in Hindi दी जा रही है: 

आदरणीय शिक्षकगण, प्राचार्य महोदय एवं मेरे प्रिय साथियों, 

आज मैं आपके सामने एक ज्वलंत मुद्दे, “बाल मजदूरी” पर बात करने के लिए खड़ा हूँ। यह एक ऐसी कुप्रथा है जो मानवता को शर्मसार करती है और हमारे समाज की प्रगति में बाधा बनती है।

कल्पना कीजिए, वो छोटे-छोटे हाथ जो खेलने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए बनाए गए थे, उन्हें मजबूरन मजदूरी करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इन बच्चों का नाचपन छीन लिया जाता है, उनके सपनों को कुचल दिया जाता है, और उन्हें खतरनाक और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

बाल मजदूरी के पीछे कई कारण हैं, जैसे गरीबी, अशिक्षा, और सामाजिक कुरीतियां। गरीब परिवारों में, बच्चे अक्सर कमाई का एक अतिरिक्त साधन बन जाते हैं। उन्हें खेतों में काम करने, कारखानों में मशीन चलाने, या सड़कों पर भिक्षा मांगने के लिए मजबूर किया जाता है।

यह कुप्रथा बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डालती है। वे कुपोषण, बीमारियों, और दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता है, जिसके कारण उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

बाल मजदूरी रोकने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे। सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए और उनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। शिक्षा को बढ़ावा देकर और गरीबी को कम करके हम इस कुप्रथा को जड़ से मिटा सकते हैं।

आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम बाल मजदूरी को पूरी तरह से खत्म करेंगे और हर बच्चे को शिक्षा और बेहतर भविष्य का अधिकार दिलाएंगे।

यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सबका सामाजिक दायित्व है।

आइए, हम सब मिलकर इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं और बच्चों को उनके बचपन का अधिकार दिलाएं।

Speech On Child Labour in Hindi: बाल मजदूरी पर 200 शब्दों में भाषण 

 यहाँ बाल मजदूरी पर 200 शब्दों में speech on child labour in Hindi दी जा रही है: 

आज मैं आपके सामने एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय, बाल मजदूरी पर बात करने के लिए उपस्थित हूं। यह एक ऐसी समस्या है जो न केवल हमारे समाज को, बल्कि हमारे देश के भविष्य को भी खोखला कर रही है।

बाल मजदूरी का अर्थ है कम उम्र के बच्चों का खतरनाक और शोषणकारी परिस्थितियों में काम करना। यह न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उनकी शिक्षा और विकास के अवसरों को भी छीन लेता है।

दुनिया भर में, करोड़ों बच्चे मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे गरीबी, सामाजिक बहिष्कार और अशिक्षा के शिकार होते हैं। वे खेतों में काम करते हैं, कारखानों में मशीनें चलाते हैं, सड़कों पर भिक्षा मांगते हैं, या घरेलू काम करते हैं।

बाल मजदूरी के कई दुष्परिणाम हैं : 

  • शारीरिक शोषण: बाल मजदूरों को अक्सर खतरनाक और अस्वस्थ परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, जिससे उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • मानसिक शोषण: बाल मजदूरी से बच्चों का मानसिक विकास भी बाधित होता है। वे तनाव, चिंता और अवसाद का शिकार हो सकते हैं।
  • शिक्षा से वंचित: बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अक्सर स्कूल नहीं जा पाते हैं, जिससे उनका बौद्धिक विकास रुक जाता है।
  • सामाजिक बहिष्कार: बाल मजदूरों को अक्सर समाज में निम्न दृष्टि से देखा जाता है, जिससे उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।

इसके लिए हम क्या कर सकते हैं:

  • सरकारी पहल: सरकार को बाल मजदूरी को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने चाहिए और उनका कड़ाई से पालन करना चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: समाज में बाल मजदूरी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए।
  • शिक्षा का महत्व: बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में समझाना चाहिए और उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • बदलती मानसिकता: हमें बाल मजदूरी को स्वीकार करने वाली मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

बाल मजदूरी समाप्त करना केवल सरकार का काम नहीं है, यह हम सबका दायित्व है। आइए हम सब मिलकर इस सामाजिक कलंक को मिटाएं और बच्चों को उनके सुनहरे भविष्य का निर्माण करने का अवसर दें।

Speech On Child Labour in Hindi : बाल मजदूरी पर 500 शब्दों में भाषण 

यहाँ बाल मजदूरी पर 500 शब्दों में speech on child labour in Hindi दी जा रही है : 

आज मैं आपके सामने एक ज्वलंत मुद्दे, “बाल मजदूरी” पर बात करने के लिए खड़ा हूँ। यह एक ऐसी कुप्रथा है जो देश की तरक्की में रुकावट बनती है। 

कल्पना करके देखिए कि जिस पौधे को आप रोज़ पानी देते हैं, उसे कोई एक दिन कोई अचानक से कुचल दे तो क्या होगा? वह नन्हा पौधा बड़ा फलदार वृक्ष बनने से पहले ही नष्ट हो गया। इसी प्रकार से बाल मजदूरी बच्चों का बचपन छीनकर उनके जीवन को मिट्टी में मिला देती है। उनका भविष्य भी उस नन्हे पौधे की तरह ही बर्बाद हो जाता है। 

दूसरे शब्दों में कहूँ तो बाल श्रम मुख्य रूप से छोटे बच्चों के शोषण और एक अमानवीय प्रथा को संदर्भित करता है। इससे उन्हें शिक्षा के साथ साथ संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के उनके मूल अधिकारों को पूरी तरह से छीन किया जाता है। भारत में आज लाखों बच्चे शिक्षा के अवसरों से वंचित किए जा चुके हैं। 

अगर बात की जाए बाल मजदूरी के कारणों की तो इसके कई प्रमुख कारण हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण है सस्ती मजदूरी। बच्चे कम पैसों में आसानी से मिल जाते हैं। दूसरा, वे कम वेतन दिए जाने पर विरोध भी नहीं कर पाते हैं। इस कारण से बहुत से लालची मिल मालिक और ठेकेदार बच्चों को मजदूर के रूप में अपने यहाँ काम पर लगा देते हैं। 

बाल मजदूरी का एक अन्य कारण गरीबी भी है। भारत में गरीबी बहुत व्यापक रूप से विद्यमान है। मां बाप चार पैसे फालतू कमाने के लालच में अपने बच्चों को बाल मजदूरी में लगा देते हैं, ताकि उन्हें कुछ अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके।  

बाल मजदूरी का तीसरा सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी होना भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में, शैक्षिक संसाधनों की कमी के कारण माता-पिता कम शिक्षित होते हैं। नतीजतन, वे अपने बच्चों के जीवन में स्कूल और स्कूली शिक्षा की प्रासंगिकता को कम आंकते हैं। शिक्षा के संबंध में जानकारी की कमी के कारण वे इसे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मानते हैं। गरीबी के कारण बच्चों को पढ़ा पाना कठिन हो जाता है और वे अपने बच्चों को जल्दी ही काम पर लगा देते हैं।

बाल मजदूरी को ख़त्म करने के लिए सरकार ने कुछ क़ानून भी बनाए हैं, जैसे कि : 

  • बाल श्रम (निषेध और उन्मूलन) अधिनियम, 1986: यह भारत में मुख्य कानून है जो 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के काम पर लगाने पर रोक लगाता है। इसमें खतरनाक प्रक्रियाओं में काम करने वाले 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर भी प्रतिबंध है।
  • बाल जस्टिस (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000: यह कानून उन बच्चों की देखभाल और संरक्षण प्रदान करता है जो बाल श्रम के शिकार हैं या जो इसके शिकार होने की संभावना रखते हैं। इसमें बाल श्रमिकों को मुक्त कराने और उनका पुनर्वास करने के लिए प्रावधान भी शामिल हैं।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009: यह कानून 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। शिक्षा बच्चों को बाल श्रम से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य (कार्यस्थल) अधिनियम, 1981: यह कानून उन प्रतिष्ठानों में काम करने वाली महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रावधान करता है। इसमें खतरनाक प्रक्रियाओं में काम करने वाले बच्चों पर प्रतिबंध है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) कन्वेंशन: भारत ने ILO के कई कन्वेंशनों को स्वीकार किया है जो बाल श्रम के उन्मूलन से संबंधित हैं। इनमें बाल श्रम (निषेध और उन्मूलन) कन्वेंशन, 1990 (No. 182) और खतरनाक प्रक्रियाओं में बाल श्रम का निषेध कन्वेंशन, 1999 (No. 182) शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय बाल श्रम नीति, 2015: यह नीति बाल श्रम के उन्मूलन के लिए एक व्यापक रणनीति प्रदान करती है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और कानून प्रवर्तन जैसे क्षेत्रों में किए जाने वाले उपायों का विवरण दिया गया है।
  • बाल श्रम उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम: यह कार्यक्रम बाल श्रम के उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाया जाता है। इसमें बाल श्रमिकों की पहचान, मुक्ति और पुनर्वास, जागरूकता अभियान और कानून प्रवर्तन गतिविधियां शामिल हैं।
  • बाल श्रम निगरानी प्रणाली: यह प्रणाली बाल श्रम की घटनाओं की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए स्थापित की गई है। इसमें नागरिकों द्वारा बाल श्रम की शिकायत दर्ज करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी शामिल है।
  • बाल मजदूरी रोकने के लिए जागरूकता अभियान: सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा बाल मजदूरी के खतरों और बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई अभियान चलाए जाते हैं।
  • कानून प्रवर्तन: बाल श्रम (निषेध और उन्मूलन) अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। इसमें जुर्माना और कारावास की सजा का प्रावधान है। 

इस प्रथा के उन्मूलन पर कई सरकारी विभागों और मंत्रालयों में के प्रयासों के बावजूद, अभी भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल मजदूरी जारी है। इस प्रकार इस सामाजिक बुराई से लड़ने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिले एवं ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में बाल श्रम से होने वाले खतरों के प्रति जागरूकता पैदा की जाए ताकि इस कुप्रथा को पूरी तरह से ख़त्म किया जा सके।

हमें बाल मजदूरी को जड़ से मिटाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा। सभी लोगों को साथ में आकर बाल मजदूरी के खिलाफ लड़ना होगा और इस बुराई को हमारे समाज से जड़ से मिटाना होगा। 

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उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको speech on child labour in Hindi के बारे में विस्तृत जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।

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10 Lines on Child Labour in hindi

10 Lines on Child Labour in hindi

Table of contents, 10 lines on child labour in hindi for class 1:, बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 1 के लिए:.

  • बाल श्रम का अर्थ है जब बच्चे वयस्कों की तरह काम करते हैं।
  • बच्चों को स्कूल जाकर पढ़ना चाहिए, काम नहीं करना चाहिए ।
  • बच्चों का बचपन खुशहाल होना बहुत जरूरी है।
  • बाल श्रम बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • कई स्थानों पर कानून बच्चों को बहुत अधिक काम करने से रोकते हैं।
  • सभी को बाल श्रम रोकने में मदद करनी चाहिए।
  • बच्चों को सीखने और बढ़ने के लिए समय चाहिए।
  • बच्चों को खतरनाक काम नहीं करना चाहिए।
  • आइए सुनिश्चित करें कि सभी बच्चे सुरक्षित रहे और जीवन का आनंद लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
  • बाल श्रम को ना कहें।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 2:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 2 के लिए:.

  • बाल श्रम तब होता है जब बच्चों को स्कूल जाने के बजाय काम करना पड़ता है।
  • बच्चों को सीखने, खेलने और मौज-मस्ती करने का मौका मिलना चाहिए।
  • बाल श्रम खतरनाक हो सकता है और बच्चों के लिए अच्छा नहीं है।
  • बच्चों को ज्यादा काम करने से बचाने के लिए कानून बनाये गये हैं।
  • बाल श्रम को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
  • बच्चों को ऐसे काम नहीं करने चाहिए जो उनके स्वास्थ्य या सुरक्षा को नुकसान पहुँचाते हों।
  • शिक्षा हर बच्चे के लिए जरूरी है।
  • आइए सुनिश्चित करें कि बच्चे सुरक्षित हैं और अपने बचपन का आनंद ले सकें।
  • बाल श्रम को ना कहें और शिक्षा को हाँ।
  • हर बच्चा उज्ज्वल भविष्य का हकदार है।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 3:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 3 के लिए:.

  • बाल श्रम तब होता है जब बच्चे स्कूल जाने के बजाय काम करते हैं।
  • बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित बचपन का अधिकार है।
  • बाल श्रम बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • कई देशों के कानून बच्चों को लंबे समय तक काम करने से बचाते हैं।
  • बाल श्रम को खत्म करने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा।
  • बच्चों को खतरनाक या कठिन कार्यों में मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
  • शिक्षा बच्चों के बेहतर भविष्य की कुंजी है।
  • आइए हर बच्चे के लिए शिक्षा का अधिकार और खुशहाल बचपन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करें।
  • बाल श्रम को ना कहें और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करें।
  • प्रत्येक बच्चे को सीखने और सपने देखने का मौका मिलना चाहिए।

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10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 4:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 4 के लिए:.

  • बाल श्रम का तात्पर्य बच्चों द्वारा स्कूल जाने के बजाय काम करने की प्रथा से है।
  • प्रत्येक बच्चे को शिक्षा और सुरक्षित, चिंतामुक्त बचपन का अधिकार है।
  • बाल श्रम का बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • कई देशों ने बच्चों को अत्यधिक घंटों तक काम के और हानिकारक परिस्थितियों से बचाने के लिए कानून स्थापित किए हैं।
  • बाल श्रम से निपटना और उसका उन्मूलन करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
  • बच्चों को खतरनाक या मेहनत वाले काम में नहीं लगाना चाहिए।
  • शिक्षा एक मौलिक अधिकार है जो बेहतर भविष्य के द्वार खोलता है।
  • हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके और एक पूर्ण बचपन का आनंद ले सके।
  • बाल श्रम को ना कहें और बच्चों के अधिकारों की वकालत करें।
  • प्रत्येक बच्चे को सीखने, बढ़ने और अपने सपनों को हासिल करने का अवसर मिलना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 5:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 5 के लिए:.

  • बाल श्रम तब होता है जब बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के बजाय नियोजित किया जाता है।
  • सभी बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित बचपन का अधिकार है।
  • बाल श्रम से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
  • कई देशों में कानूनों और विनियमों का उद्देश्य बच्चों को अत्यधिक काम के घंटों और खतरनाक परिस्थितियों से बचाना है।
  • बाल श्रम को खत्म करना और हर बच्चे के लिए उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
  • बच्चों को खतरनाक या शोषणकारी काम में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
  • शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है जो बच्चों को गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए सशक्त बनाती है।
  • हमें सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पोषणयुक्त बचपन उपलब्ध कराने की दिशा में काम करना चाहिए।
  • बाल श्रम को ना कहें और हर बच्चे के अधिकारों की वकालत करें।
  • प्रत्येक बच्चे को सीखने, सपने देखने और अपनी क्षमता हासिल करने का अवसर मिलना चाहिए।

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10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 6:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 6 के लिए:.

  • बाल श्रम कम उम्र में बच्चों का रोजगार है, जो उन्हें शिक्षा और सामान्य बचपन से वंचित करता है।
  • प्रत्येक बच्चे को शिक्षा और शोषण मुक्त जीवन का अधिकार है।
  • बाल श्रम का बच्चों पर दीर्घकालिक शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है।
  • कई देशों ने बच्चों को हानिकारक श्रम प्रथाओं से बचाने के लिए कानून बनाए हैं।
  • बाल श्रम का उन्मूलन एक वैश्विक लक्ष्य है जिसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
  • बच्चों को खतरनाक या कठिन काम में नहीं लगाया जाना चाहिए जो उनकी भलाई को खतरे में डालता है।
  • शिक्षा एक मौलिक मानव अधिकार है जो गरीबी के चक्र को तोड़ सकता है।
  • हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए और बच्चों के आगे बढ़ने के अवसर पैदा करने चाहिए।
  • बाल श्रम को ना कहें और सभी बच्चों के अधिकारों और कल्याण की वकालत करें।
  • प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने, बड़े सपने देखने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का मौका मिलना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 7:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 7 के लिए:.

  • बाल श्रम बच्चों को ऐसे काम में शामिल करना है जो उनके शारीरिक या मानसिक विकास के लिए हानिकारक है और उनकी शिक्षा में बाधा उत्पन्न करता है।
  • शिक्षा का अधिकार और शोषण से मुक्त बचपन हर बच्चे के लिए मौलिक है।
  • बाल श्रम के लंबे समय तक चलने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिणाम हो सकते हैं।
  • कई देशों ने बच्चों को शोषणकारी श्रम प्रथाओं से बचाने के लिए कानून और सम्मेलन लागू किए हैं।
  • बाल श्रम को ख़त्म करना एक वैश्विक उद्देश्य है जिसके लिए सहयोगात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • बच्चों को खतरनाक या कठिन कार्य परिस्थितियों में नहीं रखा जाना चाहिए।
  • गरीबी के चक्र को तोड़ने और भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है।
  • हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पोषणयुक्त वातावरण मिले।
  • बाल श्रम को ना कहें और प्रत्येक बच्चे के अधिकारों, कल्याण और भविष्य की वकालत करें।
  • प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने, साहसपूर्वक सपने देखने और अपनी क्षमता का एहसास करने का अवसर मिलना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 8:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 8 के लिए:.

  • बाल श्रम बच्चों की ऐसे काम में संलिप्तता को दर्शाता है जो उन्हें उनके बचपन, शिक्षा और क्षमता से वंचित कर देता है।
  • शिक्षा का अधिकार और शोषण से मुक्त बचपन अंतरराष्ट्रीय समझौतों में निहित है।
  • बाल श्रम से गंभीर शारीरिक, भावनात्मक और विकासात्मक परिणाम हो सकते हैं।
  • कई देशों ने बच्चों को शोषणकारी श्रम प्रथाओं से बचाने के लिए कानूनी ढांचे स्थापित किए हैं।
  • बाल श्रम उन्मूलन एक वैश्विक प्रतिबद्धता है जिसके लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
  • बच्चों को खतरनाक या कठिन कार्य स्थितियों का सामना नहीं करना चाहिए।
  • गरीबी के चक्र को तोड़ने और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एक शक्तिशाली साधन है।
  • हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए और बच्चों के लिए पोषण संबंधी माहौल बनाना चाहिए।
  • बाल श्रम को ना कहें और प्रत्येक बच्चे के अधिकारों, कल्याण और भविष्य के समर्थक बनें।
  • प्रत्येक बच्चे को व्यापक शिक्षा प्राप्त करने, महानता की आकांक्षा करने और अपनी क्षमता को पूरा करने का अवसर मिलना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 9:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 9 के लिए:.

  • बाल श्रम बच्चों के काम में शामिल होने का प्रतीक है जो उन्हें उनके बचपन, शिक्षा और भविष्य की संभावनाओं से वंचित कर देता है।
  • शिक्षा का अधिकार और शोषण से मुक्त बचपन एक मौलिक मानव अधिकार है।
  • बाल श्रम के परिणामस्वरूप बच्चों के लिए गंभीर शारीरिक, भावनात्मक और विकासात्मक परिणाम हो सकते हैं।
  • विभिन्न देशों ने बच्चों को शोषणकारी श्रम प्रथाओं से बचाने के लिए कानून और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन बनाए हैं।
  • बाल श्रम का उन्मूलन एक साझा वैश्विक लक्ष्य है जिसके लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • बच्चों को खतरनाक या कठिन कार्य परिस्थितियों में नहीं रखा जाना चाहिए जो उनकी भलाई के लिए खतरा हो।
  • गरीबी के चक्र को तोड़ने और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है।
  • हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए और बच्चों के लिए पोषण का माहौल बनाना चाहिए।
  • बाल श्रम को ना कहें और प्रत्येक बच्चे के अधिकारों, कल्याण और भविष्य के लिए चैंपियन बनें।
  • प्रत्येक बच्चे को समग्र शिक्षा प्राप्त करने, महत्वाकांक्षी सपने देखने और अपनी क्षमता का एहसास करने का अवसर मिलना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 10:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 10 के लिए:.

  • बाल श्रम बच्चों को काम में लगाना है जो उन्हें उनके बचपन, शिक्षा और भविष्य की संभावनाओं से वंचित कर देता है।
  • शिक्षा का अधिकार और शोषण से मुक्त बचपन विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त एक मौलिक मानव अधिकार है।
  • कई देशों ने बच्चों को शोषणकारी श्रम प्रथाओं से बचाने के लिए कानून बनाए हैं और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की पुष्टि की है।
  • बाल श्रम का उन्मूलन एक सामूहिक प्रतिबद्धता है जिसके लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
  • बच्चों को खतरनाक या कठिन कार्य स्थितियों में नहीं रखा जाना चाहिए जो उनकी भलाई को खतरे में डालती हैं।
  • गरीबी के चक्र को तोड़ने और समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है।
  • हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए और बच्चों के विकास के लिए एक पोषण वातावरण बनाना चाहिए।
  • प्रत्येक बच्चे को व्यापक शिक्षा प्राप्त करने, महत्वाकांक्षी सपने देखने और अपनी क्षमता का एहसास करने का अवसर मिलना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 11:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 11 के लिए:.

  • बाल श्रम बच्चों को ऐसे काम में नियोजित करने की प्रथा है जो उनकी भलाई के लिए हानिकारक है।
  • यह बच्चों को उनके बचपन, शिक्षा और बढ़ने और विकसित होने के अवसर से वंचित करता है।
  • बाल श्रम बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय समझौतों द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • इससे शारीरिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक क्षति हो सकती है जो बच्चे के भविष्य को प्रभावित करती है।
  • कई देशों ने बाल श्रम से निपटने के लिए कानून बनाए हैं और वैश्विक सम्मेलनों की पुष्टि की है।
  • लक्ष्य बाल श्रम को पूरी तरह खत्म करना और बच्चों के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ वातावरण बनाना है।
  • गरीबी के चक्र को तोड़ने और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
  • बाल श्रम को संबोधित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • हम सभी को बाल श्रम को न कहने और प्रत्येक बच्चे के अधिकारों और भविष्य की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 12:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 12 के लिए:.

  • बाल श्रम से तात्पर्य बच्चों को ऐसे काम में लगाना है जो उन्हें उनके बचपन, शिक्षा और क्षमता से वंचित कर देता है।
  • यह बच्चों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता है और एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है।
  • बाल श्रम से शारीरिक, भावनात्मक और विकास संबंधी नुकसान हो सकता है, जिससे बच्चे का भविष्य प्रभावित हो सकता है।
  • बाल श्रम से निपटने के लिए कानून और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन स्थापित किए गए हैं।
  • बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने के लिए बाल श्रम का पूर्ण उन्मूलन ही अंतिम लक्ष्य है।
  • बच्चों को खतरनाक या शोषणकारी कामकाजी परिस्थितियों में नहीं रखा जाना चाहिए।
  • बच्चों को गरीबी से बाहर निकालने और सामाजिक उन्नति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है।
  • बाल श्रम को संबोधित करने में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • हमें सामूहिक रूप से बाल श्रम को ना कहना चाहिए और प्रत्येक बच्चे के अधिकारों और कल्याण की वकालत करनी चाहिए।
  • बाल श्रम को खत्म करने के लिए सभी बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य सुरक्षित करने के लिए वैश्विक सहयोग और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

10 Lines on Child Labour in Hindi For Competitive Exams:

बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए:.

  • बाल श्रम तब होता है जब बच्चों को स्कूल जाने के बजाय काम पर लगाया जाता है।
  • यह बच्चों को उचित बचपन और शिक्षा के उनके अधिकार से वंचित करता है।
  • बाल श्रम हानिकारक है क्योंकि यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
  • बच्चों को ऐसे काम से बचाने के लिए कानून और अंतर्राष्ट्रीय समझौते मौजूद हैं।
  • इसका लक्ष्य दुनिया भर से बाल श्रम को पूरी तरह खत्म करना है।
  • बच्चों को खतरनाक या शोषणकारी काम में नहीं लगाया जाना चाहिए।
  • गरीबी के चक्र को तोड़ने और बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है।
  • बाल श्रम से लड़ने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच महत्वपूर्ण है।
  • बाल श्रम को समाप्त करने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए हम सभी को एकजुट होना चाहिए।
  • बाल श्रम उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों और जागरूकता की आवश्यकता है।

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Child Labour in India: Causes and Consequences

  • International Journal of Science and Research (IJSR) 8(5):2199-2206
  • 8(5):2199-2206

B Suresh Lal at Kakatiya University

  • Kakatiya University

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Child Labour In India

  • 02 Jun 2021
  • GS Paper - 2
  • Government Policies & Interventions
  • Issues Related to Children

This article is based on “Breaking the cycle of child labour is in India’s hands” which was published in The Hindu on 02/06/2021. It talks about the menace of child labour in India.

With increased economic insecurity, lack of social protection and reduced household income, the Covid-19 pandemic is pushing the children from poor households to contribute to the family income with the risk of exposure to exploitative work.

Subsequent lockdowns have worsened the situation, posing a real risk of backtracking the gains made in eliminating child labour.

The true extent of the impact of the Covid-19 pandemic on child labour is yet to be measured but all indications show that it would be significant as children are unable to attend school and parents are unable to find work.

However, not all the factors that contribute to child labour were created by the pandemic; most of them were pre-existing and have been exposed or amplified by it. Though the pandemic has amplified its contributing factors, policy and programmatic interventions can save children.

Status of Child Labour in India

  • Child labour refers to the employment of children in any work that deprives them of their childhood, interferes with their ability to attend regular school, and that is mentally, physically, socially or morally dangerous and harmful.
  • The Census of India 2011 reports 10.1 million working children in the age group of 5-14 years, out of whom 8.1 million are in rural areas mainly engaged as cultivators (26%) and agricultural labourers (32.9%).
  • Risks of contracting occupational diseases like skin diseases, diseases of the lungs, weak eyesight, TB etc.;
  • Vulnerability to sexual exploitation at the workplace;
  • Deprived of education.
  • They grow up unable to avail development opportunities and end up as unskilled workers for the rest of their lives.

Child Labour: Constitutional And Legal Provsions

  • According to Article 23 of the Indian Constitution any type of forced labour is prohibited.
  • Article 24 states that a child under 14 years cannot be employed to perform any hazardous work.
  • Article 39 states that “the health and strength of workers, men and women, and the tender age of children are not abused”.
  • In the same manner, Child Labour Act (Prohibition and Regulation) 1986 prohibits children under the age of 14 years to be working in hazardous industries and processes.
  • Policy interventions such as MGNREGA 2005 , the Right to Education Act 2009 and the Mid Day Meal Scheme have paved the way for children to be in schools along with guaranteed wage employment (unskilled) for rural families.
  • Further, with the ratification International Labour Organization Conventions Nos. 138 and 182 in 2017, the Indian government have demonstrated its commitment to the elimination of child labour including those engaged in hazardous occupations.

Associated Issues With the Child Labour

  • These factors are not only the cause but also a consequence of social inequities reinforced by discrimination.
  • Threat to National Eonomy: The continuing persistence of child labour and exploitation poses a threat to national economies and has severe negative short and long-term consequences for children such as denial of education and undermining physical and mental health.
  • Child Labour in Informal Sector : Though child labour is banned the law, across India child labourers can be found in a variety of informal industries like in brick kilns, carpet weaving, garment making, agriculture, fisheries, etc.
  • Work performed may not appear to be immediately dangerous, but it may produce long-term and devastating consequences for their education, their skills acquisition.
  • Hence their future possibilities to overcome the vicious circle of poverty, incomplete education and poor quality jobs.
  • Trafficked children are subjected to prostitution, forced into marriage or illegally adopted; they provide cheap or unpaid labour, are forced to work as house servants or beggars and may be recruited into armed groups.

Way Forward

  • Generate awareness about the ill-effects of child labour,
  • Encourage parents to send their children to school,
  • Create an environment where children stop working and get enrolled in schools instead,
  • Ensure that children have sufficient facilities available in schools,
  • Inform industry owners about the laws prohibiting child labour and the penalties for violating these laws,
  • Activate Balwadis and Aanganwadis in the village so that working mothers do not leave the responsibility of younger children on their older siblings.
  • Motivate Village Education Committees (VECs) to improve the conditions of schools.
  • Integrated Approach: Child labour and other forms of exploitation are preventable through integrated approaches that strengthen child protection systems as well as simultaneously addressing poverty and inequity, improve access to and quality of education and mobilize public support for respecting children’s rights.
  • They are key actors in child protection and can give valuable insights into how they perceive their involvement and what they expect from the government and other stakeholders.

Children belong in schools not workplaces. Child labour deprives children of their right to go to school and reinforces intergenerational cycles of poverty. Child labour acts as a major barrier to education, affecting both attendance and performance in school.

Child labour deprives children of their right to go to school and reinforces intergenerational cycles of poverty. Comment.

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Teachers Day 2024: शिक्षक दिवस पर स्कूली बच्चों के लिए 100, 150, 200 शब्दों में निबंध कैसे लिखें?

Teachers Day Essay in Hindi: हर साल 5 सितंबर को हमारे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्कूल, कॉलेज और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनके सम्मान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

शिक्षक दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

शिक्षक हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें न केवल पढ़ाते हैं बल्कि अच्छे इंसान बनने की भी प्रेरणा देते हैं। आइए, इस शिक्षक दिवस पर हम तीन छोटे-छोटे निबंधों के माध्यम से शिक्षक दिवस के महत्व को समझें।

अक्सर शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों के योगदान पर या शिक्षकों की भूमिका पर स्कूलों में निबंध प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। यहां हमने बच्चों की सहायता के लिए 100, 150 और 200 शब्दों में शिक्षक दिवस पर निबंध के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं।

स्कूल के बच्चों के लिए शिक्षक दिवस पर 100, 150, 200 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-

निबंध 1: शिक्षक दिवस की महत्ता (100 शब्द)

शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन हम अपने सभी शिक्षकों का धन्यवाद करते हैं। वे हमें नई-नई चीजें सिखाते हैं। शिक्षक हमारे गुरु होते हैं। वे हमें अच्छे-बुरे का ज्ञान देते हैं। हमारे शिक्षक हमें सही रास्ता दिखाते हैं। स्कूल में इस दिन हम बहुत सारे कार्यक्रम करते हैं। कुछ बच्चे नाचते हैं, कुछ गाते हैं और कुछ नाटक करते हैं। हम सभी मिलकर अपने शिक्षकों को उपहार देते हैं और उन्हें खुश करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे शिक्षक हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं।

निबंध 2: शिक्षक हमारे मार्गदर्शक (150 शब्द)

शिक्षक दिवस पर हम अपने शिक्षकों का धन्यवाद करते हैं, जो हमें शिक्षा के साथ-साथ जीवन के हर पहलू को समझने में मदद करते हैं। वे हमें अनुशासन, नैतिकता और सही निर्णय लेने की कला सिखाते हैं। शिक्षक हमारे जीवन में माता-पिता के बाद सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। वे हमें किताबों के साथ-साथ जीवन के पाठ भी पढ़ाते हैं। स्कूल में शिक्षक दिवस के दिन हम सभी मिलकर अपने शिक्षकों के लिए रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। हम उन्हें फूल, कार्ड और उपहार देकर अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करते हैं। शिक्षक हमें केवल पढ़ाते ही नहीं, बल्कि हमारे अंदर आत्मविश्वास भी भरते हैं। शिक्षक दिवस हमें यह समझने का अवसर देता है कि वे हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं।

निबंध 3: छात्रों के जीवन में शिक्षक का महत्व (200 शब्द)

शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने का एक खास अवसर होता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला यह दिन हमारे शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का दिन है। शिक्षक हमें ज्ञान का रास्ता दिखाते हैं और हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं। वे हमारे जीवन के पथप्रदर्शक होते हैं, जो हमें कठिनाइयों का सामना करना और सफलता की ओर बढ़ना सिखाते हैं।

शिक्षक दिवस के दिन स्कूलों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। छात्र-छात्राएँ अपने शिक्षकों के लिए गीत, नृत्य और नाटक प्रस्तुत करते हैं। इस दिन, हम अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते हैं और उनके प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करते हैं। हमारे शिक्षक हमारे जीवन के आदर्श होते हैं, और शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि वे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं और हमें समाज का एक अच्छा नागरिक बनने के लिए तैयार करते हैं। इसलिए, शिक्षक दिवस का महत्व हमारे जीवन में हमेशा बना रहेगा।

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  5. BPSC 132 " भारत सरकार एवं राजनीति " (2023-2024) IGNOU Solved Assignment (Hindi Medium)

  6. Case Study (Handwritten) in Hindi on Child || बच्चे पर केस स्टडी || PDF

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  1. भारत में बाल श्रम कारण कानून व दुष्परिणाम

    भारत में बाल श्रम कारण कानून व दुष्परिणाम Child Labour Introduction Types Causes How To Stop Effects & Laws In India In Hindi: कम आयु में बच्चों को पढ़ाने लिखाने एवं विकास के समुचित अवसर दिलाने के स्थान ...

  2. बाल मजदूरी पर निबंध

    Best Essay on Child Labour in Hindi 150 Words. जब भी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से आमदनी कमाने के लिए होटलों, उद्योग धंधों, ढाबे, चाय की दुकान इत्यादि पर कार्य करवाया जाता है तो वह बाल ...

  3. भारत में बाल श्रम की समस्या

    भारत में बाल श्रम पर प्रमुख बिंदु | Key Points on Child Labor in India in Hindi जनगणना 2011: भारत में 5-17 वर्ष की आयु के बीच 10.1 मिलियन बाल श्रमिक दर्ज हैं। बाल श्रम के सबसे खराब रूप ...

  4. बाल मजदूरी पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi)

    Child Labour Essay in Hindi - निबंध 3 (500 शब्द) अपने देश के लिये सबसे जरुरी संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत समझ और गरीबी की वजह ...

  5. भारत में बाल श्रम

    यह एडिटोरियल दिनांक 02/06/2021 को 'द हिंदू' में प्रकाशित लेख "Breaking the cycle of child labour is in India's hands" पर आधारित है। इसमें भारत में बाल श्रम की स्थिति पर चर्चा की गई है।

  6. भारत में बाल श्रम की रोकथाम कैसे हो?

    यद्यपि बाल श्रम केवल भारत ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया की समस्या है जिससे निपटने के लिये अलग-अलग देशों ने कई कदम उठाए हैं। भारत में भी ...

  7. भारत में बाल श्रम और बंधुआ मज़दूर

    भारत में बंधुआ मज़दूर: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, बंधुआ मज़दूरी प्रचलित बाज़ार मज़दूरी और कानूनी न्यूनतम मज़दूरी से कम है ...

  8. Child Labour Essay in Hindi (चाइल्ड लेबर) पर आधारित निबंध

    Child Labour Essay: बाल श्रम पर आधारित निबंध. निबंध लेखन विभिन्न शैक्षिक और प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे SSC, UPSC, आदि का एक अभिन्न अंग है। आमतौर पर, ऐसी ...

  9. Paragraph on child labour in hindi: बाल श्रम पर लेख

    बाल श्रम पर लेख, Paragraph on child labour in hindi (300 शब्द) बाल श्रम में पांच से चौदह साल की उम्र में बच्चों के नियमित रूप से काम करना शामिल है। कई विकासशील ...

  10. बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi (1000W)

    बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi (1000W) July 16, 2020 by Kiran Sao. आज हम इस आर्टिकल में बाल मजदूरी पर निबंध (Essay on Child Labour in Hindi) 1000 शब्दों में लिखा है जिसमे हमने ...

  11. अधिनियम और नियम

    अधिनियम और नियम | श्रम एवं रोजगार मंत्रालय|Government of India. भारत सरकार Ministry of Labour & Employment, Government of India. GOVERNMENT OF INDIA.

  12. बाल श्रम निषेध अधिनियम

    भारत में बाल श्रम | Child Labour In India. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 10.1 मिलियन बाल श्रमिक हैं, जिनमें 5.6 मिलियन लड़के और 4.5 मिलियन ...

  13. Speech On Child Labour : छात्रों के लिए बाल मजदूरी पर भाषण

    Speech On Child Labour in Hindi: बाल मजदूरी पर 200 शब्दों में भाषण. यहाँ बाल मजदूरी पर 200 शब्दों में speech on child labour in Hindi दी जा रही है: आज मैं आपके सामने एक बहुत ही ...

  14. "A Critical Analysis Of Child Labour In India"

    survey found child labour prevalence had reduced to 4.98 million children (or less th an 2% of children in 5 - 14. age groups). The 2011 national census of India found the total number of chil d ...

  15. बच्चे और घरेलू श्रम

    बाल श्रम: घरेलू बाल श्रम: यदि कोई व्यक्ति अथवा नियोक्ता अपने अथवा किसी अन्य के घरेलू कार्यों को पूरा करने के लिये बच्चों को काम पर ...

  16. PDF Introduction on Child Labour

    4.4. Child Labour exists in India notwithstanding the Laudable provisions of the Constitution and laws addressing child labour. Despite the fact that a host of social, economic and cultural factors is responsible for continuance of child labour, Government is committed to the task of elimination of child labour in all

  17. 10 Lines on Child Labour in hindi

    Table of Contents. 10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 1: बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 1 के लिए: 10 Lines on Child Labour in Hindi For Class 2: बाल श्रम पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में कक्षा 2 ...

  18. Child Labour in India: Causes and Consequences

    Various causes of child labour like the curse of poverty, lack of educational resources, boys and girls. Consequences of Child Labour such as General child injuries and abuses like cuts, burns, a ...

  19. Child Labour Assignment

    child labour assignment - Free download as Word Doc (.doc / .docx), PDF File (.pdf), Text File (.txt) or read online for free. India has a large problem with child labor, with estimates ranging from 2.6 crore (26 million) to over 10 crore (100 million) child laborers according to various studies. Poverty is the primary driver of child labor in India, as families struggle to support themselves ...

  20. PDF 2021 Findings on the Worst Forms of Child Labor: India

    Children in India are subjected to the worst forms of child labor, including commercial sexual exploitation, sometimes as a result of human trafficking. (1) Children also perform dangerous tasks in garment production, stone quarrying, and brickmaking. (1,2) Table 1 provides key indicators on children's work and education in India. Table 1.

  21. Child Labour In India

    Status of Child Labour in India. Child labour refers to the employment of children in any work that deprives them of their childhood, interferes with their ability to attend regular school, and that is mentally, physically, socially or morally dangerous and harmful. The Census of India 2011 reports 10.1 million working children in the age group ...

  22. PDF CHILD LABOUR

    than offset the impact of COVID-19 on child labour, returning us to progress on the issue. Other key results from the 2020 global estimates include: • Involvement in child labour is higher for boys than girls at all ages. Among all boys, 11.2 per cent are in child labour compared to 7.8 per cent of all girls. In absolute numbers, boys in child

  23. Teachers Day 2024: शिक्षक दिवस पर स्कूली बच्चों के लिए 100, 150, 200

    Explore easy essay ideas on Teachers Day for school kids with options for 100, 150, and 200 words. Perfect for school assignments, these Teachers Day essays in Hindi help young students express their gratitude and respect for teachers.